पितृहत्या (कहानी) : गाय दी मोपासां
Pitrihatya (French Story) : Guy de Maupassant
वकील ने उसे पागल ठहराया था; नहीं तो इतने अजीब अपराध का कारण और क्या हो सकता था?
एक प्रातः चेटोन के निकट नरकंटो में एक-दूसरे की बाँहों में लिपटे दो मृत शरीर पाए गए—एक पुरुष और दूसरी उसकी पत्नी। वह जोज समाज में अच्छा जाना-माना, धनी, प्रौढ़, गत वर्ष से विवाहित था; औरत तीन वर्ष पूर्व पहले पति को खो चुकी थी।
उनका कोई शत्रु नहीं था और उनको लूटा भी नहीं गया था। वह स्पष्टतया लोहे की छड़ों से, एक के बाद दूसरे को पीटने के बाद किनारे पर नदी में फेंका गया था।
जूरी की छानबीन से किसी बात का पता नहीं चला। नाविकों से पूछताछ की गई; वे कुछ भी नहीं जानते थे। मामले को बंद किया ही जा रहा था कि पड़ोसी गाँव का बढ़ई जॉर्ज लुई, जो जेंटलमैन के नाम से जाना जाता था, ने अपने आपको पेश किया।
उसने सारे प्रश्नों का उत्तर देने से इनकार कर दिया, सिवाय इसके-
“मैं उस आदमी को दो वर्षों से और उस औरत को छह महीनों से जानता था। वे प्रायः मेरे पास पुराने फर्नीचर की मरम्मत के लिए आया करते थे क्योंकि मैं अच्छा काम करता था।"
जब उससे पूछा गया कि 'फिर तुमने उन्हें जान से क्यों मार दिया?' तो उसने हठपूर्वक उत्तर दिया, "मैंने उन्हें मार डाला, क्योंकि मैं उन्हें मार डालना चाहता था।"
इससे अधिक उससे पता नहीं चल सका।
वह आदमी निस्संदेह जॉर्ज था जिसे पहले जनपद की नर्स को सौंपा गया था और बाद में छोड़ दिया गया था। उसका कोई नाम नहीं था सिवाय जॉर्ज लुई के, परंतु ज्यों ही वह बड़ा हुआ, उसने अपनी रुचियों और स्वाभाविक कोमलता से, जिनसे उसके साथी असंबंध थे, अपने आपको असाधारण बुद्धिमान् सिद्ध किया, इसीलिए उसका उपनाम 'जेंटलमैन' पड़ गया था तथा इस नाम के अतिरिक्त किसी और नाम से पुकारा नहीं जाता था। व्यवसाय के कारण उसे एक स्मरणीय कुशल बढ़ई माना जाता था। वह लकड़ी में थोड़ी-बहुत नक्काशी करने का काम भी कर लेता था। यह भी कहा जाता था कि अपनी स्थिति की बाबत उसके अपने विचार थे; वह साम्यवादी सिद्धांतों का अनुसरण करता था, यहाँ तक कि नाशवाद का भी। वह साहसी और हिंसा-प्रधान कल्पित उपन्यासों को पढ़ने का बड़ा शौकीन था; एक प्रभावशाली चुननेवाला और श्रमिकों अथवा किसानों के वाद-विवाद समितियों में बोलनेवाला चतुर वक्ता था।
वकील ने उसे पागल ठहराया था।
सच देखा जाए तो यह कैसे माना जा सकता है कि उसने अपने सबसे अच्छे ग्राहकों को मार डाला जो धनी और उदार थे (जैसाकि उसने माना), वे जिन्होंने दो वर्षों में इतना काम दिया था जिससे वह तीन हजार फ्रेंक कमा सका था (उसकी किताबें साक्षी थी)। इसकी एक ही व्याख्या थी—पागलपन; उस व्यक्ति की प्रेतवादिता जो अपनी श्रेणी से फिसलकर और अपने आपको सर्वोपरि मानकर दो भले व्यक्तियों की हत्या करके समाज से बदला लेता है और वकील उसके उपनाम 'जेंटलमैन' का साफ संकेत करता है जो इस बहिष्कृत को तमाम पड़ोसियों ने दिया था।
"स्थिति की विडंबना पर ध्यान दीजिए!" वह चिल्लाया, "क्या यह दुःखी युवक जिसका न बाप है न माँ, इससे अधिक प्रबल उत्तेजना के योग्य नहीं था क्या? यह एक उत्कट प्रजातंत्रवादी है, नहीं, यह उस राजनैतिक पार्टी से संबंध है जिसके सदस्यों को कभी सरकार गोली मार देना चाहती थी, देश निकाला देना चाहती थी लेकिन आज खुले हाथों उनका स्वागत करती है, वह पार्टी जिसका पहला उसूल आगजनी है और हत्या पूरी तरह से सादी योग्यता।
"इन शोचनीय सिद्धांतों ने, जिनका वाद-विवाद समितियों में स्वागत किया जाता है, इस युवक को बरबाद कर दिया। एम. केम्बेटा और एम. ग्रेवी के खून की माँग करनेवाले प्रजातंत्र पार्टी के पुरुषों और औरतों को भी इसने सुना है और इसका रोगग्रस्त मस्तिष्क वशीभूत हो गया है; यह खून का प्यासा है, कुलीन लोगों के खून का प्यासा! "यह आदमी नहीं बल्कि कम्यून है, श्रीमान्, जिसे दंडित करना चाहिए!"
