पुनर्जीवित (कहानी) : पर्ल एस. बक - अनुवाद : मीनू मंजरी
Punarjivit (English Story in Hindi) : Pearl S. Buck
सोमवार सुबह ड्रेक फारेस्टर रोज से भी ज्यादा बेमन से सोकर उठा । शनिवार और रविवार को उसके एजेंट का दफ्तर बंद रहता था, इसलिए दो दिन तक वह न तो सवाल पूछ सका न ही जवाब सुन सका सवाल हमेशा वही रहता और जवाब भी ।
'कुछ पता चला, निक?'
'नहीं ड्रेक, सॉरी, अब तक तो नहीं। मैंने काँटे तो कई डाल रखे हैं, तुम्हें बताया ही था, पर कोई मछली नहीं फंसी ।'
नहीं फंसी ।
अगले दोनों वाक्य भी हमेशा वही रहते।
'धन्यवाद निक। अगर थोड़ी सी भी उम्मीद - '
'मुझे पता है ओल्ड मैन। मैं पाँच मिनट में तुम्हारे दरवाजे पर होऊँगा।'
अगले शब्द झिझकते हुए बोले जा भी सकते थे, नहीं भी।
'क्या मैं तुम्हें बता दूँ मैं कहाँ रहूँगा?'
'नहीं, नहीं, अभी ऐसा मौका नहीं मिला है ओल्ड मैन।'
वह एक तीसरे दर्जे की इमारत में अपने एक कमरे के फ्लैट से बाहर कहीं नहीं रहता था। बस कभी घूमने या किसी सस्ते से रेस्तरां में खाना खाने बाहर जाता था । वह समाप्त हो चुका था, बिल्कुल खत्म, शुरुआती उम्मीद बुझ चुकी थी। वे सारे पात्र जो उसने निभाए थे, अंतिम नाटक में करीब-करीब नायक तक, उसे कहीं नहीं पहुँचा सके। वह अभी भी बहुत उम्रदराज नहीं था, मुश्किल से पैंतालीस का, लेकिन सफलता का सुनहरा मौका कभी नहीं आया। उसने अवसरों का फायदा तो उठाया, पर वह नायक पात्र - इतना अभिजात, इतना अच्छा-अब लोकप्रिय नहीं रहा था। नाटककार इस तरह के पात्रों में रुचि नहीं ले रहे थे। वे युवा, मजबूत, जीवंत नायकों के बारे में लिख रहे थे। वह ऐसा नहीं था और हो भी नहीं सकता था। वह अपने समय के बाहर पैदा हुआ था, काफी पहले या काफी बाद । पुरानी दुनिया की सभ्यता समाप्त जो हो चुकी थी और नई अमेरिकी सभ्यता अभी आई नहीं थी। वह यही सब सोचकर खुद को बरी करता था। उसके लिए कोई जगह नहीं थी ।
भाग्य अच्छा था कि उसने शादी नहीं की थी, वह और सारा इन्तजार करने को राजी हो गए थे। फिर उसने किसी और से शादी कर ली जिसे वह नहीं जानता था । वह उसे कोई दोष नहीं देता, पाँच साल बहुत लम्बा वक्त होता है और इसके बाद भी सारा को मिलता क्या। सालों पहले था यह सब, बारह साल, तीन महीने, दो दिन पहले उसने सारा की तस्वीर भी अखबारों में नहीं देखी थी, उसके पति की मृत्यु के बाद, दो साल, चार महीने, छः दिन पहले। उसने उसे कोई चिट्ठी भी नहीं लिखी।
वह बेमन से उठा और अखबार लेने दरवाजे तक आया। उसके शुष्क दिन में यही क्षण सबसे आराम का होता था जब वह अखबार लेकर अब तक गुनगुने बिस्तर में घुसता था। आज उसका बिस्तर खास आरामगाह था। ठंडी, बसन्ती हवा आ रही थी। खिड़की बन्द करते हुए उसने देखा बारिश हो रही थी। कम से कम उसके पास इस कमरे, इस बिस्तर का तो सहारा था और वह इतना होशियार रहा था कि भूखे मरने की नौबत न आए। एक समय खाना और किराया निश्चित थे। इस सुरक्षा भाव में कोई खुशी तो नहीं थी पर खराब मौसम में बाहर निकलने की कोई मजबूरी भी नहीं थी।
