अद्भुत सितारा (कहानी) : पर्ल एस. बक

Adbhut Sitara (English Story in Hindi) : Pearl S. Buck

वह क्रिसमस के दिन भोर से ही काम में लगा हुआ था। काम में डूबे होने के कारण वह कुछ पल के लिए समझ ही न पाया कि वह कहाँ था । उस आलसीपन में वह अपने बचपन के दिनों को याद करने लगा। इस समय वह अपने पुराने घर के फार्म में था। कल उसके कमरे की छत की एक शहतीर टूटकर उसके ऊपर आ गिरी थी। कल ही तो वह अपने परिवार को एक तरह से जबरदस्ती, उनके भारी विरोध के बावजूद इस पुराने घर में लेकर आया था।

"ओह डैड !” उसकी बेटी ऐना कुनमुनाई थी, "इस समय फार्म पर जाना है, वह भी क्रिसमस की पूर्व-संध्या पर ? परंतु मैंने तो पहले ही कहीं और जाने का कार्यक्रम बनाया हुआ है।" वह बात इतने गुस्से से कही कि उसने बेटी की ओर घूरकर देखा ।

“इतने वर्षों से मैंने तुम्हें कभी किसी बात के लिए कुछ कहा है ?"

उसके बेटे ने तुरंत कहा, "मुझे किसी के साथ 'डेट' पर जाना है, डैड । "

"तुम उस 'डेट' को कैंसिल कर दो, हाल।" उसने विनम्रता से कहा ।

अपने दोनों बच्चों को वैसे ही मुँह फुलाए और गुस्से में छोड़ वह अपनी पत्नी हेलन की ओर पलटा ।

"इस घर से क्रिसमस विदा हो चुका है।" उसने पत्नी से कहा ।

वह धीमे से मुसकराई, “मुझे तुम्हारे लंबे-चौड़े वायदों की आदत पड़ चुकी है, डार्लिंग, और ऐसा तब से होता रहा है, जब से युद्ध समाप्त हुआ है। उसके पश्चात् सबकुछ बदल गया, मगर वह सब भी अनिवार्य था । "

" परंपराएँ कभी नहीं बदलतीं, " उसने जोर देकर कहा, “हम फिर से अपने उसी परंपरागत परिवेश में लौटेंगे। मैं एक घंटे में ही कार को तैयार कर लूँगा। "

उसने आदेशात्मक लहजे में कहा, जिस लहजे से वह युद्ध के दिनों में अपनी टुकड़ी को आदेश दिया करता था, बल्कि पिछले कुछ वर्षों से परमाणु अनुसंधान में काम करते हुए भी उसके व्यवहार में कोई अंतर नहीं आया था। उसके अपनी प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों को भी उसकी आज्ञाओं का पालन करने की आदत थी। वह घरवालों का इससे ज्यादा विरोध सुनने के लिए वहाँ नहीं रुका। समय की पाबंदी को जानते हुए उसके घर के सदस्यों ने एकदम खामोशी से एक घंटे के भीतर ही जाने की पूरी तैयारी कर ली और दूर फार्म हाउस के सफर पर चल निकले।

आखिरकार सभी ने उसकी बात को मान लिया था। वे सभी यहाँ एक साथ थे, देर रात तक चलनेवाले नाच-गानों से मीलों दूर, बेतहाशा शराब पीने जैसी समय बरबाद करनेवाली बेहूदगी से, जिन्हें वह नापसंद करता था। फिर अब तो क्रिसमस था । उसे यकीन था कि इस पवित्र दिन के साथ वह अपने परिवार को फिर से एक साथ जोड़ लेगा, जो पिछले कई वर्षों से लगातार अपने काम में डूबे रहने के कारण उससे पीछे छूटता जा रहा था।

उसका काफी नाम था, शोहरत थी । आर्नोल्ड विलियम्स, परमाणु वैज्ञानिक, जो दुनिया के सर्वश्रेष्ठ तीन वैज्ञानिकों में से एक था, जिसने उन्हें भी अपने काम से अभिभूत कर बहुत पीछे छोड़ दिया था । पूरे विश्व भर के वैज्ञानिक उससे परामर्श करने और उसके साथ विचार-विमर्श करने के लिए आते थे। वह भी प्रभावशाली तरीके और विस्तार से उन्हें अपने अनुसंधानों के बारे में ज्ञानवर्धक जानकारी प्रदान करता था। उसने अपना पूरा जीवन परमाणु अनुसंधानों के लिए समर्पित कर दिया था।

युद्ध के दौरान अवश्य यह उसकी ड्यूटी का हिस्सा था कि उसके प्रयोगों पर उसके देश की सरकार का हक रहे; लेकिन युद्ध समाप्ति के पश्चात् उसकी ड्यूटी तथा प्रयोगों की सफलता एक-दूसरे में इस प्रकार घुल-मिल गई कि दोनों में कोई विशेष अंतर नहीं रह गया था।

अब उसने अपने कार्य को एक अलग रास्ते की ओर मोड़ दिया था। अब उसके बच्चे बड़े हो गए थे और हेलन भी अपनी उम्र से अधिक बूढ़ी लगने लगी थी। उनके बीच पहले की भाँति प्यार और खुशी नहीं रह गई थी। कल यूनिवर्सिटी की प्रयोगशाला से थोड़ी ही दूरी पर अपने घर की ओर जाते हुए उसे एकाएक इस बात का एहसास हुआ कि आखिर हो क्या रहा है, क्रिसमस का दिन आ गया और अभी तक खरीदारी चल रही है! यह बनावटी और आधुनिक ढंग का क्रिसमस ट्री "नहीं-नहीं "यह कैसा क्रिसमस है ?

उसको याद आया कि उसकी बेटी ऐना, जो बहुत ही प्यारी है, हर समय घबराई रहती, कभी खुश नजर न आती । वह टेलीफोन के आस-पास ही मँडराते रहती, ऐसा लगता कि शायद फोन पर वह जिसकी आवाज सुनना चाहती थी, वह उसकी आवाज नहीं होती थी, जिसे सुनकर वह हमेशा निराश हो जाती थी । आखिर वह किससे बात करना चाहती थी ? नहीं, यह ठीक बात नहीं है। किसका कहना मानेगी वह ? ओह, मेरी प्यारी बेटी ! इसे सही रास्ते पर लाने के लिए मुझे आज अपने परिवार के साथ ही रहना चाहिए।

आखिर वह सितारा कहाँ है ? क्रिसमस के दिनों में जब लड़कपन में वह यहाँ इस बिस्तर पर लेटकर बहुत ऊँचाई पर चमकते हुए उसे देखा करता था। पहले-पहल वह देखने पर गुलाबी लगता था, आमतौर पर वह दूधिया लगता। वे जब दरवाजा खोलते तो सामने क्रिसमस ट्री खड़ा होता था। ओह, यह क्रिसमस का सितारा है! उसे फिर से देखने के लिए उसने अपने ऊपर से लिहाफ को परे फेंका और उछलकर बिस्तर से उठ बैठा । धत् तेरे की ! हो सकता है, अब वह सितारा वहाँ न हो।

वह उठकर अपने पुराने कपड़ों को टटोलने लगा, जो उसे उस अतीत में ले गए, जब इस सितारे ने उसके जीवन को एक नई दिशा दी थी। वह उसे आसमान में ले गया था।

"तुम्हें क्रिसमस के लिए क्या चाहिए, मेरे बच्चे ?" जब वह चौदह वर्ष का था, तब एक बार उसके पिता ने उससे पूछा था ।

"मुझे टेलीस्कोप चाहिए ।" उसने कहा था।

उसके पिता ने उसकी ओर हैरत से देखा, उसकी नीली चमकती आँखें जिज्ञासा से पिता की दाढ़ी में उलझ गई थीं।

"किसलिए ?"

"सितारों को देखने के लिए। "

उसके पिता ने बिना कोई प्रतिक्रिया दिखाए मुँह में कुछ कहा, परंतु क्रिसमस की सुबह पेड़ के नीचे उसके लिए मँगवाया गया टेलीस्कोप पड़ा था । उसने पिता से सिर्फ यही तोहफा चाहा था। अब वह बेचैनी से रात होने की प्रतीक्षा करने लगा। वह चाहता था कि रात तुरंत हो जाए। अंततः रात होने पर उसने ज्यों ही अपनी आँख टेलीस्कोप में घुसाई, वह सितारों को देख सकता था, लेकिन यह क्या ! ये बहुत बड़े व चमकीले भी दिखाई दे रहे थे, मगर उससे उतने दूर भी थे।

अगले दिन प्रयोग के तौर पर वह उस टेलीस्कोप से सूर्य की ओर देखने लगा । वह आश्चर्यचकित रह गया। वहाँ उसे कुछ धब्बे नजर आए। इस उत्सुकता के कारण उसने आकाश को जानने के लिए उससे संबंधित एक पुस्तक खरीदी। इस प्रकार उसकी रुचि अंतरिक्ष में बढ़ने लगी।

वह स्कीइंग पैंट, फर के कोट और जूते पहनकर तैयार हुआ। उसने कमरे से निकलते हुए दरवाजे को जोर से बंद किया, फिर एकदम से चौंक गया, क्योंकि हेलन अभी सो रही थी। उसने सोचा कि वह सोती रहे । यदि वह उसे जगाता तो उससे शांत भाव और धैर्य से पेश आती, जैसा कि वह हमेशा से करती रही थी, तब से जब वह देर रात अँधेरे में चहलकदमी करते हुए घूमता रहता था ( ऐसा बहुत पहले से होता आ रहा था, क्योंकि उसकी प्रसिद्धि ने उसके दिन-रात को एक ही कर दिया था)। इस सबके लिए आवश्यक था कि वह अकेले सोए कि जब वह अपने सिद्धांतों को गढ़ने में डूबा होता तो उसे किसी भी प्रकार का अवरोध पसंद नहीं था । वह यह भी जानता था कि जब तक उस वह सिद्धांत को प्रयोग में नहीं ढाल लेगा, उसे चैन नहीं मिलेगा।

