परियाँ बनी तितलियाँ (परी कथा) : कर्मजीत सिंह गठवाला

Pariyan Bani Titliyan (Hindi Pari Katha) : Karamjit Singh Gathwala

एक बार की बात है। परिस्तान की सात सुंदर परियाँ धरती की सैर पर निकलीं। परिस्तान एक ऐसा स्थान है जहाँ केवल परियाँ, जादू और खुशियाँ ही रहती हैं। वहाँ न दुख होता है, न रोना, न शोर। लेकिन धरती की सुंदरता की बातें परियाँ अक्सर सुना करती थीं। इस बार उन्होंने सोचा, "चलो धरती की सैर करें!"

वे सातों परियाँ धरती पर उतर आईं। जैसे ही उन्होंने धरती को देखा, वे हैरान रह गईं। चारों तरफ हरियाली थी। बड़े-बड़े पेड़, रंग-बिरंगे फूलों से सजे बाग, कल-कल करते झरने, नीला आसमान, पहाड़ों की चोटियाँ, और खुले खेतों में लहराते सोने जैसे गेहूँ — धरती सचमुच बहुत सुंदर थी!

जहाँ भी उनकी नजर पड़ी, उन्हें कुछ नया, कुछ अनोखा देखने को मिला। पशु कूदते-फाँदते इधर-उधर दौड़ रहे थे, पक्षी मधुर गीत गा रहे थे, और आसमान में बादल धीरे-धीरे उड़ रहे थे।

परियों को सबसे ज़्यादा सुंदर लगा एक बगीचा। वहाँ के फूल इतने रंगीन और खुशबूदार थे कि परियाँ उन्हें देखते ही रह गईं। उनके चारों ओर रंग-बिरंगी तितलियाँ उड़ रही थीं। उन तितलियों को देखकर परियों का भी खेलने का मन हो गया।

परियों ने एक जादू किया और खुद को तितलियों में बदल लिया। अब वे भी रंग-बिरंगी पंखों वाली तितलियाँ बन चुकी थीं — कोई नीली, कोई लाल, कोई पीली, कोई हरी! वे फूलों पर बैठतीं, फिर उड़ जातीं, कभी गुनगुनातीं, कभी झूले जैसी पत्तियों पर झूल जातीं।

हर दिन वे उस बगीचे में आकर तितलियाँ बन जातीं और खेलती रहतीं। यह उनका रोज़ का काम बन गया था — धरती पर आओ, तितली बनो, खेलो और गुनगुनाओ।

* * * * *

एक दिन की बात है। बगीचे में एक छोटा सा बच्चा आया, जिसका नाम हरजोध था। वह बहुत प्यारा और जिज्ञासु बच्चा था। वह फूलों के बीच खेल रहा था, तभी उसकी नजर एक खास तितली पर पड़ी। यह वही तितली थी, जो असल में परी थी — सबसे सुंदर, सबसे चमकीले पंखों वाली!

हरजोध ने बिना सोचे समझे झट से उसे पकड़ लिया। तितली-परी को बहुत डर लगा। वह सोचने लगी, “अगर हरजोध ने मुझे कभी नहीं छोड़ा, तो मैं परियों के देश कैसे लौट पाऊँगी?” पर वो कुछ कह नहीं सकती थी — वो तो अभी तितली के रूप में थी।

लेकिन हरजोध को ऐसा लगा जैसे तितली कुछ कह रही हो, जैसे उसकी आँखों में एक खास बात हो। उसने तितली को ध्यान से देखा और बोला, “क्या तुम आज़ाद होना चाहती हो?” तितली ने पंख धीरे से फड़फड़ाए, जैसे हाँ कह रही हो।

हरजोध को समझ आ गया कि इस सुंदर तितली को उड़ना पसंद है। वह मुस्कराया और बोला, “जा तितली, उड़ जा। तुम्हें आज़ाद रहना चाहिए।”

जैसे ही उसने तितली को छोड़ा, तितली फौरन उड़ गई, पर थोड़ी देर बाद उसने हवा में एक गोल चमकदार गोला बनाया, जो धीरे-धीरे आसमान में गायब हो गया।

* * * * *

उसी रात हरजोध को एक बहुत ही सुंदर सपना आया। उसके सामने वही तितली आई, लेकिन अब वह तितली नहीं, एक परी बन चुकी थी! उसके लंबे बाल, चमकदार पंख और मुस्कराता चेहरा देखकर हरजोध बहुत खुश हुआ।

परी ने मुस्कराकर कहा, “हरजोध, तुमने मुझे आज़ाद किया, इसलिए मैं तुम्हें एक खास तोहफा देने आई हूँ।”

पलक झपकते ही परी ने अपने जादू से हरजोध को हवा में उड़ाया, और वे दोनों एक चमकदार रास्ते पर उड़ते हुए परियों की दुनिया — परिस्तान पहुँच गए।

वहाँ सब कुछ चमक रहा था। रंग-बिरंगे फूल, झीलों का मीठा पानी, और चारों ओर उड़ती परियाँ। परी ने हरजोध को वहाँ के फल खाने को दिए — जैसे मीठे आम, रस भरे अनानास, और जादुई सेब, जिनका स्वाद उसने पहले कभी नहीं चखा था।

फिर परी ने एक प्याले में दूध दिया, जो बिल्कुल सफेद और झिलमिलाता था। हरजोध ने जैसे ही एक घूंट पिया, उसे लगा जैसे वह उड़ने लगा हो — वो दूध सचमुच अमृत जैसा था।

हरजोध वहाँ बहुत देर तक खेला, नाचा, गाया और परियों से दोस्ती की। फिर परी ने कहा, “अब तुम्हें वापस जाना होगा, लेकिन याद रखना, जब भी तुम किसी को आज़ाद करोगे, किसी की मदद करोगे, हम परियाँ तुम्हारे साथ होंगी।”

* * * * *

हरजोध की आँख खुली, तो वह अपने बिस्तर पर था। उसे लगा जैसे वो सपना था, लेकिन तभी उसकी तकिये के पास एक चमकदार पंख रखा हुआ था — वही पंख जो परी के तितली रूप में था।

हरजोध समझ गया कि वह सपना नहीं था। वह सच था। और अब से वह हमेशा जानवरों, पक्षियों और तितलियों की रक्षा करेगा।

उस दिन के बाद हरजोध बगीचे में रोज़ जाता, लेकिन तितलियों को पकड़ता नहीं — उन्हें देखता, उनके साथ गुनगुनाता और मुस्कराता।

क्योंकि अब वह जान गया था — हर तितली में एक परी हो सकती है।

सीख : दूसरों को आज़ादी देना सबसे बड़ा उपहार होता है। दया और करुणा से हमें असली जादू का अनुभव होता है।

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