अशुभ प्रेमी (कहानी) : गाय दी मोपासां

Ashubh Premi (French Story) : Guy de Maupassant

राजधानी में एक बड़ी ही दुस्साहसिक चोरी हुई। चोर ने जवाहरात, हीरों जड़ी एक कीमती घड़ी, अच्छी काट के हीरों के फ्रेम में जड़ी एक लघु तसवीर और काफी नगदी चुरा ली थी , जिनकी कुल कीमत एक सौ पंद्रह हजार फ्लोरिन यानी करीब साढ़े सत्तावन हजार डॉलर बैठती थी । बैंक वाले ने खुद पुलिस के पास जाकर इस लूट के बारे में बताया और साथ ही उनसे यह गुजारिश भी की कि इस वारदात की पड़ताल जितना हो सके चुपचाप और चुस्ती से की जाए । उसके पास किसी पर शक करने का थोड़ा भी आधार नहीं है और वह नहीं चाहता कि कोई बेकसूर न फँसे ।

" सबसे पहले तो आप मुझे उन तमाम लोगों के नाम दें , जो आपके सोने के कमरे में बराबर आते- जाते हैं । " पुलिस निदेशक ने कहा ।

" कोई नहीं, बस मेरी पत्नी, मेरे बच्चे और मेरा नौकर जोसेफ , जिस पर मुझे अपने बराबर भरोसा है । "

" तो आप मानते हैं कि वह ऐसा काम नहीं कर सकता? "

" बिलकुल तय बात है । " बैंक अधिकारी ने जवाब दिया ।

" तो फिर ठीक है । अब आप यह याद कीजिए कि जब आपको इस चोरी का पता चला, उस दिन या उससे ठीक पहले किसी दिन कोई ऐसा शख्स, जो आपके घर का सदस्य नहीं है, आपके सोने के कमरे में गया हो ? "

बैंकवाले ने एक पल को सोचा और फिर थोड़ा झिझकते हुए कहा — कोई नहीं, कोई भी तो नहीं । "

लेकिन अनुभवी अधिकारी ने बैंक वाले की उस हलकी हिचक और क्षणिक झेंप को ताड़ लिया , इसलिए उसने उसका हाथ पकड़ा और सीधे उसकी तरफ देखते हुए कहा — आप मुझसे बिलकुल खुलकर नहीं बता रहे हैं ;

आपके साथ कोई था और आप इस सच को मुझसे छिपाना चाहते हैं । आप मुझे सबकुछ बता दें । "

" नहीं -नहीं, सचमुच वहाँ कोई नहीं गया था । "

" तब तो इस समय बस एक शख्स है, जिस पर शक जा सकता है और वह है आपका नौकर । "

" उसकी ईमानदारी की तो मैं गारंटी दे सकता हूँ । " बैंकवाले ने फौरन जवाब दिया ।

" हो सकता है, आप गलत हों । मैं उससे पूछताछ करना चाहूँगा । "

" मेरी आपसे गुजारिश है कि आप इसमें पूरी सावधानी बरतें ? "

" इस बारे में आप मुझ पर भरोसा कर सकते हैं । "

एक घंटे बाद बैंक वाले का नौकर पुलिस के निजी कमरे में था । पुलिस अधिकारी ने सबसे पहले इस आदमी को बहुत गौर से देखा और फिर वह इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि ऐसा ईमानदार और बेफिक्र चेहरा तथा ऐसी शांत , स्थिर आँखें किसी अपराधी की नहीं हो सकतीं ।

" तुम्हें पता है, मैंने तुम्हें क्यों बुलाया है ? "

" नहीं साहब । "

" तुम्हारे मालिक के यहाँ एक बड़ी चोरी हुई है। " पुलिस निदेशक ने आगे कहा, " उनके सोने के कमरे से । क्या तुम्हें किसी पर शक है ? पिछले कुछ दिनों में कमरे में कौन गया था ? "

" मेरे अलावा और कोई नहीं गया और मेरे मालिक के घरवाले । "

" भले आदमी, तुम्हें यह नहीं लगता कि ऐसा कहकर तुम अपने आपको शक के दायरे में ला रहे हो? "

“ बिलकुल साहब । नौकर ने कहा, " आप विश्वास नहीं करते । "

" मैं किसी बात पर विश्वास नहीं करना है; मेरी ड्यूटी है कि जाँच - पड़ताल करूँ और जो भी सुराग मिले , उस पर काम करूँ । " अधिकारी ने जवाब दिया, “ अगर पिछले कुछ दिनों कमरे में जाने वाले तुम अकेले शख्स हो तो मैं तुमको ही जिम्मेदार मानूँगा । "

" मेरे मालिक मुझे जानते हैं । "

