Chinta Deekshitulu
चिंता दीक्षितुलु
चिंता दीक्षितुलु सन् 1891 में पूर्व गोदावरी जिला कंवनदी तट पर स्थित रंगेरू गाँव में पैदा हुए। वे तेलुगु कहानी के लिए सही रूपरेखाएँ निर्मित करनेवाले महान् लेखक हैं।दीक्षितुलुजी का हृदय अत्यंत मृदु,
मनोहर और भावनाएँ कोमल हैं; इसीलिए बच्चों से अधिक स्नेह रखते थे। बाल-मनोविज्ञान के ज्ञाता होने के कारण शिशु-साहित्य की रचना में एक परंपरा की सष्टि की है।
उत्तम कथा-शिल्प के साथ उदात्त भावनाओं का प्रतिपादन करने में उनकी बुद्धि बड़ी तीव्र है। वे साधारण प्रजा के कल्याण के लिए संतप्त होनेवाले उद्विग्न हृदय के साथ करुणा एवं सहानुभूतिपूर्वक जीवन के लक्ष्य
एवं उद्देश्यों को भली-भाँति समझकर उसकी गहराइयों तथा कठिनाइयों का रसपूर्ण शैली में विवेचन करनेवाले एक कुशल कलाकार हैं। जीवन का अधिकांश समय अध्यापन कार्य में व्यतीत करते हुए भी उन्होंने
अनेक बालोपयोगी रचनाएँ प्रस्तुत की हैं। उनके शिशु-पात्रों में 'सूरी-सीती वेंकी' को आंध्रवासी कभी भूल नहीं सकते। वर्तमान समाज की शिक्षिता नारी पर उनकी लिखी हास्यरसपूर्ण 'वटीरावु कथलु' आधुनिक
नारी-जीवन की अद्भुत व्याख्याएँ हैं। 'एकादशी' उनका प्रथम कहानी-संग्रह है, यह 'साहित्य-समिति' की तरफ से प्रकाशित है। 'गोदावरी नव्विंदि' (गोदावरी हँस पड़ी) उनकी प्रसिद्ध कहानी है। पंडित नेहरू की
'विश्वइतिहास की झलक' का उन्होंने तेलुगु-रूपांतर किया है। दीक्षितुलुजी अपने भावोद्रेक को भगवान् के चरणों में अर्पित कर भगवद्भक्त के रूप में परिवर्तित होनेवाले संवेदनशील व्यक्ति हैं। उनका कहानी-साहित्य
में महत्त्वपूर्ण स्थान है। वे पाठशाला-निरीक्षक के पद से अवकाश लेकर विश्राम करते दिवंगत हो गए। कहानी प्रक्रिया के लिए विशेष लोकप्रियता पहुँचानेवाले श्री दीक्षितुलु ने एक सौ से अधिक कहानियाँ लिखी हैं।
एकांकी तथा बाल-साहित्य के सृजन के वे पुरोधा हैं। तेलुगु में इन दोनों प्रक्रियाओं का सूत्रपात करने का श्रेय उन्हीं को जाता है। दीक्षितजी की प्रमुख कहानियाँ हैं : 'गालिपाट', 'ऊरिपेरू', 'सुगालीकुटंबं', 'चेंचु दंपतुलु',
'अग्रासमाधिपत्यं', 'ताटिवनं लो', 'चेंचु', 'राणी', 'अभिप्रायभदमु', 'मनिदिकोति', 'देशभक्ति'।
Telugu Stories in Hindi : Chinta Deekshitulu
तेलुगू कहानियाँ हिन्दी में : चिंता दीक्षितुलु