Kodavatiganti Kutumbarao
कोडवटिगंटि कुटुंबराव
कोडवटिगंटि कुटुंबराव (28 अक्टूबर 1909 - 17 अगस्त 1980) आधुनिक तेलुगु कहानीकारों में अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं।
आपका जन्म आंध्र प्रदेश के तेनाली नामक शहर में हुआ। श्री कुटुंबराव ने वास्तव में जितनी नौकरियाँ की, उतनी किसी ने नहीं की होंगी और
उन्होंने जितनी कहानियाँ लिखीं उतनी शायद किसी ने नहीं लिखी होंगी, संख्या की दृष्टि से ही नहीं, बल्कि विविधता की दृष्टि से भी उनकी
कहानियाँ विशेष रूप से विख्यात हैं। कुटुंबराव की रचनाओं में हम जीवन की यथार्थता तथा उनके नग्न रूप को पाते हैं। मानव-मन की खूबियों
व दुर्बलताओं का चित्रण करने में श्री कुटुंबराव अत्यंत पटु हैं। वे बहुमुखी प्रतिभा के लेखक तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण के माध्यम से जीवन को
समझने का प्रयत्न करनेवाले प्रज्ञाशाली हैं। अन्य लेखकों में निराशा-निरुत्साह दिखाई देता है तो उनमें आशा और उत्साह दिखाई देते हैं।
वास्तविक जीवन के आनंद का आस्वादन करते हुए उन्होंने अपने साहित्य के माध्यम से युवकों को अपने उत्तम भविष्य का निर्माण करने के
लिए आवश्यक साहस प्राप्त करने की दिशा में प्रयत्न करने का संदेश दिया है। सामाजिक अपराधों एवं अन्यायों का सामना करने में सदा तत्पर
रहते हैं और उस गंदगी को दूर कर समाज को स्वस्थ बनाने की आकांक्षा रखते हैं। उनकी कहानियों में तीक्ष्ण विमर्शना-दृष्टि गर्भित होती है।
उन्होंने सैकड़ों की संख्या में कहानियाँ व अनेक उपन्यास लिखे हैं। इनमें 'चदुवु', 'प्रेमिंचिन मनिषि', 'आडजन्म', 'अरुणोदयम्' और 'पंच कल्याणि' मुख्य हैं।
उनके कई रेडियो-रूपक रेडियो से प्रसारित हो चुके हैं। 'सवति तल्लि' (सौतेली माँ), 'ईरान मंचू' इत्यादि अनेक भाषाओं में रूपांतरित हो प्रसारित हो चुके हैं।
विज्ञानशास्त्र (एम.एस-सी.) का अध्ययन कर वैज्ञानिक नहीं बने, बल्कि लेखक बनना अधिक पसंद किया। फिर भी उनकी रचनाओं में सर्वत्र वैज्ञानिक
दृष्टिकोण देखा जा सकता है। 'हिरोशिमा', 'मानव वंशवृक्ष', 'ग्रहों की उत्पत्ति' उनके अंग्रेजी अनुवाद हैं। 'प्राणी और विश्व' इत्यादि मौलिक वैज्ञानिक ग्रंथ हैं।
उनकी गणना प्रगतिशील लेखकों में की जाती है।