पुलिस निदेशक ने कंधे उचकाए , " तुम्हारे मालिक ने तो तुम्हारी ईमानदारी की गारंटी दी है, लेकिन मेरे लिए वह काफी नहीं है । तुम ऐसे अकेले शख्स हो, जिस पर इस समय शक जाता है और इसलिए मुझे अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि मुझे तुम्हें गिरफ्तार करना होगा । "

“ अगर ऐसी बात है । " नौकर ने थोड़ा हिचकिचाने के बाद कहा, " तो मैं सच बोलना ज्यादा अच्छा समयूँगा , क्योंकि मेरी नेकनामी मेरे लिए किसी नौकरी से ज्यादा महत्त्व रखती है । मेरे मालिक के घर में कल कोई आया था । "

" कौन था यह , कोई — ? "

" एक महिला थी । "

" उनकी जान -पहचान की एक महिला ? "

नौकर ने कुछ देर तक तो जवाब नहीं दिया । फिर वह बोला, " यह बात खुल ही जानी चाहिए । मेरे मालिक की एक रखैल है - आप समझते हैं न , साहब! सुनहरे बालों वाली एक खूबसूरत औरत । उन्होंने उसके लिए एक मकान ले रखा है और वह उससे मिलने जाते हैं , लेकिन हाँ , वह वहाँ चुपचाप जाते हैं , क्योंकि अगर मेरी मालकिन को पता चल गया तो अच्छा- खासा तमाशा खड़ा हो जाएगा । वह कल मालिक के पास आई थी । "

" क्या वे अकेले थे? "

" मैंने उसे अंदर पहुँचाया था और वह उनके सोने के कमरे में उनके पास थी , लेकिन थोड़ी देर बाद मुझे उन्हें बाहर बुलाना पड़ा था , क्योंकि उनका निजी क्लर्क उनसे बात करना चाहता था और इस तरह वह कमरे में करीब चौथाई घंटे तक अकेली रही थी । "

" उसका नाम क्या है ? "

" सिसिलिया के हंगरी की है । " उसी समय नौकर ने अधिकारी को उसका पता दे दिया ।

फिर पुलिस निदेशक ने बैंकवाले को बुला लिया और नौकर से सामना होने पर उसने उन बातों को कबूल कर लिया , जो नौकर ने बताई थीं ; हालाँकि उसे ऐसा कहते हुए बड़ा दुःख हुआ था । उसके बाद सिसिलिया को हिरासत में लेने के आदेश दे दिए गए ।

लेकिन आधे घंटे से कम समय में वह पुलिस अधिकारी लौट आया, जिसे इस काम के लिए भेजा गया था । उसने बताया कि वह पिछली शाम ही अपना घर छोड़कर चली गई और शायद राजधानी भी । बदकिस्मत बैंकवाला तो जैसे निराश ही हो गया । उसके एक सौ पंद्रह हजार फ्लोरिन तो लुटे ही, साथ ही उसके हाथ से वह खूबसूरत औरत भी निकल गई थी , जिसे उसने पूरे जोश में प्यार किया था । उसके गले यह बात नहीं उतर पा रही थी कि जिस औरत को उसने एशिया के तमाम वैभवों से लाद दिया था , जिसकी अजीब- से- अजीब सनक को उसने पूरा किया था और जिसके अत्याचार को उसने इतने धैर्य से सहा था , उसी ने इतनी बेशरमी से धोखा दिया । अब उसका फल क्या मिला? उसकी पत्नी से उसका झगड़ा हो गया और उसके घर की सारी शांति चली गई ।

उस औरत ने वहाँ से भागकर यह तो पक्का कर दिया था कि चोरी उसी ने की थी । पुलिस उसे पकड़ने के लिए शोर मचाने के अलावा कुछ नहीं कर पाई, लेकिन इस सब का कोई फायदा नहीं हुआ । बैंकवाले के दिल में प्यार की जगह नफरत और बदले की आग ने ले ली थी । पुलिस निदेशक से उसकी यह गुजारिश भी बेकार गई कि वह उस खूबसूरत अपराधी को पकड़ने और सजा देने के लिए हर तरीका अपनाए । उसका यह जिम्मेदारी लेना भी बेकार गया कि वह उस पर अभियोग चलाने का सारा खर्च देगा , चाहे वह जितना भी क्यों न हो । विशेष पुलिस अधिकारियों को कहा गया कि वे कोशिश करके उसे तलाश करें, लेकिन सिसिलिया पुलिस की पकड़ में आने वाली नहीं थी ।

