Dalip Kaur Tiwana
दलीप कौर टिवाणा

डॉ. दलीप कौर टिवाणा (4 मई 1935-31 जनवरी 2020)) पंजाबी की प्रतिष्ठित, बहु-चर्चित अग्रज लेखिका हैं। इन्होंने अपनी माँ-बोली पंजाबी भाषा की झोली में दो दर्जन से अधिक उपन्यास, अनेक कहानी संग्रह, कई आलोचनात्मक पुस्तकें, एक आत्मकथा ‘नंगे पैरों का सफ़र’ तथा एक साहित्यिक स्व-जीवनी ‘पूछ्ते हो तो सुनो’ डाली हैं। इनकी अनेक रचनाएं कई भाषाओं में अनूदित होकर लोकप्रिय हो चुकी हैं। डॉ. टिवाणा पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला में प्रोफ़ेसर रही हैं और अपने पंजाबी साहित्य लेखन के लिए दलीप कौर टिवाणा सरस्वती सम्मान से सम्मानित साहित्यकार हैं। साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम के लिए उनको 2004 में पद्मश्री सम्मान दिया गया था। उनको साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिल चुका है। दलीप कौर टिवाणा ने भारत में ‘‘बढ़ते सांप्रदायिक तनाव’’ के खिलाफ अक्टूबर 2015 में पद्मश्री लौटाने का ऐलान किया।

दलीप कौर टिवाणा हिन्दी कहानियाँ

Dalip Kaur Tiwana Hindi Stories