कड़वे करौंदे (अंग्रेज़ी कहानी) : रस्किन बॉन्ड
Kadve Karaunde (English Story in Hindi) : Ruskin Bond
अपनी युवावस्था में दादाजी ने कुछ साल बर्मा में बिताए थे और यह वहाँ के उन किस्सों में से एक है, जो वे हमें सुनाया करते थे।
यह कहानी एक साँप और करौंदों के बारे में है; लेकिन इसमें और भी बहुत कुछ है, इसलिए शांति से बैठ जाओ। बीच में टोकना मत और कोई सवाल मत पूछना। सुन रहे हो? हाँ, तो सुनो। एक बार की बात है, एक साँप था, जो करौंदे की झाड़ी में रहता था। रोज रात को वह एक सुंदर राजकुमार में बदल जाता था। अब यह कोई बड़ी बात नहीं है। ऐसा तो होता रहता है, खास तौर से बर्मा में, जहाँ वैसे भी हर कोई संदर होता है। लेकिन एक कहानी तब तक सफल नहीं होती, जब तक उसमें कोई औरत न हो। इसलिए इसमें भी एक औरत थी, जो बाँस के एक छोटे से घर में रहती थी। उसके घर के बरामदे में ऑर्किड्स लटके हुए थे। उसकी तीन बेटियाँ थीं, जिनके नाम थे-मा ग्यी, मा लात और मा गे। तीनों में से मा गे सबसे छोटी, सबसे अच्छी और सबसे सुंदर थी, क्योंकि जब तक एक लड़की में ये तीनों चीजें न हों, कहानी सफल नहीं हो सकती।
हाँ, तो एक दिन मा नगे की माँ को जंगल से करौंदे लाने के लिए जाना था। वे करौंदे कड़वे होते थे। बर्मी औरतें उन्हें 'जि ब्यू थी' कहती हैं और मीठे करौंदों से ज्यादा पसंद करती हैं। मा नगे की माँ अपने साथ डलिया लेकर गई थी और जैसे ही उसने करौंदे बीनने शुरू किए, झाड़ी में रहनेवाला साँप फुफकारने लगा; जैसे कह रहा हो, दूर रहो! यह वही साँप था, जो रात को राजकुमार बन जाता था; लेकिन उस समय तो धूप खिली हुई थी और वैसे भी, बर्मी औरतें साँपों से नहीं डरतीं। और फिर' साँप को याद आया कि यह औरत तो तीन बेटियों की माँ थी और उसे उसकी बेटियों से बहुत लगाव था, इसलिए उसने उसे वहाँ से भगाने का विचार त्याग दिया और पहले उसके बोलने का इंतजार करने लगा, क्योंकि वह एक औरत थी और औरतें व्यापार करने में माहिर होती हैं।
उस औरत ने कहा, "कृपया मुझे एक करौंदा दे दो।"
औरतों को हमेशा कुछ-न-कुछ चाहिए होता है। यह उनके व्यापारिक ज्ञान का हिस्सा होता है।
लेकिन साँप ने मना कर दिया। उसे याद आ गया था कि वह एक राजकुमार है और राजकुमारों को किसी बात के लिए 'हाँ' नहीं कहना चाहिए; कम-से-कम फौरन तो नहीं। ये उसूल की बात थी।
फिर उस औरत ने कहा, "यदि तुम्हें मेरी सबसे बड़ी बेटी पसंद है तो मुझे एक करौंदा दे दो।"
साँप को मा ग्यी की परवाह नहीं थी, क्योंकि वह जानता था कि उसका गुस्सा बहुत तेज था। फिर भी, उसने अपने उसूल की खातिर उसे एक करौंदा दे दिया। मा ग्यी की औकात एक करौंदे जितनी ही है. उसने अपने आप से कहा।