तीन बरस बीत चुके थे और उस दुखद कहानी को जैसे भुला दिया गया था । बैंक वाले को उसकी पत्नी ने माफ कर दिया था और जिसकी उसे कहीं ज्यादा परवाह थी । उसने एक दूसरी सुंदर रखैल ढूँढ़ ली थी । पुलिस ने जैसे अब उस खूबसूरत हंगरी औरत के बारे में परेशान होना छोड़ दिया था ।

अब हम दृश्य बदलकर लंदन में आते हैं । वहाँ एक दौलतमंद महिला थी, जिसने समाज में खूब सनसनी फैलाई हुई थी । अपनी खूबसूरती और अपने खुले व्यवहार के दम पर कई जीतें हासिल की थीं । अब उसे एक साईस की जरूरत थी । उसके पास कई लोगों की दरख्वास्तें आई। उनमें एक नौजवान भी था , जो देखने- भालने और शिष्टाचार में इतना अच्छा था कि लोग यही समझते थे कि वह काफी पढ़ा-लिखा होगा । उस महिला की नौकरानी की नजर में यह एक सिफारिश थी और वह तुरंत उसे अपनी मालकिन के निजी कमरे में ले गई । जब वह कमरे में घुसा तो उसने एक खूबसूरत और मोहक शरीर वाली एक औरत को देखा, जो अधिक - से - अधिक पच्चीस बरस की रही होगी । उसकी आँखें बड़ी- बड़ी और चमकदार थीं ; बाल नीलापन लिये काले थे, जो उसके गोरे रंग की चमक को बढ़ाते हुए लग रहे थे। वह एक सोफे पर लेटी थी । उसने नौजवान को देखा; उसके बाल भी घने- काले थे । उसने उस महिला की टटोलती निगाहों के आगे अपनी चमकती काली आँखें फर्श पर झुका लीं । वह संतुष्ट लग रहा था । महिला उसके छरहरी, खिलाडियों जैसे जिस्म से खासी प्रभावित लग रही थी , फिर वह आधी सुस्ती और आधे अभिमान में बोली - " तुम्हारा नाम क्या है ? "

" लायोश माटियाशी । "

हंगरी के हो ? महिला ने उसे अजीब ढंग से देखा ।

" हाँ । "

" यहाँ कैसे आए? "

" मैं उन बहुत सारे प्रवासियों में से हूँ, जिन्होंने अपना वतन और अपनी जिंदगी को छोड़ा है । मैं अच्छे खानदान का हूँ और होनवेल्ड में एक अफसर था । अब मुझे सेवा में जाना पड़ेगा और मैं ईश्वर को धन्यवाद कहूँगा अगर मुझे ऐसी औरत मिल जाए, जो आपकी तरह खूबसूरत हो , साथ ही ऊँचे दरजे वाली भी हो । "

मिस जोइ नाम की वह प्यारी औरत मुसकरा दी और उसके साथ ही मोतिया दाँतों की दो कतारें दिख गई ।

"मुझे तुम देखने में अच्छे लगे । " उसने कहा - " और मेरी इच्छा हो रही है कि अगर तुम मेरी शर्तों पर राजी हो तो मैं तुम्हें अपनी नौकरी में रख लूँ । "

एक औरत वाली सनक है यह । नौकरानी ने अपने मन में कहा । जब उसने मिस जोइ को कशिश के साथ अपने नौकर को ताकते देखा; जल्दी ही खत्म हो जाएगी यह । लेकिन वह अनुभवी औरत उस समय मुगालते में थी ।

जोइ को सचमुच प्यार हो गया था और लायोश उसे जो इज्जत देता था, उससे वह बहुत चिड़चिड़ा जाती थी ।

एक शाम जब वह इतालवी ऑपेरा जाना चाहती थी तो उसने अपनी गाड़ी को रद्द कर दिया और उस श्रेष्ठ प्रशंसक से मिलने से इनकार कर दिया , जो अपने आपको उसके कदमों में गिरा देना चाहता था । उसने हुक्म दिया कि उसके साईस को उसके निजी कमरे में भेज दिया जाए ।

" लायोश! " उसने कहना शुरू किया, “ मैं तुमसे बिलकुल भी संतुष्ट नहीं हूँ। "

" क्यों मैडम ? "

" मैं अब तुम्हें अपने पास नहीं रखना चाहती ; यह रही तुम्हारी तीन महीने की तनख्वाह । फौरन यह घर छोड़ दो । " वह अधीर होकर कमरे में इधर - से -उधर चहलकदमी करने लगी ।

" आपके हुक्म की तामील करूँगा, मैडम । " साईस ने जवाब दिया, " लेकिन अपनी तनख्वाह नहीं लूंगा । "