अपनी सगाई के दिन उसने हेलन से कहा था, "जब तुम्हारी शादी मुझसे होगी तो समझना, तुम्हारी शादी किसी व्यक्ति के साथ नहीं, किसी 'दैत्य' से हुई है। "

यह सुनकर वह हँस दी थी। युद्ध के दौरान जब वे लॉस अल्मॉस के बैरक में रह रहे थे, वह उसकी ओर गौर से देखने लगी।

"ऐसे क्यों देख रही हो?" उसने जानना चाहा ।

" हूँ, सोच रही हूँ, तुम एक तरह से 'दैत्य' ही हो।" उसने कहा ।

वह हँस दिया था, मगर ये शब्द अभी फिर से सुनाई दिए थे, जब उसने अँधेरे में जोर से रसोई का दरवाजा बंद किया था। बाहर बेहद सर्दी थी, शायद इसलिए भी ज्यादा लग रही थी, क्योंकि घर काफी गरम था। उसने वर्षों पहले वहाँ एक लालटेन लाकर रखी थी, जब बच्चे बहुत छोटे थे, परंतु जब वह बच्चा था, तब वहाँ रसोई में अलग-अलग लकड़ियों का विशाल ढेर हुआ करता था। यादगार के तौर पर वह ढेर अभी भी मौजूद था।

बर्फ उसके जूतों के नीचे आकर 'किचिर- किचिर' कर रही थी। वह मैदान की ओर जा रहा था । आकाश एकदम साफ था, सितारे बर्फीली हवा में भी जगमग करते चमक रहे थे। उसने ऊपर आसमान की ओर देखा । आह ! उसका सितारा कितना समतल लग रहा था, कोठरी में लगे शहतीरों जैसा । हालाँकि यह उतना बड़ा नहीं था, जितना वह सोच रहा था, लेकिन काफी हद तक उस जैसा ही था ।

वर्षो पहले यह सितारा और भी विशाल हुआ करता था और अब से ज्यादा चमकीला भी था या शायद बचपन के दिनों से उसकी आँखों में वही छवि समाई हुई थी। जो भी हो, वह छवि अभी तक वैसी ही चमकदार, स्थिर और अटल सत्य की तरह उसकी चेतना में मौजूद थी।

उसके जूतों ने बर्फ के नीचे भी अपनी जानी-पहचानी पगडंडी को ढूँढ़ लिया था। वह अपने अतीत लौट गया था, ब्रह्मांड के उन्हीं सुनहरे अतीत में। वर्षों पहले ही वह जिस सत्य को उस एक सितारे के माध्यम से ही जान गया था । उसे उसने अपनी जवानी में, जल्दबाजी और अति उत्साह में खो दिया था, दिन-रात औद्योगिक पूँजीवाद की प्रयोगशाला में जीवन बिताते हुए उसकी अपनी भी एक छोटी प्रयोगशाला थी, जहाँ वह देर रात तक सूर्य की विस्फोटक किरणों के रहस्यों को जानने का प्रयत्न किया करता था और अपनी अत्यंत अल्प छुट्टियों में आइंस्टीन की जर्मनी तथा श्यरफोर्ड के इंग्लैंड की यात्रा तीर्थस्थान समझकर किया करता था।

संशयवादी और निडरता से भरपूर वह इस समय छोटी इमारत के बाहर खड़ा अचंभित महसूस कर रहा था, जब क्रिसमस की भोर का सितारा उसके सामने था। उसे इस बात का गर्व था कि एक तर्कवादी होने के कारण उसने परमाणु के कणों से खौफ के साथ विनम्रता को भी खोज लिया था, जबकि इसकी प्राप्ति से पहले ही उसे यह असीमित शक्ति व ऊर्जा रेगिस्तान के उस एक छोटे से कण में छिपी महसूस हुई थी, जिसे आँखों से देखना भी संभव नहीं था ।

हाँ, जिस सितारे को वह इस समय टकटकी लगाए देख रहा था, इसी ने उसकी जिंदगी को एक नई दिशा दी थी। इसके बाद क्या, मालूम नहीं क्रिसमस की इस भोर के बाद हालात क्या करवट लेंगे ?

अचानक उसे कँपकँपी महसूस हुई, तभी उसे याद आया कि वह घुटनों तक बर्फ में धँसा खड़ा था। रात को ही पड़ी बर्फ के नर्म फाहे अभी भी पेड़ों की शाखाओं तथा टहनियों से चिपके नजर आ रहे थे, इसी कारण झील की ओर से आनेवाली हवा काफी बर्फीली लग रही थी। अनिच्छा से वह पलटा तथा अपने घर जानेवाली पगडंडी की ओर बढ़ने लगा और तेजी से रसोई में दाखिल हो गया ।

दरवाजा खोलते हुए उसने देखा कि अंदर बत्ती जल रही हैं और हेलन फलालेन के 'बाथरोब' में लिपटी हुई गैस स्टोव के आगे खड़ी कॉफी बना रही थी ।

"क्रिसमस मुबारक हो!" कहते हुए उसने हेलन को चूम लिया, “मैंने तुम्हें जगा दिया क्या ?"

" तुम कितने ठंडे लग रहे हो, एकदम हिम मानव जैसे, " उसने अपने गाल को पोंछते हुए कहा, "नहीं, तुम्हारे कारण मैं नहीं जगी, असल में मैं ठीक से सो नहीं पाई थी । "

"हूँ, क्रिसमस की प्रसन्नता के कारण, जो तुम्हारी रग-रग में भरा हुआ है ?"

उसने असहमति से सिर हिलाया, “अब मैं ठीक से सो ही नहीं पाती।" उसने दो प्याले लाकर मेज पर रखे और उनमें कॉफी उड़ेलने लगी, "तुम नाश्ता अभी करोगे ?"

"नहीं, अभी नहीं, फिलहाल मैं कॉफी ही लूँगा । "

वे दोनों बैठकर कॉफी पीने लगे। हेलन धीरे-धीरे, जबकि वह गरम कॉफी के बड़े-बड़े घूँट भरने लगा।

" मजा आ गया "" बाहर बहुत ठंड है।"

"तुम इस वक्त बाहर ठंड में क्या कर रहे थे ?"

"तुम क्या कहोगी, अगर मैं तुमसे कहूँ कि मैं बाहर अपने सितारे को देखने के लिए गया था ?" उसने जवाब दिया।

"अब तो बहुत अरसा हो गया, जब तुम्हें सितारों में दिलचस्पी हुआ करती थी। " हेलन ने कहा ।

उसने गौर से पत्नी की ओर देखा, वह बहुत थकी हुई नजर आ रही थी। कितनी कमजोर लग रही थी वह ! “हमें शायद इतनी दूर फार्म हाउस पर नहीं आना चाहिए था। यह शायद तुम्हारी सेहत के लिए बहुत भारी पड़ रहा है। तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं लग रही, हेलन ?"

'नहीं- नहीं, मैं ठीक हूँ। मुझे लगता है कि मैं अब थोड़ी बूढ़ी होने लगी हूँ ।"

"रहने दो। तुम किसी बात को लेकर परेशान लग रही हो !"

वह और कॉफी बनाने के लिए उठी, “मैंने सुना, ऐना रात को रो रही थी !”

उसने विस्मय से हेलन की ओर देखा, "ऐना क्यों रो रही थी ?"

"उसने कुछ बताया नहीं, " हेलन ने प्रत्युत्तर में कहा, “तुम जानते ही हो कि आजकल वे ये बच्चे नहीं बताते। कोई जान ही नहीं सकता कि उनके भीतर क्या चल रहा है।"

इतना कहकर हेलन ने पति की ओर उदास और आश्चर्यमिश्रित निगाह से देखा, जिसे वह पूरी तरह समझ न पाया।

"ऐना अपनी खुशी से कल यहाँ आने के लिए तैयार हुई थी, " उसने जैसे पत्नी को याद दिलाया, 'वह यहाँ आने के लिए हाल से ज्यादा उत्साहित लग रही थी । हाल को शायद किसी के साथ डांस - वांस के लिए कहीं जाना था। "

"उन दोनों की ही पार्टियाँ थीं," कॉफी के प्याले में चम्मच हिलाते हुए हेलन ने कहा, "इसका यह मतलब नहीं है कि ऐना आसानी से सबकुछ छोड़ देनेवालों में से है। अगर सचमुच वह कुछ पाना चाहती हो।"

"हाँ, यह सच हैं।"

ऐना कभी भी उस बात को नहीं छोड़ती, जब उसे कुछ चाहिए होता है। इसका मतलब कल उसके लिए कुछ अधिक महत्त्वपूर्ण करने को नहीं था, जिसके लिए वह उत्साहित होती ।"

"मुझे लगता है कि वह ब्रेसलेट चाहती है। मैंने क्रिसमस पर उसे देने के लिए खरीदा है, " बुदबुदाते हुए वह बोला, "बहुत महँगा है।"

"मुझे नहीं मालूम, उन्हें और क्या चाहिए ! पता नहीं क्यों हर कोई बदल गया है!" दीर्घश्वास लेते हुए उसने कहा और कॉफी चुस्की लेने लगी। प्याले को उसने अपनी दोनों हथेलियों में थाम लिया, जैसे वे बहुत ठंडी हों।

वह बहुत गौर से उसके चेहरे की ओर देखने लगा, जो मुरझाए होने के बावजूद बहुत सुंदर था। बहुत लंबे अरसे के बाद उसने हेलन को इस प्रकार सुबह के वक्त देखा था, जब वह अभी सोकर उठी हो । आमतौर पर वह सुबह-सवेरे ही उसे सोता छोड़कर अपने काम में लग जाता था ।

"तुम ठीक तो हो ?” उसने एक बार फिर से पूछा ।

'थकावट है "शायद उम्र का तकाजा है।" उसने जवाब दिया।

"यह औरतों का मामला है।" उसने जैसे निर्णयात्मक ढंग से कहा । फिर जाते हुए उसे चूमा और कहा, "याद करो, जब तुम मेरे साथ 'मोंट बलैंक' पर्वत पर चढ़ी थी, जब हम नाभिकीय किरणों को देखने के लिए गए थे। इस बात को बहुत लंबा समय नहीं हुआ है।"

वह पीड़ा से मुसकराई, मगर कुछ न बोली। विलियम्स ने उसके बालों को शरारत से छितरा दिया तो हेलन ने उसका हाथ थामकर उसे एक हलकी सी चपत लगा दी।

"मैं शर्त लगाकर कह सकती हूँ कि तुमने अभी तक क्रिसमस के तोहफों को सजाया नहीं होगा । "

"नहीं, तुम गलत कह रही हो। मैंने उन्हें रेशमी कपड़े में लपेट दिया है।" उसने उत्तर दिया।

वह अचंभित होकर बोली, "इसका मतलब तुम सबकुछ यहाँ लेकर आए हो ?"