उसने बत्ती की तरफ वाली दीवार के पास अखबार फैलाया और थिएटर वाला पन्ना पलट कर उसे गौर से पढ़ा। कोई खबर नहीं। इस पारी के सभी नाटक जम चुके थे और अब गर्मी के थिएटर में ही उसकी कोई संभावना थी। उसे इस बारे में निक से जोर डालकर बात करनी होगी। निक लापरवाह होता जा रहा था, दोस्ती और पुरानी सफलता के बंधन ढीले पड़ते जा रहे थे। फिर भी वह किसी और एजेंट के पास जाने की हिम्मत नहीं जुटा सकता था, अगर कोई और उसे ले लेगा तब भी। निक कम से कम उसे जानता तो था उसे यह नहीं बताना पड़ता कि वह क्या काम कर सकता है।
इसी क्षण पलस्तर की हुई दीवार पर हमेशा अनिश्चित सी टंगी बत्ती गिर पड़ी। उसने गुस्से में अखबार फेंक दिया और फिर समेटने उठा ही था कि फैले हुए पन्नों से उसे अपना नाम झांकता नजर आया।
'ड्रेक फॉरेस्टर अपने घर में मृत पाए गए।'
यह आखिरी पन्ने पर एक छोटी सी खबर थी। वह इसे खिड़की के पास ले गया और अपना ही शोक संदेश पढ़ने लगा। "ड्रेक फॉरेस्टर, अभिनेता, अपने बिस्तर पर लिफ्टमैन द्वारा मृत पाए गए। वह उन्हें अखबार पहुँचाने आया था। मि० फॉरेस्टर ने शुरू में प्रसिद्ध ब्राडवे नाटकों में काम किया था। उन्हें हॉलीवुड से भी प्रस्ताव आए, पर उन्होंने मंच पर ही रहने का निर्णय लिया और उन्हें ठुकरा दिया। हाल के वर्षों में- "
अखबार उसके हाथ से गिर पड़ा। वह निक को फोन करने दौड़ा। इसका खंडन करवाना जरूरी था। निक को प्रेस में खबर करनी होगी, वह अखबार वाले को नोटिस भेजेगा। नकियाती सी आवाज आई- 'निकोलस जैनसेन एजेंसी ।'
'ओ, हाँ, उसने हमेशा की तरह परेशानी में हकलाते हुए कहा ।
'क्या मि० जैनसेन हैं?'
'मि० जैनसेन आज नहीं आएंगे।'
'ओह - क्या आप को पता है वे कहाँ होंगे ?'
'वे यहाँ नहीं हैं। वे एक महत्त्वपूर्ण क्लाइंट के साथ वीक एंड मनाने गए हैं।'
'ओह- '
वह हिचकिचाया। इस ठंडी आवाज से आगे क्या कहा जाए, यह न समझ पाते हुए उसने फोन रख दिया। एक पल बाद वह वापस बिस्तर में था और उसने आँखों तक चादर ओढ़ ली अखबार जमीन पर गिर पड़ा और वह अकेलेपन में डूब गया।
किसे चिंता थी कि यह खबर सच है या नहीं? लम्बे समय से किसी ने उसकी सुध नहीं ली। उसकी बहन की बरसों से कोई खबर नहीं थी। वह शादी करके टेक्सास में बस गई थी उसके माता पिता उसके बीसवें साल में ही चल बसे थे। भगवान का शुक्र है तब यही भ्रम था कि उनका बेटा बहुत नामचीन होने वाला है। थिएटर सामाजिक जीवन रहने नहीं देता, इसके बाहर आपकी कोई जिंदगी नहीं होती, इसलिए रिश्तेदार और दोस्त एक-एक कर छूटते गए थे।
वह मृत सा ही तो था ।
