Thakur Jagmohan Singh
ठाकुर जगमोहन सिंह

ठाकुर जगमोहन सिंह (१८५७ - १८९९) हिन्दी के भारतेन्दुयुगीन कवि, आलोचक और उपन्यासकार थे। उनका जन्म विजयराघवगढ़ (म.प्र.) में हुआ। पिता सरजूप्रसाद सिंह को ऐतिहासिक स्वतंत्रता-संग्राम में हिस्सा लेने के कारण कालेपानी की सज़ा हुई थी। कहा जाता है कि दंड भोगने के स्थान पर उन्होंने अपने प्राण अपने आप ले लिए। ठाकुर जगमोहन सिंह की शिक्षा वाड् र्स इंस्टीट्यूशन, बनारस में हुई। वहाँ वे बारह वर्ष रहे। हिन्दी, संस्कृत और अंग्रेज़ी भाषा और साहित्य का अध्ययन किया। 1880 में उनकी नियुकित तहसीलदार के पद पर सेंट्रल प्राविन्स में हुई। इस पर वे धमतरी और शिवरीनारायण में रहे। देश भ्रमण किया।
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की सक्रियता से बनारस में बने रचनात्मक परिवेश का सम्पर्क जगमोहन सिंह के लिए निरन्तर प्रेरक रहा। भारतेन्दु के साथ जीवनव्यापी मैत्री से उन्होंने बहुत कुछ सीखा-पाया। मूलतः कवि ठाकुर जगमोहन सिंह की ‘श्यामालता’ (1885), ‘प्रेम संपत्तिलता’ (1885) तथा ‘श्यामासरोजनी’ (1887) जैसी काव्य-कृतियाँ प्रेम के उदग्र अनुभवों का उत्कट साक्ष्य हैं। प्रकृति के प्रति गहरा अनुराग उनके कृतित्व को एक अतिरिक्त महत्त्व भी देता है। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने इसे रेखांकित करते हुए लिखा है—“बाबू हरिश्चन्द्र, पं. प्रतापनारायण मिश्र आदि कवियों और लेखकों की दृष्टि और हृदय की पहुँच मानव-क्षेत्र तक ही थी, प्रकृति से अपर क्षेत्रों तक नहीं। पर ठाकुर जगमोहन सिंह ने नरक्षेत्र के सौन्दर्य को प्रकृति के और क्षेत्रों के सौन्दर्य के मेल में देखा है। प्राचीन संस्कृत साहित्य के रुचि-संसार के साथ भारत भूमि की प्यारी रूप-रेखा को मन में बसानेवाले वे पहले हिन्दी लेखक थे।”
ठाकुर जगमोहन सिंह ने ‘मेघदूत’, ‘ऋतुसंहार’ तथा ‘देवयानी’ में महाभारत के आदि पर्व 73 से 85 सर्गों तक का अनुवाद किया है। बायरन की ‘प्रियजनर ऑफ़ शिलन’ का भी अनुवाद उन्होंने किया। उनकी अप्रकाशित डायरी में ‘हुक्के वाला’ नामक नाटक 1886 में लिखा 4 अंकों का एक प्रहसन भी प्राप्त होता है जिसका प्रकाशन ‘साक्षात्कार’ के जून-जुलाई, 1984 के अंक में हुआ है। उनका निधन सुहागपुर (म.प्र.) में हुआ।
कृतियाँ - उपन्यास : श्यामास्वप्न; कविता संग्रह : श्यामालता, प्रेम संपत्तिलता, श्यामा सरोजनी; नाटक : हुक्के वाला; अनुवाद : मेघदूत, ऋतुसंहार, देवयानी, बायरन की ‘प्रियजनर ऑफ़ शिलन’।

ठाकुर जगमोहन सिंह : हिन्दी उपन्यास

Thakur Jagmohan Singh : Hindi Novels