Ruplal Bediya रूपलाल बेदिया
राँची जिले के ओरमांझी प्रखंड के केरम गाँव में जनमे रूपलाल बेदिया हिंदी कथा-जगत् में अब एक जाना-पहचाना नाम है। इन्होंने राँची विश्वविद्यालय से बी.कॉम. किया है और धनबाद में रेलवे की नौकरी कर रहे हैं। बेदिया आदिवासी समुदाय से आनेवाले रूपलाल की कहानियाँ झारखंड के यथार्थ को बहुत तल्खी के साथ रखती हैं और हिंदी के कथा-साहित्य में आदिवासी जीवन को प्रमुखता से रेखांकित करती हैं। रूपलाल की कहानियों में आदिवासी, श्रमिक और स्त्रियों की उपस्थिति सर्वाधिक है, जो अपनी समूची अस्मिता और पीड़ा के साथ पाठकों से संबोधित होते हैं। अब तक दो दर्जन से अधिक कहानियाँ प्रमुख साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रकाशित। 2012 में पहला कहानी संग्रह 'शून्य में अटके परिंदे' छप चुका है। इसके अतिरिक्त छिटपुट लेख पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित।
