पुरुष तब पति अब पिता (कहानी) : एस.भाग्यम शर्मा

Purush Tab Pati Ab Pita (Hindi Story) : S Bhagyam Sharma

मेरी बेटी बाला की शादी हुए 6 महीने ही हुए। वह बहुत ही चुलबुली और हमेशा हंसी मजाक करने वाली लड़की थी। पर शादी के बाद जब भी पीहर आती तो बहुत ही शांत रहती। यह बात मेरे पतिदेव को बहुत अखरती थी। उसको देख कर वह भी दुखी होते क्या बात हुई उससे पूछते?

वह हंसकर टाल देती। जब पतिदेव मुझसे पूछते मैं भी टाल देती। कुछ भी नहीं। ठीक-ठाक है।

मुझसे तो बेटी सारी बात कह देती । पर मैंने उसे हिदायत दी थी तुम इस बात को किसी से भी नहीं कहोगी। इस बात का उसे दुख होता पर मैं उसे समझा देती। कुछ नहीं समझती तो कुछ समझने की कोशिश करती।

एक दिन अकेले में मैं और बाला बात कर रहे थे। उस समय उसे मैं कुछ समझा रही थी। मेरी बहू रूपा बरामदे में बैठी हुई बच्चे को खिला रही थी।

हम दोनों बातचीत में हैं बहुत ही गंभीर हो गए और बहस भी हो रही थी। हमें महसूस ही नहीं हुआ कब मेरे पतिदेव ऑफिस से आकर खड़े हुए। हम दोनों को पता ही नहीं चला। बीच में ही वे जोर से बोले "तुम दोनों मुझसे क्या छुपा रही हो?"

"मैंने कहा कोई बात नहीं छुपाने लायक?"

"अच्छा मुझे बेवकूफ समझ रखा है? मैं देख रहा हूं बाला कितने दिनों से परेशान है। मैं तुमसे पूछता या उससे पूछता तुम कह देती कोई बात नहीं? मैं तुम्हारी बात पर विश्वास कर लेता! क्यों ऐसा कर रही हो दोनों? मुझे कब से पराया कर दिया?"

"आइए बैठिए बात को समझिए। क्या बात है मैं आपको बताती हूं। कोई खास बात होती तो मैं आपको जरूर बताती। जो काम मेरे बस का है तो मैं आपको क्यों परेशान करूं? जिसे मैं ही निपटा सकती हूं? क्या मैंने गलत किया? अपनी लड़की के लिए क्या बुरा क्या अच्छा सोचना गलत है?"

"यह मैंने कब कहा? पर बात तो मुझे पता होनी चाहिए ना?"

"ऐसा है आप देखिए कोई बड़ी बात नहीं होती है छोटी-छोटी बातें होती है जिसको बढ़ाकर हम बड़ा बना देते हैं वैसे मिटने में नहीं आता? यह हमारी सोच ही तो है जिसे हमें ठीक करना चाहिए।"

"साफ-साफ बताओ ना गोमती?

"साफ बात यह है लड़कियों को दूसरों के घरों में जाकर रहना पड़ता है और वहां के तौर तरीके के हिसाब से उन्हें चलना पड़ता है। उनकी ससुराल में मान लीजिए 10 जने हैं और वे सब के सब बदल नहीं सकते? एक अपनी बिटिया है थोड़ा सा एडजस्ट कर लेगी तो आगे जाकर सुख पाएगी? कोई लड़ाई झगड़ा थोड़ी करना है। यहां देर से उठती थी वहां थोड़ा जल्दी उठना है ‌। यहां देर से सोती थी वहां थोड़ा जल्दी सोना है। यहां उठते ही चाय हाथ में मिलती थी अब तब मिलेगी जब उसे बना कर देना होगा ना?"

"सब कुछ करने के लिए मेरी बेटी नौकरानी है उसे ही सब करना पड़ेगा? तेरा दिमाग खराब है?"

