Narayan नारायण
दक्षिण भारत के अहिंदी प्रदेश के पहले आदिवासी उपन्यासकार। केरल के इड्डकी जिला के कुडयत्तूरमला गाँव में जन्म।
आजीविका के लिए हाई स्कूल की शिक्षा पूरी होने के बाद डाक-विभाग में नौकरी कर ली, अब सेवानिवृत्त। लेखन की शुरुआत
नारायण ने कहानियों से की। मलयालम की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में कई कहानियाँ प्रकाशित। लेकिन चर्चा मिली सन् 1998 में प्रकाशित
उपन्यास ‘कोच्चरेत्ती’ से। ‘कोच्चरेत्ती’ के लिए उन्हें केरल साहित्य अकादेमी का सर्वोच्च पुरस्कार मिला और कई अन्य दूसरे महत्त्वपूर्ण सम्मान भी।
भारत की अनेक भाषाओं के साथ-साथ अंग्रेजी में भी इस उपन्यास का अनुवाद प्रकाशित हुआ, जिसे अंग्रेजी के पाठकों और समीक्षकों ने
हाथोंहाथ लिया। उनके अन्य दो प्रकाशित उपन्यास हैं—‘उरालिक्कुडी’ और ‘चेड्डारुम कूट्टालुम’।।