" क्यों नहीं लोगे ? " उसने जल्दी से पूछ लिया ।

" क्योंकि तब मैं तीन महीनों के लिए आपके अधिकार में हो जाऊँगा । " लायोश ने कहा, " मैं इसी पल आजाद हो जाना चाहता हूँ, ताकि मैं आपको बता सकूँ कि मैंने आपकी नौकरी आपके पैसों के लिए नहीं की , बल्कि इसलिए की , क्योंकि मैं एक खूबसूरत औरत होने के कारण आपको प्यार करता हूँ , आपको पूजता हूँ । "

" तुम मुझे प्यार करते हो! " जोइ बोल पड़ी , " तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया? मैं तो तुम्हें बस इसलिए अपने आपसे दूर करना चाहती थी , क्योंकि मैं तुम्हें प्यार करती हूँ और मैं नहीं जानती थी कि तुम मुझे प्यार करते हो , लेकिन तुमने जो मुझे इस तरह सताया है तो अब तुम उसके लिए दर्द झेलोगे । फौरन मेरे कदमों में आओ। "

साईस उस प्यारी चीज के आगे घुटनों के बल झुक गया और उस खूबसूरत औरत के नम होंठ एकदम उसके होंठों से सट गए ।

उस पल से लायोश उसका प्रिय बन गया । बेशक उसे जलने नहीं दिया गया, क्योंकि एक जवान नवाब अभी भी उस महिला का घोषित प्रेमी था और वह खुशी - खुशी हर चीज का भुगतान करता था । यही नहीं अच्छे दोस्तों की एक पूरी फौज थी , जो कभी- कभार एक मुसकान पाकर या एक - दो बार इससे ज्यादा पाकर अपने को खुशनसीब समझते थे और जिन्हें , उसके बदले में यह इजाजत थी कि वे उसे नायाब फूल या हीरों का तोहफा दे सकते थे ।

जोइ के साथ लायोश की अंतरंगता जितनी बढ़ती गई, उसके देखने से जोइ को उतनी ही ज्यादा बेचैनी होने लगी । वह उसकी तरफ देखता भी तो बार- बार था और वह भी तिरस्कार के साथ । वह पूरी तरह से उसके प्रभाव में थी और उससे डरती भी थी । एक दिन जब वह उसकी काली घुघराली लटों से खेल रहा था तो उसने मजाक उड़ाते हुए कहा, " कहते हैं कि आम तौर पर विपरीत चीजें एक - दूसरे को अपनी तरफ खींचती हैं , फिर भी तुम उतनी ही काली हो जितना मैं । "

वह मुसकराई और फिर उसने अपने काले घुँघराले बाल उतारकर फेंक दिए । अब सबसे सुंदर, सफेद बालों वाली औरत लायोश की बगल में बैठी थी । वह उसे ध्यान से, लेकिन बिना चकित हुए देख रहा था ।

लगभग आधी रात के समय वह अपनी मालकिन से यह कहकर निकला कि वह घोड़ों को देखने जा रहा है । उस खूबसूरत औरत ने एक बहुत प्यारी सोने की पोशाक पहनी और सोने चली गई । वह पूरे एक घंटे अपने प्रेमी के इंतजार में जागती रही, फिर सो गई, लेकिन दो घंटे में उसे नींद से उठा दिया गया । उसने एक पुलिस इंस्पेक्टर और दो सिपाहियों को अपने शानदार पलंग के पास देखा ।

" तुम्हें कौन चाहिए? " वह चिल्लाई ।

" सिसिलिया के । "

" मैं मिस जोइ हूँ । "

" ओह ! मैं तुम्हें जानता हूँ। " इंस्पेक्टर ने मुसकराते हुए कहा , " मेहरबानी करके अपनी काली जुल्फें उतार दो तो तुम सिसिलिया के हो जाओगी । मैं तुम्हें गिरफ्तार करता हूँ । "

" हे भगवान् ! " उसने हकलाते हुए कहा, " लायोश ने विश्वासघात किया है । "

" आप भूल कर रही हैं मैडम , " इंस्पेक्टर ने जवाब दिया , " उन्होंने तो बस अपनी ड्यूटी पूरी की है । "

" क्या ? लायोश — मेरे प्रेमी ने ? "

" नहीं , लायोश जासूस ने । "

सिसिलिया बिस्तर से उठी और अगले ही पल वह बेहोश होकर फर्श पर गिर पड़ी ।

  • मुख्य पृष्ठ : गाय दी मोपासां की कहानियाँ हिन्दी में
  • फ्रांस की कहानियां और लोक कथाएं
  • भारतीय भाषाओं तथा विदेशी भाषाओं की लोक कथाएं
  • मुख्य पृष्ठ : संपूर्ण हिंदी कहानियां, नाटक, उपन्यास और अन्य गद्य कृतियां