यह मृत सा होना भी अजीब अहसास था। हालाँकि वह अपने कमरे में जीवित था, सांस ले रहा था, पर वह मृत था। उसका नाटकीय दिमाग काम कर रहा था। उसने कहानियाँ पढ़ी थी, इसी विषय पर एक नाटक भी देखा था जब मृत घोषित व्यक्ति ने एक नयी और पूरी तरह आजाद जिंदगी शुरू की थी, सभी ऋणों से ऋण और सभी असफलताएँ विलीन। वह चाहे तो अपनी स्वतंत्रता का स्वागत कर सकता है, वह कुछ बिल्कुल नया कर सकता है, नया नाम रखकर सब जान पहचान वालें से दूर जा सकता है। उसने खुद को दुनिया भर में घूमते देखा, हर शहर में अलग आदमी की तरह, लंदन, पेरिस, वेनिस या बस शिकागो और सैन फ्रांसिस्को कोई कठिनाई नहीं थी। वह थिएटर के अलावा और कुछ नहीं करना चाहता था। चाहे वह कुछ भी करे, अंत यही होगा, अकेले कमरे में, एजेंट काम खोजने की कोशिश में लगा हुआ और क्या कोई एजेंट बिना किसी पहचान वाले आदमी के लिए काम खोजेगा? कम से कम ड्रेक फॉरेस्टर कभी कुछ था तो, एक याद तो थी। लम्बे समय से वह रोया नहीं था, पर अभी वह रोया। कुछ ही आंसू गिरे और खुद के लिए नहीं बल्कि उसके जैसे हर किसी व्यक्ति के लिए। वह अकेला तो नहीं था ऐसी स्थिति में खुद को भुलाये में रखने से कोई फायदा नहीं। उसके पास थोड़ी धार थी, थोड़ी प्रतिभा, युवावस्था और खूबसूरती - हाँ वह सुन्दर था, अभी भी - सब मिलकर उसे औसत से कुछ ऊपर ले आए थे। पर यही काफी नहीं था और इससे अधिक पाने के लिए इतना ही काफी होगा भी नहीं ।
तो क्यूं न मर ही जाया जाए? यह आसान होगा, उसने इस बारे में सोचा था, एक अकेले और असफल व्यक्ति की तरह। कभी ऐसा करने का निश्चय नहीं किया था, पर फिर भी एक संभावना थी। रोज रात नींद की गोलियां निगलते समय वह सोचता कि मृत्यु उसकी हथेलियों में है। छोटी सफेद गोलियाँ देखते हुए, अपनी छोटी-सी प्रतिभा के साथ वह सोचता, अगर वह चाहे तो ऐसा कर सकता है ।
अब किसी और ने उसके लिए यह कर दिया था, किसी उसके नाम के व्यक्ति ने। उसने पत्र उठाया और दोबारा पढ़ा। उसकी मृत्यु का कोई कारण नहीं दिया गया था। इसकी बस खबर दी गई थी उसकी कुछ सफलताओं और धीरे-धीरे मंच से दूर होने के उल्लेख के साथ। यह कुछ गरिमामय लग रहा था। अगर अभी वह सही में मर गया तो इसका प्रभाव नष्ट हो जाएगा। यह गंदा सा कमरा, निक के पीछे लगे रहना लगातार, फटी कमीजें और पाजामे, ये सब छोटी तुच्छ बातें जो वह जीवित तो छुपा सकता था पर मृत्यु के बाद जगजाहिर हो जातीं। उसे तो आभारी होना चाहिए कि कोई उसकी जगह इतनी अच्छी तरह मर गया है। उन्होंने पता सही दिया था, यही इमारत, यही सड़क।
उसके होठ वक्र हुए, वह मुस्कुराया और अचानक उसे भूख लग आई। वह उठेगा, कॉफी और टोस्ट बनाएगा और निक को कभी फोन नहीं करेगा। वह यहाँ से चला जाएगा, कभी पश्चिम चला जाएगा, फिर यूँ ही हॉलीवुड में कोई काम तलाशेगा, सेटों के आसपास देखभाल करने वाले का काम भी कोई फर्क नहीं पड़ता था क्योंकि उसका नाम मर चुका था।
बिस्तर के पास की मेज पर वह कॉफी पी रहा था कि फोन बजा । वह उठा और उसे कान से लगाया। एक अपरिचित आवाज, महिला की आवाज ने कहा, 'कौन बोल रहा है, प्लीज?"
अपना नाम उसकी जबान तक आया, पर उसने रुक कर कहा - ' आपको कौन चाहिए?'
