Selma Lagerlöf सेल्मा लागरलोफ
सेल्मा लागरलोफ (1858-1940) स्वीडिश उपन्यासकार थी। उन्होंने 1909 ई० में साहित्य में नोबेल पुरस्कार विजेता। सेल्मा लागरलोफ का जन्म 20 नवंबर, 1858 को वार्मलैंड में हुआ था। इनका पूरा नाम सेल्मा ओटिलियाना लोविसा लागरलोफ (Selma Ottiliana Lovisa Lagerlof) था। सेल्मा को नोबेल पुरस्कार मिलने के रूप में उनके देश स्वीडन में भी किसी को पहली बार नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ था तथा वह विश्व में भी पहली लेखिका थी जिन्हें नोबल पुरस्कार प्राप्त हुआ था। सेल्मा की कहानियों में किसानों, मछुआरों, बच्चों और पशुओं के आंतरिक संबंधों का विश्लेषण सुंदर रूप से हुआ है। शासन की ओर से प्रदत्त यात्राओं का भी उसने रचनात्मक उपयोग किया है। 1909 ई० में उनके समग्र साहित्य को ध्यान में रखते हुए नोबेल पुरस्कार दिया गया। उस समय स्वीडिश एकेडमी ने कहा था: "उनके उच्च आदर्शवाद, जीवंत कल्पना शक्ति तथा आत्मिक बोध, जो इनकी रचनाओं की विशेषता है, के लिए इन्हें यह पुरस्कार दिया जा रहा है।" सेल्मा की अवस्था जब केवल साढ़े तीन वर्ष की थी तभी अपने पिता के साथ एक तालाब में नहाने के कारण उन्हें एक प्रकार के लकवे की-सी बीमारी हो गयी थी। इससे छुटकारा मिलने में उन्हें काफी समय लगा और इसके बावजूद इसका कुछ न कुछ असर उन पर जीवन भर रहा। सेल्मा लेगरलोफ पर माता-पिता के प्रभाव के अतिरिक्त बचपन में सर्वाधिक प्रभाव बेलमैन की कविताओं का पड़ा था। बाद में स्टॉकहोम के शिक्षक महाविद्यालय में 25 चुने हुए उम्मीदवारों में शामिल होने पर बेलमैन के अतिरिक्त रयूनबर्ग की कविताओं तथा उनके संबंध में व्याख्यानों का भी सेल्मा पर बेहद रचनात्मक प्रभाव पड़ा।
प्रमुख प्रकाशित पुस्तकें : लावेनस्कोल्ड्स की अंगूठी, दुल्हन का मुकुट, मारबाका, गोष्टा बर्लिंग की कहानी, जेरूसलम, पोर्टूगालिया के सम्राट,
अदृश्य शृंखला (कहानी संग्रह) - 1894, ख्रीष्ट-विरोधी के चमत्कार, फ्रॉम ए स्वीडिश होमस्टेड, नाइल्स का महोद्यम, क्राइस्ट दंतकथाएँ, दि वंडरफुल एडवेंचर ऑफ नील्स,
फर्दर एडवेंचर्स ऑफ नील्स, लिलिक्रोना का घर, बहिष्कृत, खजाना (आरंभिक कहानियों का संग्रह), मार्शक्राफ्ट की लड़की (नाटक).।