"हाँ, सबकुछ, " उसने बताया, "जब मैंने गिफ्ट पैकिंग के लिए कहा तो क्लार्क कहने लगा कि गिफ्ट - पैकिंग के लिए रेशमी कपड़ा जरूरी होता है।"

उसकी बात सुनकर हेलन हँस दी और वह विजय भाव से मुसकरा दिया।

वह आगे कहने लगा, “और अब मैं जा रहा हूँ ऊपर चौबारे "अपने कीमती तोहफे नीचे क्रिसमस- ट्री के पास रखने के लिए।"

" नीचे रखने की बजाय तुमने तोहफे ऊपर चौबारे में क्यों रखे ?” उसने पूछा। “बच्चे अब बड़े हो गए हैं, उन्हें इस तरह ताक- -झाँक करने की आदत नहीं रही, तुम भूल गए क्या ?"

“आदत ! कल रात को जब मैं अपने कुछ कीमती सामान रखने चौबारे में गया, वहीं, जहाँ हमने ऐना की गुड़िया के घर को छुपाया था, हाल की साइकिल को भी "कितने ही वर्ष बीत गए हमें यहाँ क्रिसमस मनाए हुए। "

" तब से नहीं, जब से तुम परमाणु के आकर्षण में डूबे हो, " वह कहने लगी, "मैं जानती हूँ न्यूक्लियर के प्रति तुम्हारे सम्मोहन को।" कहते हुए उसकी नीली आँखों में वह पहले जैसी ही चमक दिखी।

"आह, यह सम्मोहन ही है !” उसने प्रत्युत्तर में कहा। वह उसे वही छोड़कर सीढ़ियाँ चढ़ते हुए चौबारे में चढ़ गया। वहाँ उसके तोहफे खाकी कागज के बैग में रखे हुए थे, जो कि उसने कल वहाँ छुपाकर रख दिए थे। तोहफे लेकर वापस लौटते हुए जब वह आधी सीढ़ियों तक पहुँचा तो उसने ऊपरी हॉल से ऐना की आवाज सुनी। वह किसी से बात कर रही थी, अवश्य ही किसी लड़के से ।

"मेरा यहाँ रात को आने का क्या फायदा हुआ ?"

"हाँ, मैं हाल के साथ आ सकती हूँ, उसकी किसी से 'डेट' थी, लेकिन क्या फायदा? आधी रात के करीब हम लोग यहाँ पहुँचे थे और हमने 15 मिनट या अधिक-से-अधिक आधा घंटा एक साथ बिताया, बाकी समय अगर आप लोग असुविधा महसूस करते हो तो इसमें क्या अच्छा हुआ है ?"

उसने यह सब बहुत धैर्य व तकलीफ से सुना और उसकी छाती में दर्द होने लगा। उसने देखा, वह टेलीफोन पर किसी से बातें कर रही थी। वह अभी भी अपने रात के गुलाबी फलालेन गाउन में थी । उसके सुनहरी घुँघराले बालों से उसका माथा ढका हुआ था, मात्र बीस वर्ष की छोटी बच्ची के समान । किसी को कोई हक नहीं कि उसका मन दुःखाए, जबकि वह तो उसका जन्मदाता था। वह उससे कैसे पूछ सकता था कि उस पुरुष का नाम क्या है, कैसे वह उसका बचाव उस पुरुष से कर पाएगा ?"

“ऐना !” उसने पुकारा।

वह तेजी से उछली। उसने पलटकर अपनी नीली- चमकती आँखों से पिता की ओर देखा ।

"क्रिसमस के दिन तुम बहुत जल्दी नहीं उठ गईं, है न ? "

"मैं सो ही नहीं पाई, " वह बोली, "झील के कारण यहाँ जबरदस्त ठंड है।"

" अब तुम बड़ी हो गई हो।" आगे उसने कहा, "मैं और हाल पेड़ को थोड़ा छाँट देंगे, फिर एक साथ रात को डिनर करेंगे, जैसे हम करते रहे हैं। मैं कुछ टहनियाँ तोड़ लाऊँगा, जिससे तुम लोग घर को सजा लेना, पर कुछ एहतियात बरतना । "

उसने तोहफोंवाला बैग सीढ़ियों पर रखा और बेटी की ओर बढ़ा।

" तुम्हारे मन में सांता क्लाज के लिए कोई एहसास या भावनाएँ नहीं हैं।" ऐना, जो हॉल पार कर रही थी, अपनी एड़ियों के बल ही घूमी और उसने पास आकर पिता को एक चुंबन दिया । " आप बहुत प्यारे हैं।" उसने अचानक ही कहा।

“थैंक्यू !” उसने कहा, "शायद बहुत समय के बाद मैंने ऐसा कुछ सुना है। "

“हाँ, मैंने आपसे बहुत समय के बाद कुछ कहा है, " उसने हामी भरी, “ऐसा लगता है, जैसे आप दस वर्ष से कहीं गए हुए थे, है न?"

वह बहुत प्यार से पिता की भौंहों पर तर्जनी फिराती रही।

"ओह तो तुम हो, " कहते हुए उसने उसकी तर्जनी को पकड़ लिया, “तुम मुझे बताए बिना इतनी बड़ी कैसे हो गई ! मैंने सिर्फ तुम्हारी कुछ झलक ही देखी थी । "

उसी समय वह यह सोचने लगा कि अगर उसने सभी को आज के दिन यहाँ आने का आग्रह न किया होता तो यह बदलाव नजर न आता। वह देर रात की नाच पार्टी से थक टूटकर अब तक बिस्तर पर पड़ी सो रही होती या कुछ ऐसा ही चलता रहता । अकस्मात् ही उसने देखा कि बेटी का सिर पिता के सीने पर झुका हुआ था।

“मुझे महसूस हो रहा है, जैसे मैं फिर से छोटी बच्ची बन गई हूँ," वह धीमे से फुसफुसाई, “मैं चाहती हूँ कि मैं बड़ी न हुई होती।"

वह उसके बालों को प्यार से सहलाने लगा, “क्यों, क्यों ऐना, क्यों ?"

“पागल, ऐसा हो सकता है क्या ?” उसने अपना सिर उठाया। उसकी आँखों में आँसू झिलमिला रहे थे। तभी वह अपने कमरे की ओर भाग खड़ी हुई और उसने जोर से दरवाजा बंद कर दिया।

"मेरी क्रिसमस!" उसने बाहर से बेटी से कहा, लेकिन अंदर से कोई जवाब न आया।

उसके बाद वह बेटे के कमरे की ओर बढ़ा। वहाँ बिस्तर पर उसका इकलौता बेटा पसरा हुआ सो रहा था । अठारह वर्षीय, छह फुटा, खूबसूरत, जहीन मगर एकदम अजनबी।

वह कमरे में दाखिल हुआ और सो रहे अपने बेटे की ओर देखने लगा। एक मर्द, एक बच्चा । लंबा- पतला, जवान, चौड़ी हड्डियाँ, सुंदर त्वचा, लंबे काले बाल, यह उसका बेटा था। उसके अंदर बेटे के बचपन की यादें छिपी हुई थीं, वहाँ अब उसकी जवानी का नया अंदाज उभरने लगा था।

हाल, जो गरमियों में झील में तैरने, मछलियाँ पकड़ने और बोट चलाने के लिए सदा उतावला रहता था। दो बार तो वह बहुत गहराई में जाकर डूबनेवाला था - पहली बार अपने सामर्थ्य से अधिक तैरने के कारण और दूसरी बार जब उसका सिर तैरते हुए एक चट्टान से जा टकराया था। दोनों बार वह अपने पिता के कारण बच पाया था। तकरीबन तीन बार उसे अपना पुत्र जीवित प्राप्त हुआ था। पहली बार, जब वह पुत्र उसे पत्नी की कोख से प्राप्त हुआ था ।

अब वह एक अजनबी सा था, जो रात को पागलों की तरह उन लोगों के समूह में बिना किसी को जाने-बूझे नाचता था, जब घर लौटता तो अकसर पिए होता, जिससे उसके माँ-बाप का दिल टूट जाता था। वे अपने बेटे को इस तरह की जिंदगी से कैसे बचाएँ ? वे कैसे उसके कुशाग्र बुद्धि की हिफाजत कर सकते थे। हार्वर्ड के पुराने, बूढ़े प्रोफेसर ने हाल के बारे में उसे एक बार लिखा था, "यदि तुम इसे तरुणावस्था की धृष्टता से बचा सको तो यह किसी भी मत को बदलकर रख सकता है। तब तुम्हें एक योग्य व्यक्ति मिल पाएगा।"

अचानक हाल ने आँखें झपकीं तो वह पिता को खड़ा पाया ।

"आपको क्या चाहिए, डैड ?"

