क्रिसमस की भोरवेला (कहानी) : पर्ल एस. बक

Christmas Day in the Morning (English Story in Hindi) : Pearl S. Buck

उसकी आँख खुल गयी थी। सुबह के चार बजे थे। उसके पिता हमेशा उसको इसी समय आवाज़ देकर जगाते थे और गायों का दूध निकालने में मदद करने के लिए कहते थे। उसकी वह आदत आज भी कायम थी। पिता के स्वर्गवास को तीन साल हो गए थे लेकिन वह आज भी सवेरे चार बजे जाग जाता था। काम के बाद दोबारा सोने की आदत पड़ गयी थी। आज क्रिसमस थी इसलिए दोबारा सोने की कोशिश नहीं की। क्रिसमस में अब विशेष आकर्षण नहीं रहा था। उसके अपने बच्चे बड़े हो गए थे,दूर-दूर रह रहे थे। यहाँ वह अपनी पत्नी के साथ अकेला था। कल उसने कहा था-"रॉबर्ट, क्रिसमस के पेड़ की छंटाई कल करेंगे। आज मैं थक गयी हूँ।"वह मान गया था। पेड़ को वहीं पर छोड़ दिया था।

उसको नींद नहीं आ रही थी। तारों भरी अंधेरी रात थी। चाँद दिखाई नहीं दे रहा था लेकिन तारे जगमग-जगमग कर रहे थे। उसे याद आया कि क्रिसमस की भोरवेला में तारे इसी तरह बड़े और साफ दिखाई देते हैं। क्रिसमस के उस दिन भी एक तारा सबसे बड़ा और चमकीला दिखाई दे रहा था। कल्पना में वह उसको उसी प्रकार चलते हुए देखने लगा, जिस प्रकार वर्षों पहले उसने क्रिसमस की भोरवेला में देखा था।

उस समय वह पंद्रह साल का था। अपने पिता के साथ फार्म पर रहता था। वह पिता से प्रेम करता था,इस बात का पता उसे उस दिन चला जब उसने पिता को माँ से बात करते हुए सुना-"मेरी, हर रोज़ सुबह राब को आवाज़ लगाना मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता। वह बड़ा हो रहा है। उसको पूरी नींद चाहिए। जब मैं उसको जगाने जाता हूँ तब तुम्हें भी उसको सोते हुए देखना चाहिए। काश! मैं सब काम अकेले कर पाता।”

"ठीक है,एडम! तुम सब कुछ अकेले नहीं कर सकते,”उसकी माँ की आवाज़ में तेज़ी थी-"फिर वह अब कोई बच्चा नहीं है। अब उसके काम करने का समय है।”

"हाँ—-", उसके पिता ने धीमे स्वर में कहा-"लेकिन यह बात सच है कि उसको जगाना मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता है। ”

उस साल, क्रिसमस से पहले वाली रात को अगले दिन के बारे में सोचता रहा था। काश! वह पिता को कोई अच्छा सा उपहार दे पाता। हर साल की तरह वह इस साल भी ‘चीप वैरायटी स्टोर’ से पिता के लिए एक टाई खरीद लाया था। सोच रहा था, काश! वह माता-पिता की बातें पहले सुन पाता तो शायद अधिक सुन्दर उपहार के लिए जुगाड़ कर लेता।

करवट ले कर बरसाती की खिड़की से बाहर देखने लगा। तारे चमक रहे थे। उसे याद नहीं था कि उसने पहले भी इतने जगमग करते तारे देखे हों। उनमें से एक तारा सबसे ज़्यादा चमक रहा था। मन में ख्याल आया कि कहीं वही तो ‘बेथल्हेम का स्टार’ नहीं था।

जब वह बहुत छोटा था तब उसने एक बार अपने पिता से पूछा था-"डैडी, अस्तबल क्या होता है?”

