Chaar Dishayen : Asghar Wajahat
चार दिशाएं : असग़र वजाहत
जिस दीवार पर लिखा होता है, ‘यहां पेशाब करना सख्त मना है,’ उसी दीवार को देखकर पेशाब करने के लिए मन मचल जाता है। आज भी कुछ ऐसा ही हुआ।
रात के सात-आठ बजे थे। मैं अपनी धुन में चला जा रहा था कि एक दीवार पर उत्तेजित करने वाला वाक्य लिखा दिखाई दिया। मैंने तुरंत फैसला कर लिया। इस तरह जैसे अपना फर्ज ही नहीं निभाऊंगा, एक बड़ी सामाजिक जिम्मेदारी भी पूरी करूंगा। लेकिन सामने से डंडा हिलाता एक सिपाही आता दिखाई पड़ा और मैं मन मसोसकर रह गया। सोचा, सिपाही आगे बढ़ जाए तो अरमान निकालूं। इस इंतजार में मैं दीवार के बराबर टहलने लगा और सोचने लगा, अगर दीवार पर यह लिखा होता तो कि कि इस दीवार के बराबर टहलाना सख्त मना है, तो मैं क्या करता
थोड़ा और आगे बढ़ा तो दीवार पर लिखा था, ‘दीवार पर पेशाब करने वाले को दंडित किया जाएगा।’ कुछ आगे लिखा था, ‘दीवार पर पेशाब करने वाले को पुलिस के हवाले किया जाएगा’ पढ़कर गुस्सा आया। वाह जी वाह, दीवार न हुई देश का संविधान हो गया।
कनखियों से देखने पर पता चला कि सिपाही अब भी दीवार की निगरानी कर रहा था। मैंने सोचा, उसे कैसे झांसा दिया जाए। एक तरफ नीम का बड़ा-सा पेड़ था। उसके नीचे कुछ अंधेरा था, मैं उसके नीचे खड़ा हो गया।
कुछ देर के बाद आंखें अंधेरे में देखने की आदी हुईं तो वहां एक आदमी और खड़ा दिखाई दिया। वह मुझे अपने जैसा ही लगा। कहते हैं अपने जैसों से बातचीत न करना पाप है, इसलिए मैंने उससे बातचीत शुरू की और पता चला कि वह भी मेरी तरह ‘इंताजार’ में है।
हमें वहां खड़े ज्यादा समय नहीं बीता था कि एक तीसरा आदमी हमारी तरफ आया। कुछ देर बाद तीसरे आदमी ने बताया कि वह ‘पेंटर’ है और उसी से दीवार पर निर्देश लिखवाए गए थे। यह जानकर हम समझे कि ‘पेंटर’ हमें पकड़वाने आया है, पर उसने बताया कि वह भी दीवार पर पेशाब करने आया है। ‘पेंटर’ की बात पर हमें थोड़ा आश्चर्य और ज्यादा खुशी हुई। हमने पूछा कि यदि उसी नें दीवार पर निर्देश लिखे हैं, तो अब वह दीवार पर पेशाब क्यों करना चाहता है पेंटर ने कहा, ‘‘मैंने अपना जीवन बचाने के लिए दीवार पर लिखा था, और अब अपने बच्चों के भविष्य के लिए दीवार पर पेशाब करना चाहता हूं।
हम बातें कर ही रहे थे कि वहां एक चौथी छाया भी आ गई ! चूंकि अंधेरा काफी था, इसलिए चौथी छाया जब हमसे हिल-मिल गई तो पता चला कि वह भी दीवार पर पेशाब करने के जुगाड़ में है। थोड़ा ध्यान से देखने और पूछने पर पता चला कि चौथी छाया दरअसल वह सिपाही है, जो डंडा लिए दीवार की सुरक्षा के लिए तैनात था।