"मेरी क्रिसमस!" उसने बेटे को शुभकामना दी।

हाल ने जम्हाई ली।

" जल्दी से उठ जाओ ?"

"हमें नाश्ते के बाद पेड़ काटने जाना है।"

हाल ने करवट ली और तकिए में मुँह छिपाकर बोला, “ओके ओके!"

वह कुछ देर खड़ा रहा, मगर उसका वहाँ दम घुटने लगा। क्रिसमस का दिन और यह लड़का सोना चाहता है! उसे ध्यान आया, जब पहले सुबह-सवेरे ही हाल उसके कमरे में आकर शोर मचाता कि सुबह हो गई हैं, तब वह अपनी नींद को छोड़कर उठ जाता, क्योंकि उससे उसके पुत्र को खुशी मिलती थी ।

अचानक वह पलटा और कमरे से बाहर निकल गया, उसने धीरे से दरवाजा बंद कर दिया। धैर्य ! धैर्य रखते-रखते वह थकने लगा था। हाल में आत्मानुशासन जरा भी नहीं था । आखिर लोगों के बच्चे होते ही क्यों हैं ?

वह अपने कमरे में चला गया और जाकर खिड़की के पास खड़ा हो गया। बर्फ फिर से बादलों से ढके आकाश से गिरने लगी थी। वह सितारा अब वहाँ नहीं था ।

आसमान साफ हो गया था, जब हाल और वह नाश्ते के बाद बर्फ पर फिसलते हुए चल रहे थे। मन उद्विग्न होने पर भी वह उत्साह से भरा हुआ था । पौष्टिक भोजन के साथ हेलन के चेहरे की लालिमा को देखते हुए उसका मूड थोड़ा सँभल गया था; हालाँकि कमरे में दिन के मुकाबले पुरानी लकड़ियों के कारण अधिक तपिश नहीं रह गई थी; फिर भी ऐना के थोड़े से दुलार से उसने खुद को फिर से लकड़ियाँ काटने के लिए तैयार किया और अब वह अपने लंबे व खामोश लड़के के साथ जा रहा था, जो उसका पुत्र था।

"जब मैं बच्चा था, तब हमें हमेशा ही बर्फ से ढका दूधिया क्रिसमस ही मिलता था।" उसने कहा। हम उससे भी खुश रहते थे। मुझे मालूम है कि तुम और ऐना भी ऐसा ही क्रिसमस पसंद करते हो । वर्षों पहले जब हम तुम्हारी क्रिसमस की छुट्टियों में आते थे। शहरों में बर्फ की कोई खास अहमियत नहीं रहती ।

उसे अपने पीछे आते हाल के जूतों की चरमराहट सुनाई दी, मगर हाल ने पिता की बात के जवाब में कुछ न कहा। उसने एक बार हाल की ओर देखा, उसके चौड़े कंधे, ठंडे-गहरे साँस लेता उसका चेहरा एकदम रिक्त था । लड़के का ध्यान पिता की बातों की ओर बिल्कुल नहीं था। पिता को अपनी ओर देखते हुए देखा तो वह एकदम सकपका गया और बोला, “आप कुछ कह रहे थे, डैड ?"

"कुछ खास नहीं।" उसने संक्षेप में कहा।

वे दोनों फिसलते हुए चलते रहे। जब पुत्र का ध्यान उसकी बातों की ओर है ही नहीं तो वह उससे बात क्यों करे? जबकि उसके पास बेटे से कहने के लिए बहुत कुछ था, बहुत कुछ।

वह अपनी जिंदगी के अनुभवों को हाल के साथ बाँटना चाहता था, अपनी उम्र के उन उत्साहित पलों को, जब वह परमाणु वैज्ञानिक बना और अचानक ही वह दुनिया में अत्यंत महत्त्वपूर्ण व्यक्ति बन गया था।

अपने बीते समय में वह अपनी एकांत प्रयोगशाला में अकेले ही ऊटपटाँग प्रयोग करता था, जो अकसर व्यर्थ ही होते थे। वैसे भी विज्ञानी लोग आम आदमी कम और जादूगर व सनकी अधिक होते हैं। अब जबकि उसने ऊर्जा के ज्ञान से ब्रह्मांड के सत्त्व को जान लिया था, वह इस शक्ति का बहुत सम्मान भी करने लगा था और डरने भी लगा था। क्या हाल इन बातों के बारे में सोचता था ? उसके सपनों को जानने के लिए बाप-बेटे दोनों के बीच कोई संवाद इत्यादि नहीं था ।

वह लकड़ी की जाँच करने के लिए कुछ पल के लिए रुक गया। जहाँ वे लोग खड़े थे, वहाँ बहुत बड़े-बड़े पेड़ थे। उनके बीच वह किसी छोटे पेड़ को देखने लगे।

"हमें और कितनी दूर जाना होगा ?" हाल ने पूछा ।

"हमें कोई औसत दर्जे का पेड़ चाहिए, " उसने कहा, "हमें जंगल के सिरे तक जाना चाहिए।"

"हम किसी भी पेड़ से लकड़ी काट लेते हैं।" हाल का तर्क था ।

उसने इनकार में सिर हिलाया, “मैं इस मामले में बहुत समझदार बढ़ई हूँ । यदि मैं ऐसा काम करूँगा तो मेरे पिता का प्रेत निकल आएगा और कहेगा कि थोड़ी सी लकड़ी के लिए सारे पेड़ का सत्यानास कर दिया ?"

"मुझे देर हो रही है।" हाल ने तीव्रता से कहा।

"तुम्हें किस बात की जल्दी है ?"

हाल वहीं खड़ा हो गया, "डैड, मुझे रात के आठ बजे तक वापस पहुँचना है।"

वह पलटा और पुत्र से मुखातिब होकर बोला, “एक ही बात मैंने अपने परिवार से इस क्रिसमस से चाही थी सिर्फ एक तोहफे के तौर पर कि हम पूरा परिवार एक साथ यहाँ इस दिन को मनाएँगे। शाम छह बजे तक हम अपना डिनर कर लेंगे, फिर हम क्रिसमस ट्री को सजाएँगे।"

उसने देखा कि हाल ने अंचभे से उसकी ओर देखा और कुछ बुदबुदाया। अगर उसका बेटा ऐसा कुछ सोच रहा हैं तो उसके गुस्से को हँसी-मजाक से ही दूर करना होगा। जब वह स्वयं अठारह वर्ष का था, पहले-पहल उसने अपने बाप से जुबानी लड़ाई की थी, फिर मुट्ठियाँ भींचकर । जब वह गरमियों में शहर में कोई मेला देखने जाना चाहता था और उसके पिता ने वहाँ जाने से मना कर दिया था।

"यह पेड़ ठीक है काटने के लिए, ” उसने रुखाई से कहा, "कोई कहीं नहीं जाएगा।”

"मैं जा रहा हूँ।" हाल ने कहा।

" जाकर दिखा फिर ।" बाप ने चिल्लाकर कहा ।

दोनों एक-दूजे को आँखें तरेरकर देखने लगे। अचानक बाप ने चीखकर कहा, "अगर तुम समझते हो कि इस प्रकार देखकर तुम मुझसे निबट लोगे तो चलो ऐसा ही सही, दो-दो हाथ करके देख लेते हैं कि हममें से कौन बेहतर है ?"

वे दोनों एक-दूसरे से कुश्ती लड़ने के अंदाज में आमने-सामने आ खड़े हुए, एक नौजवान और एक अधेड़ । हाल ने अपने पिता की ओर देखा, वह उनके कदमों पर झुक आया, शर्म और गर्व से उसकी आँखें भर आईं।

"ठीक है, " उसके पिता ने मुँह फुलाए हुए कहा, “मैं यह सब खुद ही कर लूँगा।”

"मैं कहीं नहीं जा रहा।" हाल ने कहा। वे दोनों अपने काम में जुट गए, जब तक कि सूर्य निकल न आया। हाँ, यह लड़का मेरे जैसा ही है, वह उसे समझ सकता है। हाल उसका विरोध क्यों नहीं कर सकता ?

'आप बॉस हो, " हाल कहने लगा, “आप हमेशा ही बॉस रहोगे। "

उसने अपने पुत्र की ओर गुस्से से देखा, "क्या कहना चाहते हो तुम?"

"बस यही कि आप बॉस हो। वैसे भी आप युद्ध के समय से बहुत बड़े बॉस बन गए हैं, नहीं हो क्या ? एटोनमिक किलर ! "

वह जवान उसे एक भयावह दैत्य समान लगा, जो उसे अत्यंत क्रुद्ध दृष्टि से देख रहा था। अचानक उसने आग के समान भड़कते हुए अपने बेटे के जबड़े पर जोर से घूँसा दे मारा, एकदम सीधे हाथ से, जिससे हाल अचंभित रह गया। उसी समय उसे गर्व भी हुआ कि हाल ने उसके साथ वैसा ही व्यवहार कर उसे स्तंभित कर दिया।

“हाल!” वह हकलाया, “हाल, मेरा यह मतलब नहीं था, मालूम नहीं मुझे एकदम से क्या हो गया, लेकिन तुमने मुझे शैतान कहा न, इसलिए वरना मैं कभी ऐसा न करता । "

हाल जेब से रूमाल निकालकर अपने चेहरे को पोंछने लगा ।

"क्या खून निकल आया है?" उसने संयत होकर पूछा ।

“हाँ, थोड़ा सा, मगर नील पड़ गया है, यह बुरा हुआ। तुमने भी तो मुझे शैतान कहा। कहा न, लड़के ?"

“कहा तो क्या तुम वैसे नहीं हो क्या ? एक तरह से किलर ।"

"नहीं!"