'मैंने अभी-अभी अखबार देखा। मैं ड्रेक फॉरेस्टर को जानती थी, कुछ वर्ष पहले। हमने एक नाटक में साथ काम किया था। वह अच्छा अभिनेता था, मैं अक्सर सोचती - और अब वह नहीं रहा। '
वह हिचकिचाया और फिर उसी गहरी आवाज में दृढ़ता से बोला- 'सॉरी मैडम, आपके पास गलत नंबर है।' उसने फोन रख दिया और बिस्तर पर बैठ गया। पर यह अद्भुत था, सही में वह खाली दीवार को घूरता, आवाज पहचानने की कोशिश करता बैठा रहा, पर नहीं याद कर पाया। चलो, एक आदमी ने तो याद रखा। उसे खुशी हुई और उसने बारिश का हाल देखने खिड़की से बाहर देखा। साफ सुबह होने पर वह घूमने जाता ।
अभी भी बारिश हो रही थी। वह वापस बिस्तर में घुसा ही था कि दरवाजे पर दस्तक हुई। वह फिर उठा और दरवाजा खोला। इमारत का रखवाला फूलों का छोटा बक्स लिए खड़ा था।
'ओह, धन्यवाद', ड्रेक बोला। 'एक मिनट ठहरो । '
उसने कुरसी पर रखी पैंट की जेब से एक डाइम निकाला और उसे दिया । 'धन्यवाद' वह बोला ।
दरवाजा बंद करके उसने बक्स खोला। सफेद गुलाब और स्नैपड्रैगन थे, हरे फर्न के साथ कार्ड पर लिखा था- 'अच्छे वक्त की याद में, और नीचे सात नाम थे। उसे वे लोग याद थे। 'द रेड सर्कल' नाटक में इन लोगों ने छोटी-छोटी भूमिकाएँ की थीं। उस साल यह नाटक करीब-करीब हिट रहा था। यह थ्रिलर था और वह हत्या की गई नायिका का पति बना था पर नायक प्रेमी था, पति नहीं । फिर भी अच्छा चला था और उसने वे पैसे सारा से शादी करने के लिए बचा लिए थे। पर उसी साल सारा ने हैरीसन पेज से शादी कर ली थी। अब इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था। अगर वह सफल रहा होता, तो उसने भी किसी से शादी कर ली होती।
उसने फूलों को टिन की टोकरी में डाला और पानी भरकर खिड़की में रख दिया। उसने फिर सोने की बजाय बाहर जाने का निश्चय किया। यह एप्रिल था और आसमान साफ हो रहा था। उसने शावर लिया और सावधानी से कपड़े पहने। जब तक सड़क पर आया, बादल फट रहे थे और नीला आसमान बीच- बीच से झांक रहा था। वह हमेशा की तरह छः ब्लॉक घूमा और चूँकि कोई उसे नाम से नहीं जानता था, इसलिए कोई चकित भी नहीं हुआ। उसने एक छोटी नाटक संबंधी पत्रिका खरीदी और सोचा कि पार्क पर बैठने के लिए मौसम ठंडा है या नहीं। उसने निश्चय किया कि मौसम ज्यादा ठंडा है और वापस कमरे में चला आया। निक को फोन नहीं करने से उसके पास करने को कुछ नहीं बचा था पर उसने फोन नहीं ही करने का निश्चय किया। जब समय आएगा तब सोचा जाएगा कि कहाँ जाना है, या फिर वह कहीं नहीं जाएगा।
जब वह कमरे में आया तो दरवाजे में एक लिफाफा अटका था। यह निक का तार था। 'भगवान के लिए मुझे फोन करो। घंटों से तुम्हें फोन कर रहा हूँ। शहर के लिए पहली ट्रेन से लौट आया।'
वह बैठ गया। हैट अब भी उसके सिर पर था। इसका क्या मतलब था, निक को उसके मरने का यकीन था या नहीं? शायद उसने खबर देखी हो और विश्वास न किया हो। या फिर निक को लगा हो कि उसके साथ कोई रहता होगा। उसने निक को कभी अपने रहने के ढंग के बारे में नहीं बताया था। निक को लगता था उसकी कोई प्रेमिका साथ रहती है। निक को पता था उसके पास कुछ पैसे है पर यह नहीं कि कितने कम उसने निक को फोन नहीं करने का निश्चय किया। उसने तार फूलों की बगल में रख दिया और बाहर चला गया।
