Damodar Mauzo दामोदर माऊज़ो
दामोदर माऊज़ो (1 अगस्त, 1944- ) भारतीय राज्य गोवा के प्रसिद्ध उपन्यासकार, कथाकार, आलोचक व निबंधकार हैं। वह कोंकणी में अपने प्रगतिशील
लेखन और खासतौर पर 'कार्मेलिन' उपन्यास के लिए जाने जाते हैं। दामोदर माऊज़ो को उनके उपन्यास 'कार्मेलिन' के लिये सन 1983 में 'साहित्य अकादमी
पुरस्कार (कोंकणी) से सम्मानित किया गया था। साल 2021 में उन्हें 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' से भी नवाजा गया है। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा मराठी भाषा में की।
आर. ए. पोदार कॉलेज से उन्होंने स्नातक वाणिज्य विभाग से किया। उनके येगदान के कारण कॉलेज में उन्हें एनसीसी का अधिकारी चुना गया था। दामोदर माऊज़ो
कोकणी मंडल के सभापति रह चुके हैं। उन्होंने 'भारतीय कोंकणी साहित्य सम्मेलन' में भी हिस्सा लिया था जो 1985 में हुआ था। दामोदर माऊज़ो ने अपने लेखों से
कोंकणी भाषा को बढ़ावा देने के लिए काम किया है।
साहित्य : उन्होंने चार मशहुर कहानियाँ लिखीं- 'गानथन' (1971), 'जागराना' (1971), 'रुमादफूल' (1989), 'भुरगी मुगेली ती' (2001),
तीन उपन्यास : 'कार्मेलिन' (1981), 'सूड' (1975), 'सुनामी साइमन' (2001).
बाल उपन्यास : 'एक आशिल्लो बाबुल' (1977).
कहानी संग्रह : 'चीतरंगी' (1993),
जीवनी : 'ओशे घोडलेम शैनोय गोयबाब' (2003),
'उच हावेस उच माथेन (2003) लिखी है।
अनुवाद : दामोदर माऊज़ो के उपन्यास 'कार्मेलिन' को हिन्दी, मराठी, कन्नड, बंगाली, अंग्रेजी, पंजाबी, सिंधी, तमिल, उड़िया और
अन्य भाषाओं में अनुवादित किया गया है। 'दे आर माय चील्ड्रन' अंग्रेज़ी बाल कहानियों के संग्रह का अनुवाद किया। साथ ही 'सुनामी
सायमन' का अंग्रेज़ी में अनुवाद किया।
पुरस्कार व सम्मान : सन 1983 में उपन्यास 'कार्मेलिन' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार (कोंकणी) से सम्मानित हुये।
दो बार कोंकणी भाषा मंडल पुरस्कार।
दो बार गोवा कला अकादमी पुरस्कार।
जनगंगा पुरस्कार से सम्मानित।
गोवा प्रदेश सांस्कृतिक पुरस्कार।
विश्व कोंकणी केन्द्र साहित्य पुरस्कार।
ज्ञानपीठ पुरस्कार, 2021 से सम्मानित हुये।