ओसिरिस, सेट और रानी असो : मिस्र की लोक-कथा

Osiris, Set and Queen Aso : Egyptian Folk Tale

सेट ओसिरिस का बुरा भाई उससे जलता था और आइसिस से नफरत करता था। जितनी ज़्यादा लोग आइसिस की प्रशंसा करते उतना ही सेट आइसिस से नफरत करता था।

और जितनी ज़्यादा लोग आइसिस की प्रशंसा करते आइसिस उतने ही ज़्यादा लोगों की भलाई करती और लोग उससे उतने ही ज़्यादा खुश होते। इससे सेट की अपने भाई ओसिरिस को मारने की और उसकी जगह राज करने की इच्छा उतनी ही ज़्यादा होती जाती।

पर आइसिस इतनी बुद्धिमान और सावधान थी कि जब वह मिस्र पर राज कर रही थी तो सेट उसको मारने और उसका राज्य लेने की कोशिश भी नहीं कर सका।

जब भला फैरो ओसिरिस अपनी यात्रा से हो कर आया तो उसका स्वागत करने वालों वालों में से और उसके आगे झुकने वालों में से सेट सबसे पहला आदमी था।

फिर भी उसने बहत्तर नीच लोगों के और इथियोपिया की नीच रानी असो के साथ मिल कर उसको मारने का अपना ही प्लान बना रखा था।

सेट ने ओसिरिस को बिना बताये ही ओसिरिस के शरीर का नाप ले लिया था। उसने उसी नाप का एक ताबूत जैसा एक बक्सा बनवाया जिसमें केवल वही फिट हो सकता था। वह डिब्बा बहुत मुश्किल से मिलने वाली और कीमती लकड़ियों से बनाया गया था।

लेबनान से इसके लिये सीडर की लकड़ी लायी गयी थी। पुन्ट देश से ऐबोनी की लकड़ी लायी गयी थी जो लाल सागर के दक्षिणी ओर था। क्योंकि मिस्र में कोई लकड़ी नहीं होती थी सिवाय खजूर की मुलायम और बेकार की लकड़ी के।

सेट ने ओसिरिस के आने की खुशी में एक बहुत बड़ी दावत दी। उस दावत में दूसरे मेहमान बहत्तर जालसाज़ी करने वाले थे। मिस्र की यह सबसे बड़ी दावत थी। खाना भी उसमें चुन चुन कर बनवाया गया था। वाइन भी कुछ ज़रा ज़्यादा ही तेज़ थी और नाचने वाली लड़कियाँ भी पहले से बहुत ज़्यादा सुन्दर थीं।

जब ओसिरिस का दिल दावत खा कर बहुत खुश हो गया तो वह डिब्बा मँगवाया गया। वहाँ मौजूद सारे लोग उस बक्से की सुन्दरता को देख कर दंग रह गये।

ओसिरिस ने सीडर लकड़ी में ऐबोनी और हाथी दाँत और सोने चाँदी का काम किये बक्से की बहुत तारीफ की। उसमें अन्दर की तरफ देवताओं चिड़ियों और जानवरों की तस्वीरें बनी हुई थीं सो उसने उस बक्से को लेना चाहा।

सेट बोला — “यह बक्सा उसी को दिया जायेगा जो इसके अन्दर फिट हो जायेगा।”

यह सुन कर प्लान के अनुसार सबसे पहले जालसाज़ों ने उसे देखना शुरू किया कि वे उसके अन्दर फिट हो सकते थे या नहीं। अब यह तो स्वाभाविक था कि उस बक्से में ओसिरिस के अलावा कोई और फिट हो ही नहीं सकता था। कोई उसके लिये छोटा था कोई बड़ा कोई पतला था तो कोई मोटा।

अन्त में ओसिरिस बोला — “अच्छा चलो अब मैं इसमें लेट कर देखता हूँ कि मैं इसमें फिट होता हूँ या नहीं।”

यह देख कर सारे लोग उस बक्से के चारों तरफ साँस रोके खड़े थे। अब वह बक्सा तो उसी के नाप का था सो जैसे ही वह उसमें लेटा तो वह उसमें फिट हो गया। सो वह तुरन्त ही चिल्लाया — “मैं इसमें फिट हो गया अब यह बक्सा मेरा है।”

सेट ने उस बक्से का ढक्कन गिराते हुए कहा — “हाँ हाँ यह बक्सा तुम्हारा ही है और हमेशा के लिये यह तुम्हारा है।”

वहाँ जितने भी जालसाज़ खड़े हुए थे उन सबने मिल कर उस ढक्कन पर कीलें जड़ दीं और उसमें जितनी भी झिरियाँ थीं उन्हें पिघला सीसा डाल कर बन्द कर दिया। इससे ओसिरिस आदमी तो उसी बक्से में मर गया और उसकी आत्मा नील नदी के उस पार “जाँच की जगह डुऐट” और उसके पार “अमेन्ती” में चली गयी जहाँ वे लोग हमेशा के लिये रहते थे जिन्होंने धरती पर अपनी ज़िन्दगी अच्छी तरह से बितायी हो और डुऐट का फैसला पास कर लिया हो।

सेट और उसको साथियों ने उस बक्से को उठाया जिसमें ओसिरिस का शरीर था और उसे नील नदी में फेंक दिया। नील नदी का देवता हापी उसको बड़े हरे सागर की तरफ ले गया जहाँ वह कई दिनों तक बहता रहा।

बहते बहते वह बाइब्लौस के पास फोनीशिया के तट पर लग गया। यहाँ ला कर वह एक फूलों वाले पेड़ के पास जा कर अटक गया जो वहीं किनारे पर खड़ा हुआ था। उसमें से कुछ शाखें निकलीं फूल पत्ते निकले और भले ओसिरिस के आराम करने की जगह बना दी। फिर वह पेड़ सारे देश में प्रसिद्ध हो गया।

Queen Aso was the Queen of Ethiopia. Isis was the wife of Osiris. Seth was the brother of Osiris.

“Duat the Place of Testing”

(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)

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