छोटू (कहानी) : स्वप्निल श्रीवास्तव (ईशू)

Chhotu (Hindi Story): Swapnil Srivastava Ishoo

एक समय की बात है, शहर के बाहरी हिस्से में बनी कालोनी के खँडहर से पड़े एक मकान में कुत्तों का परिवार रहता था । सफ़ेद रंग की सलोनी सबसे बड़ी थी और उसके तीन बच्चे थे । भूरे रंग का जैकी बच्चों में सबसे बड़ा था और उससे छोटे टीटू और चिंकी । टीटू सफ़ेद और चिंकी आधी सफ़ेद आधी भूरी । सारे कुत्ते उठने के बाद खाने की तलाश में कालोनी के आस पास और बहार बनी दुकानों के पास जाया करते थे । कोई बिस्कुट दे देता तो कोई ब्रेड, कभी कभी अंडा और दूध भी मिल जाता था । रोज़ सवेरे सलोनी उठती टीटू और चिंकी को जैकी के पास छोड़ती और खाना ढूढने चली जाती, खाने का पता मिलते की सब पहुँच जाते और लौटते हुए पार्क में खेलते बच्चों को देख मज़े करते ।

एक शाम सलोनी खाने की तलाश में पीछे के हाइवे की तरफ चल रही थी की तभी किसी के रोने की आवाज़ आई, सलोनी ने पास जा के देखा तो एक छोटा सा पिल्ला धूल में सना पेड़ के पास पड़ा था । सलोनी पास गयी और गौर से देखा तो उसे चोट लगी थी । सलोनी ने उसे प्यार से पुचकारा और हांथ फेरते हुए पूछा, “बेटा तुम कौन हो और तुम्हे चोट कैसे लगी ?” थोड़ा सम्हलते हुए पिल्ला बोला, “मैं और मेरी माँ पीछे के गाँव में रहते है, खाने की तलाश में हम हाइवे पर आ गये तभी सामने से एक ट्रक आ गया, मुझे बचने के लिए माँ ने मुझे धक्का दे दिया जिससे मैं रोड से दूर पेड़ के पास आ गिरा लेकिन इस कोशिश में मेरी माँ ट्रक की चपेट में आ गयी और चल बसी” ।

सलोनी की आँखों में आंसू आ गया उसने पिल्ले को अपने गोद में ले लिया और बोली, “रो नहीं मेरे साथ चलो, मेरे घर तुम्हारे जैसे २ दोस्त है, तुम उनके साथ रहना” । पिल्ला सलोनी के साथ चल पड़ा । अँधेरा होने लगा था और सलोनी अभी तक घर नहीं पहुची थी, जैकी, टीटू और चिंकी तीनो परेशान थे, तभी सलोनी की आवाज़ सुनाई दी । टीटू और चिंकी भाग के दरवाज़े पर पहुचे और देखा माँ आ गयी थी । चिंकी ने पूछा, “माँ इतनी देर कैसे हो गयी और ये बच्चा कौन है ?” सलोनी बोली, “रुको पहले खाना खाते हैं, फिर पूरी बात बताती हूँ” । छोटा पिल्ला अभी भी डरा हुआ था और सबसे घुल मिल नहीं पाया था, सलोनी ने उसे प्यार से अपने पास बैठा के खाना खिलाया और थपकी दे कर सुला दिया, फिर सबको पूरी कहानी बताई । सभी बड़े दुखी हुए ।

अगली सुबह जब पिल्ला सो के उठा तो अपने पास टीटू और चिंकी को देखा, दोनों उसे दोस्ती के लिए बुला रहे थे । पिल्ले ने भी पूंछ हिला कर दोस्ती मंज़ूर कर ली । अंगड़ाई लेने के बाद वो सबसे पहले सलोनी के पास गया और प्यार से उसके सर पे सर मिला के दुलारने लगा । सलोनी ने भी उसे माँ जैसा प्यार किया ।

जैकी पास आया और बोला, “माँ , इसका नाम क्या है ?” सलोनी ने पहले जैकी को देखा फिर पिल्ले को, उसको अपना नाम नहीं पता था । जैकी बोला, “ये हम सब में सबसे छोटा है, हम इसे “छोटू” बुलाएँगे!” सबको नाम पसंद आया, पिल्ले ने भी पूँछ हिला के मंज़ूरीदे दी। धीरे धीरे छोटू सबसे घुल मिल गया और पुरानी बातें भूलने लगा ।

सलोनी, जैकी, टीटू और चिंकी खाने की तलाश में जाते और छोटू घर पे रहता, वो नया था सो घर पे ही रहना ज्यादा सुरक्षित था । समय बीतता गया और छोटू अब घर पे अकेले रह कर बोर होने लगा, एक शाम खाना खाते समय छोटू ने सलोनी से कहा, “मैं भी तुम सब के साथ खाना ढूँढने चलूँगा, घर पे रह कर बोर हो गया हूँ ।” सलोनी मुस्कुराई और जैकी की तरफ देखते हुए बोली, “जैकी, अभी इसे खाने की तलाश में ले जाना ठीक नहीं होगा तुम ऐसा करना कल इसे कालोनी के पार्क के पास छोड़ देना, बच्चों को खेलता देखेगा तो इसका मन बहलेगा” । छोटू की ख़ुशी का ठिकाना न रहा, रात भर पार्क में घुमने को सोच सोच कर खुश होता रहा ।