वापस पार्क की बेंच पर उसने पूरी पत्रिका जिल्द तक पढ़ डाली। फिर वह दूसरे लोगों को देखता विचारमग्न बैठा रहा। कुछ लोगों को उसने पहचाना। उसे लगा वे लोग भी उसे पहचान रहे होंगे पर उनकी कभी बातचीत नहीं थी। दोपहर हो रही थी और उसने किसी ऑटोमैट में खाना खाने की सोची। फिर वापस जाकर कमरे में सोना। वह अपनी ही भावनाओं की अनिश्चितता से थक गया था। मृत होना भी एक अनुभव है, वह मुस्कुराया ।
पुरानी इमारत में घुसते समय रखवाला बाहर निकला। 'आपका जन्म दिन वगैरह है क्या? उसने कहा । 'आप बाहर थे तो दो बक्से फूल आए हैं और तीन तार।'
'आज मेरी जयंती है', ड्रेक ने कहा और दूसरा डाइम निकाल कर रखवाले को दिया। फूल लादते हुए उसने तार जेब में डाले और ऊपर चढ़ा। यह हास्यास्पद होता जा रहा था, उसका कमरा फूलों से भरा और इतने तार। यह तो वापस थिएटर के ड्रेसिंग रूम में होने जैसा था। मृत होने पर वह खुश ही हुआ था। उसने खुद को पूरी तरह भुला दिया गया समझा था। उसे पता चला कि ऐसा नहीं है। उसने फूल खोले और उन्हें भी टोकरी में रख दिया। पीले गुलाब और सफेद स्पाइरिया उसके पहले नाटक के निर्देशक की तरफ से और बसन्ती फूल द रेड सर्कल के स्टार, पत्नी का खून करने वाले प्रेमी की तरफ से तार उसके दूसरे नाटकों के अभिनेताओं की तरफ से थे और एक तार निक के ऑफिस में काम करने वाली एक लड़की का था। ड्रेक को पता था वह उसके सपने देखती है पर उन दिनों वह सारा से उबर रहा था। कार्ड हाथ से लिखा हुआ था - 'प्रिय स्मृति, लुइस ।' वह उसे हमेशा मिस सिल्वरस्टीन पुकारा करता था।
कमरा उत्सवी लग रहा था। उसने बिस्तर नहीं लगाया था। अक्सर वह इसे ऐसे ही छोड़ देता था और वापस लेट जाता था। पर आज उसने अच्छी तरह बिस्तर समेटा । एक पुराने रूमाल से मेज, आलमारी और खिड़की झाड़ी। कुछ सोचने के बाद उसने पीले गुलाब और स्पाइरिया निकालकर एक दूध की बोतल में आलमारी पर रख दिया।
फिर फोन बजने लगा और इतना बजा कि या तो उसे बाहर जाना पड़ता या उठाना पड़ता। उसने सावधानी से फोन उठाया और आवाज बदलकर बोला- 'हैलो।' पर यह निक नहीं था, यह कोई महिला थी और स्वर बहुत मृदु था।
'हलो, क्या ड्रेक फॉरेस्टर यहीं रहते थे?'
'हाँ', उसने जवाब दिया। फिर उसने आवाज पहचान ली। उसका दिल बेतरह धड़का। यह सारा थी। उसकी आवाज आज तक सुनी आवाजों में सबसे प्यारी थी।
'मैंने अभी-अभी यह दुखद समाचार पढ़ा' मृदु स्वर आता रहा।
'क्या आप बता सकते हैं उसकी सर्विसेज कहाँ होंगी? मैं उसे सालों पहले जानती थी। मैं उसे बहुत प्यार करती थी। अब भी करती हूँ, पर अब मैं उसे कभी नहीं बता सकूँगी।'
वह कुछ बोल नहीं सका। बोलता भी क्या ? फिर मूर्खों जैसे शब्द उसके मुँह से निकले - ' आपने उसे बताया क्यों नहीं?"
वह आश्चर्य चकित हुई, 'क्या आप उसके मित्र हैं?"
'एक तरह से। उसने मुझे आपके बारे में बताया था।'
'ओह, सही में! तो वह मुझे भूला नहीं था?'
