Jaywant Dalvi जयवन्‍त दलवी

जयवन्‍त दलवी (14 अगस्त, 1925 - 16 सितम्बर, 1994) मराठी भाषा के वरिष्ठ लेखक थे। इनकी प्रसिद्ध रचनाओं में नाटक, उपन्यास एवं कहानी संग्रह हैं, जिसमें से अनेक के अनुवाद भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में हो चुके हैं। मराठी अख़बारों ‘प्रभात’ और ‘लोकमान्य’ में सहायक सम्‍पादक के रूप में काम किया और बाद में यूएसआईएस के साथ जुड़े। उन्हें नाटकों और मराठी साहित्यिक व्यक्तित्वों पर एक हास्य-स्तम्‍भ के लिए सबसे ज़्यादा याद किया जाता है, जिसे उन्होंने ठनठनपाल के छद्म नाम से लिखा था। इनके कथा संग्रहों में प्रमुख हैं स्पर्श, रुक्मिणी एवं स्वप्नरेखा। इनके लगभग चौदह उपन्यास हैं, जिनमें धर्मानंद, महानंदा, स्वागत एवं चक्र बहुत प्रसिद्ध हुए। महानंदा पर मराठी में तथा चक्र पर हिंदी में फ़िल्म बन चुकी है। इनकी लगभग सभी रचनाएँ मध्यवर्गीय जीवन शैली पर आधारित हैं।
प्रमुख कृतियाँ : ‘स्पर्श’, ‘कवादसे’, ‘प्रदक्षिणा’, ‘महानन्‍दा’, ‘अभिनेता’, ‘अलां फलाणे’, ‘अधान्‍तरि’, ‘अन्धराचाय चरणामि’, ‘चक्र’, ‘घर कौलारू’, ‘सोहाला’, ‘विरंगुला’, ‘निवाडक थन्थनपाल’, ‘सायंकलाची सावल्या’, ‘उतारवत’, ‘लोक अणि लौकिक’, ‘बाज़ार’, ‘सब गृहास्त्रो’, ‘महासागर’, ‘पर्याय’, ‘पुरुष’, ‘अरे शरीफ़ लोग’ आदि।
मराठी में लिखी जयवन्‍त दलवी की आत्मकथा का अनुवाद अंग्रेज़ी में ‘लीव्स ऑफ़ लाइफ़’ शीर्षक से प्रकाशित है।

Jaywant Dalvi : Marathi Stories in Hindi

जयवन्‍त दलवी की मराठी कहानियाँ हिन्दी में