सुबह जैकी उसे पार्क ले गया और एक पेड़ के पास वाली बेंच दिखाते हुए बोला, “छोटू, चुपचाप यहीं रहना इधर उधर कहीं मत जाना आगे खतरा हो सकता है । छोटू मटकता हुआ पेड़ के पास वाली बेंच के नीचे जा के बैठ गया । बच्चों को क्रिकेट , फुटबाल और बैडमिंटन खेलता देख छोटू को मज़ा आ गया । शाम को छोटू ने सारा किस्सा ख़ुशी ख़ुशी सभी को बताया और बोला, “अब तो में पार्क ही जाऊंगा, बड़ी मज़ेदार जगह है” ।

छोटू रोज़ पार्क जाता, बच्चों को खेलते देखता और खुश होता, ऐसा ही कई दिनों तक चलता रहा । एक दिन बच्चे फुटबाल खेल रहे थे, तभी बॉल बेंच के पास आ गयी, रोहन जो पार्क के किनारे वाले घर में रहता था बॉल के पीछे पीछे भागता हुआ आया । छोटू से रहा न गया उसने सिर से फुटबाल रोहन की तरफ उछाल दी । यह देख रोहन बड़ा खुश हुआ, और छोटू के पास आया और प्यार से छोटू के सिर को छुआ । छोटू की ख़ुशी का ठिकाना न रहा , आखिर उसे एक और दोस्त मिल गया था । ज़ोर ज़ोर से पूंछ हिलाते हुए वो रोहन के आगे पीछे घुमने लगा । फिर क्या था दोनों रोज़ पार्क में मिलते और खूब खेलते । रोहन छोटू के लिए रोज़ बिस्कुट या ब्रेड लाता । अब तो सलोनी, जैकी, टीटू और चिंकी भी रोहन को पहचानने लगे थे । छोटू खूब खुश रहता । देखते देखते दो महीने और बीत गए और गर्मियों का मौसम शुरू हो गया । एक दिन छोटू पार्क गया लेकिन रोहन नहीं मिला, थोडा इंतज़ार कर के छोटू घर चला आया । शायद आज कुछ काम होगा, ऐसा सोच कर उस रात वो चुप चाप सो गया । अगले दिन फिर रोहन नहीं आया तो छोटू परेशान हो गया और कालोनी के चक्कर लगाने लगा । “सभी बच्चे तो खेल रहे है पर रोहन क्यों नहीं आ रहा….”, शाम को परेशान हो के उसने ये बात सलोनी से बताई । सलोनी बोली, “गर्मियों का दिन है, हो सकता है अपने बाबा दादी के घर गया हो” । जैकी बोला, “ ऐसा भी हो सकता है तबियत ख़राब हो, २-४ दिन में वापस आ जायेगा” ।

छोटू रात भर सोचता रहा, सुबह जब सभी खाने की तलाश में निकले तो वो भी उनके साथ साथ पार्क तक गया । रोहन आज फिर नहीं आया था । छोटू से रहा न गया, भागता हुआ रोहन के घर के पास पंहुचा और अन्दर की ओर झाँकने लगा । अरे ये क्या, अन्दर तो पुलिस आई थी और चौकीदार से कुछ पूछ रही थी । थोड़ी देर बातें सुनकर उसे समझ आया की रोहन किडनैप हो गया है और दो दिन से उसका कोई पता नहीं मिल रहा है । ये सुन कर छोटू चौंक गया और उदास सा सिर झुकाए अपने घर को लौट गया । शाम जब सब आये तो छोटू को उदास देख सभी ने पूछा, “ क्या हुआ छोटू?”, छोटू ने उदास मन से सारी कहानी कह सुनाई । सभी सुन के हैरान हो गए और मन ही मन रोहन के ठीक ठाक घर लौटने की प्रार्थना करने लगे ।

