चाँद की परी और सरगम की उड़ान (परी कथा) : कर्मजीत सिंह गठवाला

Chand Ki Pari Aur Sargam Ki Udaan (Hindi Pari Katha) : Karamjit Singh Gathwala

हर रात सरगम अपने घर की छत पर खड़ी होकर चाँद को देखा करती। उसकी आँखों में एक अलग ही चमक होती, जैसे वह किसी पुराने दोस्त से बातें कर रही हो। चाँद की दूधिया रोशनी उसके चेहरे पर गिरती तो वह मुस्कुराने लगती। उसे लगता जैसे ये किरणें उसे अपनी ओर खींच रही हों।

दादी-माँ अक्सर उसे चाँद की परी की कहानियाँ सुनाया करती थीं। वे कहतीं — “चाँद पर एक सुंदर परी रहती है, जो रात में चरखे पर धागा कातती है और उससे अपनी चाँदी जैसी चादर बुनती है और ज़मीन पर उसके टुकड़े किरणों के रूप में गिरते हैं।” सरगम इन कहानियों को सुनते-सुनते सो जाती, लेकिन उसके मन में हमेशा एक सवाल गूंजता रहता — “क्या सच में चाँद पर कोई परी रहती है?”

अब जब भी वह चाँद को देर तक निहारती, उसकी चाँदी-सी कोमल रोशनी जैसे उसके दिल में उतर जाती। उसे अपनी दादी-माँ की कहानियाँ याद आ जातीं—
वो कहानियाँ, जिनमें चाँद पर रहने वाली परी बच्चों के मन की बात सुन लेती थी और उनकी हर इच्छा पूरी करती थी।

उसी याद में खोकर वह धीरे-से मुस्कुराती और सोचती,
“अगर सच में कोई रात ऐसी आए, जब वह परी चमकती रोशनी में मेरे सामने उतर आए, तो मैं उससे क्या माँगूँगी?”

क्या वह उससे उड़ने की शक्ति माँगे? या जादुई पंख, जिनसे वह बादलों के ऊपर से दुनिया देख सके?
या फिर कोई ऐसा वरदान, जो उसे अपने सपनों को सच करने की ताकत दे?

इन कल्पनाओं में ही उसका छोटा-सा दिल भर उठता— उत्साह, आश्चर्य और उम्मीद से। उसके लिए चाँद सिर्फ आसमान का एक गोला नहीं था, बल्कि एक दोस्त, एक सुनने वाला, एक ऐसा दरवाज़ा जिसे खोलकर वह अपने सपनों की दुनिया में पहुँच सकती थी। धीरे-धीरे उसने अपने मन में जवाब खोज लिया।

एक रात जब सरगम नींद में थी, उसने देखा — आकाश शांत था, चाँद बड़ा और चमकीला था। अचानक उसकी रोशनी से एक उजली आकृति उतरने लगी — वो चाँद की परी थी! उसके पंख मोतियों जैसे चमक रहे थे। परी मुस्कुराई और बोली, “सरगम, मैं जानती हूँ, तू मुझे रोज़ देखती है और कुछ पूछना चाहती है।”

सरगम ने धीरे से कहा, “हाँ परी माँ, मुझे उड़ने की शक्ति दे दे। ताकि मैं ऊपर से धरती को देख सकूँ — पहाड़ों, नदियों, जंगलों, तारों को एक साथ।”

परी ने हँसते हुए कहा, “उड़ना सिर्फ़ ऊँचाई तक जाना नहीं होता, बच्ची। इसके साथ दिल में सच्चाई, धैर्य, विनम्रता, साहस और करुणा भी होनी चाहिए। अगर तू वादा करे कि कभी किसी का दिल नहीं दुखाएगी, निडरता और हिम्मत का कभी साथ नहीं छोड़ेगी तो मैं तुझे उड़ने की शक्ति दूँगी।”

सरगम ने तुरंत सिर हिला दिया, “वादा करती हूँ!”

परी ने अपनी चाँदी की छड़ी से सरगम के माथे को छुआ। अचानक सरगम को लगा कि उसका शरीर हल्का हो गया है, जैसे पंख उग आए हों। वह हवा में उठने लगी — ऊपर, और ऊपर!

नीचे उसने देखा — उसका गाँव, खेत, नदी, पेड़ सब खिलौनों जैसे लग रहे थे। रंग-बिरंगी छतें अब छोटे-छोटे डिब्बों जैसी दिख रही थीं। हवा उसके कानों में संगीत की तरह गूँज रही थी — फूँ... फूँ… जैसे कोई अदृश्य बांसुरी बजा रहा हो।

थोड़ी ही देर में वह बादलों के करीब पहुँच गई। मुलायम, रूई जैसे सफेद बादल उसके हाथों को छूकर भागने लगे। सरगम हँसते हुए उनके पीछे दौड़ी—या यूँ कहें कि उड़ती चली गई। उसने बादलों के बीच छुपम-छुपाई खेली, कभी किसी बादल के पीछे छिप जाती, तो कभी बादल उसके पीछे छिप जाते। हर बादल का अपना रंग, अपना आकार था—किसी का चेहरा खरगोश जैसा, किसी का हाथी जैसा।

अचानक कुछ चहचहाहट सुनाई दी। दो चमकीले नीले पक्षी उसके आसपास चक्कर काटने लगे।

“तुम कौन हो?” सरगम ने पूछा।

एक पक्षी बोला, “हम आसमान के रक्षक हैं! तुम्हें पहली बार यहाँ देखा है।”

दूसरा बोला, “चलो, तुम्हें कुछ जादुई दिखाते हैं!”