इसका मतलब, भगवान यीशु का जन्म गोसारा में हुआ था। वहीं पर गडरिये व विद्वान लोग उनके लिए उपहार ले कर पंहुचे थे।

अचानक उसके दिमाग में एक विचार कौंध गया। उसे भी अपने पिता को गोसारा में ही कोई विशेष उपहार देना चाहिए। चार बजे से पहले ही उठ कर वह चुपचाप गोसारा में जा कर सारा दूध दुह देगा। वह अकेला ही दूध दुहने और सफाई का काम करेगा। उसके पिता जब दूध निकालने के लिए जाएंगे तब देखेंगे कि सारा काम हो गया है। वे समझ जाएंगे कि यह सब किसने किया होगा।

विशेष उपहार-तारों को देखता हुआ वह अपने आप पर हंसा।

रात को लगभग बीस बार उठ कर उसने माचिस की तीली जला कर टाइम देखा। पौने तीन बजे उठ कर कपड़े पहने और चरमराते तख्तों के ऊपर से सावधानी से नीचे उतर कर बाहर आ गया। गोसारा की छत पर आकाश में सोने का रंग वाला बड़ा सा लाल तारा चमक रहा था। गायों ने उनींदी आँखों से उसको देखा। वे भी हैरान थीं। उसने सब गायों के आगे थोड़ी-थोड़ी घास डाल दी। दूध दुहने वाली बाल्टी और दूध के बड़े डिब्बे ले आया।

फिर पिता के बारे में सोच कर वह मन ही मन मुस्कुराया और आराम से दूध दुहने लगा। दो तेज़ झाग वाली खुशबूदार धार बाल्टी में गिर रही थीं। आशा के विपरीत सारा काम आसानी से हो रहा था। अपने पिता के लिए,जो उससे प्यार करते थे, एक उपहार था। उसने काम पूरा कर लिया, दूध के दो डिब्बे भर गए थे। उनको ढक कर उसने सावधानी से किवाड़ी में रखा और उसमें कुंडी लगा दी। स्टूल को दरवाज़े के पास यथा-स्थान रखा और दूध की खाली बाल्टी को खूंटी पर लटका दिया। गोसारा से बाहर आ कर वहाँ का दरवाज़ा बंद कर दिया।

फिर कमरे में आ कर, अंधेरे में ही फटाफट कपड़े बदल कर, बिस्तर में दुबक गया। उसे अपने पिता के ऊपर आने की आहट सुनाई दे रही थी। सांस को सामान्य बनाने के लिए सिर तक चादर ओढ़ ली। तभी दरवाज़ा खुला।

"राब”, उसके पिता ने आवाज़ दी-"आज क्रिसमस है,फिर भी हमें अपना काम तो करना ही पड़ेगा।”

उसने उनींदी सी आवाज़ में ज़वाब दिया-"ठीक है।”

"मैं बाहर जा कर काम शुरू करता हूँ,"उसके पिता ने कहा।

दरवाज़ा बंद हो गया। बिना हिले-डुले मन ही मन हँसता हुआ वह लेटा रहा। कुछ ही देर में पिताजी को सब पता चल जाएगा।

वे क्षण बीत ही नहीं रहे थे-दस-पंद्रह न जाने कितने मिनट। उसके बाद पिता के कदमों की आहट फिर सुनाई दी। दरवाज़ा खुला, वह निश्चल पड़ा रहा।

"राब।”

"हाँ,डैड—।”

"तुम—-", उसके पिता हंस रहे थे। एक अजीब सी सिसकी भरी हंसी—। "तुम सोच रहे होगे कि तुम मुझे बेवकूफ बना दोगे। क्यों,ठीक है न? "उसके पिता उसके बिस्तर के पास खड़े थे। उन्होने उसके ऊपर से चादर हटा कर उसको छुआ।

"यह क्रिसमस का उपहार है,डैड।"उसने उठ कर पिता को ज़ोर से पकड़ लिया। पिता ने उसको अपनी बाँहों में ले लिया था। घुप्प अंधेरा था, दोनों में से कोई भी एक-दूसरे का चेहरा नहीं देख पा रहा था।