देखते देखते दो दिन और बीत गए, छोटू रोज़ पार्क जाता रोहन को खोजता, फिर रोहन के घर के पास जाता, पर रोहन की कोई खबर नहीं मिली । उदास लौटते हुए रोज़ की तरह छोटू कालोनी के बहार वाले मिल्क बूथ पर जा पंहुचा । दुकानदार छोटू को पहचानता था और कभी कभी बचा दूध पिला दिया करता था । तभी दुकान पे एक लम्बा सा बड़ी बड़ी मूंछों वाला आदमी आया और थोड़ी देर रुकने के बाद एक पैकेट बिस्कुट और दूध ले कर चला गया । छोटू भी अपने घर आ गया और सबका इंतज़ार करने लगा । शाम को खाना खाने के बाद वो चुपचाप सोने चला गया और लेटे लेटे कुछ याद करने लगा, थोड़ी ही देर में वो चौंक के उठा, उसे याद आया, जो आदमी दुकान पर दूध लेने आया था वही आदमी उस दिन रोहन से कुछ बात कर रहा था, उसने रोहन को चाकलेट भी दी थी । छोटू ने ये बात किसी से न कही और सुबह सुबह ही मिल्क बूथ के पास जा बैठा । पूरा दिन बीत गया पर वो आदमी नहीं आया । शाम हो गयी, उदास मन से छोटू घर को जाने लगा तभी उसे जानी सी आवाज़ सुनाई दी, छोटू ने देखा, अरे! ये तो वही आदमी है! छोटू चुपचाप उस आदमी के पीछे पीछे चलने लगा । कुछ दूर चलने के बाद वो आदमी एक सुनसान से पड़े मकान के अन्दर चला गया ।
छोटू उस मकान के आस पास घूमता रहा, तभी उसे पीछे की ओर एक टूटी खिड़की दिखाई पड़ी । थोड़ी कोशिश कर छोटू खिड़की तक पहुच गया और अन्दर झाँकने लगा, तभी किनारे उसे कुर्सी से बंधा रोहन दिखाई पड़ा । छोटू ख़ुशी से पागल हो गया और वैसी ही आवाज़ निकालने लगा जैसी वो रोहन को पार्क में आता देख कर निकालता था । रोहन को भी छोटू की आहाट समझते देर न लगी । छोटू धीरे से अन्दर कूदा और धीरे धीरे अपने दांतों से रस्सी काटने लगा । तभी बाहर के दरवाज़े के बंद होने की आवाज़ आई। “लगता है वो चला गया है” छोटू मन ही मन बोला, और रस्सी तेज़ी से काटने लगा। थोड़ी ही देर में रोहन आज़ाद हो गया और उसने सुबकते हुए छोटू को गले से लगाया लिया । फिर दोनों खड़े हुए और चुप चाप खिड़की के रास्ते घर को भागने लगे ।

थोड़ी ही देर में रोहन अपने घर पहुँच गया और पापा मम्मी के गले लग के जोर जोर से रोने लगा । रोहन के लौटने को ख़ुशी में सब खुश थे, पापा ने पूछा तो रोहन ने अपने किडनैप और छोटू के साहस की कहानी कह सुनाई । छोटू भी अपनी कहानी सुन ख़ुशी से फूल रहा था । रोहन के पापा- मम्मी, चौकीदार, पुलिस, सभी छोटू को शाबाशी दे रहे थे रोहन के पापा ने छोटू के लिए स्पेशल खाना बनवाया और खूब प्यार से खिलाया । थोड़ी देर बाद छोटू मन ही मन बोला, “बहुत देर हो गयी है, घर चलता हूँ, सब मेरा इंतज़ार करते होंगे, आखिर सबको रोहन के मिलने के खुशखबरी भी तो सुनानी है” । दिन भर की घटना सोचता हुआ छोटू घर को चल दिया, अभी पार्क के पास पंहुचा था कि मिल्क बूथ के पास उसे वही लम्बा बड़ी बड़ी मुछों वाला आदमी दिखाई दिया ।

छोटू तेज़ी से भगता हुआ वापस रोहन के घर पंहुचा और रोहन के पापा और पुलिस के पास जा के जोर जोर से भौंकने लगा । रोहन बोला, “लगता है ये कुछ कहना चाहता है”, तभी छोटू पुलिस वाले की पैंट जोर जोर से खींचने लगा । रोहन के पापा बोले, “लगता है ये हमें कुछ दिखाना चाहता है” । सभी दबे पाँव छोटू के पीछे जाने लगे । मिल्क बूथ पहुचते ही, जैसे ही छोटू ने उस आदमी को देखा जोर जोर से भौंकने लगा । अपने पास पुलिस और रोहन के पापा को देख उस आदमी को समझते देर न लगी, पर जैसे ही उसने भागने की कोशिश की, छोटू ने उसकी पैंट पकड़ ली, तभी पुलिस ने भी उसे दबोच लिया और जेल ले गए। पुलिस, दुकानदार, रोहन के पापा सभी छोटू की बहादुरी देख के आश्चर्यचकित थे और सभी उसकी खूब तारीफ़ कर रहे थे । थोड़ी देर बाद छोटू घर पंहुचा, सभी परेशान थे और एक साथ पूछने लगे, “इतनी देर कहाँ हो गयी?” , छोटू ने सर उठाया, सीना फुलाया और सारी कहानी सुना डाली । सलोनी, जैकी, टीटू और चिंकी आज सभी छोटू पे गर्व महसूस कर रहे थे । सलोनी ने कहा, “हमारा छोटू अब बड़ा हो गया है, और बहादुर भी, कल से अब ये भी हमारे साथ खाने की तलाश में चलेगा” । छोटू की ख़ुशी का ठिकाना न रहा।

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