Jyoti Lakra ज्योति लकड़ा
ज्योति लकड़ा तेजी से उभरती हुई उराँव आदिवासी समुदाय की लेखिका हैं। एग्नेस लकड़ा और मिलियानी
तिर्की की संतान ज्योति नावाटोली, बरगड़, गढ़वा (झारखंड) की रहनेवाली हैं। ज्योति ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गढ़वा से परी की
और संत कोलंबस कॉलेज, हजारीबाग से स्नातक किया। फिलहाल वे जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग, राँची विश्वविद्यालय,
राँची से कुड़ख (उराँव) भाषा-साहित्य में एम.ए. कर रही हैं। ज्योति की सर्वाधिक रुचि कविता और कहानी लेखन में है, लेकिन
उनके भीतर एक साहित्यालोचक भी है, जो आदिवासियत की दृष्टि से साहित्य व समाज को परखता है। उनकी पहली कहानी
'कोराईन डूबा' खूब चर्चित रही है और आदिवासी सौंदर्य में पगी हुई इस कहानी ने आदिवासी कहन परंपरा में नई धमक पैदा की है।