वह उनके साथ उड़ चली। आगे एक इंद्रधनुष चमक रहा था—इतना पास कि लगता था उसके रंग हाथों में घुल जाएंगे। सरगम उस इंद्रधनुष के ऊपर से गुज़री, और हर रंग की लकीर से गुज़रते हुए उसे लगा जैसे हर रंग एक नया अहसास दे रहा हो—

लाल ने उसे हिम्मत दी,
नारंगी ने खुशी,
पीले ने चमक,
हरे ने शांति,
नीले ने सोच की गहराई,
जामुनी ने सपने…

इंद्रधनुष के पार पहुँचकर सरगम की नज़र एक सुनहरी रोशनी पर पड़ी—एक चमकता हुआ तैरता द्वीप, जिस पर फूल हवा में तैरते थे और पेड़ की शाखों से घंटियों जैसी आवाज़ निकल रही थी।

“यह क्या है?” सरगम ने हैरानी से पूछा।

पक्षियों ने कहा, “यह जादुई द्वीप है। यहाँ सिर्फ वही पहुँच पाता है, जिसका दिल सच्चा और निडर हो। और आज… तुम वहाँ जाने योग्य हो।”

सरगम की आँखों में उत्सुकता चमक उठी। वह धीरे-धीरे उस चमकते हुए जादुई द्वीप पर पहुँची। ज़मीन पर कदम रखते ही उसे लगा जैसे उसके पैरों के नीचे संगीत बज उठा हो—टन-टन-टन। हर पत्ती, हर फूल, हर पत्थर में कोई न कोई धुन छुपी थी।

उसी समय, एक छोटा-सा चमकीला जीव उड़ता हुआ आया। वह तितली की तरह था, लेकिन उसके पंखों पर छोटी-छोटी लिखावटें चमक रही थीं। उस जीव ने चहककर कहा, "मेरा नाम तीरम है । मैं इस द्वीप का रक्षक हूँ। यहाँ जो भी आता है, उसे अपना सच्चा हृदय साबित करना होता है। क्या तुम तैयार हो?”

सरगम ने हिम्मत करके सिर हिलाया।

उसे इंद्रधनुष के लाल रंग से मिली हिम्मत अब काम आ रही थी।

* * * * *

तीरम ने सरगम को एक जंगल में ले जाकर कहा,
“यहाँ हर आवाज़ गूँजकर वापस आती है… लेकिन सच्चाई की आवाज़ और भी मधुर हो कर लौटती है।”

सरगम ने पेड़ों से पूछा, “क्या मैं इस रास्ते पर सही हूँ?”

पेड़ों की गूँज वापस आई—

“हाँ… हाँ… हाँ…”

और उनकी पत्तियाँ सोने जैसी चमक उठीं।

सरगम मुस्कुरा उठी।

* * * * *

जंगल के बाद तीरम सरगम को एक शांत झील के पास ले गया । झील का पानी बिलकुल साफ़ था—इतना साफ़ कि सरगम को उसमें अपना चेहरा दिखाई देने लगा।

तीरम ने कहा, “यह झील करुणा की शक्ति दिखाती है। अगर तुम किसी दुख को महसूस कर सको… तो झील तुम्हें उसका समाधान भी दिखा देगी।”

सरगम ने पानी में देखा—एक छोटा पक्षी घायल था और उड़ नहीं पा रहा था। वह दुखी हो गई। जैसे ही उसके मन में करुणा उठी, पानी चमक उठा… और झील के किनारे एक नीली जड़ी-बूटी उग आई। सरगम ने उस नीली बूटी को लिया और पक्षी के पास ले गयी और देखो ! चमत्कार हो गया और अचानक वह पक्षी ठीक होकर उड़ने लगा।

“वाह!” उसने कहा। “तो दिल की दया भी जादू बन सकती है!”

* * * * *

इसके बाद वे एक पहाड़ के पास पहुँचे। वहाँ हवा में तैरती हुई पारदर्शी सीढ़ियाँ थीं—जो सिर्फ उसी समय दिखाई देतीं, जब कोई अपने आप पर विश्वास करता।

पहली सीढ़ी पर कदम रखते ही सरगम थोड़ा घबरा गई।

“अगर मैं गिर गई तो?” उसने सोचा।

तभी उसे इंद्रधनुष का नीला रंग याद आया—गहराई और विश्वास।
उसने साहस और विश्वास के साथ अगली सीढ़ी पर कदम रखा।

सीढ़ियाँ चमक उठीं और एक रास्ता बन गया।

और आखिर में, वह पहाड़ की चोटी पर पहुँची—जहाँ चाँद की परी उसका इंतज़ार कर रही थी।

परी ने मुस्कुराकर कहा,
“सरगम, तुमने खुद को साबित कर दिया है। अब मैं तुम्हें एक उपहार देती हूँ—”

उसने अपनी चाँदी की छड़ी घुमाई, और सरगम के हाथों में एक छोटी-सी चमकदार किताब उभरी।

“यह ज्ञान की किताब है। इसमें ऐसे जादुई गीत हैं, कहानियां हैं जो तुम्हारे मन को विशाल बनाएंगे और अच्छे गुणों से भर देंगे।”

परी ने सरगम को प्यार किया और उसे चुपके से उसके बिस्तर पर छोड़ गई।

सीख : सपने देखने वाला बच्चा दुनिया को नई नज़र से देखता है। कल्पना शक्ति इंसान को उड़ने की हिम्मत देती है। हर बच्चा अपनी तरह से विशेष होता है—बस उसे और बड़ों को उसके पंख पहचानने की जरूरत है।

('परियाँ बनी तितलियाँ - कहानी संग्रह' में से)

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