लेकिन दुनिया भर की औरतें, बर्मा से बरमुडा और उससे भी आगे तक, किसी भी चीज के एक ही मिलने से संतुष्ट नहीं होती। इसलिए उसने कहा, "अगर तुम्हें मेरी दूसरी बेटी मा लात पसंद है तो मझे एक और करौंदा दे दो।"
राजकुमार जानता था कि मा लात भेंगी है, लेकिन वह किसी की भावनाएं आहत नहीं करना चाहता था, इसलिए उसने उसे एक और करौंदा दे दिया। इस बात से प्रोत्साहित होकर उसने कहा, "और अगर तुम्हें मेरी सबसे छोटी बेटी मा न्गे पसंद है तो मुझे एक और करौंदा दे दो।"
यह सुनकर साँप ऊपर से नीचे तक इतनी जोर से काँपने लगा कि झाडी पर से सारे करौंदे नीचे गिर पडे: क्योंकि वह जानता था कि मा न्गे सबसे छोटी, सबसे अच्छी और सबसे संदर थी। उस औरत ने सारे करौंदे बीनकर अपनी डलिया में भर लिये और अपने घर ले गई; क्योंकि वह करौंदे कड़वे थे (जिब्यू थी) और क्योंकि उसकी व्यापार करने की क्षमता अद्भुत थी।
रास्ते में उसे एक साइनपोस्ट दिखा तो उसने एक करौंदा देकर उससे कहा, "अगर कोई साँप आकर तुमसे पूछे कि मैं किस दिशा में गई हूँ, तो उसे बताना मत, बल्कि उलटी दिशा में इशारा कर देना।" उसने ऐसा इसलिए कहा, क्योंकि वह जानती थी कि साइनपोस्ट बिलकुल उसका उलटा करेगा।
फिर वह चलती गई और रास्ते में पड़नेवाले दो और साइनपोस्टों से उसने यही बात कही (श्रेष्ठ कहानियों में हर बात तीन बार होनी जरूरी होती है) और सभी साइनपोस्टों ने एक ही काम किया, जो था साँप को सही रास्ता दिखाना, क्योंकि हर साइनपोस्ट का यही काम होता है।
साँप को उस औरत के पीछे-पीछे उसके घर तक पहुँचने में ज्यादा परेशानी नहीं हुई। वह एक बड़ी सी बरनी में छुप गया और जब वो कुछ लेने के लिए वहाँ आई तो सरककर बाहर निकल आया और उसकी बाँह से ऐसे लिपट गया जैसे उसका भावी दामाद हो।
"यदि तुम मेरी बेटी मा ग्यी से प्यार करते हो तो मुझे जाने दो।" भयभीत होने का नाटक करते हुए वह चिल्लाई। (वह अच्छी तरह जानती थी कि साँप असल में एक राजकुमार था।)
लेकिन साँप उसकी बाँह से लिपटा रहा, क्योंकि वह मा ग्यी से प्यार नहीं करता था, जिसका गुस्सा बहुत तेज था।
"यदि तुम मा लात से प्यार करते हो तो मुझे जाने दो।"
लेकिन साँप ने उसे नहीं छोड़ा। हालाँकि उसे भेंगी लड़कियों से कोई व्यक्तिगत समस्या नहीं थी, लेकिन उसे एक भेंगी लड़की द्वारा खुद को घूरे जाने का खयाल पसंद नहीं आ रहा था।
और फिर (क्योंकि हर चीज तीन बार होनी चाहिए) वह चीखी, "यदि तुम मेरी बेटी मा न्गी से प्यार करते हो तो मुझे छोड़ दो!"