'कभी नहीं!'
वह इन सब घटनाओं से अचंभित था। यह क्या नया जाल था जिसमें वह खुद को डाल रहा था।
'ओह क्या आप आकर मुझे उसके बारे में बताएँगे, उसने विनती की।
'आप कहाँ हैं?'
सारा ने काफी दूर की सड़क का नंबर बताया। जहाँ वह था वहाँ से लम्बी दूरी 'मुझे पता नहीं कब - ' उसने शुरू किया।
'नहीं आप अभी आइये', सारा ने फिर विनती की।' 'मुझे उसके बारे में सब कुछ जानना है। तब मैं आपको बता सकूँगी कि क्यों दरअसल मैंने उसे खो दिया। जब मेरे पति नहीं रहे तो मुझे पता नहीं चला मैं उसे कहाँ खोजूँ। अखबारों में भी उसका नाम नहीं आता था। आज मैंने खबर देखी तो मुझे लगा कि मैं हमेशा से उसे तलाशना चाहती थी। मुझे लगता है मैं बस सोचती रह गई।'
'मैं आऊँगा, उसने वादा किया। उसने फोन रख दिया। पता नहीं यह वादा पूरा करेगा या तोड़ देगा, पर अब उसे सारा का ठिकाना मिल गया था तो आज न कल, उसे पता था वह उसकी देहरी पर खड़ा होगा, घंटी बजाते हुए, अपने पहचाने जाने का इन्तजार करते हुए। वह वापस जीवित हो गया था।
फोन फिर बजा और फिर से सारा के होने की उम्मीद में उसने झोंक में फोन उठा लिया और पकड़ा गया। 'हलो', वह बड़ी तत्परता से बोला ।
यह निक था, हैरान-परेशान। 'ये क्या बेवकूफी भरी हरकत है। कहाँ हो तुम सुबह से? मुझे पता था तुम मरे नहीं हो।'
‘तुम्हें कैसे पता?' उसने जानना चाहा। उसे कुछ बुरा सा लगा। क्या निक को लगा उसमें इतनी हिम्मत नहीं - 'थोड़ी देर के लिए मुझे लगा यह सच है, झूठे कहीं के', निक ने कहा 'फिर मैंने खबर दुबारा पढ़ी और देखा कि वह तुम नहीं हो। वे तुम्हें पैंसठ का बता रहे थे-देखा नहीं तुमने ?'
'नहीं', ड्रेक बोला।
'तुम्हें कभी तारीखें याद नहीं रहतीं', निक ने अधीरता से कहा ।
'उन्होंने तुम्हारा जन्म 1887 में दिखाया है। मुझे पता था यह सच नहीं है। मैंने तुम्हारे लिए इतना प्रचार का काम किया है। अखबार कल इसे सही कर देगा। मैं पूरी सुबह व्यस्त रहा हूँ। लगता है वर्जीनिया में किसी का तुम्हारा ही नाम था, अखबार वालों ने तुम्हारे साथ मिलाकर सारी गड़बड़ी कर दी। खैर इससे तुम्हें फायदा ही हुआ है। तुम्हें एक भूमिका मिल गई है।'
'भूमिका?'
'हाँ, अच्छी-खासी ऐसा कोई स्टार वाला रोल तो नहीं पर अच्छा नया नाटक है, 'साउथ साइड ऑव द मून' अच्छा है। पहले गर्मियों में फिर ब्रॉडवे । निर्माता ने कहा वह तुम्हें जानता था । उसने मुझे फोन किया था और बोला कि अगर उसे अता-पता मालूम होता तो वह तुम्हें जरूर काम देता। मैंने उससे कहा कि मुझे कुछ समय दे। तुम सीधे यहाँ चले आओ, ड्रेक और मैं कांट्रैक्ट तैयार रखूँगा । हम सब कुछ सही कर लेंगे। अब मैं फिर चीजों पर धूल नहीं जमने दूँगा । '
ड्रेक अनिश्चित था। वह एक साथ दो जगहों पर नहीं हो सकता था। या तो वह पहले सारा के पास जाता या निक के पास निर्णय कठिन था, वह हमेशा से अभिनेता रहा था, पर लम्बे समय से प्रेमी नहीं। क्या पुरानी भूमिका फिर से दुहराई जा सकती थी। उसकी नाटकीय कल्पना फिर से जीवंत हो गई थी। उसने खुद को सारा के हॉल में या फिर बैठक में इन्तजार करते हुए देखा। फिर सीढ़ियों से उतरती हुई सारा, सदा की तरह सुन्दर वह बिल्कुल शांत खड़ा रहेगा, इन्तजार करते हुए, फिर वह चिल्लाएगी।
'ओह ड्रेक, डार्लिंग - पर यह कैसे ?'
