द्वंद्वयुद्ध (रूसी कहानी) : निकोलाई तेलेशोव
Dvandvayuddha (Russian Story in Hindi) : Nikolai Teleshov
पूर्व प्रात:काल का समय था।
वाल्डीमर क्लाडुनोव—एक लंबा, सुंदर बाईस वर्षीय युवक, सुंदर चेहरा और घनी सुंदर लटाएँ, अधिकारी की वर्दी और घुड़सवारी के लंबे जूते पहने, बिना ओवरकोट एवं टोपी के, चरागाह पर खड़ा था, जहाँ अभी-अभी बर्फ पड़ी थी। वह दूसरे, लंबे, लाल चेहरेवाले, मूँछोंवाले अधिकारी को घूर रहा था । यह अधिकारी उससे लगभग तीस कदम की दूरी पर था। उसने धीरे से अपना हाथ उठाया, जिसमें रिवॉल्वर पकड़े हुए था । उसने वाल्डीमर पर सीधे निशाना साधा।
अपनी बाँहों को छाती पर एक-दूसरी के ऊपर रखे और एक में रिवॉल्वर पकड़े, उदासीनता के साथ वाल्डीमर अपने विरोधी के निशाने की प्रतीक्षा कर रहा था । उसका सुंदर युवा चेहरा, जो सामान्य से अधिक पीला था, साहस से चमक रहा था और उसपर घृणा की मुसकराहट थी । उसकी खतरनाक स्थिति, उसके विरोधी का दयाहीन पक्का निश्चय, दूसरे लोग, जो चुपचाप एक ओर खड़े थे, उनका उत्साही ध्यान और मृत्यु की निकटता ने उन क्षणों को भयानक रूप से उत्सुक बना दिया था। मान-मर्यादा के प्रश्न का निर्णय होना था। हर एक ने उसके महत्त्व को महसूस किया; जितना उन्होंने इसको कम समझा कि वे क्या कर रहे थे, उस समय की गंभीरता उतनी ही गहरी होती गई।
एक गोली चल गई और एक कंपन सबमें दौड़ गया । वाल्डीमर ने अपने हाथ बाहर की ओर फेंके, घुटनों के बल झुका और गिर गया। वह बर्फ पर लेटा था । गोली सिर में से गुजरी थी । उसके हाथ खुले थे। उसके बाल, चेहरा और यहाँ तक कि उसके सिर के आसपास की बर्फ भी खून से ढक गई थी। पीछा करनेवाले आगे बढ़े और उसको उठा लिया। डॉक्टर ने उसकी मृत्यु को प्रमाणित कर दिया और मान-मर्यादा का प्रश्न हल हो गया। अब केवल पलटन को इस सूचना की घोषणा करनी थी। जितना भी संभव हो सकता था, कोमलता से और धैर्यपूर्वक उसकी माँ को सूचित करना था, जो संसार में अकेली रह गई थी, क्योंकि जो लड़का मारा गया था, उसका एकमात्र बेटा था। द्वंद्वयुद्ध से पहले किसी ने भी सावधान नहीं किया था, परंतु अब सभी सावधान थे - वह धीरे-धीरे इस भयानक सूचना के लिए अपने आपको तैयार कर लेगी। अंततः माँ को किसी प्रकार से सूचित करने के लिए और मामले को, जितना संभव हो सके, सुलझाने के लिए ईवान गोलूबैनको का चयन किया गया।
* * * * *
पेलागिया पेटरोवना अभी-अभी जागी थी और प्रातः की अपनी चाय बना रही थी जब ईवान गोलूबैनको उद्विग्न और व्याकुल—कमरे के अंदर आया।
"चाय के लिए बिलकुल ठीक समय पर आए हो, ईवान गोलूबैनको!" बैठी औरत ने उठकर अपने अतिथि से मिलने के लिए मित्रभाव से कहा, “तुम पक्का वाल्डीमर से मिलने आए हो।"
"नहीं, मैं इधर से गुजर रहा था... " गोलूबैनको हकलाया।
“तुम्हें उसे क्षमा करना होगा, क्योंकि वह अभी सो रहा है। वह अपने कमरे में सारी रात इधर-उधर घूमता रहा। मैंने नौकर से कह दिया है कि उसे जगाए नहीं, क्योंकि आज त्योहार है । तुम शायद जरूरी काम से आए हो?"
"नहीं, मैं तो जाते-जाते क्षण भर के लिए आ गया हूँ ।"
“यदि तुम चाहो तो मैं उसे जगाने का आदेश दे सकती हूँ?"