हाल ने रूमाल को ध्यान से देखा, उसपर खून के कुछ छींटे थे। उसने रूमाल को लपेटकर फिर से अपनी जेब में रख लिया ।

"चलो, अब क्रिसमस ट्री तैयार कर लें। "

"हाल, मैं ऐसा नहीं करना चाहता था । "

"ओके, ओके। "

वह फिर उसी तेजी से लकड़ी को काटने लगा और तेजी से छीलते हुए लकड़ियों का ढेर लगा दिया। तब शिष्टता से खड़ा हो गया।

"यह हमारा पेड़ तैयार हो गया ।" उसने कहा ।

"मैं इसे काट लूँगा।" हाल ने पिता से कहा।

उसने उछलते हुए तीन बार कुल्हाड़ी को तने पर मारा, मगर हर बार उसके पैर लड़खड़ा गए। तब उसने कुल्हाड़ी को दूर पटक दिया।

"मुझे चक्कर आ रहे हैं, डैड ।"

"रुको, मुझे देखने दो, " विलियम्स ने बेटे की ठोड़ी उठाकर ध्यान से उस नील को देखा, "क्रिसमस के दिन तुम्हारे साथ ऐसा व्यवहार करने के लिए तुम मुझे माफ कर दो।" शीघ्रता से उसने कहा ।

"कोई बात नहीं, ठीक है, " हाल ने कहा, "आखिर मैंने तुम्हें एक नाम दिया है। "

"वह मेरे योग्य नहीं, " उसने एक बार फिर से संशोधित किया, “ठीक है, तुम आराम करो, मैं खुद ही इसे काट लूँगा । "

उसने बड़ी सावधानी से पेड़ पर प्रहार किया और पेड़ चौफाल आ गिरा। दोनों ने उस ठूंठ को आगे- पीछे से उठा लिया। चुपचाप चलते हुए उन्होंने घास का मैदान पार किया और उसे घर के बरामदा के सामने लाकर रख दिया।

"मैं बर्फ साफ कर देता हूँ।" हाल ने कहा।

"नहीं, पहले घर के अंदर चलो, कुछ खा-पी लो। "

वह उसे रास्ता दिखाते हुए रसोई से अंदर दाखिल हुआ। कमरा गरम था और वहाँ तेजपत्ते और मांस की खुशबू फैली हुई थी।

"ओ, तुम दोनों आ गए।" उन्हें देखकर हेलन चहक उठी। वह ओवन में मांस पका रही थी। उसका चेहरा लाल था और बालों में चाँदी के तार लहरा रहे थे।

“यहाँ इस जैसा कोई और ओवन भी नहीं है।" वह अंदर गई, "मैं हैरान हूँ, यहाँ अलग-अलग आकार की कितनी लकड़ियाँ हैं।"

" तब तक तुम ऊर्जा से चलनेवाले ओवन का इंतजार करो," उसने प्रत्युत्तर दिया, “उसमें कुछ ही मिनटों में तुम्हारा खाना तैयार हो जाएगा। हम सभी टेबल पर बैठेंगे। तुम एक बटन दबाना, जब तक हम छोटी-मोटी बातें करेंगे और इतने में मांस पक जाया करेगा।"

किसी ने भी इस बात का कोई जवाब न दिया। वह अपने जूते उतारने में लगा था, अतः उसने इस चुप्पी की ओर कोई ध्यान न दिया । रसोई की पुरानी मेज पर बैठकर ऐना चाँदी के पुराने बरतनों पर पॉलिश कर रही थी ।

"कोई फोन तो नहीं आया ?” हाल ने पूछा।

"नहीं, " ऐना ने जवाब दिया। उसने हाल के चेहरे पर पीड़ा देखते हुए पूछा, "तुम्हारे चेहरे को क्या हुआ ?"

" तुम्हारा चेहरा ?" हेलन ने भी दुहराया। वह ओवन बंद कर रही थी । "यह सूजा हुआ क्यों है ?"

" मैंने इसे मारा है।" आर्नोल्ड ने कठोरता से कहा। वह उठा, उसने पानी का गिलास भरा और पी गया।

" मैंने डैड को एक नाम दिया है।" हाल ने बताया ।

हेलन वहीं एक स्टूल पर बैठ गई, "ओह डियर, ओह डियर! ऐसा क्या हो गया ?"

" क्रिसमस का तोहफा !" ऐना ने कहा और उसका सूजा हुआ चेहरा अपने हाथों में लेकर पागलों की तरह हँस दी।

"ऐना, हँसना बंद करो। मैं कह रहा हूँ, बंद करो हँसना। "

आर्नोल्ड ने ऐना को कंधों से पकड़कर झिंझोड़ दिया। खुद को बाप की पकड़ से छुड़ाकर पता नहीं वह हँस रही थी या रो रही थी ।

'अब तुम मुझे भी मारोगे, डैड ? किस तरह के आदमी हो तुम?"

वह तेजी से पलटा, “क्या कहना चाहती हो तुम, " उसने सभी के चेहरों की ओर बारी-बारी से देखते हुए पूछा, “तुम्हारा मतलब क्या है ?"

उसकी बात का जवाब ऐना ने दिया। उसने खूँखार तरीके से उसपर छलाँग लगाई, जैसे उसने एक बार तब लगाई थी, जब वह सात साल की थी। तब ऐना ने उसकी समीकरण के कागजों से मेमने व डेजी के फूलों की तसवीरें बना दी थीं, और तब उसने ऐना की शरारतों के लिए उसे जोर से झापड़ रसीद किया था। हिसाब बराबर । ऐना ने उसे काट लिया था, जिसका निशान अभी भी उसके अँगूठे पर बाकी था।

"हम तुम्हें नहीं जानते, " ऐना ने स्पष्ट तौर से कहा, "तुम बदल गए हो। तुम हमारे लिए एक अजनबी बनते जा रहे हो। "

वह उन तीनों की ओर से उपेक्षित महसूस कर रहा था, जिन्हें वह प्यार करता था। एक पल के लिए उसने खुद को असहाय महसूस किया और चाहा कि वह यहाँ से कहीं दूर चला जाए। वह कहीं भी चला जाए, कहीं भी, मगर इन लोगों से बहुत दूर । उसे सदैव अपनी प्रयोगशाला में ही आराम क्यों महसूस होता था ? तथापि वह अभी उन सबसे दूर नहीं जा सकता था। वह उन सभी से बहुत प्यार करता था, सभी से अलग-अलग ढंग से और वे सब ठीक थे। वह जहाँ कहीं भी गया, उन सभी को अपने साथ ले गया, क्योंकि वह उन्हें बहुत प्यार करता था और अब वक्त था, उन सभी का सामना करने का, जैसे वह अपने वैज्ञानिक जीवन में अनेक भयानक फैसलों से सामना करता आया था।

क्या वह अपने ज्ञान को इसके लिए इस्तेमाल कर सकता है, जैसे उसने ऊर्जा के अन्वेषण को परमाणु के एक कण में कैद कर दिखाया था ? इस समय वह अपने इस अत्यंत ज्ञान के प्रतिकूल परिस्थितियों से छुटकारा पाना चाहता था, इस सबसे वह अपने प्रति ही अत्यधिक कठोर हो चुका था । शायद किसी वैज्ञानिक के लिए इन सबसे दूर जाना संभव नहीं था ।

जब तक उसने ऊर्जा के रहस्य को प्राप्त नहीं कर लिया, जो सारी दुनिया को तबाह कर सकता था, तब तक वह इस ज्ञान प्राप्ति के प्रयास को अपनी ड्यूटी समझकर करता रहा। उस ज्ञान का सही इस्तेमाल हो रहा था, जब जिंदगी के बदले में मौत मिल रही थी ।

प्रेम भी हैरतअंगेज ढंग से ऐसा ही था, जिसकी शक्ति बुराई और प्रेम दोनों में शामिल होती है । सबकुछ मनुष्यों पर निर्भर करता है तो क्यों ये तीनों उसके लिए अजनबी बन रहे हैं, जबकि वह उनसे अत्यंत प्रेम करता था । इस क्रिसमस के दिन वह सिर्फ प्रेम को लेकर ही चिंतित था। वह ऐसा क्या कहे, जिससे वे लोग उसके प्यार को भली-भाँति समझ पाएँ ?

वह रसोई में ही मेज पर बैठ गया और बारी-बारी से सभी के चेहरों की ओर देखने लगा। वे सब भी उसकी ओर देख रहे थे और वह उनके सामने भले व्यक्ति के रूप में ही बैठा था ।

"ऐना !" अंततः उसने ही कहा। उन तीनों में से उसने संबोधित करने के लिए उसे ही चुना, “तुम बहुत भली और ईमानदार हो, एकदम क्रिसमस के सितारे की तरह। मैं बहुत खुश हूँ। तुमने कहा कि मैं अपने परिवार के लिए एक अजनबी हूँ, जबकि मैं सोचता रहा कि तुम और हाल अजनबी हो, यहाँ तक कि हेलन भी। मैं बहुत समय तक खोया रहा, लेकिन मैं तो अपने ही घर को खो चुका हूँ।"

ऐना एकदम शर्मिंदा हो गई, उसने देखा। ऐना ने बहुत धीमे स्वर में कहा, “आप बहुत बिजी रहते थे, डैड । "

"मैं बहुत बिजी रहा, सही है।" उसने स्वीकृति में कहा, "मैं तुम लोगों से बहुत दूर ही रहा, बहुत ही व्यस्त रहा, जबकि मैं सोचता रहा कि यह मेरी ड्यूटी है, मेरी नौकरी है; लेकिन मैं कभी भी तुम लोगों के बिना जी नहीं पाया, मैं कहीं भी रहा, चाहे मेरे प्यार"

वह उन्हें समझने के लिए लालायित था । उसने सभी के चेहरों की ओर देखा, वे उसे उदास ही लगे । वे भी उसे नहीं जानते, जैसे इस समय वह उन्हें बहुत सारी यादें उनके मस्तिष्क में चक्कर लगा रही थीं। वह अनुमान लगा रहा था कि वे क्या सोच रहे थे। वह उन्हें फिर से वापस पाना चाहता था, प्रेम से जीतना चाहता था और इस बात का यकीन दिलाना चाहता था कि वह अभी भी खुशमिजाज व स्नेही पिता था और भावुक प्रेमी व पति था ।

उसने अनुनय नहीं की, लेकिन फिर से ऐना से ही कहा, “तुम सदा ऐसे ही ईमानदार बनी रहना, मगर तुम ऐसा क्यों महसूस करती हो कि मैं अजनबी हूँ?"