अनुमोदन की फुसफुसाहट इधर-उधर दौड़ने लगी। यह प्रायः महसूस किया जा रहा था कि वकील बहस जीत गया था; सरकारी अभियोजक ने कोई उत्तर नहीं दिया।
फिर न्यायाधीश ने अभियुक्त से पारंपरिक प्रश्न किया, “अभियुक्त, क्या तुम अपनी सफाई में कुछ और कहना चाहोगे?"
आदमी खड़ा हो गया। वह कद-काठी में नाटा था, सन के-से बाल, स्थिर, चमकीली भूरी आँखें। इस दुर्बल युवक के गले से एक प्रबल, उदार और सुरीली आवाज निकली और अपने पहले ही शब्दों से लोगों का विचार बदल दिया जो उन्होंने इसके प्रति बनाया था।
वह ऊँचे आलंकारिक ढंग से बोला लेकिन इतना स्पष्ट कि उसका धीमे-से-धीमा शब्द भी बड़े न्यायालय के दूसरे छोर तक सुनाई देता था।
"न्यायाधीश महोदय, चूँकि मैं पागलखाने जाना नहीं चाहता और यहाँ तक कि फाँसी को प्राथमिकता देता हूँ, इसलिए मैं आपको सबकुछ बता दूंगा।
"मैंने उस पुरुष और औरत की इसलिए हत्या की क्योंकि वह मेरे माता-पिता थे।
“अब आप मेरी बात सुनिए और न्याय कीजिए। एक औरत ने बेटे को जन्म देकर उसे नर्स के पास भेज दिया। यह अच्छा रहता कि उसे पता होता कि उसके अपराध में साथ देनेवाली, नन्हें बच्चे को उस निरपराध को कौन से जनपद में ले गई थी—निरपराध परंतु लंबे दु:ख के लिए, जारजिक प्रसूति के लिए, इससे भी बड़ी मृत्यु के लिए अपराधी बनाया गया था क्योंकि उसे विलाप के लिए, भूखा मरने के लिए, अपेक्षाकृत सड़ने के लिए त्याग दिया था या नर्स को मासिक खर्च नहीं दिया गया था।
"जिसने मुझे दूध पिलाया था वह औरत निष्कपट थी—अधिक सच्ची, अधिक स्त्रीत्वयुक्त, महान् आत्मा, मेरी अपनी माँ से अच्छी माँ। उसने मुझे पाला। वह अपना दायित्व निभाने में असमर्थ थी। अभागे व्यक्तियों को मृत्यु के लिए छोड़ देना ही बेहतर है जिन्हें ग्रामों में इस तरह फेंक दिया जाता है जैसे सड़कों के किनारे कूड़ा-करकट!
