कन्फर्म टिकट (कहानी) : ज्योति नरेन्द्र शास्त्री

Confirm Ticket (Hindi Story) : Jyoti Narendra Shastri

आज मधु मधु हर दिन की तरह नियत समय पर स्कूल जाने लगी । स्कूटी स्टार्ट नहीं होने के कारण जल्दबाजी में बस पकड़ी । स्टैंड पर भीड़भाड़ थोड़ी ज्यादा ही थी , लेकिन थोड़े ही परिश्रम से उसे सीट मिल ही गई । सवारियों का आना उसके बाद भी जारी रहा । मधु मैडम के बगल वाली सीट पर एक वृद्ध महिला जिसकी उम्र तकरीबन 70 से ऊपर रही होगी अपनी लकड़ी टेकते हुए मधु मैडम के बगल वाली सीट पर बैठ गई । बस चलने ही वाली थी कि इतनी देर में एक लड़का जिसकी दाढ़ी मूछ ठीक से आना शुरू हुई हुई थी जोर-जोर से उस वृद्ध महिला पर चिल्लाने लगा तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी सीट पर बैठने की । टिकट कन्फर्म करके बैठना चाहिए था , सीट मेरी है आप प्लीज यहां से उठ जाइये । उस लड़के की तेज आवाज बस की अन्य सवारियों की आवाज को दबाने के लिए काफी थी । सब सवारियों का ध्यान अब उस वृद्ध महिला और उस लड़के की तरफ ही था । वृद्ध महिला जिसे ठीक से बोला भी नहीं जा रहा था बार-बार यही कह रही थी बेटा मैं तो ठहरी अनपढ़ तू बार-बार क्या कंरफम कंरफम बोल रहा है मैं तो कुछ समझ नहीं रही हूं । अभी उस वृद्ध महिला की बात खत्म ही नहीं हुई थी इससे पहले ही उस लड़के ने बात काटते हुए कहा कंरफम नहीं बुढ़िया मैं कंफर्म बोल रहा हूं । इसका मतलब होता है सीट पक्की । जब तुझे खुद को अक्ल नहीं थी तो कम से कम मुझ जैसे किसी समझदार को पूछ कर ही बैठ जाती ।

बेटा इसमें पूछना क्या ? मुझे सीट खाली नहीं मिली , यह सीट खाली थी तों मै यहां बैठ गई । लड़का बोला बुढ़िया मैं नीचे कुछ खरीदने गया इसका मतलब यह तो नहीं है कि कोई भी मेरी सीट को खाली देख कर बैठ जायेगा । लड़के ने बोलना जारी रखा ।

लड़के के साथ-साथ उसकी लड़ाई की आवाज भी तेज होती जा रही थी । पास में बैठी हुई मधु मैडम का गुस्सा और त्यौरी दोनो चढ़ने लगे थे । आख़िरकार वृद्धों का सम्मान भी तो कुछ होता है ।

सुनिए भाई साहब क्या नाम है आपका ?

यह तो कोई तरीका नहीं हुआ आपका किसी वृद्ध महिला से बात करने का । ,जब इन्हे नहीं पता था तो बैठ गई । उसमें कौन सा गुनाह कर दिया । तुम्हारी मम्मी , बहन , भुवा बेटी भी बस में सफर कर सकती है । ईश्वर ना करे उनके पास भी टिकट नहीं हों , तो तुम क्या करोगे ?

लड़का जिसका गुस्सा ठंडा नहीं हुआ था । तपाक से जवाब देते हुए बोला राजवीर के घर वाले बिना टिकट कंफर्म बस में नहीं बैठते । और टिकट कन्फर्म हों तो कंफर्म सीट से उठाएगा कौन ?

फिर भी भाई साहब मान लो अगर सवारी इतनी हो की वेटिंग में भी नंबर नहीं आए तो क्या करोगे ? भाई साहब आप समझदार हो पढ़े-लिखे हो आप ही ऐसा करोगे तो एक समझदार और एक जाहिल अनपढ़ में अंतर क्या रहेगा । अगर तुम अपनी सीट इन दादी जी को भी दे देते तो अगले स्टेशन मै उतरकर मेरी सीट आपको दे देती । जिंदगी तो ऐसे ही चलती है । आओ माजी मेरी सीट पर बैठ जाओ । उसे वृद्ध महिला को अपनी सीट पर बैठा कर मधु मैडम खड़ी हो गई । कुछ देर बाद मधु मैडम का स्टैंड आ गया ।

उसें तकलीफ इस बात की नहीं थी कि उसे कंफर्म सीट होने पर भी खड़ा होकर आना पड़ा बल्कि खुशी इस बात की थी अगर इतनी सवारी में से किसी एक ने भी उसकी बात को धार ( धारण कर ) लिया तो फिर किसी वृद्धा को बिना कंफर्म टिकट लेकर खड़ा होकर नहीं आना पड़ेगा ।

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