उसका प्यारा व छोटा सा चेहरा एक बार फिर से तन गया, "लोग मुझसे पूछते हैं कि मुझे कैसा लगता है कि मेरे पिता ने परमाणु बम बनाया है? वे मुझसे पूछते, अब वे क्या बना रहे हैं और मैं हमेशा कहती कि मुझे कुछ नहीं मालूम, क्योंकि मैं कुछ जानती ही नहीं थी, क्योंकि आपने हमें कभी कुछ बताया ही नहीं ।"

हाल ने उसे टोका, "डैड को बम के लिए जिम्मेदार मत बनाओ। वह इस बारे में जो कुछ भी करते रहे हैं, जो भी उन्होंने किया, यह सब बहुत पहले से ही मौजूद रहा है।"

रसोई में से मांस के पकने की सुगंध फैलने लगी थी। बाहर दिन बदलने लगा था । आसमान फिर से काले बादलों से ढक गया था और बाहर बर्फ गिरने लगी थी, नर्म- रोएँदार बर्फ क्रिसमस का यह पुरातन अंदाज था, जैसे मांस का ओवन में पकना, प्रसरल पेड़ बरामदे के सामने सजने के इंतजार में पड़े रहना ।

उसे याद आया कि उसके बचपन में हर क्रिसमस कुछ ऐसे ही होता था और आज इस घर में कुछ ऐसा हुआ था, जो पहले कभी नहीं हुआ था। एक भय में लिपटा हुआ, मनुष्य का अपने भविष्य के प्रति छिपा हुआ भय, मगर संभव, क्योंकि उसने और उसके अधीनस्थ वैज्ञानिकों ने जो भी किया था उस कारण ।

यदि ऐसा भय यहाँ है तो हो सकता है कि हर घर में ऐसा ही कुछ हो। हर एक दिल में एक अनकहा रहस्य, एक साया, जिसे स्पष्ट नहीं किया जा सकता। उसने जिस चमत्कार को उद्घाटित किया था, उसे वह अपने इन प्रिय लोगों के साथ बाँटने में असफल रहा। वे लोग सिर्फ खौफ को ही जान पाए ।

उसने सिर हिलाया, “मैं कोशिश करता हूँ, " उसने कहा, “मैं खुद को स्पष्ट करने की कोशिश करता हूँ। मैं समझ रहा हूँ कि तुम लोग मुझसे क्यों डरते रहे। "

ऐना यह बरदाश्त न कर पाई, "डैड, आपसे डर नहीं लगता, मगर कोई भी व्यक्ति खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करता। हम इसके आक्रमण से भागते हैं, हम इसके बारे में नहीं सोचना चाहते, हम कुछ नहीं कर सकते, इसलिए हम इससे दूरी रखते हैं, न कि ऐसा सोचते हैं। "

हेलन ने करुणा से कहा, “मैं जानती हूँ कि तुम इसमें कोई मदद नहीं कर सकते, आर्नोल्ड।"

"मुझे भी भय लगता है, " उसने कहा, "जो भय तुम लोगों को हैं, मैं उसे बाँटना चाहता हूँ।"

वे उसे इस तन्मयता से सुन रहे थे, जैसे उन्होंने पहले कभी नहीं सुना था। वह कुछ नई बात कर रहा था।

"क्या आप खुद से डर रहे हैं ? " ऐना ने पूछा।

“नहीं-नहीं," उसने विश्वास से कहा, "मैं खुद को जानता हूँ। हाँ, मैं बदल रहा हूँ, मगर वैसे नहीं, जैसा तुम सोच रही हो। कोई भी किसी चीज को खोज नहीं सकता। मैं ऐसा किया, मगर मैं बदला नहीं। मैं भी एक मनुष्य हूँ, परंतु इससे पहले मैं कभी इतना विनम्र नहीं रहा। मैं परमात्मा में यकीन रखता हूँ।

वह सरल शब्दों में अपनी बात को रख रहा था, उसके अस्तित्व के बारे में बता रहा था। इससे पहले उसने कभी भी परमात्मा का जिक्र नहीं किया था। संशयवादी और नास्तिक, उसे सदा अपने नास्तिक होने पर फख्र था।

" शायद मेरे पुरखे भी ईश्वर में विश्वास न रखते हों।" वह कहता गया। उसने भावुक हुए बिना सरलता से कहा, "लेकिन मैं उस अंतरिम सर्जक में यकीन रखता हूँ, जिसने इस धरती तथा स्वर्ग की रचना की। मैं उसपर यकीन कैसे नहीं करूँ ? अणु की रचना करते समय मैंने उस अनन्य सर्जक को महसूस किया है, उस निराकार की शक्ति और ऊर्जा को मैं मानता हूँ कि मुझे उसने ही रास्ता दिखाया है। "

चुपचाप बैठे वे सभी उसे सुन रहे थे। तब उसने जाना कि उसने इससे पहले उन लोगों से कभी इतनी गंभीरता से बातें नहीं की थी। वर्षों पहले के दिन जैसे उन्हें छूते चले गए। वह बहुत संकोची था, शायद कुछ और भी असलियत हो, जो छुपी हो और उसका परिवार असलियत जानना चाहता था।

वे सभी बहुत सुकून से उसकी बातें सुन रहे थे। ऐना नीचे फर्श पर बैठी थी, उसके हाथ मुड़े हुए घुटनों पर थे, जबकि हाल दरवाजे के सहारे खड़ा था हाथ जेबों में डाले और हेलन टेबल पर बैठी थी एक ओर सिर झुकाए हुए। वह सुन रही थी, वह जानता था, शायद उसे अभी भी कोई शंका हो ? संभव है सभी संशय में हों ।

वह हिचका, उसने हँसने की कोशिश की, "बातें बहुत बड़ी-बड़ी हैं, नहीं हैं क्या ? हो सकता है कि मैं खुद को ही मूर्ख बना रहा हूँ।" उसने अपने शब्दों का प्रभाव देखना चाहा ।

"मैं एक बार देखकर आती हूँ कि मांस पका कि नहीं ?" अचानक ही हेलन ने कहा ।

उसने एक खोजी निगाह हेलन के चेहरे की ओर डाली, उसके चेहरे पर संवेदना थी। यह पल उसके ठंडेपन भरे व्यवहार से बहुत बड़ा प्रतीत हुआ। वे लोग तब तक उसका इंतजार करते रहे, जब तक उसने ओवन का ढक्कर उतार न लिया। उन्होंने देखा कि हेलन ने एक चम्मच जूस भरकर पकते हुए मांस में डाल दिया। ऐसे समय में वह सोचने लगा कि कैसे उनकी जिंदगियों में बड़ी-छोटी बातें आकर शामिल हुई थीं, जैसे परमाणु ऊर्जा का खौफ और क्रिसमस का सितारा ।

हेलन ने एक गिलास पानी पिया और आकर टेबल पर बैठ गई।

"छोड़ो डैड !" ऐना ने कहा ।

"मुझे समझ नहीं आ रहा, मैं इस समय क्या करूँ ?" अचानक उसने रुखाई से कहा, "यह ठीक है कि वर्षों तक मैं दूर ही रहा, यहाँ तक कि घर पर मैं सिर्फ खाता और सोता रहा। मैं कहीं और ही खोया रहता था। हो सकता है कि वापस न लौटता। शायद हम फिर से कभी आपस में न मिलते, तुम तीनों और मैं। "

"यह अकेलापन मुझे एक वैज्ञानिक होने के कारण सहना पड़ा। अपनी दुनिया में हम दूसरों से मेल- जो नहीं बनाते। हम उन्हीं के साथ कॉन्फ्रेंस और मीटिंग करते हैं, उन्हीं को खोजते हैं, जो हमारी भाषा बोलते हों, जिनके साथ हम अपने सिद्धांतों तथा समीकरणों के बारे में विचार-विमर्श कर सकें। तुम लोग मुझे आधे-अधूरे ही मिले "तुम तीनों ही ।"

"मान लो, हम न मिलते।" ऐना ने धीमे से कहा ।

"तब मैं सोच लेता कि मुझे अपने ही राह पर आगे बढ़ना है, अकेले ही।" उसने गंभीरता से कहा ।

हेलन उठकर खिड़की पर जा खड़ी हुई और गिरती बर्फ को देखने लगी । "सच तो यह है कि इस परमाणु - युग में हम एक साथ हैं, " उसने कहा, “तुम तीनों पहले यहाँ आओ, बस ।”

"तुम बहुत समझदार हो, डार्लिंग।" उसने कृतज्ञता से कहा ।

तभी टेलीफोन की घंटी बजी । हाल फोन उठाने के लिए बड़े कमरे में गया और वे तीनों उसका इंतजार करने लगे।

"मुझे मालूम नहीं कि मैं कब तक वापस आऊँगा ?" उन्होंने सुना, वह कह रहा था, " अभी मुझे मालूम नहीं, कब तक आऊँगा ! मैं लेट हो जाऊँगा, अगर मैं आया भी तो...। "

वह कमरे में लौट आया। वह बहुत अक्खड़पन से रसोई के गलीचे पर लुढ़क गया और अपने हाथ पीछे ले जाकर उसने सिर को थाम लिया और छत को घूरने लगा।