"मैं इस संदिग्ध विचार के साथ बड़ा हुआ कि मैं किसी अपमान को लिये हुए हूँ। एक दिन दूसरे बच्चों ने मुझे दोगली संतान कहा! उनको इस शब्द का अर्थ नहीं आता था। उनमें से एक ने अपने घर पर सुना था। न ही मुझे इसका अर्थ पाता था परंतु मैंने भाँप लिया।
"मैं निष्कपटता से कह सकता हूँ कि स्कूल में अत्यंत बुद्धिमान् बच्चों में से मैं भी एक था। मुझे एक सच्चा व्यक्ति होना चाहिए था, श्रीमान्, शायद एक स्मरणीय व्यक्ति यदि मेरे माता-पिता ने मुझे छोड़ने का अपराध न किया होता!
"और यह अपराध मेरे ही विरुद्ध किया गया। मैं पीडित व्यक्ति था और वे पापी। मैं रक्षाविहीन और वे दयाहीन। उन्हें मुझे प्यार करना चाहिए था, परंतु बहिष्कृत कर दिया।
"मेरा जीवन उनका ऋणी था, परंतु जीवन क्या उपहार है? कुछ भी हो, मेरा जीवन दुर्भाग्यपूर्ण था। मेरे लज्जापूर्ण परित्याग के बाद मुझे उन्हें प्रतिकार के अतिरिक्त कुछ भी नहीं देना था। उन्होंने मेरे विरुद्ध अत्यंत अमानवीय, अत्यंत लज्जाकर, अत्यंत राक्षसी अपराध किया था जो किसी मनुष्य के साथ किया जा सकता है। एक अपमानित व्यक्ति चोट करता है, लूटा जानेवाला व्यक्ति अपनी शक्ति से लूटा गया माल वापस ले लेता है, एक धोखा खाया हुआ व्यक्ति, एक ठगा हुआ व्यक्ति, एक संतप्त व्यक्ति हत्या करता है; मुँह पर तमाचा खाया हुआ व्यक्ति हत्या करता है, एक अपमानित व्यक्ति हत्या करता है। मुझे क्रूरतापूर्वक लूटा गया, धोखा दिया गया, संतप्त किया गया, मुँह पर तमाचा मारा गया, उन आदमियों से अधिक अपमानित किया गया जिनके गुस्से को आप क्षमा कर देते हैं।
"मैंने स्वयं बदला लिया है, मैंने हत्या की है। यह मेरा नैसर्गिक अधिकार था। मैंने उस भयानक जीवन, जो उन्होंने मुझपर थोपा था, के बदले में उनका सुखी जीवन ले लिया।
"आप इसे पितृहत्या कहेंगे! मेरे माता-पिता कहाँ हैं, वे व्यक्ति जिनपर घृणित बोझ था; एक भय, एक कलंक का धब्बा; जिनके लिए मेरा जन्म संकट था और मेरा जीवन लज्जा के लिए धमकी! उन्होंने स्वार्थपूर्ण खुशी ढूँढ़ी, बच्चा पैदा किया जिसकी इच्छा नहीं थी। उन्होंने इस बच्चे का शमन कर दिया। उनको उसी प्रकार प्रतिफल देने की मेरी बारी थी।
"और फिर भी अंत में मैं उनसे प्यार करने को तैयार था।
"अब दो वर्ष हो गए, जैसा मैं आपको पहले ही बता चुका हूँ, जब मेरा पिता पहली बार मेरे घर आया था, मुझे किसी प्रकार की शंका नहीं थी। उसने फर्नीचर की दो वस्तुओं का ऑर्डर दिया; मुझे बाद में पता चला कि गाँव के पादरी से खुफिया वायदे के अंतर्गत उसने जानकारी प्राप्त की थी।
"वह प्रायः आता, मुझे काम देता और कुछ पैसे भी देता। कभी-कभी विभिन्न विषयों पर मुझसे बातचीत भी करता। मैंने उसके लिए थोड़ा-बहुत प्यार महसूस किया।
"इस वर्ष के आरंभ में वह अपनी पत्नी मेरी माँ को लाया। जब वह अंदर आई तो जोर से काँप रही थीमैंने सोचा कि वह नाड़ी-मंडल की व्याधि से ग्रस्त है। उसने कुरसी और एक गिलास पानी माँगा। उसने कुछ नहीं कहा और पागलों की तरह मेरे माल को घूरती रही और मेरे द्वारा पूछे गए प्रश्नों का कोई उत्तर उसने नहीं दियाकेवल असंगत हाँ और न के सिवाय। जब वह चली गई तो मैंने सोचा कि उसका दिमाग कुछ ठीक नहीं था।