"बेटा, बहुत-बहुत धन्यवाद। इतना अमूल्य उपहार कभी किसी ने नहीं—–।”

"ओह,डैड! मैं आपको बताना चाहता था—-।"शब्द बीच में अपने आप रूक गए थे। वह समझ नहीं पा रहा था कि क्या कहे। उसका दिल प्यार से भरा हुआ था।

"ठीक है, अब मैं अपने बिस्तर पर जा कर सो सकता हूँ।"उसके पिता एक मिनट रूक कर फिर कहने लगे-"नहीं, छोटे बच्चे जाग गए हैं। मैंने कभी भी तुम बच्चों के साथ भोरवेला में क्रिसमस पेड़ को देखा ही नहीं है। उस समय हमेशा गोसारा में होता हूँ न। आओ ,चलें।”

वह उठा। दोबारा कपड़े पहन कर पिता के साथ क्रिसमस पेड़ के पास चला गया। आकाश में तारों के स्थान पर सूर्य की लालिमा फैलने लगी थी। ओह! कितनी सुहावनी थी वह क्रिसमस की सुबह। उसके पिता ने जब उसकी माँ और छोटे बच्चों को बताया कि राब कैसे अपने आप जाग गया था, तब उसका दिल संकोच और अभिमान से भर गया था।

"यह मेरे जीवन का सर्वोत्कृष्ट उपहार है, बेटा। जब तक जीवित रहूँगा, तब तक क्रिसमस की प्रत्येक भोरवेला में इसे याद करूंगा,"उसके पिता ने कहा था।

ख्यालों से बाहर आने पर उसने देखा कि खिड़की के बाहर बड़ा तारा धीरे-धीरे ओझल होने लगा था। वह उठा, चप्पल पहनी और चुपचाप ऊपर बरसाती से क्रिसमस के पेड़ को सजाने वाले सामान का बक्सा नीचे बैठक में ले आया। उसके बाद क्रिसमस पेड़ को भीतर लाया। पेड़ छोटा ही था। बच्चों के चले जाने के बाद उन्होने बड़ा पेड़ नहीं रखा था। उसने उसे छांटना शुरू कर दिया। जल्दी ही काम पूरा हो गया। समय उतनी ही तेज़ रफ्तार से भाग रहा था जितना कि वर्षों पहले गोसारा में।

अपनी लायब्रेरी में गया और एक डिबिया,जिसमें पत्नी को उपहार में देने के लिए एक छोटा सा खूबसूरत हीरों का स्टार रखा था, उठा लाया। उसने उसको पेड़ के साथ लटका दिया और पीछे खड़ा हो कर देखने लगा। स्टार बहुत सुंदर था। वह आश्चर्यचकित रह जाएगी –उसने सोचा।

पर वह पूरी तरह से संतुष्ट नहीं था। वह अपनी पत्नी को बताना चाहता था कि वह उससे असीम प्रेम करता था। उसने उसको यह बात बहुत पहले बताई थी। जीवन का सच्चा सुख प्रेम करने की सामर्थ्य में ही निहित है। वह जानता था कि कुछ लोग आजीवन किसी से सच्चा प्रेम नहीं कर पाते लेकिन उसके भीतर उस समय भी अथाह प्रेम उमड़ रहा था।

सहसा उसको अनुभूति हुई कि उसके हृदय में प्रेम के बीज़ वर्षों पहले उस दिन अंकुरित हुए थे जिस दिन उसे पिता के प्रेम का ज्ञान हुआ था। तब से वह निरंतर बढ़ रहा है। वास्तव में प्रेम ही प्रेम को जागृत करता है।

अपने प्रेम का उपहार वह बार-बार दे सकता था। इस भोरवेला में, इस पावन क्रिसमस की भोरवेला में वह अपनी पत्नी को एक अनूठा उपहार देगा। वह उसे एक पत्र लिख कर देगा, जिसे वह हमेशा अपने पास रखेगी। वह डेस्क पर गया और पत्नी को पत्र लिखने लगा–"प्रिये—–।”

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