"आगे बढ़ो, पॉप। " उसने कहा ।

"मैं अब आगे नहीं बढ़ सकता, ” उसने बेटे से कहा, “तुम्हें मुझ पर यकीन रखना होगा। तुम्हें इस बात पर भरोसा करना होगा। मैं जो भी कहूँगा "क्या तुम्हें मुझ पर यकीन होगा। मैं कह सकता हूँ कि मैंने एक अलौकिक सौंदर्य देखा, जैसे बूढ़े लोग सितारों के जोड़ीदार बन जाते हैं "भले आदमी। वे विश्वास रखते हैं कि बच्चे नया व बेहतर युग लाएँगे और मैंने भी ऐसा ही किया । "

" बहुसंख्यक लोग इस नए युग से डरते हैं। " हेलन ने कहा ।

"सही कह रही हो। " उसने एक बार फिर से उसकी ओर कृतज्ञता से देखा ।

खिड़की से बाहर झाँकते हुए वह ब्रेड-बॉक्स की ओर बढ़ी और उसको चूरा करने लगी । फिर खिड़की खोलकर उसने वह चूरा बाहर फेंक दिया।

"मैंने देर से लकड़ी की छाल को देखा है।" उसने कहा ।

"याद है 'हीरोड' ने कैसे बच्चे को मारने की कोशिश की थी ?" ऐना ने एक पुरानी कहानी को याद करते हुए कहा ।

वह उसकी ओर मुड़ा, “हाँ, वह नए युग को रोकना चाहता था, मगर कोई भी ऐसा नहीं कर सकता, कोई भी नहीं, कुछ भी नहीं। हम वहाँ नहीं लौट सकते, जो कभी हम थे। 'हीरोड' कभी बच्चे को मार नहीं सकता और हम भी न्यूक्लिर की असीमित शक्ति को बरबाद नहीं कर सकते। यह सनातनी हैं, जो यहाँ मौजूद है। हमें इसको उपयोग में लाना सीखना होगा सुखद और सिर्फ बेहतरी के लिए। "

उसे बैठे-बैठे थकावट होने लगी और वह चहलकदमी करने लगा। खिड़की के पास चक्कर लगाते हुए उसने देखा कि खिड़की के शीशे पर ढेर सारी बर्फ जमी थी।

उस लंबी-चौड़ी रसोई में खड़े होकर उसे एक प्रेरक शक्ति का एहसास हुआ और वह जोर से चिल्लाया, “मैं कामना करता हूँ कि एक नई शुरुआत हो "युद्ध के बदले में शांति हो। मैं कामना करता हूँ कि सारे शहरों में रोशनी हो और सारे घर खाते-पीते रहें और अद्भुत मशीनों को चलाने के लिए परिपूर्ण बनें, जिनकी अभी खोज होनी बाकी है। मगर यह इस प्रकार आरंभ नहीं होगा, ऐसा प्रतीत हो रहा है। इस संसार को नष्ट होने से बचाने के लिए पहले अमानवीयता को बंद करना होगा । "

वह रुका और उन सभी की ओर देखने लगा ।

"तुम समझे हिटलर ने हमें बरबाद कर दिया ! वह सब बम के बाद हुआ, जबकि हम उससे कुछ ही महीने आगे थे। "

" मगर जर्मनी ने समर्पण कर दिया था। " ऐना ने कहा।

“लेकिन जापान ने नहीं।" उसने निंदा के सुर में कहा, "वे क्रूरता पर उतरे हुए थे और युद्ध जारी रखना चाहते थे। यह अमानवीय अत्याचार हमने खुद देखा । "

वह फिर से चहलकदमी करने लगा, “अपनी जिंदगी में मुझे सिर्फ अमानवीयता से भय लगा । मैं जानता हूँ कि परमाणु के एक कण में कितनी ऊर्जा है, लेकिन इसे समझकर, जानकर ही तुम इसे उपयोग में लाना सीख सकते हो, यह मेरी भविष्यवाणी है। मैं भले इनसानों में यकीन रखता हूँ, पर मुझे ईश्वर पर पूरा भरोसा है। मगर अमानवीयता "नहीं, नहीं। उसका दुश्मन एक ही हैं, जो कि हम हैं। वह हमारे आस-पास ही रहता है, जैसे अगले ही घर में या समुद्र के पार । 'वह' हममें रहता है, यहाँ तक कि मुझमें भी!"

वह ऐना के सामने रुका, उसे टहोका मारा और कहा, "इसलिए तुम मुझसे डरती रहीं ! "

उसका हाथ छोड़कर बोला, “ अच्छे बच्चे, तुम्हें मुझसे डरना ही चाहिए। आज सुबह मैं खुद से ही डर गया था ।" वह हाल की ओर मुड़ा, “बेटे, मैंने तुम्हें क्यों मारा ?"

"मैं भूल गया, " उसने गहरी साँस लेते हुए कहा, “मैं पागल हो गया था। "

“मगर मैं नहीं भूल सकता, " उसके पिता ने कहा, “मुझमें कुछ तो अमानवीयता है ही । "

वह खुद को संबोधित कर ऊँची आवाज में बोल रहा था - इस क्रिसमस सुबह में। बाकी तीनों बस सुन ही रहे थे। अब उनके लिए भी हद हो गई थी। वे जानते थे कि वह किस कारण बातें कर रहा था । हेलन ने अपना हाथ उसकी ओर बढ़ाया, जिसे उसने थाम लिया। ऐना का माथा उसके घुटने की ओर झुका हुआ था और उसने ऐना को काँपते हुए देखा। वह रो रही थी, पर उसे मालूम था ।

हाल फर्श से उछलकर खड़ा हुआ और पिता की पीठ थपथपाते हुए बोला, “बस, बहुत बातें हो गईं। मुझे लगता है कि हम एक-दूसरे को थोड़ा-बहुत जान-समझ गए हैं। मुझे लगता है कि हमें पेड़ को अंदर ले आना चाहिए, डैड मैं मेन दरवाजे से उसे खींचकर अंदर ले आता हूँ ।"

“मैं तब तक क्रिसमस-ट्री सजाने के लिए सामान ढूँढ़ती हूँ। " हेलन ने कहा ।

हेलन जाते-जाते रुकी और उसने पति के गाल पर चुंबन दिया, जबकि ऐना फर्श पर ही दुबककर बैठी रही, उसका सिर एक ओर झुका नजर आया। उसने एक बार ऐना की ओर देखा, फिर खिड़की के बाहर देखने लगा। बर्फ अभी भी गिर रही थी, इस दौरान आसमान बादलों से ढक गया था, बीच-बीच में बिजली चमक रही थी। 'कितना अद्भुत रहा आज का दिन उसने सोचा । इतने परिवर्तनों से गुजरकर भी अभी यह आधा ही बीता था । उस सितारे को देखने के इरादे से ही वह इतनी सुबह उठ गया था। उसे मालूम नहीं था कि परिवार के इतना हो-हल्ला मचाने के बावजूद वे लोग इतनी गहराई में चले जाएँगे। उसने बहुत खोया था, मगर मालूम नहीं था कि इतनी दूरी के बावजूद सब क्यों एक ही दिन में फिर से उसे प्राप्त भी हो जाएगा।

तभी ऐना ने अपना सिर उठाया और कहने लगी, “मैं कुछ हफ्तों से आपसे बात करना चाह रही थी, पर मैं अत्यंत दुःखी हूँ।"

उसका दिल बहुत तेजी से धड़का। इसका अर्थ है कि वह पूर्ण रूप से फेल नहीं हुआ ।

“मुझे बताओ ऐना, तुम क्यों इतनी उदास हो ?”

"मुझे प्यार हो गया है। "

उसने पूजा करने का आसन खींचा और उसपर बैठते हुए ऐना का हाथ अपने हाथ में लेकर कहा, "यह तो बहुत अच्छी बात है।"

"नहीं, यह अच्छी बात नहीं है, " उसने रुआँसे स्वर में कहा, “मैं जिससे प्यार करती हूँ, वह मुझसे प्यार नहीं करता । "

"ऐसा हो ही नहीं सकता, " उसने कहा, “मैं इस बात को मान ही नहीं सकता कि दुनिया में कोई ऐसा भी हो सकता हैं, जो तुमसे प्यार न करे। फिर तो वह कोई अंधा ही होगा, जिसे नजर नहीं आता होगा। "

वह एकदम से हँस दी और तेजी से उठी तथा उसने अपना चेहरा पिता के सिर पर झुका दिया, जिससे वह ऐना का चेहरा न देख पाया ।

"नहीं, वह मुझसे ज्यादा प्यार नहीं करता, " वह कहने लगी, "वह मुझे ज्यादा कुछ नहीं लाकर देता, वह मुझे ज्यादा 'किस' भी नहीं करता और इस तरह से "

" और क्या ?" उसने दुहराया । "यह काफी नहीं है, मैं भी मानता हूँ ।"

"नहीं न, क्योंकि मैं उससे बेहद प्यार करती हूँ । इस कारण यह सब मुझे बहुत कम लगता है, डैड । वह शादीशुदा है, इसलिए यह बहुत कम लगता है। "

"यह तो जाहिर सी बात है।" उसने गंभीरता से कहा ।

ऐना ने दुःखी भाव से कहा, "ओह डैड ! यह दुनिया बेकार है। "

उसने ऐना को अपने घुटनों पर बिठा लिया, जैसे वह एक छोटी सी बच्ची हो । वह अपना सिर उसके कंधे पर टिकाकर अचानक रोने लगी। टूटा हुआ दिल अकसर रोता ही है। नहीं, वह कोई छोटी सी बच्ची नहीं थी, लेकिन वह बच्चों की तरह सिसक रही थी।

उसने उसे कुछ देर वैसे ही रोने दिया। उसे इस बात के लिए डाँटा नहीं, बल्कि कुछ देर के बाद उसे समझाने के अंदाज में कहा, " अभी तुम सिर्फ बीस वर्ष की हो और तुम्हें बहुत सारे नौजवान मिलेंगे, जो सुंदर व जवान होंगे। यह दुःख की घड़ी बीत जाएगी मेरी बच्ची, बीत जाएगी।" उसने सिर्फ सच कहा । ऐना ने अत्यंत व्याकुलता से कहा, “क्या मैं इस सबसे उबर पाऊँगी, डैड ?"

