सफ़ेद परी और काली परी (परी कथा) : कर्मजीत सिंह गठवाला

Safed Pari Aur Kali Pari (Hindi Pari Katha) : Karamjit Singh Gathwala

कुछ समय पहले की बात है, एक सुंदर और शांत गाँव था – नाम था नारायण गढ़। वहाँ की पाठशाला बहुत मशहूर थी क्योंकि वहाँ पढ़ने वाले बच्चे बड़े होनहार और खुशमिजाज थे। हर कक्षा में हँसी की गूंज सुनाई देती थी, और बच्चे गृहकार्य को खेल-खेल में करते थे।

पर समय बदला। धीरे-धीरे पाठशाला का माहौल बदलने लगा। बच्चों के चेहरे से मुस्कान गायब हो गई। वे चुपचाप बैठने लगे, गृहकार्य करने में बहाने बनाने लगे और रातों को डरावने सपने देखने लगे। किसी को अंधेरे जंगल दिखते, किसी को ऊँची-ऊँची इमारतों से गिरते हुए सपने आते, तो किसी को गुस्से वाले अध्यापक का सामना करना पड़ता।

कक्षा पाँच की सबसे समझदार बच्ची सरगम ने अपनी माँ से एक रात कहा,
"माँ, मुझे अब गृहकार्य करने से डर लगता है। लगता है जैसे किताब खोलते ही कोई मुझे घूर रहा है। और रात को तो नींद में काली छाया मेरे सपनों में आ जाती है।"

उसकी माँ ने मुस्कराकर सरगम को गले लगा लिया और कहा,
"बेटा, यह कोई आम डर नहीं है। यह उस काली परी का काम है। वह परी तब आती है जब बच्चों के मन में डर, आलस, झूठ और जलन घर कर जाते हैं। वह तुम्हारे सपनों में अंधेरा भर देती है।"

"काली परी?" सरगम ने हैरानी से पूछा।

माँ ने हाँ में सिर हिलाया। फिर बोलीं, "लेकिन बेटा, हर अंधेरे में एक रौशनी होती है। उस अंधेरे को दूर करने के लिए एक सफ़ेद परी भी होती है। वह परी तब आती है जब हम मेहनत, सच्चाई और आत्मविश्वास को अपनाते हैं। वह परी हमारे सपनों को रंगीन बना देती है।"

"क्या वह मेरे सपनों में आ सकती है?" सरगम ने उत्सुकता से पूछा।

"ज़रूर," माँ ने कहा, "लेकिन उसके लिए तुम्हें अपने डर और आलस को हराना होगा। तुम्हें गृहकार्य से डरना नहीं, उसे समझने की कोशिश करनी होगी। जब तुम पूरे मन से पढ़ाई करोगी, तब सफ़ेद परी तुम्हारे सपनों में आएगी।"

सरगम को यह बात दिल से छू गई। उस दिन से उसने ठान लिया कि वह अपने गृहकार्य को बोझ नहीं, एक खेल की तरह लेगी ।

अगले दिन से सरगम ने एक नई शुरुआत की। वह समय पर पाठशाला जाती, ध्यान से पढ़ाई करती और शाम को खुद ही गृहकार्य करने बैठ जाती। जब कोई सवाल समझ नहीं आता, तो वह अपनी माँ या अध्यापक से पूछने में हिचकिचाती नहीं। उसने अपने दोस्तों की भी मदद करनी शुरू की।

एक रात जब सरगम सो रही थी, उसे फिर वही काली छाया दिखाई दी। वह छाया धीरे-धीरे पास आई और फुसफुसाई, "छोड़ो यह सब पढ़ाई, चलो खेलें, मज़े करें। पढ़ना तो बहुत बोरिंग है।"

सरगम थोड़ी घबरा गई। तभी अचानक आकाश से तेज़ रौशनी आई। एक सुनहरी ध्वनि के साथ एक सुंदर परी प्रकट हुई। उसके सफेद पंख थे, माथे पर चमकता ताज और हाथ में एक सुनहरी छड़ी।

वह मुस्कराई और बोली, "सरगम, तुमने मन से मेहनत की है, सच्चाई को अपनाया है। अब मैं तुम्हारे डर को दूर करने आई हूँ।"

उसने अपनी छड़ी से एक हल्की सी चमक सरगम के चारों ओर फैलाई। काली परी अंधेरे में छटपटाने लगी और देखते ही देखते गायब हो गई।

फिर सफ़ेद परी ने सरगम को अपने साथ एक अद्भुत यात्रा पर ले चलने का निमंत्रण दिया। सरगम ने देखा कि वह एक जादुई बगीचे में पहुँच गई है – वहाँ रंग-बिरंगे फूल थे, चहकते पक्षी, बहती नदियाँ और हँसते हुए बच्चे। हर बच्चा कुछ नया सीख रहा था – कोई किताब पढ़ रहा था, कोई गणित के खेल खेल रहा था, कोई विज्ञान की बातें कर रहा था।

सरगम ने पूछा, "क्या ये सब बच्चे भी सफ़ेद परी के साथ हैं?"

परी ने उत्तर दिया, "हाँ, ये वे बच्चे हैं जो सच्चाई, मेहनत और जिज्ञासा को अपनाते हैं। इनके मन में डर नहीं, सवाल होते हैं। और जब सवाल होते हैं, तो जवाब खुद आ जाते हैं।"

सरगम की आँखें चमक उठीं। उसने उस बगीचे में घंटों बिताए। फिर धीरे-धीरे सपना खत्म हुआ और वह सुबह मुस्कुराते हुए उठी।

अब सरगम पहले से कहीं ज़्यादा खुश और आत्मविश्वासी थी। पाठशाला में वह पहले से भी अच्छा करने लगी। पर वह अकेली नहीं बदली।

उसने अपने दोस्तों को भी वह सपना और कहानी सुनाई – काली परी और सफ़ेद परी की कहानी। उसने बताया कि कैसे वह डर से जूझी, और कैसे सफ़ेद परी ने उसकी मदद की। धीरे-धीरे बाकी बच्चे भी समझने लगे कि गृहकार्य कोई सज़ा नहीं, बल्कि सीखने का मौका है।

अब कक्षा में फिर से हँसी सुनाई देने लगी। बच्चों के सपने अब डरावने नहीं रहे – वे अब सुंदर जंगलों, उड़ते पंछियों और दोस्ती की कहानियों से भरे होते।

गाँव की पाठशाला का माहौल एक बार फिर वैसा ही हो गया – सकारात्मक, रंगीन और प्रेरणादायक।

सीख : डर, आलस और झूठ हमारे मन के अंधेरे को बुलाते हैं – और तब आती है काली परी, जो हमें हमारे ही डर में उलझा देती है। लेकिन जैसे ही हम सच्चाई, मेहनत और आत्मविश्वास को अपनाते हैं, हमारे जीवन में आती है सफ़ेद परी, जो हमारे सपनों को रौशनी और रंगों से भर देती है। गृहकार्य और पढ़ाई कोई बोझ नहीं, बल्कि वह सीढ़ी है, जो हमें हमारे सपनों की ऊँचाई तक पहुँचाती है।

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