जादू की बाँसुरी : मिस्र की लोक-कथा

Magical Flute : Egyptian Folk Tale

एक बार मिस्र देश में एक सुन्दर राजकुमार रहता था। उसका नाम था तमीनो । वह एक अक्लमन्द और चतुर आदमी बनना चाहता था इसलिये वह एक अच्छे गुरू की खोज में भटक रहा था।

एक दिन जब वह नील नदी के पास से गुजर रहा था तो अचानक एक बहुत बड़े अजगर ने उस पर हमला कर दिया।

तमीनो को अपनी जान के लाले पड़ गये। वह बेचारा अपनी जान बचाने के लिये इतना भागा, इतना भागा कि उससे और ज़्यादा भागा नहीं गया और वह जमीन पर गिर गया और गिरते ही थकान और डर से बेहोश हो गया।

उस अजगर ने भी उसका पीछा किया और अपना सिर उठा कर उसे काटने ही वाला था कि न जाने कहाँ से तीन सुन्दरियाँ प्रगट हुईं और उन्होंने बिजली की सी तेज़ी से तलवार के एक ही वार से उस अजगर के दो टुकड़े कर दिये।

उन्होंने आपस में कहा — “अब हमें चल कर इस सुन्दर राजकुमार के बारे में रात की रानी को बताना चाहिये।” सो वे रात की रानी को उस राजकुमार के बारे में बताने चली गयीं।

जब रात की रानी ने तमीनो के बारे में सुना तो वह उसे देखने के लिये वहाँ खुद आयी।

उसने राजकुमार से कहा — “राजकुमार यह देखो, यह मेरी बेटी पामीना की तस्वीर है। इसे एक दुष्ट जादूगर चुरा कर ले गया है जिसका नाम सारस्त्रो है। अगर तुम इसे उस जादूगर से छुड़ा कर ले आओगे तो यह तुम्हारी रानी बन जायेगी।”

तमीनो ने उस तस्वीर को देखा तो वह उसको देखते ही बोला
— “मैं तुरन्त ही चला जाता हूँ और इस राजकुमारी को सारस्त्रो के चंगुल से छुड़ा कर ले आता हूँ।”

वह तुरन्त ही उस राजकुमारी को लाने के लिये इसलिये राजी हो गया था क्योंकि उसे उस तस्वीर वाली लड़की से प्यार हो गया था।

रात की रानी बोली — “रुको, तुम अकेले नहीं जाओगे। मैं पापाजीनो को तुम्हारे साथ भेजती हूँ। वह मेरा चिड़िया पकड़ने वाला आदमी है और सारस्त्रो का पता जानता है।

मैं तुम दोनों को एक एक जादू का बाजा दूँगी जो तुम्हारे काम आयेगा। पापाजीनो के पास जादू की घंटियाँ होंगी और तुम्हारे पास जादू की बाँसुरी। वे तुम दोनों के काम आयेंगी।”

पापाजीनो ऊपर से ले कर नीचे तक सुन्दर पंखों से सजा हुआ था। उसके पास एक चिड़ियों का पकड़ने वाला बाजा भी था। उस बाजे से वह चिड़ियों को पकड़ कर अपने सुनहरे पिंजरे में बन्द कर लेता था।

रात की रानी ने राजकुमार को जादू की बाँसुरी दी और पापाजीनो को जादू की घंटियाँ। जब दोनों को अपने अपने जादू के बाजे मिल गये तो वे दोनों अपने सफर पर निकल पड़े।

पापाजीनो को सारस्त्रो का घर मालूम था सो जब वे नील नदी के किनारे बने एक महल के पास पहुँचे तो पापाजीनो बोला —
“यही है सारस्त्रो का घर।”

तभी तमीनो ने पामीना को एक खिड़की में खड़े देखा। उसको लगा कि पामीना तो अपनी तस्वीर से भी ज़्यादा सुन्दर है।

पापाजीनो बोला — “हम लोग खिड़की से चढ़ते हैं और पामीना को ले कर रात की रानी के पास चलते हैं। अभी हमें कोई देख भी नहीं रहा है।”

तमीनो और पापाजीनो दोनों खिड़की के रास्ते चढ़ कर महल के अन्दर पहुँचे तो पामीना तो उनको देख कर डर ही गयी लेकिन तभी तमीनो ने अपने होठों पर उँगली रखते हुए कहा — “चुप, शोर नहीं करो और डरो भी नहीं। हम तुम्हारे दोस्त हैं और तुम्हें सारस्त्रो से बचाने तथा तुम्हें तुम्हारी माँ रात की रानी के पास ले जाने के लिये आये हैं।”

तभी दरवाजा खुला और सारस्त्रो के आदमी अन्दर आ गये । उनके सरदार ने पामीना को पकड़ लिया और उसे रस्सी से बाँधना शुरू कर दिया।