"नहीं-नहीं, तुम अपने को कष्ट मत दो।"
परंतु यह सोचकर कि वह किसी विशेष काम से आया था, पेलागिया पेटरोवना बड़बड़ाती हुई कमरे में चली गई। गोलूबैनको अपने हाथों को मरोड़ता हुआ उत्तेजना से इधर-उधर चलाता रहा। वह नहीं जानता था कि यह भयानक सूचना किस तरह दे । निर्णय का क्षण जल्दी आ रहा था, परंतु वह अपना नियंत्रण खो बैठा। वह भयभीत हो गया और अपने भाग्य को कोसने लगा कि इस सारे मामले में उसको फँसा दिया।
"अब तुम लोगों पर कोई भरोसा कैसे कर सकता है? " पेलागिया पेटरोवना ने कमरे से लौटते हुए स्नेहयुक्त नाराजगी से कहा, “मैं यहाँ इस बात का ध्यान रख रही हूँ कि प्यालों और रकाबियों से जरा भी शोर न हो, अपने बेटे को जगाने से तुम्हें मना कर रही हूँ और वह बिना कोई चिह्न छोड़े काफी देर से चला गया है, परंतु तुम बैठते क्यों नहीं, ईवान गोलूबैनको! चाय का एक प्याला लो। तुम काफी दिनों से हमें भूल गए हो?"
वह छिपी प्रसन्नता के साथ मुसकराई और धीमी आवाज में बोली, “और उन दिनों में हमारे पास कितने समाचार होते थे। वाल्डीमर निश्चित तौर पर उन्हें गुप्त नहीं रख सकता था । उसने अब तक तुम्हें सबकुछ बता दिया होगा, क्योंकि सच्चा और खुले दिलवाला है, मेरा वाल्डीमर । मैं रात अपने खयालों में सोच रही थी कि जब वाल्डीमर रात भर कमरे में चलता रहा तो वह लेनोचका के सपने देख रहा होगा। यह हमेशा ही उसके साथ होता है। यदि वह रात भर कमरे में चलता है तो प्रातः काल अवश्य ही जल्दी चला जाता है। ओह, ईवान गोलूबैनको, मैं तो परमात्मा से केवल यही माँगती हूँ कि इस बुढ़ापे में मुझे यह खुशी दे दे। एक बूढ़ी औरत को और क्या चाहिए? मेरी तो एक इच्छा है, एक ही खुशी है और ऐसा लगता है कि वाल्डीमर और लेनोचका के विवाह के बाद मेरे पास माँगने के लिए कुछ भी नहीं बचेगा। मुझे इससे कितनी खुशी, कितना आनंद मिलेगा ! मुझे वाल्डीमर के सिवा कुछ नहीं चाहिए। मुझे इस खुशी से ज्यादा और कुछ भी प्यारा नहीं । "
बूढ़ी औरत इतनी भावुक हो उठी कि उसकी आँखों में आँसू आ गए।
"क्या तुम्हें याद है?" उसने कहना जारी रखा - " शुरू में दोनों के संबंध अच्छे नहीं रहे थे — शायद धन के कारण। तुम युवा अधिकारियों को बिना धन लगाए विवाह करने के लिए आज्ञा भी तो नहीं मिलती। ठीक है, अब हर चीज का प्रबंध कर लिया गया है। मैंने वाल्डीमर के लिए पाँच हजार रुबल ले लिये हैं और वे विवाह के लिए वेदी पर कल ही जा सकते हैं। हाँ, लेनोचका ने मुझे कितना प्यारा पत्र लिखा है ! मेरा दिल आनंदित हो रहा है।"
कहना जारी रखते हुए पेलागिया पेटरोवना ने अपनी जेब से पत्र निकाला और गोलूबैनको को दिखाकर पुनः जेब में डाल लिया।
"वह कितनी प्यारी लड़की है! और कितनी अच्छी!"
ईवान गोलूबैनको उसकी बातों को सुन रहा था और लग रहा था जैसे लाल, गरम कोयलों पर बैठा हो। वह उसके शब्दों के बहाव को रोकना चाहता था और बताना चाहता था कि वाल्डीमर मर चुका है और अब एक घंटे के अल्प समय में उसकी सारी चमकीली आशाओं में से कोई भी नहीं बचेगी, परंतु वह उसे सुनता रहा और स्वयं चुप रहा। उसके अच्छे और सौम्य चेहरे को देखकर उसे अपने गले में ऐंठन का आभास हुआ।
"आज तुम बुझे-बुझे से क्यों नजर आ रहे हो?" बूढ़ी औरत ने अंत में कहा, " तुम्हारा चेहरा रात की तरह काला नजर आ रहा है।"
ईवान कहना चाहता था - ' -'हाँ, तुम्हारा चेहरा भी इसी तरह का लगेगा, जब मैं तुम्हें बताऊँगा ! ' परंतु कुछ कहने की बजाय, उसने अपना मुँह दूसरी तरफ कर लिया और अपनी मूँछों को ताव देने लगा।
