निर्वाह (इतालवी कहानी) : इतालो काल्विनो
Nirvah/Making Do (Italian Story in Hindi) : Italo Calvino
एक ऐसा नगर था जहाँ सभी चीज़ों पर रोक लगी थी।
क्यूँकि नगर में गिल्ली-डंडा का खेल ही ऐसी अकेली चीज़ थी जिस पर कोई मनाही नहीं थी, वहाँ की प्रजा नगर के पीछे के घास के मैदानों में जमा होती और गिल्ली-डंडा खेलते हुए अपने दिन बिताती।
चीज़ों पर रोक लगाने वाले कानून एक के बाद एक लाए गए थे और वो भी अच्छे-भले कारण के साथ, इसलिए किसी को भी उनसे शिकायत या उनकी आदत डालने में परेशानी नहीं थी।
साल बीतते गए। एक दिन शासकों ने सोचा अब ऐसी कोई आवश्यकता नहीं थी कि किसी चीज़ पर रोक लगाई जाए। और उन्होंने अपने दूतों को प्रजा के पास यह बताने के लिए भेजा कि अब वे जो चाहें सो कर सकते हैं।
दूत ऐसी जगह गए जहाँ प्रजा आमतौर पर जमा हुआ करती थी।
उन्होंने घोषणा की – ‘सुनो-सुनो-सुनो’। अब किसी भी चीज़ पर रोक नहीं है।
लेकिन लोग गिल्ली-डंडा खेलते रहे।
दूतों ने जोर देकर कहा – ’समझो’ तुम कुछ भी करने के लिए स्वतंत्र हो।
प्रजा ने कहा- बढ़िया! हम लोग गिल्ली-डंडा खेल रहे हैं।
दूतों ने विस्तार से उन सबको उन बेहतरीन और उपयोगी कामों के बारे में बताया जो वे पहले किया करते थे और अब दुबारा फिर से वे सब कर सकते थे। परन्तु प्रजा थी कि सुनने तो तैयार ही नहीं थी और बिना दम लिए लगातार ठका-ठक खेलने में लगी रही।
दूतों को जब अहसास हुआ कि उनकी बातों का प्रजा पर कोई असर नहीं होने वाला, तब वे इसकी सूचना देने शासकों के पास गए।
शासकों ने कहा – ’आसान है’। ’चलो गिल्ली-डंडा के खेल पर रोक लगा देते हैं।’
यही वह समय था जब प्रजा ने विद्रोह कर दिया और कई शासकों को मार डाला।
और फिर बिना समय बर्बाद किए प्रजा फिर से गिल्ली डंडा खेलने में जुट गई।
(अनुवाद - अभिषेक अवतंस)