Jimmewari : Asghar Wajahat
जिम्मेवारी : असग़र वजाहत
दुलीराम ने बच्चों की तरफ देखा, वो सो रहे थे। पत्नी पीठ किए इस तरह कांप रही थी जैसे मरने से पहले कोई आखिरी सांसें लेता है। दुलीराम ने बड़कू की तरफ देखा, उसके मुंह से सफेद झाग निकलने लगा था। फिर दुलीराम ने दूसरे बच्चों की तरफ देखा और सामने परात में बड़ी खीर को देखने लगा जिस पर मक्खियां मंडरा रही थीं। बड़कू के पैरों पर सिर रखे मंझला लेटा था। उसकी आंखें भी पूरी तरह बन्द थीं। छोटा इस तरह सिमटा पड़ा था जैसे मां के पेट में पड़ा हो। मुनिया के मुंह में खीर टपक कर ठोढ़ी तक आ गई थी।
कमरे में एक बल्ब लटक रहा था। पीली-पीली रोशनी में पूरा कमरा किसी टी.बी के मरीज जैसा लग रहा था। एक तरफ चौका यानी स्टोव, घड़ा, कुछ बर्तन, बाल्टी। एक तरफ अलगनी में टंगे कुछ कपड़े। खुली अल्मारियों के पटरों पर बच्चों के बस्ते और मुन्नी की गुड़िया। अलगनी के बराबर ही दो दारियां और तीन चटाइयां दो गन्दे मैंले कुचैले तकिए। अल्मारी के पटरों में ठूंसे गद्दे और कनस्तर।
दुलीराम उठा और अंधे की तरह अलगनी के पास आया और अलमारी के तख्ते पर पड़ी प्लास्टिक की रस्सी उठा ली। पत्नी ने उसे देखा और उसका कंपन रुक गया। वह उठी। दुलीराम रस्सी लेकर बड़कू के पास आया और बड़कू का सिर उठाने लगा। गर्दन के नीचे उसने प्लास्टिक की रस्सी रख दी और दोनों सिरे उठा कर उन्हें बांधने लगा। पत्नी ने अपनी धोती के पल्लू से बड़कू के मुंह से निकला झाग पोंछ दिया। दुलीराम ने रस्सी के दोनों सिरे पकड़े। उसके हाथ कांपने लगे। पत्नी ने उधर पीठ कर ली। वह देख की सकी कि रस्सी के दोनो छोर खींचने के बाद बड़कू की आंखें एक बार बाहर उबल पड़ी थीं। और उसका पूरा शरीर इस तरह उछला था। दुलीराम ने बड़कू की आंखों पर हाथ रख कर उसकी आंखें बन्द कर दीें और बड़कू की गर्दन से रस्सी खोली। गर्दन पर रस्सी के मोटे निशान पड़ गए। दुलीराम की कांपती उंगलियां उन निशानों पर कुछ क्षणों के लिए आईं और फिर हट गईं।
दुलीराम मंझले के पास आ गया। उसकी नीली कमीज की जेब फूली हुई थी। दुलीराम ने जेब में हाथ डाला। दो कंचे, एक मुड़े हुए कागज पर भारत का मानचित्र और प्लास्टिक के टुकड़े में लिपटे दो सिफ्टीपिन। मंझले के गले के नीचे दुलीराम ने रस्सी रखी तो वह कुनमुनाया। दुलीराम ने जल्दी से गिरह लगाई और झटका दे दिया। मंझला उछाला और उसके पैरों पर रखा छोटू का सिर फर्श पर आ गया। मंझले की नाक से खून की दो बूंदें निकल कर उसके गालों पर आ गई। पत्नी वैसे ही लुढ़की-सी बैठी थी। दुलीराम ने मंझले की नाक से निकली खून की बूंदें हाथ से साफ कर दीं।
दुलीराम छोटे के गले के नीचे रस्सी रख कर रुक गया। शायद उसे इन्तजार था। पत्नी छोटे के पास आई और उसे चूम लिया। पत्नी की देखदेखी दुलीराम भी छोटे पर झुक गया। छोटे के बाल माथे पर आ गए थे। दुलीराम ने उन्हें हटाया। माथे पर चोट का पुराना निशान था। वह धीरे-धीरे रस्सी कसने लगा। जाने कैसे छोटू के होंठ हिले जैसे हंसा हो।
मुनिया को छुआ तो वह ठंडी हो चुकी थी। दुलीराम ने सबको एक साथ चटाई पर लिटाया। पत्नी ने सबको चादर से ढक दिया। दुलीराम का चेहरा पसीने से तर था। उसकी सांसें सीने में भर गई थीं।
पत्नी स्टूल ले आई। दुलीराम ने पंखा बन्द किया। स्टूल पर चढ़ गया और पंखे में कस कर रस्सी बांध दी। पत्नी की आंखें जड़ हो गईं। उसने जोर से हवा खींच कर फेफड़ों में भरी। बच्चों की तरफ देखा। रसोई की तरफ देखा। ऊपर पंखे की तरफ देखा। बल्ब को देखा। दुलीराम ने स्टूल हटा लिया। पंखा जोर से हिला। खूब जोर से हिला। दुलीराम एक क्षण को आगे बढ़ा। फिर रुक गया। पत्नी के गले से घुटी-घुटी सी आवाज निकली। दुलीराम डर कर इधर-उधर देखने लगा कि किसी ने सुन न ली हो।
दुलीराम स्टूल पर चढ़ गया। गांठ इतनी सख्त हो गयी थी कि वह देर तक खोलने की कोशिश करता रहा लेकिन खोल न सका। वह चाकू ले आया और गांठ काट दी। पत्नी फर्श पर जोर की आवाज के साथ गिरी और उसकी धोती पैरों पर से हट गई। उसकी पिंडलियां तक दिखाई देने लगीं। दुलीराम ने जल्दी से उसकी धोती ठीक कर दी। गिरने की वजह से पत्नी की गर्दन रस्सी से कट चुकी थी और खून निकल रहा था। दुलीराम ने खून पोंछ दिया। पर और खून निकल आया। दूलीराम खून पोछता रहा और खून निकलता रहा। फर्श पर खून ही खून हो गया। पत्नी उसे लगा खून का पता नहीं क्या है। दुलीराम ने कपड़ों से खून साफ किया। चादर से किया। बच्चों की पुरानी कापियों से किया। पर खून था कि रुकने का नाम ही न लेता था। पूरा कमरा...इधर उधर...यहां-वहां...खून ही खून...
दुलीराम ने लाइट नहीं बंद की थी। पीली-पीली मौत जैसी रोशनी में दुलीराम की लाश पंखे से झूल रही थी और उसके नीचे बड़कू की गणित की कॉपी पर लिखा था-मैं दुलीराम, अपने परिवार के साथ आत्महत्या कर रहा हू। मेरी और मेरे परिवार की हत्या की जिम्मेवारी किसी पर नहीं है।
बल्ब की रोशनी में दुलीराम की परछाईं दीवर पर पड़ रही थी जिसमें उसके पैर जमीन पर थे।