Mohsin Khan मोहसिन ख़ान
नॉवेल निगार मोहसिन ख़ान उर्दू फ़िक्शन के नुमाइन्दा व पुख़्ता कलमकार की हैसियत से कई दहाइयों से फ़िक्शन लिखते आ रहे हैं।
उम्दा अफ़सानों के साथ-साथ बच्चों के लिए भी उन्होंने काफ़ी कुछ लिखा है। अफ़साना ज़ोहरा इस नॉवेल से पहले मोहसिन ख़ान के शाहकार
अफ़साने के तौर पर पढ़ा गया। ये अफ़साना इस क़दर पसन्द किया गया कि उमर मेमन ने इस अफ़साने की मक़बूलियत से मुतास्सिर हो कर
अंग्रेज़ी में इसका तर्जुमा किया। मोहसिन ख़ान लखनऊ के ज़बानी सलीक़ की नुमाइन्दगी करते हैं। ज़बान में सफ़ाई और आसानी बाक़ी रखना
इनकी ख़ूबी है। वो रिवायतों की मुश्किलों से दूर, ज़िन्दगी के मुआमलात से तख़्लीक़ी मवाद हासिल करते हैं और तहरीरी तर्ज़ की सतह पर किसी
पेचीदगी को राह दिए बग़ैर बड़ी बारीकी से उन कोनों तक पढ़ने वाले को ले जाते हैं जो उसके देखे हुए हैं, जब वो फ़नकार की आँख की रहनुमाई
पा कर इन्हें देखता है तो दम-ब-खुद रह जाता है। आम सी बात उसके लिए हैरानी का वाक़िया, सानिहा और हादिसा बन जाती है।
मोहसिन खान को उनके उपन्यास ‘अल्लाह मियाँ का कारख़ाना‘ के लिए 21 लाख रुपये के पहले बैंक आफ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान से नवाज़ा गया।
इसके साथ ही उपन्यास के हिन्दी अनुवादक डाॅ. सईद अहमद संदीलवी को भी पुस्तक के हिन्दी अनुवाद के लिए 15 लाख रुपये प्रदान कर
सम्मानित किया गया। ज्ञातव्य है कि यह पुरस्कार बैंक आफ बड़ौदा द्वारा भाषाई सामंजस्य को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया है, जिसमें भारतीय भाषाओं
से हिन्दी में अनुदित पुस्तकों के मूल लेखकों व अनुवादकों को पुरस्कृत किया जाता है।