Veluri Shivarama Sastry
वेलुरी शिवराम शास्त्री

श्री वेलुरी शिवराम शास्त्री (1892-17 मार्च, 1967) तेलुगु भाषा के प्रख्यात विद्वान और कथाकार हैं। वेलुरी शिवराम शास्त्री का जन्म में कृष्णा जिले के चिरिवाड़ा में विशालाक्षी और वेंकटेश्वरवाधनुलु के घर हुआ था। बचपन से ही उनको वेदों की शिक्षा दी गई । उन्होंने अंग्रेजी, फ्रेंच, बंगाली, गुजराती, हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में महारत हासिल की। उस समय के ऐतिहासिक, राजनीतिक आंदोलन, सामाजिक समस्याएं, भावनाओं का संघर्ष; इन सभी को उनकी कहानियों में देखा जा सकता है।वे एक सुप्रसिद्ध विद्वान् होने के साथ बहुभाषाविद् भी थे। साथ ही एक विशिष्ट शतावधानी भी थे। श्री शास्त्री ने अत्यंत महत्त्वपूर्ण कहानियों की रचना की, जिनमें विशेष रूप से 'माल दासरी, 'सुलतानी', 'कामकवि', 'कृति', 'ऊरिबडि', 'दत्तु', 'पद्माक्षि', 'अतिथि देवुडु', 'तन्मयता, 'ह्यटसयमु', 'प्रोधा परिव्राजक', 'विवाहमु', 'मूढ़ तमाशालु', 'दरजा', 'पीतल का दरवाजा' इत्यादि विशेष रूप से लोकप्रिय हुई। उनके कहानी-संग्रहों में 'कथा सट्कममु', 'कथा सप्तकमु' पाठकों द्वारा विशेष रूप से प्रशंसित हैं। 'एकावली' इनके खंड काव्यों का संग्रह है। उन्होंने बच्चों के लिए अनेक वैज्ञानिक कहानियों की रचना की। वे एक सफल अनुवादक भी रहे। बँगला के विख्यात कवि एवं रचनाकार श्री रवींद्रनाथ टैगोर तथा श्री शरतचंद्र के उपन्यासों का तेलुगु में सफल अनुवाद किया। भूगोल संबंधी अनेक लेख भी उन्होंने प्रकाशित किए।

Telugu Rachnayen in Hindi : Veluri Shivarama Sastry

तेलुगू रचनाएँ हिन्दी में : वेलुरी शिवराम शास्त्री