Pehchan : Asghar Wajahat

पहचान : असग़र वजाहत

राजा ने हुक्म दिया कि उसके राज में सब लोग अपनी आंखें बन्द रखेंगे ताकि उन्हें शान्ति मिलती रहे। लोगों ने ऐसा ही किया, क्योंकि राजा की आज्ञा मानना जनता के लिए अनिवार्य है। जनता आंखें बंद किये-किये सारा काम करती थी और आश्चर्य की बात यह कि काम पहले की तुलना में बहुत अधिक और अच्छा हो रहा था। फिर हुक्म निकला कि लोग अपने-अपने कानों में पिघला हुआ सीसा डलवा लें। क्योंकि सुनना जीवित रहने के लिए बिलकुल जरूरी नहीं है। लोगों ने ऐसा ही किया और उत्पादन आश्चर्य जनक तरीके से बढ़ गया।

फिर हुक्म ये निकला कि लोग अपने-अपने होंठ सिलवा लें, क्योंकि बोलना उत्पादन में सदा से बाधक रहा है। लोगों ने काफी सस्ती दरों पर होंठ सिलवा लिए और फिर उन्हें पता कि अब वे खा भी नहीं सकते हैं। लेकिन खाना भी काम करने के लिए आवश्यक नहीं माना गया। फिर उन्हें कई तरह की चीजें कटवाने और जुड़वाने के हुक्म मिलते रहे और वे वैसा ही करवाते रहे। राज रात दिन प्रगति करता रहा।

फिर एक दिन खैराती, रामू और छिद्दू ने सोचा कि लाओ आंखें खोलकर तो देखें। अब तक अपना राज स्वर्ग हो गया होगा। उन तीनों ने आंखें खोली तो उन सबको अपने सामने राजा दिखाई दिया। वे एक दूसरे को न देख सके।

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