पेलागिया पेटरोवना ने कोई ध्यान नहीं दिया और अपने ही खयालों में मस्त कहती गई, " तुम्हारे लिए मेरे पास शुभ समाचार है। लेनोचका लिखती है कि 'मैं ईवान गोलूबैनको का बहुत ही आदर करती हूँ । आप उससे कहें कि वाल्डीमर को साथ लेकर वह मुझे मिले ।' तुम स्वयं जानते हो, वह तुम्हें कितना चाहती है, ईवान ! नहीं, मैं अपने पास इसे नहीं रख सकती। मैं तुम्हें उसका पत्र दिखाती हूँ । लो, स्वयं ही देख लो, यह कितना प्यारा और मधुर है ! ' पेलागिया पेटरोवना ने पुनः पत्रों का पुलिंदा जेब से निकाला। उनमें से एक पतला कागज, जो बहुत ही ध्यानपूर्वक लिखा गया था, ईवान गोलूबैनको के सामने खोला। उसका चेहरा और उद्विग्न हो गया था। उसने आगे बढ़ाए हुए पत्र को एक तरफ हटाने का प्रयास किया, परंतु पेलागिया पेटरोवना ने पहले ही पढ़ना शुरू कर दिया—
“प्यारी पेलागिया पेटरोवना – वह समय कब आएगा, जब इस तरह की बजाय मैं तुम्हें 'मेरी प्यारी मधुर माँ' लिखूँगी! मैं उस समय की प्रतीक्षा बेसब्री से कर रही हूँ और आशा करती हूँ कि वह समय जल्दी ही आएगा। अब भी मैं तुम्हें माँ के अतिरिक्त और कुछ कहना नहीं चाहती...।"
पेलागिया पेटरोवना ने अपना सिर ऊपर उठाया, पढ़ना बंद कर दिया और आँसुओं से भरी आँखों के साथ गोलूबैनको की तरफ देखा ।
“तुम देखते हो, ईवान!” परंतु यह देखते हुए कि गोलूबैनको अपने होठों को चबा रहा था और उसकी आँखें भी भीगी हुई थीं। वह उठी और अपना काँपता हुआ हाथ उसके बालों पर रख दिया तथा चुपके से उसके माथे को चूमा 'धन्यवाद, ईवान ईवानोविच, वह अत्यंत उत्तेजित होकर धीरे से बोली, “मैंने हमेशा यही सोचा है कि तुम और वाल्डीमर सामान्य मित्रों की बजाय भाई-भाई हो । मुझे क्षमा करना । मैं अति प्रसन्न हूँ, परमात्मा को धन्यवाद ! " आँसू उसके गालों पर बह आए और ईवान गोलूबैनको घबराकर इतना व्याकुल हो गया कि केवल बुढिया के ठंडे और हड्डीदार हाथ को थामकर चुंबनों से ढक सका; आँसुओं से उसका दम घुटा जा रहा था। वह एक भी शब्द नहीं बोल सकता था, परंतु मातृप्रेम के इस प्रवाह में उसने अपने आपको इतना धिक्कारा कि वह स्वयं मैदान में लौटकर अपने सिर में गोली मारने को सोचने लगता, बजाय इसके कि इस औरत से मित्रता की प्रशंसा सुनता, जो आधे घंटे में सारी सचाई जान जाएगी। फिर वह इसकी बाबत क्या सोचेगी? क्या यह मित्र – लगभग भाई, उस समय चुपचाप नहीं खड़ा था जब वाल्डीमर को रिवॉल्वर का निशाना बनाया जा रहा था ? क्या इस भाई ने दोनों शत्रुओं के बीच का अंतर स्वयं नहीं नापा था? यह सब उसने किया था और जानबूझकर किया था; और यह मित्र, यह भाई अपना दायित्व निभाए बिना चुपचाप वहाँ बैठा था।
वह भयभीत था। इस समय उसने अपने आपको तिरस्कृत माना, फिर भी एक शब्द तक कहने के लिए अपने आप पर काबू न पा सका । अनुरूपता की हीनता से उसकी आत्मा दब गई थी । उसने दिल से अपने आपको पीडित और अवरुद्ध गलेवाला महसूस किया। समय गुजरता गया । वह इसे जानता था और जितना अधिक जानता था, पेलागिया पेटरोवना को उसकी खुशी के अंतिम क्षणों से वंचित रखने का समय उसके पास उतना ही कम था। वह उससे क्या कहे? वह उसको किस प्रकार तैयार करे? ईवान गोलूबैनको पूरी तरह अपना होश खो बैठा।
अपने विचारों में सभी द्वंद्वयुद्धों, सभी झगड़ों, हर प्रकार के प्रक्रमों और सब प्रकार के मान-मर्यादा के प्रश्नों को कोसने के लिए उसके पास काफी समय था । अंत में वह स्वीकार करने अथवा भाग जाने के लिए अपने स्थान से उठा। चुपचाप और शीघ्र उसने पेलागिया पेटरोवना का हाथ थामा और अपनी अंगुलियों के सिरों से उसको छूने के लिए झुका। इस प्रकार उसने अपना चेहरा छिपा लिया । उसके चेहरे पर एकाएक आँसू लुढ़कने लगे। वह बिना सोचे, तेजी से दौड़कर बरामदे में आ गया, अपना बड़ा कोट पहना और बिना एक भी शब्द कहे घर से बाहर हो गया।
पेलागिया पेटरोवना ने हैरानी से उसकी तरफ देखा और सोचा - 'यह भी किसी को प्यार करता होगा, भावुक लड़का! ठीक है, यह उनका युवा संताप है— प्रसन्नता से पहले!'
और वह शीघ्र ही भूल गई – प्रसन्नता के अपने सपनों में लीन, जो उसको पवित्र और पूर्ण प्रतीत होते थे।
(अनुवाद : भद्रसैन पुरी)