Kundanika Kapadia
कुंदनिका कपाड़िया
कुंदनिका कपाड़िया/कापडीआ (11 जनवरी 1927-30 अप्रैल 2020) गुजराती उपन्यासकार, कहानीकार और निबंधकार हैं। कुंदनिका गुजराती की शीर्षस्थ कथा-लेखिकाओं में से एक हैं। ‘फेमिनिन मूवमेंट’ शुरू होने से बहुत पहले ही नारी-मुक्ति की समस्याओं पर बड़ी हिम्मत से उन्होंने कहानियाँ लिखना शुरू किया। उनकी बेबाक लेखनी ने काफी तहलका मचाया। उनकी दो दर्जन से अधिक प्रकाशित कृतियों में वधु ने वधु सुंदर, कागल नी होडी, जवा दइशुं तमने; मनुष्य थवुं एवं कुंदनिका कापडीआ नी श्रेष्ठ वार्ताओं नामक कहानी-संग्रह तथा अने परोढ थता पहेलां; अगन पिपासा एवं सात पगलां आकाशमां नामक उपन्यास शामिल हैं। यात्रिक और नवनीत पत्रिकाओं के संपादन से जुड़ी रहीं कुंदनिका कापडीआ अनेक पुरस्कार-सम्मानों से विभूषित हैं। इनके द्वारा रचित उपन्यास सात पगलां आकाशमां के लिये उन्हें सन् 1985 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें गुजराती साहित्य परिषद और गुजराती साहित्य अकादमी से कई पुरस्कार मिले हैं। चंद्र तारा वृक्ष वादल ने उन्हें गुजरात साहित्य अकादमी पुरस्कार जीता। 1984 में उन्हें धनजी कांजी गांधी सुवर्ण चंद्रक प्राप्त हुआ।