Shridhar Pathak
श्रीधर पाठक

श्रीधर पाठक (११ जनवरी १८५८ - १३ सितंबर १९२८) प्राकृतिक सौंदर्य, स्वदेश प्रेम तथा समाजसुधार की भावनाओ के हिन्दी कवि थे। वे प्रकृतिप्रेमी, सरल, उदार, नम्र, सहृदय, स्वच्छंद त था विनोदी थे। वे हिंदी साहित्य सम्मेलन के पाँचवें अधिवेशन (1915, लखनऊ) के सभापति हुए और 'कविभूषण' की उपाधि से विभूषित भी। हिंदी, संस्कृत और अंग्रेजी पर उनका समान अधिकार था।
इनकी रचनाएँ क्रमशः इस तरह हैं : मनोविनोद (भाग-१,२,३), धन विनय (१९००), गुनवंत हेमंत (१९००), वनाष्टक (१९१२), देहरादून (१९१५), गोखले गुनाष्टक (१९१५) इत्यादि। अन्य रचनाएँ हैं- बाल भूगोल, जगत सचाई सार, एकांतवासी योगी, काश्मीरसुषमा, आराध्य शोकांजलि, जार्ज वंदना, भक्ति विभा, श्री गोखले प्रशस्ति, श्रीगोपिकागीत, भारतगीत, तिलस्माती मुँदरी और विभिन्न स्फुट निबंध तथा पत्रादि। इनकी पहली रचना गुनवंत हेमंत है।
अनुवाद : ऋतुसंहार (कालिदास), एकांतवासी योग (हरमिट-गोल्डस्मिथ), ऊजड़ ग्राम (डेजर्टेड विलेज-गोल्डस्मिथ), श्रांत पथिक (ट्रैवलर - गोल्डस्मिथ)

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