केन काका ने कार चलायी (अंग्रेज़ी कहानी) : रस्किन बॉन्ड
Ken Kaka Ne Car Chalayi (English Story in Hindi) : Ruskin Bond
अगली बार जब मैं देहरादून पहुँचा, तो मुझे रेलवे स्टेशन पर मोहन लेने आया। एक तांगे पर सामान रखवा कर हम सवार हुए और शहर की शांत सड़कों पर खड़खड़ करते हुए दादी के घर की तरफ चले।
"मोहन, क्या ख़बर है?"
" कोई खास नहीं। कुछ साहब लोग मकान बेच कर जा रहे हैं। सूजी ने बच्चे दिये हैं! "
दादी जानती थी कि मैं दो रातें ट्रेन में बिता कर आया हूँ, इसलिए उन्होंने मेरे लिए ढेर सारा नाश्ता तेयार कर रखा था। यखनी, अंडा-टोस्ट, बेकन और छौंक लगे टमाटर। टोस्ट और मारमलेड। खूब दूध वाली मीठी-मीठी चाय।
दादी ने बताया कि केन काका कि चिट्ठी आयी है।
"लिखता है, शिमला में फिरपों होटल में असिस्टेंट मैंनेजर लगा है," दादी बता रही थीं, " खासा वेतन पाता है। फिर रहना और खाना-पीना मुफ्त है। पक्की नौकरी है और उम्मीद है वह टिक कर वहाँ काम करेगा। "
इस बातचीत के तीन दिन बाद ही केन काका बोरिया-बिस्तर और दूटा सूटकेस उठाए बरामदे की सीढ़ी पर खड़े दिखाई दिये।
" होटल की नौकरी छोड़ आया है क्या? ' दादी ने पूछा।
"नहीं," केन काका बोले, "उन्होंने होटल ही बंद कर दिया।"।
"तुम्हारी वजह से ही तो बंद नहीं किया उन्होंने" "
" नहीं, आंटी! हिल स्टेशनों पर जितने बड़े-बड़े होटल हैं, सब बंद होते जा रहे हैं। '
" खैर, कोई बात नहीं। आ, नाश्ता कर ले। आज रस्टी के मनपसंद कोफ्ते बने हैं। "
" तो, वह भी यहीं है? पता नहीं कितने भतीजे-भतीजी, भांजे-भांजियाँ हैं मेरे। मगर मेबल की दोनों लड़कियों से तो ठीक ही है। जितने दिन मैं उनके साथ शिमला में रहा, छोकरियों ने नाक में दम किये रखा। '
नाश्ते पर केन काका बड़ी गंभीरता से रोजी-रोटी कमाने के उपायों की बात करते रहे।
"सारे देहरादून में सिर्फ़ एक टैक्सी है।" वह ध्यानमग्न से बोल रहे थे, "निश्चय ही एक ओर टैक्सी की गुंजाइश है।"
"हाँ, है तो '" दादी बोलीं, " पर तुझे इससे क्या? पहली बात तो यह कि तेरे पास टैक्सी नहीं है। फिर, तृ चलाना भी तो नहीं जानता। "
" जल्दी ही सीख लूंगा। शहर में एक ड्राइविंग स्कूल है और फिर अंकल की पुरानी कार का इस्तेमाल भी तो किया जा सकता है। बरसों से गेराज में खड़ी घूल चाट रही है। " (केन काका का आशय दादा जी की पुरानी ' हिलपमैन रोइ्स्टर' कार से था, जो 1925 का मॉडल थी। इस तरह करीब बीस साल पुरानी हुई)
"मैं नहीं समझती, यह कार अब चलेगी," दादी बोलीं।
" चलेगी, ज़रूर चलेगी। बस, थोड़ा तेल और ग्रीस देने की ज़रूरत है। और थोड़ा-सा पेंट करने की॥! छाती।
"ठीक है, तो ड्राइविंग सीख ले! फिर 'रोइ्स्टर' के बारे में सोचेंगे।"
इस तरह केन काका ड्राइविंग स्कूल जाने लगे।
वह नियम से शाम को एक घंटे के लिए गाड़ी चलाना सीखते। फीस दादी ने अपनी गांठ से दी।
एक महीने बाद केन काका ने आकर घोषणा कि-कि वह गाड़ी चला सकते हैं और परीक्षण के लिए 'रोड्स्टर' को बाहर निकालेंगे।
"तेरे पास अभी लाइसेंस भी तो नहीं है।" दादी बोलीं।
"तो क्या हुआ, अधिक दूर नहीं ले जाऊंगा।" केन काका बोले, " बस, बाहर सड़क पर और फिर वापस। "
सुबह काफी देर तक वह कार साफ करते रहे। दादी ने पेट्रोल के पैसे भी अपनी जेब से दिये।
चाय के बाद केन काका बोले, " चल रस्टी, मेरे साथ गाड़ी में बैठ, तुझे सवारी करवा दूं। मोहन को भी साथ ले ले। "
मोहन और मैं कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते थे। "अगली बार, काका!" मैंने कहा।
"केन, ज़्यादा तेज न चलाना।" दादी बोलीं, " अभी इस पर तुम्हारा हाथ नहीं सधा है। '
केन काका ने हामी भरी और मुस्कराते हुए दो बार जोर-जोर से हार्न बजाया। मन में लड्डू जो फूट रहे थे। उधर से मिस केलनर शाम को टहलने के लिए घर से निकल रही थीं।
केन काका को जब्र 'रोड्स्टर' में बैठे देखा, तो भीतर भागी।
केन काका सीधे-सीधे तेज गाड़ी चलाते हुए लगातार हॉर्न बजाये जा रहे थे।
सड़क के अंतिम छोर पर गोल चक्कर था। यहाँ से गाड़ी मोड़ता हूँ, केन काका ने सोचा, " और वापस चलता हूँ। '
उन्होंने स्टियरिंग गोल घुमाया और गोलचक्कर की परिक्रमा करनी चाही, मगर स्टियरिंग व्यील उतना घूमा ही नहीं जितना कि केन काका घुमाना चाहते थे...सो, गोल चक्कर लगाने की जगह गाड़ी दायीं तरफ घूम गयी और एकदम नाक की सीध में चलती गयी और जैसा कि होना था, सीधे गुलशन के महाराजा के बगीचे की दीवार तोड़कर भीतर घुस गयी।
दीवार एक ईंट की थी। 'रोइ्स्टर' ने जोर से घकका मार कर दीवार को घराशायी कर दिया और फिर दूसूरी, तरफ जा निकली। गनीमत थी कि न तो कार को और न ही चालक को कोई नुकसान पहुँचा।
केन काका ने गाड़ी महाराजा के लॉन के बीचों-बीच जाकर खड़ी कर दी। महाराजा लॉन में ही खड़े थे। देखा, तो दौड़े आये। उनके साथ उनके सचिव और सहायक भी थे।
महाराजा ने जब देखा कि गाड़ी चलाने वाला कोई और नहीं, केन काका हैं, तो उनकी बाछें खिल गयी।
तपाक से बोले, " तुम्हें देखकर खुशी हुईं। अच्छा किया जो आ गये।
क्यूँ न टेनिस की एक गेम हो जाये? " जो हुआ उसे जाने दो।