"वह अगले महीने फिर आई। वह शांत थी, अपने आपकी स्वामिनी। उस दिन काफी लंबे समय तक वे बातें करते रहे और मुझे एक बड़ा ऑर्डर दिया। बिना शंकित हुए, मैंने उसे तीन बार देखा, परंतु एक दिन, वह मेरे जीवन के बारे में, मेरे बचपन के बारे में, मेरे माता-पिता के बारे में बातें करने लगी। मैंने उत्तर दिया-'मैडम, मेरे मातापिता दुरात्मा थे जिन्होंने मुझे त्याग दिया।' इसपर उसने अपना हाथ दिल पर रखा और बेहोश होकर गिर गई। मैंने तुरंत विचार किया—'यही मेरी माँ है!' परंतु अपना शक जाहिर न करने के लिए मैं सावधान था। मैं चाहता था कि वह आती-जाती रहे।
"इस तरह अपनी बारी में मैंने पूछताछ की। मुझे पता चला कि उनका विवाह अभी गत जुलाई में हुआ था, मेरी माँ केवल तीन वर्षों तक विधवा रही थी। काफी अफवाहें थीं कि पहले पति के जीवनकाल में ये दोनों प्रेमी थे, परंतु कोई सबूत सामने नहीं आ रहा था। मैं ही सबूत था जिसको पहले छिपाए रखा और अंत में नष्ट करने की आशा किए बैठे रहे।
"मैंने प्रतीक्षा की। वह सायंकाल आई, हमेशा की तरह मेरे पिता के साथ। उस दिन वह अत्यंत उत्तेजित प्रतीत हो रही थी, मैं नहीं जानता क्यों? फिर जब वह जा रही थी, उसने मुझसे कहा, 'तुम्हें मेरी शुभकामनाएँ, क्योंकि मेरा विश्वास है कि तुम निष्कपट लड़के हो और अच्छे कारीगर। इसमें शक नहीं कि तुम एक दिन विवाह के लिए सोचोगे—मैं तुम्हारे लिए यह संभव बनाने के लिए आई हूँ कि तुम स्वतंत्रता से अपनी पसंद की लड़की चुन लो। मैंने पहली बार अपने दिल की इच्छाओं के विरुद्ध विवाह किया था। इसलिए जानती हूँ कि इससे कितना कष्ट होता है। अब मैं अमीर हूँ, बिना बच्चे के, स्वतंत्र अपनी संपत्ति की मालिक। यह है तुम्हारे विवाह का अंश।
"उसने एक बड़ा लिफाफा मुझे थमा दिया।
"मैंने आँखें जमाते हुए उसको घूरा, फिर पूछा-क्या तुम मेरी माँ हो?"
"वह तीन कदम पीछे हट गई और अपनी आँखों को हाथों से ढाँप लिया ताकि वह मुझे और न देख सके। उस आदमी—मेरे पिता ने उसे अपनी बाँहों का सहारा दिया और मुझपर चिल्लाया—'तुम पागल हो।'
" 'नहीं, बिलकुल नहीं।' मैंने उत्तर दिया, 'मैं भली-भाँति जानता हूँ कि आप लोग मेरे माता-पिता हैं। मुझे आसानी से धोखा नहीं दिया जा सकता। इसको मान लें और मैं आपका भेद बनाए रखूगा, किसी प्रकार की ईर्ष्या नहीं करूँगा। मैं आज जो कुछ हूँ, वही रहूँगा–बढ़ई।'
"वह अभी भी अपनी पत्नी को सहारा देते हुए दरवाजे की तरफ मुड़ा, उसने सिसकियाँ भरनी शुरू कर दी थीं। मैंने दौड़कर दरवाजे में ताला लगा दिया और चाबी अपनी जेब में रख ली तथा कहना जारी रखा—'मेरी तरफ देखो और फिर इनकार करो कि वह मेरी माँ नहीं है।'
"इसपर उसने आत्म-नियंत्रण खो दिया और अधिक पीला पड़ गया, इस विचार से भयभीत होकर कि जिस कलंक को अब तक छिपाए रखा वह अब एकाएक सामने आ जाएगा, उनकी स्थिति, उनकी ख्याति, उनका मान —एक ही झटके में समाप्त हो जाएँगे।
“ 'तुम नीच हो, ' वह चिल्लाया 'तुम हमसे पैसा हथियाना चाहते हो। लोग फिर भी कहते हैं कि साधारण आदमियों से अच्छा व्यवहार करो, आपत्तिकाल में उनकी सहायता करो, मूर्ख आदमी।'
"मेरी माँ व्याकुलता से बार-बार दोहराती रही-
“ 'आओ चलें, आओ चलें!' "
"तब क्योंकि दरवाजे पर ताला लगा था, वह चिल्लाया-
" 'यदि तुम तुरंत दरवाजा नहीं खोलते तो मैं तुम्हें भयादोहन और आक्रमण के अभियोग में कैद करवा दूंगा!'
