Fakir Mohan Senapati
फकीर मोहन सेनापति
फकीर मोहन सेनापति ((14 जनवरी 1843 - 14 जून 1918) ओडिया साहित्य के व्यास-कवि के रूप में जाने जाते हैं।ओडियाभाषा के पहले कहानीकार होने का श्रेय आपको जाता है.
1898 में लिखी गई भारतीय साहित्य की लोमहर्षक कहानी 'रेवती' , अब तक की उनकी उपलब्ध कहानियों में पहली कहानी के रूप में जानी जाती है। अगर उनकी आत्म-कथा की बात मानें तो
उन्होंने सन 1860 में 'बोध दायिनी' पत्रिका में 'लछ्मानियाँ' कहानी लिखी थी।मगर अत्यंत दुर्भाग्य की बात है कि उस कहानी का प्रति अब उपलब्ध नहीं हो रही , अन्यथा वह समग्र भारतीय भाषायी
साहित्य के पहले कहानीकार होते।
ओडिशा के बालासोर में जन्मे इस लेखक ने अपने जीवन काल में, कई कहानियों के अलावा 'छ माण आठ गुंठ', 'मामूं', 'प्रायश्चित्त' आदि उपन्यास, 'उत्कल भ्रमण' , 'पूजाफूल', 'धूलि',
'पुष्प माला' आदि कविता-संग्रह तथा संस्कृत से 'रामायण' और 'महाभारत' के अनुवाद कार्य के अतिरिक्त अनेक पाठ्यपुस्तकों की रचना कर ओडिया साहित्य को सुसमृद्ध किया हैं।
फकीर मोहन सेनापति की रचनाओं की ख़ास विशेषता यह है कि उन रचनाओं में आम आदमी का वर्णन मिलता है , जो तत्कालीन भारतीय गद्य साहित्य में अनुपम दृष्टान्त है।
उनके उपन्यास 'छ माण आठ गुंठ' में शोषित वर्ग के प्रति जिस दर्द का बयान किया गया है, वह दर्द सोवियत रूस के 'अक्टूबर विप्लव' के पहले लिखा गया था , इस उपन्यास का अंग्रेजी अनुवाद
केलिफोर्निया विश्वविद्यालय की प्रेस द्वारा Six Acres and a Third शीर्षक से प्रकाशित है।
Fakir Mohan Senapati Oriya Stories in Hindi
फकीर मोहन सेनापति की ओड़िया कहानियाँ हिन्दी में
Fakir Mohan Senapati : Oriya Novels in Hindi
फकीर मोहन सेनापति : ओड़िया उपन्यास हिन्दी में