पापाजीनो को अपनी घंटियों की याद आयी तो उसने वे घंटियाँ बजा दीं। घंटियों के बजते ही वे सभी आदमी ऐसे गिर गये जैसे किसी ने उनको मार कर गिरा दिया हो।

पापाजीनो ने आश्चर्य से कहा — “अरे, मैंने तो सोचा भी नहीं था कि मेरी घंटियाँ ऐसा काम करेंगी।”

तमीनो बोला — “आओ पापाजीनो, पामीना की रस्सियाँ खोलने में मेरी मदद करो।”

पापाजीनो पामीना की रस्सियाँ खोलने में तमीनो की मदद करने लगा। वे अभी रस्सियाँ खोल ही रहे थे कि फिर कोई दरवाजे पर दिखायी दिया। वह आदमी बहुत ही लम्बा था और बहुत ही शानदार कपड़े पहने था।

पापाजीनो ने हकलाते हुए पूछा — “तु तु तुम क कौन हो?”

उस लम्बे आदमी ने जवाब दिया — “मैं सारस्त्रो हूँ, अक्लमन्दी के मन्दिर का बड़ा पुजारी।”

पापाजीनो ने झुक कर कहा — “मेहरबानी कर के हमें कोई नुकसान न पहुँचाइये, सारस्त्रो जी। अगर आप हमें अभी चले जाने देंगे तो हम वायदा करते हैं कि हम आपको फिर कभी तंग नहीं करेंगे।”

सारस्त्रो ने अपना हाथ ऊपर उठाया और बोला — “तुम इतने डरे हुए क्यों हो? तुम बिल्कुल मत डरो। मैं तुम्हें कुछ नहीं कहूँगा।”

तमीनो बोला — “मगर रात की रानी तो कहती है कि आप एक दुष्ट जादूगर हैं।”

सारस्त्रो बोला — “रात की रानी झूठ बोलती है। वह तो खुद ही एक चुड़ैल जादूगरनी है। मैंने यहाँ पामीना को उसके पंजों से बचा कर रखा हुआ है।”

पापाजीनो ने पूछा — “और तुम्हारे ये रक्षक जिन्होंने हमको बाँधने की कोशिश की?”

सारस्त्रो बोला — “वे तुम्हारे साथ इतनी निर्दयता का बर्ताव नहीं कर सकते। अगर उन्होंने ऐसा किया है तो उनको इसकी सजा जरूर मिलेगी। आओ तुम लोग मेरे साथ आओ।”

कहता हुआ सारस्त्रो उन सबको एक बड़े से सुन्दर कमरे में ले गया जहाँ उसने उनको मीठे रसीले फल खिलाये। इस बीच तमीनो ने सारस्त्रो को बताया कि वह अक्ल और सत्य की खोज में इधर उधर भटक रहा है।

सारस्त्रो ने कहा — “तब भगवान ने तुमको ठीक जगह पर भेजा है क्योंकि तुम अगर हमारे साथ रहोगे तो एक दिन जरूर ही अक्लमन्द बन जाओगे।

लेकिन हमारे साथ रहने से पहले तुम्हें दो इम्तिहान देने पड़ेंगे — पहला तो यह कि तुम मन्दिर के एक कमरे में रहोगे जिसका नाम है “शान्ति घर”।

वहाँ कुछ भी हो पर तुम कुछ बोलोगे नहीं और न ही तुम अपना मुँह खोलोगे। यह तुम्हारी इच्छा शक्ति का इम्तिहान होगा। क्या तुम इस इम्तिहान के लिये तैयार हो?”

तमीनो ने जवाब दिया — “हाँ मैं तैयार हूँ।”

फिर उसने पापाजीनो से कहा — “आओ पापाजीनो, हम और तुम दोनों एक साथ मिल कर यह इम्तिहान देंगे।”

सारस्त्रो का एक पुजारी तमीनो और पापाजीनो दोनों को जमीन के नीचे बने एक कमरे में ले गया जो मन्दिर के काफी भीतर था। उसमें कोई खिड़की नहीं थी और जब उस कमरे का दरवाजा भी बन्द हो गया तब तो उस कमरे में बिल्कुल ही अँधेरा हो गया।

पापाजीनो गिड़गिड़ाया — “तमीनो, मुझे डर लग रहा है।”

तमीनो ने फुसफुसाते हुए कहा — “चुप पापाजीनो, यह हमारे चुप रहने का इम्तिहान है।”

कुछ देर के बाद उस कमरे का दरवाजा खुला और दो सुन्दर लड़कियाँ दो थाल में बहुत ही बढ़िया खाना लिये अन्दर आयीं। पापाजीनो तो उनको देख कर बिल्कुल ही भूल गया कि वह चुप रहने का इम्तिहान दे रहा है, वह तुरन्त बोला — “मुझे तो बहुत ज़ोर की भूख लग रही है।” पर तमीनो ने उन पर कोई ध्यान नहीं दिया।