"मैंने आत्म-नियंत्रण बनाए रखा और दरवाजा खोल दिया, फिर उनको अँधेरे में अदृश्य होते देखा।
"उस समय मैंने अचानक ऐसा महसूस किया कि मैं अभी-अभी अनाथ हो गया था, त्याग दिया गया था और गंदे नाले में फेंक दिया गया था। गुस्से, घृणा और निराशा से भरी भयानक उदासी ने मुझे घेर लिया था। मैंने अपने सारे शरीर में भावनाओं का सूजा हुआ जमघट, न्याय की उभरती लहर, सचाई, मान, तिरस्कृत प्यार को अनुभव किया। मैंने उनको पकड़ने के लिए सीन नदी के किनारे की तरफ दौड़ना शुरू कर दिया क्योंकि चेटोन स्टेशन पर पहुँचने के लिए वे वही रास्ता अपनाया करते थे।
"मैंने बहुत पहले ही उन्हें पकड़ लिया। रात गहरी अँधेरी हो गई थी। मैं घास पर चुपके-चुपके दौड़ने लगा ताकि वे मेरी आहट न सुन सकें। मेरी माँ अभी भी रो रही थी, मेरा पिता कह रहा था, " 'यह तुम्हारी अपनी गलती है, उससे मिलने के लिए क्यों जोर देती थी? हमारा यह पागलपन था। हम बिना उसे बताए चोरी-चोरी उसपर दया दिखा सकते थे, यह देखते हुए कि हम उसे पहचान नहीं सकते, इस प्रकार के भययुक्त भेदों का क्या लाभ था?'
"फिर मैंने अपने आपको उनके रास्ते में गिरा दिया, प्रार्थी की तरह।
" 'स्पष्ट रूप से आप मेरे माता-पिता हैं, ' मैं हकलाया 'तुम एक बार मेरा बहिष्कार कर चुके हो, क्या दोबारा मुझे स्वीकार नहीं करोगे?'
"इस पर, न्यायाधीश महोदय, उसने मेरी तरफ हाथ उठाया। मैं अपने मान, अपने कानून तथा अपनी सरकार की कसम खाकर कहता हूँ उसने मुझे चोट पहुँचाई और मैंने उसे कोट के कॉलर से दबोचा। उसने अपनी जेब से पिस्तौल निकाली। मैंने लाल रंग देखा, मुझे मालूम नहीं कि मैंने क्या किया। मेरी जेब में केलीपर थे, मैंने उन्हें घुसा दिया अपनी सारी शक्ति के साथ।
"फिर औरत शोर मचाने लगी—'सहायता, हत्या' और मेरी दाढ़ी नोचने लगी। जाहिर है कि मैंने उसे भी मार डाला। मैं कैसे जान सकता हूँ कि उस क्षण मैंने क्या किया?
"जब मैंने दोनों को भूमि पर लेटे देखा, मैंने बिना सोचे, उनको सीन नदी में फेंक दिया।
"बस, इतना ही, अब मेरा न्याय कीजिए।"
अभियुक्त पुनः बैठ गया। इस रहस्योद्घाटन के पश्चात् अभियोग को अगले सत्र तक मुल्तवी कर दिया गया। यह जल्दी ही दोबारा सामने आएगा। यदि आप और मैं, जूरी होते तो इस पितृहत्या के मामले में क्या करते?
(अनुवाद : भद्रसैन पुरी)