छोटी लड़कियों के लिए सलाह (कहानी) : मार्क ट्वेन

Advice To Little Girls (English Story in Hindi) : Mark Twain

अच्छी छोटी लड़कियों को हर छोटी-मोटी नाराज़गी पर अपने शिक्षकों को मुँह नहीं चिढ़ाना चाहिए। इस जवाबी कार्रवाई की शरण में केवल विशिष्ट रूप से उग्र हो गयी परिस्थितियों में जाना चाहिए।

अगर तुम्हारे पास लकड़ी के बुरादे से भरी चिथड़े से बनायी गुड़िया के अलावा कुछ भी न हो, जबकि तुम्हारी किसी अधिक भाग्यशाली सहेली के पास महँगी चीनी गुड़िया हो, तो भी तुम्हें उससे दयालुता दिखाते हुए बर्ताव करना चाहिए। और तुम्हें उसकी गुड़िया से अपनी गुड़िया को बदलने का बलपूर्वक प्रयास नहीं करना चाहिए बशर्ते कि तुम्हारी अन्तरात्मा तुम्हें इस कार्य में सही ठहराये, और तुम जानती हो कि तुम ऐसा करने में बिल्कुल सक्षम हो।

तुम्हें अपने छोटे भाई की च्युइंग-गम को बल के नग्न प्रयोग के साथ उससे छीनना नहीं चाहिए; उसे पहले इस वायदे में फँसाना बेहतर होगा कि तुम उसे वह ढाई डॉलर दोगी जो तुम्हें नदी में एक सान वाले पत्थर पर तैरते हुए मिले हैं। जिन्दगी के इस दौर की नैसर्गिक सरल निष्कपटता के साथ, वह इसे एकदम न्यायपूर्ण लेन-देन मानेगा। दुनिया के इतिहास के सभी दौरों में इस उत्कृष्ट रूप से विश्वस्नीय लगने वाली कल्पना ने भोले-भाले शिशुओं को वित्तीय तबाही और बरबादी के गड्ढे में धकेला है।

अगर किसी मौके पर तुम्हें अपने भाई को सही रास्ते पर लाने की ज़रूरत पड़े तो ऐसा कीचड़ का प्रयोग करके मत करो- कभी-भी, किसी भी कीमत पर, उस पर कीचड़ मत फेंको क्योंकि इससे उसके कपड़े ख़राब हो जायेंगे। उसे गर्म पानी से थोड़ा-सा जला देना ज़्यादा बेहतर होगा, क्योंकि तब तुम्हें वांछित नतीजे मिल जायेंगे। उन शिक्षाओं के लिए तुम्हें उसका ध्यान तत्काल हासिल हो जाता है जो तुम उसके मन में बिठाना चाहती हो, और फिर साथ ही तुम्हारे गर्म पानी में उसके व्यक्तित्व से, और शायद धब्बों के रूप में त्वचा से भी, अशुद्धताएँ दूर करने की प्रवृत्ति भी होगी।

अगर तुम्हारी माँ तुम्हें कुछ करने के लिए कहती है, तो यह जवाब देना एकदम ग़लत है कि तुम नहीं करोगी। यह बेहतर और यथोचित होगा कि तुम उसे बताओ कि तुम वैसा करोगी जैसा कि उसका आदेश है, और फिर उसके बाद चुपचाप उस मामले में वही करो जो तुम्हारे सर्वश्रेष्ठ निर्णय विवेक का निर्देश हो।

तुम्हें हमेशा यह बात अपने दिमाग़ में रखनी चाहिए कि तुम अपने दयालु माता-पिता के प्रति ऋणी हो कि तुम्हें भोजन मिलता है, और इस विशेषाधिकार के लिए भी कि जब तुम ऐसा ज़ाहिर करती हो कि तुम बीमार हो, तो तुम्हें स्कूल भेजने की बजाय घर पर रहने दिया जाता है। इसलिए तुम्हें उनके छोटे-मोटे पूर्वाग्रहों का सम्मान करना चाहिए, और उनकी मामूली सनकों को मानना चाहिए, और उनकी मामूली नैतिक दुर्बलताओं को तब तक सहन करना चाहिए जब तक कि वे तुम्हें बुरी तरह से न घेर लें।

अच्छी छोटी लड़कियाँ हमेशा बुजुर्ग लोगों के लिए विशेष सम्मान दिखलाती हैं। तुम्हें बुजुर्ग लोगों को ढिठाई से कभी जवाब नहीं देना चाहिए, बशर्ते कि पहले वे तुमसे ढिठाई से बात न करें।

(अनुवाद : अभिनव)

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