जब उनका वह इम्तिहान खत्म हो गया तो सारस्त्रो उनको देखने आया और बोला — “बहुत अच्छे तमीनो। तुम इस इम्तिहान में तो पास हो गये, अब तुम मेरे पीछे आओ।” कह कर वह उन दोनों को अपने साथ ले गया।

दोनों उसके पीछे पीछे चल दिये। चलते चलते वे लोग मन्दिर के पीछे वाली गुफा में पहुँचे। सारस्त्रो ने उनसे कहा — “यहाँ भी कुछ भी होता रहे तुमको बस यहीं खड़े रहना है।” और वह उनको वहीं खड़ा छोड़ कर चला गया।

जब तमीनो और पापाजीनो वहाँ खड़े हुए थे तो अचानक एक भट्टी का दरवाजा खुला और उसमें से लपटें निकलने लगीं। वह गुफा गर्म होती गयी और उसमें धुआँ भी भरता गया और फिर उस गुफा में इतना अधिक धुआँ भर गया कि उस धुएँ की वजह से पापाजीनो और तमीनो दोनों को साँस लेना भी मुश्किल हो गया।

पापाजीनो चिल्लाया — “बचाओ, बचाओ, मेरे पंख जले जा रहे हैं।” और वह गुफा से निकल कर नील नदी में कूद गया। लेकिन तमीनो वहीं शान्त खड़ा रहा। आखिर धीरे धीरे गर्मी कम होती गयी और धुआँ भी छँट गया। और फिर भट्टी का दरवाजा भी बन्द हो गया।

सारस्त्रो वहाँ आ गया था। वह तमीनो से बोला — “तमीनो बहुत अच्छे, यह तुम्हारी अग्नि परीक्षा थी। इससे वीरता का इम्तिहान होता है।

तुमने ये दोनों ही इम्तिहान पास कर लिये हैं इसलिये अब तुम हमारे साथ रह सकते हो और मिस्र के ओसिरिस और आइसिस देवताओं से अक्ल ले सकते हो।”

पापाजीनो ने तुरन्त पूछा — “और मैं?”

सारस्त्रो ने जवाब दिया — “तुम्हारे लिये मैं कुछ नहीं कह सकता क्योंकि तुम यह दोनों ही इम्तिहान पास नहीं कर सके। पर अगर तुम चाहो तो यहाँ रह कर तमीनो की सेवा कर सकते हो।”

इसी समय एक बिजली चमकी और कड़की और वहाँ रात की रानी प्रगट हुई। वह चिल्लायी — “रुक जाओ, पापाजीनो मेरा है, और पामीना भी। मैं यहाँ उनको लेने आयी हूँ। अब तुम मुझे नहीं रोक सकते सारस्त्रो, मेरी ताकत तुमसे ज़्यादा है।”

कह कर रात की रानी ने अपनी जादू की छड़ी उठायी और पापाजीनो और पामीना को अपने पीछे आने के लिये कहा। लेकिन उसी समय तमीनो को अपनी जादू की बाँसुरी का ध्यान आया जो उसे रात की रानी ने दी थी।

उसे उस बाँसुरी पर भरोसा तो नहीं था कि वह बाँसुरी पापाजीनो और पामीना को रात की रानी के चंगुल से निकाल लेगी परन्तु फिर भी उसने उसे बजाना शुरू कर दिया। एक अजीब सी धुन उस बाँसुरी में से निकली।

रात की रानी के हाथ से उसकी जादू की छड़ी छूट गयी और एक बार फिर वह बिजली की चमक और कड़क के साथ गायब हो गयी।

पापाजीनो खुश हो कर बोला — “अहा, अच्छा हुआ रात की रानी चली गयी। मैं रात की रानी का चिड़िया पकड़ने वाला नहीं बनना चाहता था। वह हमेशा ही मुझ से लड़ती झगड़ती रहती थी। अच्छा हुआ आज यह सब खत्म हो गया।”

पामीना बोली — “बहादुर राजकुमार तमीनो, मैं भी तुम्हारे साथ इस मन्दिर में रहना चाहती हूँ।”

इस पर सारस्त्रो ने कहा — “हाँ हाँ, क्यों नहीं। और जब यह पढ़ लिख कर लायक बन जाये तब तुम इससे शादी भी कर सकती हो।” इस सबसे तमीनो बहुत अधिक खुश था।

उसका उद्देश्य पूरा हो चुका था। वहाँ रह कर उसने मिस्र के देवताओं से बहुत सारी अक्लमन्दी हासिल की और उसके बाद पामीना के साथ वह अपने राज्य वापस लौट गया।

घर पहुँच कर तमीनो ने पामीना से शादी कर ली और वे दोनों खुशी खुशी रहने लगे।

(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)

  • मिस्र की कहानियां और लोक कथाएं
  • अफ़्रीका की कहानियां और लोक कथाएं
  • भारतीय भाषाओं तथा विदेशी भाषाओं की लोक कथाएं
  • मुख्य पृष्ठ : संपूर्ण हिंदी कहानियां, नाटक, उपन्यास और अन्य गद्य कृतियां