साँप बेहोश होकर नीचे गिर पड़ा। और चूँकि अचानक रात भी हो गई थी, इसलिए लड़कियों की माँ को साँप के बदले राजकुमार नजर आया, जो उसकी सबसे छोटी बेटी के प्यार में डूबा हुआ था और उससे शादी करना चाहता था। उसने बिना समय बरबाद किए राजकुमार की शादी मा न्गी से कर दी।
यही कहानी का अंत होना चाहिए था। लेकिन बर्मा में कहानियाँ खत्म नहीं होतीं वे हमेशा चलती रहती हैं। इसलिए कभी-कभी उन्हें छापने में परेशानी होती है। साँप इस तिलिस्म को तोड़ने के लिए कुछ करना चाहता था, क्योंकि कुछ ही समय बाद मा न्गी को ऐसे राजकुमार से शादी होने पर खीज होने लगी, जो रात को तो उसका पति होता था और दिन में एक साँप! वह कहने लगी कि उसे दिन में भी अपने साथ एक पुरुष ही चाहिए था। और आखिरकार उसी ने वह तिलिस्म तोड़ा, क्योंकि अपनी माँ की तरह उसके पास भी अद्भुत व्यापारिक बुद्धि थी। उसने सिर्फ इतना किया कि अपने पति के लिए एक नौकरी ढूँढ दी और इसी बात से साँप को इतना बड़ा झटका लगा कि तिलिस्म टूट गया। जिंदगी में पहली बार राजकुमार से कोई काम करने की अपेक्षा की गई थी। और इस बात से वह इतना हिल गया था कि खुद को साँप के रूप में बदलना ही भूल गया।
लेकिन राजकुमार काम बहुत मन लगाकर करता था और कभीकभी तो काम में इतना डूब जाता था कि उसकी पत्नी बहुत अकेलापन महसूस करती थी। वह नहीं जानती थी कि उसके मालिकों ने उसे एक सुंदर सेक्रेटरी दे रखी है और यही बात उसे देर तक काम करने के लिए प्रोत्साहित करती है। इसलिए, जब वह देर से घर लौटता और खाना खाकर सीधे सोने चला जाता तो वह उससे झगड़ा करती और अपनी उपेक्षा करने के लिए उससे शिकायत भी करती।
एक सुबह वह उसकी खिटपिट से इतना परेशान हो गया कि उसे अचानक वह तिलिस्म याद आ गया और उसने तुरंत अपने आपको एक बड़े से साँप के रूप में बदल लिया।
साँप बनने के बाद पहले उसने अपनी पत्नी के पैर निगलने शुरू किए। मा न्गे ने अपनी माँ को पुकारा। लेकिन माँ ने कहा, "ये कोई चिंता की बात नहीं है।"
'इसने मेरा घुटना भी निगल लिया है।" बेचारी मा न्गे ने रोते हुए कहा।
"परेशान मत हो, डियर।" उसकी माँ ने बगल के कमरे से खाना बनाते हुए कहा। एक प्रेमातुर पति क्या-क्या कर सकता है, यह कोई नहीं जानता।
"इसने मेरी गरदन भी निगल ली है।"
अब माँ को लगा, बात बहुत आगे जा रही है। और जब उसे अपनी बेटी की आवाज सुनाई देनी बंद हो गई तो वह दौड़कर कमरे में आई और उसका सामना साँप से हुआ, जो मा नो को पूरी तरह निगल चुका था।
उसने क्रोधित होकर साँप से कहा, "फौरन छोड़ दो उसे।"
"मैं इसे तभी छोड़ूँगा, जब तुम मेरी सारी शर्ते मानोगी।" साँप ने कहा, पहली शर्त, मेरी जब भी इच्छा होगी, मैं साँप का रूप धारण करूँगा। दूसरी बात, मैं एक असली राजकुमार की तरह रहूँगा और तभी काम पर जाऊँगा, जब मेरा मन करेगा। अगर मैं भी दूसरे लोगों की तरह ऑफिस से थका-हारा आऊँगा तो तुम्हारी बेटी मुझसे प्यार कैसे करेगी? तुम्हें दामाद के रूप में एक राजकुमार चाहिए था, जो तुम्हें मिल गया। अब तुम्हें मुझको राजकुमार की तरह ही रहने देना चाहिए।"
माँ ने उसकी सारी शर्ते मान ली और उसने अपनी पत्नी को मुँह से बाहर उगल दिया। उस दिन से दोनों औरतें घर के सारे काम करतीं और वह बरामदे में लटकते आर्किड के नीचे बैठकर कडवे करौंदों से बनी बीयर पीता रहता।
"क्या आप करौंदे की बीयर बनाना जानते हैं?" कहानी खत्म होने पर मैंने दादाजी से पूछा।
"बिलकुल जानता हूँ।" दादाजी बोले, "जिस दिन तुम्हारी दादी इजाजत देंगी, मैं करौंदे की बीयर, बेर की वाइन, सेब की मदिरा और एक जिन टॉनिक भी बनाऊँगा।"
लेकिन दादी ने इजाजत नहीं दी। जब से अंकल केन अधिक शराब पी लेने की वजह से नाली में गिर गए थे, हमारे घर में शराब पर प्रतिबंध लग गया था।