Harikrishna Premi हरिकृष्ण प्रेमी
हरिकृष्ण प्रेमी (27 अक्टूबर 1907 ई. - 1979 ई.) का जन्म गुना में हुआ था। आपके पिता श्री बालमुकुंद एक राष्ट्र भक्त व्यक्ति थे इसीलिए प्रेमी जी भी बचपन से ही राष्ट्रवादी विचारधारा से प्रभावित रहे। आपने
इंटरमीडिएट तक शिक्षा प्राप्त की थी। सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लेने के कारण आपको ब्यावरा से गिरफ्तार कर छह महीने की कैद तथा 200 रुपए के जुर्माने की सजा दी गई थी। 1942 ई के भारत छोड़ो आंदोलन
में भी आपने सक्रिय भूमिका का निर्वाह किया था तथा अँग्रेजी सरकार के विरुद्ध गुप्त रूप से साहित्य छापा था । 1942 ई से 1945 ई तक आपको नजरबंद रखा गया था। आपने प्रेम और राष्ट्रीय भावनाओं से ओत प्रोत
‘स्वर्ण विहान ‘ नामक साहित्य रचना की थी । आपने राष्ट्रीयता की भावनाओं से भरे हुये अनेक ऐतिहासिक नाटकों की रचना की थी । उदाहरण के लिए रक्षा बंधन, शिव साधना, प्रतिशोध , आहुति, स्वप्न भंग, विषपान
इत्यादि। इनके अतिरिक्त प्रेमी जी अनेक सामाजिक नाटक तथा एकांकी भी लिखे । आपके नाटकों की विषयवस्तु मुख्यतः मध्यकालीन है । इन नाटकों के माध्यम से आपने हिन्दू मुस्लिम एकता का संदेश दिया है । इनके
नाटकों में सर्वत्र राष्ट्र प्रेम और मानव प्रेम झलकता है । ये गाँधी जी के दर्शन से विशेष रूप से प्रभावित थे।
