Ravindra Kelekar रवीन्द्र केलकर
रवीन्द्र केलकर (7 मार्च 1925 – 27 अगस्त 2010) कोंकणी साहित्य के सबसे मजबूत स्तंभ थे। 85 वर्षीय इस महान हस्ती को वर्ष 2006 का ज्ञानपीठ
पुरस्कार प्रदान किया गया। उनकी प्रमुख रचनाओं में आमची भास कोंकणीच, 'बहुभाषिक भारतान्त भाषान्चे समाजशास्त्र' शामिल हैं। रवीन्द्र केलकर का जन्म
दक्षिण गोवा के कोकुलिम क्षेत्र में हुआ। कोंकणी, हिन्दी और मराठी में उनकी 32 से अधिक मौलिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। वह स्वतंत्रता संग्राम और
गोवा के मुक्ति संग्राम से जुड़े रहे। वह आधुनिक कोंकणी आंदोलन के प्रणेता थे और कोंकणी भाषा मंडल की स्थापना में उनकी अहम भूमिका रही। केलकर
को ज्ञानपीठ पुरस्कार के अलावा 1976 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 2008 में पद्मभूषण प्रदान किया गया था और 2007 में उन्हें साहित्य अकादमी का फैलो चुना गया था।
साहित्य : हिमालयांत नामक उनके यात्रा–वृत्तांत को सबसे पहले सन् १९७६ में उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार (कोंकणी) मिला।
कोंकणी : हिमालयांत (१९७६), नवी शाळा, सत्याग्रह, मंगल प्रभात, महात्मा, आशे आशिल्ले गांधीजी,
कथा आनि कान्यो, तुळशी, वेळेवाईल्लो गुलो, भज ग़ोविन्दम, ऊजवडेचे सूर, भाषेचे समाज शास्त्र,
मुक्ति, तीन एके तीन, लाला बाला, ब्रह्माण्डातले तांडव, पान्थस्थ, समिधा, वोथम्बे, सर्जकाची अंतर कथा, महाभारत (भाषांतर).
मराठी : जपान जसा दिसला, गांधीजींच्या सहवासात.
हिन्दी : गांधी -एक जीवनी ।