'कोई भी बड़ी चीजों से निकल नहीं पाता। वे सब तुम्हारे भीतर ही हैं। सबकुछ खुद-ब-खुद तुम्हारे पास आएगा और प्यार भी तुम खुद भी सबमें शामिल हो। वह तुम्हारे भीतर ही है। यहाँ जीवन के अलावा कुछ भी नहीं है। "

उसने एक बार फिर से अपना सिर पिता के कंधे पर टिका दिया, मगर वह अब रो नहीं रही थी। पिता अभी भी दुःखी महसूस कर रहा था, जबकि वह अब खुद को सँभालने में लगी हुई थी। वह बैठकर अपने बालों को अंगुलियों के पोरों से सँवारने लगी थी।

'पता है क्या होता, अगर आप हमें क्रिसमस के लिए यहाँ न लाते ?" ऐना ने पूछा।

"तुम बताओ।" उसने कहा ।

" मैंने योजना बनाई थी कि मैं उसके साथ भाग जाऊँगी वीकेंड के लिए, मगर आज सुबह मैं ऐसा कुछ न कर पाई, जब आपने सुबह उठने के लिए आवाज लगाई और मैं उठकर तुरंत बाहर आ गई। मैंने खिड़की के पास खड़े होकर देखा कि आप बर्फ पर चलते हुए काफी समय तक बाड़े के पास खड़े रहे ।"

"मैं एक बार फिर से उस सितारे को देखने की कोशिश कर रहा था। "

" सितारा ?"

उसने बेटी को क्रिसमस के सितारे के बारे में बताया कि उसके बचपन में उसकी क्या अहमियत रही थी, इसी पुराने घर में और लंबे अरसे के बाद कल फिर से उसने इस सितारे को बड़ी शिद्दत से याद किया और उसी लगाव के कारण ही वह यहाँ चला आया ।

वह उसके घुटने के पास खिसक आई, हालाँकि अब वह बच्ची नहीं रही । “बिल्कुल मैं यही लगाव चाहती थी, मुझे इसकी ही जरूरत है। "

'यह अपना-अपना समझने का ढंग है।" उसने कहा, "क्या जरूरी है और क्या नहीं। "

वह चलते हुए खिड़की के पास जा खड़ी हुई और बाहर बर्फ गिरने का दृश्य देखने लगी । "डैड, किसी को मेरे बारे में मत बताना।"

वह चौंक गया, “तुमने मेरे बारे में ऐसा कैसे सोच लिया ? "

" मैंने सोचा, शायद आप माँ से कोई बात करेंगे। "

"तुम ऐसा नहीं चाहती ?"

"नहीं, वे पहले से ही बहुत परेशान हैं। "

“कुछ ऐसा है, जो मुझे मालूम नहीं ?"

"वह सोचती है कि किसी को भी कुछ मालूम नहीं, पर मुझे डॉक्टर ने बहुत पहले बताया था । " वह मुड़ा, "मैंने एक बार उससे कहा भी था, ऐना । "

" वह नहीं चाहती कि आपको कुछ बताया जाए। असल में वह किसी को भी क्रिसमस तक कुछ बताना नहीं चाहती थी, इसी कारण डॉक्टर ने मुझे बताया, ताकि किसी को तो मालूम हो।"

"वह मुझे नहीं बताना चाहती, " सुनकर वह स्तब्ध रह गया, "लेकिन डॉक्टर का कर्तव्य यह नहीं कि वे उसकी बात सुनें।"

"माँ तो क्रिसमस तक कोई टेस्ट भी करवाना नहीं चाहती। तभी डॉक्टर ने मुझे बताया कि अगर वह किसी कारण से ठीक महसूस नहीं करती तो..."

उसने तड़पकर कहा, “हमारे बीच सभी दरवाजे बंद हो गए हैं क्या ?"

ऐना पलटकर पिता के पास आई और उसका हाथ पकड़कर बोली, “आपने आज एक दरवाजा खोला है, डैड । यह खुला दरवाजा हम सभी की मदद करेगा। अब हम आपस में एक-दूजे से जुड़ सकेंगे।"

"तुम ऐसा करोगी?"

"मैं करूँगी, मैं वायदा करती हूँ।"

वह मुसकरा दी, दुःख और संयम के मिले-जुले भाव से अब उसके चेहरे पर अल्हड़पन की नई चमक नजर आने लगी थी।

"तुम ठीक हो जाओगी, लेकिन एकदम से नहीं, कुछ समय लगेगा। "

"हाँ, डैड ! "

वह रुकी और कुछ सूँघने लगी, "ओह डैड ! मांस...।"

ऐना ओवन की ओर भागी, उसे जाते देख वह मुसकरा दिया। उसने कमरे के बाहर से आवाज लगाई, "हेलन, तुम कहाँ हो ?"

हेलन की अस्पष्ट और धीमी आवाज आई, जैसे वह बहुत दूर से, बंद दरवाजे के पीछे से कुछ कह रही हो।

"वह ऊपर है।" हाल ने बड़े कमरे से जवाब दिया।

वह पेड़ को घसीटकर अंदर ले आया था और उसे खड़ा कर दिया। अब वह उसे अंतिम रूप से तराश रहा था । " वह ट्री सजाने के लिए सामान लेने ऊपर गई थी, मगर नीचे आई ही नहीं। शायद उसे सजाने के लिए 'स्टार' मिला ही नहीं होगा। हो सकता है, वह कहीं रखकर भूल गई होगी।"

वह हाल की बात पूरी सुनने तक रुका नहीं और तेजी से सीढ़ियाँ चढ़ गया। उसने दरवाजे को धकेला, मगर वह अंदर से बंद था। उसने फिर से हैंडल को घुमाया और बोला, “हेलन, मुझे अंदर आने दो ।" वह बड़ी अशक्त नजर आ रही थी। उसके पीले पड़े चेहरे पर उसकी आँखें बहुत बड़ी दिखाई दे रही थीं।

"एक मिनट "डियर । "

अंदर से उसकी अत्यंत कमजोर आवाज सुनाई दी, लेकिन एक मिनट के पश्चात् उसने दरवाजा खोल दिया।

"डार्लिंग ! क्या बात है ?" उसने तड़पकर पूछा ।

उसने हेलन को अपनी बाँहों में भर लिया। उसने भी कोई ऐतराज न किया ।

"तुम अकेले यहाँ ऊपर क्यों आ गई, फिर दरवाजा भी लॉक कर दिया ?" उसने नम्रता से पूछा ।

"मैं तुम्हें अभी बताना नहीं चाहती थी।" वह फुसफुसाई, "मैं तुम्हारा क्रिसमस खराब नहीं करना चाहती थी।"

"यह दिन तो बताने का था । आखिर यह दिन आपसी विश्वास का है।" उसने कहा ।

"मैं ठीक नहीं हूँ ।" उसने लड़खड़ाते हुए कहा, “कुछ अशुभ हो रहा है मेरे साथ । "

उसने अपनी प्यारी पत्नी के चेहरे की ओर देखा । वह उसके सीने से लगी थी और उसकी आँखें बंद थीं।

" तुमने मुझे क्यों नहीं बताया ?"

"मैं कैसे बताती, तुम मुझसे बहुत दूर थे।"

"तुम डॉक्टर के पास गई थीं ?"

"हाँ!" उसने गहरी साँस लेते हुए कहा ।

"क्या कहा उसने ?"

"अभी टेस्ट पूरे नहीं हुए। "

"मैं अभी भी दूर हूँ तुमसे ?"

"नहीं।"

" फिर कभी ऐसा नहीं होगा। "

"कभी नहीं।"

"मैं खुद तुम्हारे साथ कल डॉक्टर के पास चलूँगा। मैं स्वयं अस्पताल में रहूँगा । "

अचानक उसका चेहरा चमक उठा, “ ओह आर्नोल्ड, तुम चलोगे साथ ?"

“कुछ भी बुरा नहीं होगा तुम्हारे साथ, ” उसने कहा, "कोई बीमारी ऐसी नहीं है, जो ठीक न हो पाए।"

"अब मुझे यकीन हो गया है, सब ठीक हो जाएगा।"

हेलन ने पति की आँखों में देखा, उसकी आँखें विश्वास से भर गईं।

आर्नोल्ड ने झुककर उसके माथे को चूम लिया । पत्नी की आँखों में बहुत गहराई से देखा, जिन्हें वह वर्षों से जानता था। वे फिर से बंद हो गई थीं।

नीचे हाल द्वारा फोन पर बात करने की आवाज सुनाई दे रही थी ।

"हे, मैं कह रहा हूँ न, नहीं, नहीं "मैं देर से भी नहीं आ पाऊँगा। मैं बिल्कुल नहीं आ रहा हूँ। हमने यहाँ क्रिसमस ट्री की पूरी तैयारी कर ली है।"

रिसीवर नीचे रखकर वह तेजी से सीढ़ियों की ओर बढ़ा, "क्या बात है, मॉम-डैड, आप दोनों ही ऊपर आ गए। मॉम, तुमने क्रिसमस ट्री सजाने का सामान नहीं लिया ? और सुनो, 'स्टार' बिल्कुल मत भूलना।"

वे एक साथ मुसकरा दिए। इस क्रिसमस पर कुछ भी असंभव नहीं होगा, उन्हें यकीन था । अब उन्हें उस 'सितारे' की पूरी अहमियत समझ में आ गई थी।

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