Ahmad Nadeem Qasmi अहमद नदीम क़ासमी
वह समकालीन उर्दू साहित्य के प्रमुख लेखकों में गिने जाते हैं । उनकी कविता में मानवतावाद है, और
उनके उर्दू अफसाने (लघु कहानियां) ग्रामीण संस्कृति के चित्रण में मुंशी प्रेमचंद के बाद दूसरे स्थान पर
माने जाते हैं। वह लगभग आधी शताब्दी तक साहित्यिक पत्रिका फ़ूनून के संपादक और प्रकाशक भी रहे।
उन्हें अपने साहित्यिक कार्यों के लिए 1968 में प्राइड ऑफ़ परफॉरमेंस और 1980 में सितारा-ए-इम्तियाज़
जैसे पुरस्कार मिले। आधुनिक भारत के सबसे प्रभावशाली लेखकों में से एक गुलज़ार ने उन्हें अपना गुरु
और मार्गदर्शक कहा है ।
उनकी काव्य रचनाएँ हैं : जलाल-ओ-जमाल, शोला-ए-गुल, किश्त-ए-वफ़ा, दश्त-ए-वफ़ा, दावाम,
मुहीत, लौह-ए-खाक, बसीत, जमाल, अर्ज़-ओ-समा।
लघु कथाएँ : अफसाने, चौपाल, गंडासा प्रसिद्ध चरित्र मौला जट्ट के लिए भी प्रेरणा का स्रोत था जिसके
परिणामस्वरूप अंततः मौला जट (1979 फ़िल्म) का निर्माण हुआ; सन्नाटा, कपास का फूल, एबली, तुलू-ओ-ग़रूब,
सैलाब-ओ-गरदब, आंचल, घर से घर तक, नीला-पत्थर, दवाम-दर-ओ-दीवार, बाज़ार-ए-हयात, आस-पास,
झूठा, भूत, जलेबी।