Mohinder Singh Sarna
महिन्दर सिंह सरना
महिन्दर सिंह सरना (1923 - 2001) पंजाबी साहित्य के शुरुआती दौर के एक बहुत ही सशक्त लेखक हैं। बारह कहानी संग्रह,
चार उपन्यास, चार कविता संग्रह और एक आत्मकथा। पहला कहानी संग्रह 'पत्थर दे
आदमी' 1949 में छपा। इसके पश्चात् 'शगनां भरी सवेर(1951), सुपनियां दी
सीमा(1958),' 'वंझली ते विलकणी'(1959), छवियाँ दी रुत'(1961), 'कलिंगा'(1968),
'सुंदरघाटी दी सौंह'(1980), 'सूहा सालू सूहा गुलाब'(1980), 'काला बद्दल, कूली
धुप्प'(1984), 'नवें युग दे वारिस'(1991), 'औरत ईमान'(1993), 'मेरियाँ चोणवियाँ
कहाणियाँ'(1993)। पहला उपन्यास 1954 में 'पीड़ां मले राह' छपा और उसके बाद
'कंगन ते कंडे'(1956), 'नीला गुलाब'(1977) और 'सूहा रंग मजीठ दा'( 1988)। अनेक
सम्मानों से सम्मानित जिनमें साहित्य अकादमी पुरस्कार(नये युग दे वारिस- कहानी
संग्रह पर 1994 में मिला), साहित्य कला परिषद् अवार्ड(1981), बलराज साहनी ट्रस्ट
अवार्ड(1993), नानक सिंह फिक्शन अवार्ड तथा पंजाब सरकार के शिरोमणी पंजाबी
साहित्यकार अवार्ड प्रमुख हैं।
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