मुझे हंसी आ गई। मेरा हंसना पतिदेव को पसंद नहीं आया।

"कल ही मैं समधी से बात करता हूं! मेरी लड़की सी.ए. फाइनल कर चुकी है। जॉब तो उसके हाथ में है जब चाहे कर लेगी। उसका दिल नहीं दुखाना चाहिए।"

मुझे फिर से हंसी आई ।"मैं भी पढ़ी लिखी थी मैंने भी बी.एड किया था एम.ए कर चुकी थी। तुम्हारी अम्मा ने कहा 'हमें नौकरी ना करानी' आपने कहा मेरी अम्मा सही कहती है। अपनी बहू देर से उठती थी तब तुम्हें बहुत बुरा लगता था? आपकी लड़की को ससुराल में जल्दी उठना पड़े तो बुरी बात है क्यों भाई क्यों?"

"पापा मम्मी ठीक कह रही हैं वे चाहती हैं मैं ससुराल में ढंग से रहूं। थोड़े दिन में मैं एडजस्ट हो जाऊंगी। शुरू में मुझे थोड़ी दिक्कत आई। अब तो राजीव मेरा बहुत ध्यान रखते हैं। आप चिंता मत करो।"

"बेटी मैं तो चाहता हूं तुझे कोई तकलीफ नहीं होना चाहिए? अभी तो तेरा पापा बैठा है?"

"पापा एक बात कहूं आप बुरा ना मानो तो? मम्मी के पापा भी यही तो चाहते होंगे? तब आपने कभी ध्यान नहीं दिया। आज आप अपनी बेटी के लिए बदल गए हैं ! अच्छी बात है पर मुझे तो एडजस्ट करना बहुत आता है। आज मेरी मां नहीं होती एडजस्ट की शिक्षा नहीं देती तो मैं ससुराल में नहीं टिक सकती। सभी मांओं को अपनी लड़कियों को घर को बनाकर रखने की शिक्षा देनी चाहिए। यदि ऐसा ना हो तो परिवार बिखर जाएंगे। हम आए दिन देखते हैं सभी ज्यादातर मां अपनी बेटी को बहुत उकसाती हैं। समझाना तो दूर तुम तो पढ़ी लिखी हो इसलिए तो पढ़ाया कि दब्बू बन कर रहो।तुम मुकाबला करो। यही तो गलती है पापा। अच्छा हो गया मम्मी के कहने के कारण मैंने आपसे कुछ नहीं कहा वरना मेरा घर तो उजड़ ही जाता । पापा आप मेरी चिंता मत करो। 6 महीने में सब समझ गई। आप मेरी बात का बुरा ना मानो पापा। आप मुझसे बहुत प्रेम करते हैं इसीलिए कह रहे हैं मुझे पता है। पर हम लड़कियों को तो दोनों घर संभालना है ना।"

"बेटी तुम मुझसे ज्यादा समझदार निकली। मुझे तो तुम पर गर्व है बेटी।"

"पापा मैं समझदार नहीं हूं। यह तो मम्मी की ट्रेनिंग है। मम्मी ने अपने घर को अच्छा बसाया और भाभी को इस घर में एडजस्ट होने में साहायता की। अब मुझे मेरे ससुराल में एडजस्ट होने के लिए बराबर प्रयत्न कर रही हैं। मुझे पहले यह बात समझ में नहीं आती थी और मैं मम्मी को गलत समझती थी। मम्मी कहती छोटी मोटी बात ससुराल की पीहर में आकर नहीं बताना चाहिए। इसी तरह पीहर के हर बात को ससुराल में नहीं कहना चाहिए। मुझे भी अभी यह बात अच्छी तरह समझ में आ गई। छ: महीने की ट्रेनिंग जो मम्मी ने दी। अब तो मुझे लगता है सभी मां को अपनी बेटी को ऐसे ही समझाना चाहिए। ताकि किसी का घर टूटे नहीं। आजकल तो मोबाइल होने के कारण हर छोटी बात मिनिट मिनट में लड़कियां अपने मां को बताती हैं जिससे समस्याएं शुरू हो जाती है। अब तो मम्मी का दर्जा और भी मेरी नजरों में ऊंचा हो गया ।"

"मुझे गर्व है बेटी तुम पर तुम अपनी मां पर गई हो इसका भी मुझे गर्व है। आई लव यू बेटा।"

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