'कोई और मरा है सारा, मैं नहीं।'
उसने उसे चूमने के लिए आँखें मूँदी और कोमल होठ याद किए। सारा कोमल महिलाओं में से थी - सबसे मीठे होठ थे उसके ।
'हे, तुम सो गए हो क्या?' निक उसके कान में चिल्लाया।
'मैं अभी नहीं आ सकता निक। मुझे बहुत जरूरी काम है।'
'क्या काम है', निक चीखा। 'कंट्रैक्ट से ज्यादा जरूरी क्या है?'
'है काम', ड्रेक मस्ती में था। 'पर कांट्रेक्ट रखो निक। मैं वहाँ आऊँगा किसी वक्त, आज, कल, किसी दिन ।' उसने फोन रख दिया और खोया सा खड़ा रहा। वह आज वहाँ जाएगा। जब वह और सारा सोफे पर बैठ जाएंगे और एक दूसरे को चूम लेंगे, खाना खा लेंगे और एक दूसरे को सब कुछ बता चुके होंगे तो वह घड़ी देखेगा और चिल्लाएगा।
'ओह भगवान, डार्लिंग, मेरी जरूरी मुलाकात है—मैं भूल ही गया था। तुम तो मुझे सब कुछ भुला दोगी।'
'कोई नाटक ड्रेक ?'
'हाँ, साउथ साइड ऑव द मून। नया है-अच्छा ही लगता है।'
'जल्दी आना', वह यही कहेगी। 'मुझे तुम पर गर्व है ड्रेक', यही कहेगी वह ।
'मैं आ जाऊँगा, वह वादा करेगा। 'हम साथ खाना खाएँगे, ठीक ? फिर हम बैठकर कुछ सोचेंगे।'
'मैं तुम्हारा इंतजार करूंगी।' यही कहेगी वह अपनी मीठी आवाज में यह आवाज पहले से भी ज्यादा मीठी थी। वह तैयार होने को कमरे में इधर-उधर घूम रहा था। उसके पास एक नई कमीज थी। वह हमेशा एक नई कमीज रखता था। क्या पता किसी निर्देशक से मुलाकात करनी पड़ जाए। वह फिर से नहाया और दाढ़ी बनाई। फिर नई कमीज और थोड़ा ठीक सूट। वह हमेशा एक अच्छा सूट रखता था। फिर वह झिझका। उसके लिए कुछ ले जाना चाहिए। उसने कमरे में चारों तरफ देखा । किसी काम की चीज, किताब, निशानी आदि की तलाश में। फिर वह चुटकी बजाते हुए बोला- 'फूल और क्या ?' उसने सभी फूल समेटे । एक बक्स निकाला। सब फूल उसमें डाले और सावधानी से डोरी बाँधी फिर उसने आलमारी खोली और घड़ी निकाली, पतली बेंत की छड़ी जिसके ऊपर नकली हाथी दाँत की नक्काशी थी। यह छड़ी उसने उस नाटक में ली थी जिसमें वह पति बना था।
शीशे के पास रुकते हुए उसने ऐसा व्यक्ति देखा जिसे उसने लम्बे समय से नहीं देखा था, लम्बा, दुबला व्यक्ति जिसका पीला चेहरा जीवंत और मुस्कुराता हुआ था, जिसकी गहरी आँखें चमक रही थीं, अभिजात सा व्यक्ति । वह उस चेहरे पर मुस्कुराया । इस पुर्नजन्म पर खुश वह जितना मृत रहा था उसके मुकाबले यह बुरा नहीं था। 'शुभकामनाएँ, उसने खुश चेहरे से कहा और हैट सर पर रखते हुए उसे जरा तिरछा किया और कमरे से बाहर निकल गया।