Prabhat Kumar Mukhopadhyay
प्रभात कुमार मुखोपाध्याय
प्रभातकुमार मुखोपाध्याय (3 फ़रवरी 1873–5 अप्रैल 1932) का जन्म बर्धवान जिले के धात्री गाँव में, पिता जयगोपाल मुखोपाध्याय के
घर हुआ । 1895 में बी.ए. पास कर कुछ समय तक टेलीग्राफ आफिस में काम किया। सन् 1903 में बैरिस्टर बने। आरम्भ में रंगपुर और पीछे
गया में वकालत की। कुछ समय तक कलकत्ता विश्वविद्यालय के कानून विभाग में अध्यापक भी रहे। 'मानसी' और 'मर्मवाणी' मासिक पत्रिकाओं
का संपादन भी बहुत समय तक किया। बंगला कथा साहित्य के पुराने लेखकों में प्रभातकुमार अन्यतम गिने जाते हैं। उनके ग्रन्थों में-घोड़सी, सिन्दर
कौटा, नवकथा, नवीन संन्यासी, देशी ओ बिलाती, गल्पवीथि, सत्यबाला, गहनार-बाक्स, सतीरपति, रत्नद्वीप, जामाता बाबूजी, हताश प्रेमिका आदि
उल्लेखनीय हैं।