कुत्तों की जीभ इतनी लम्बी क्यों होती है : अमरीकी लोक-कथा
Why the Tongue of Dogs is So Long : American Lok-Katha
(Folktale from Native Americans, Caddo Tribe/मूल अमेरिकी, कैडो जनजाति की लोककथा)
यह उस समय की बात है जब जानवर आदमियों की तरह हुआ करते थे और खूब बोलते थे। बहुत सारे कुत्ते तो इतना ज़्यादा बोलते थे कि ऐसा लगता था कि वे थोड़े से समय में ही वह सब कुछ कह देना चाहते थे जो वे जानते थे।
हालाँकि उन दिनों बहुत सारे कुत्ते तो नहीं थे पर फिर भी हर परिवार में कुछ कुत्ते तो होते ही थे जिन्हें वे परिवार वाले शिकार के लिये काम में लाया करते थे।
कैडो जाति का एक आदमी था जिसका नाम उड़ती चिड़िया था। उसके पास कोई कुत्ता नहीं था। क्योंकि उसको यह पसन्द ही नहीं था कि उसका कुत्ता दूसरों को जा कर उसके बारे में सब कुछ बताये।
पर उसको इतना पता था कि यदि उसके पास एक अच्छा सा कुत्ता हो तो वह अपने परिवार के लिये और अधिक माँस जुटा सकता था।
एक दिन उसके एक दोस्त ने उसे एक छोटा सा कुत्ते का बच्चा ला कर दिया। उसने उसे रख लिया और उसको रोज सिखाने लगा कि उसे ज़्यादा नहीं बोलना चाहिये। बच्चा जल्दी ही बड़ा हो गया। अब उसने उसको शिकार पकड़ना सिखाना शुरू किया।
कुछ समय बाद वह कुत्ता और बड़ा हो गया और अब वह बड़े शिकार पर जाने लायक हो गया।
एक दिन उड़ती चिड़िया ने बहुत सारा खाना बाँधा और अपने कुत्ते से कहा कि देखो हम ऊआचीता पहाड़ (Ooaachita Mountain) पर कई दिनों के लिये शिकार करने के लिये जा रहे हैं।
सो वह अपने घोड़ों पर सामान बाँध कर और अपने कुत्ते को साथ ले कर अकेला ही शिकार पर चल दिया। तीन दिन के बाद वे ऊआचीता पहाड़ पर पहुँचे और वहाँ जा कर डेरा डाल दिया।
उड़ती चिड़िया ने कुत्ते से कहा — “हम लोग गाँव से बहुत दूर हैं पर अगर तुम मुझसे पहले गाँव पहुँच कर वहाँ सबको सब कुछ बता आये तो मैं तुम्हारी जबान खींच लूँगा।”
वे वहाँ कई दिनों तक रहे। उन्होंने वहाँ कई दिन तक शिकार किया और बहुत सारे जानवर मारे। फिर वे सब जानवरों का माँस घोड़ों पर लाद कर वापस घर की तरफ चल दिये।
सफर के पहले ही दिन कुत्ता गायब हो गया। उड़ती चिड़िया ने उसे बहुत पुकारा पर उसका तो कहीं पता ही नहीं था।
कहीं वह कुत्ता रास्ता न भूल गया हो और अपने डेरे वाले स्थान पर ही न पहुँच गया हो यही सोच कर वह फिर उसी जगह पहुँचा जहाँ उसने डेरा लगाया था पर वह तो वहाँ भी नहीं था। अन्त में फिर वह घर की तरफ चल दिया।
उड़ती चिड़िया को अपनी शिक्षा पर विश्वास था इसलिये वह यह सोच ही नहीं पाया कि उसका कुत्ता उससे पहले ही कैडो गाँव पहुँच गया होगा।
पर कई दिन के सफर के बाद जब वह घर पहुँचा तो उसने देखा कि उसका कुत्ता एक पेड़ के नीचे बैठा हुआ भालुओं की, शेरों की और हिरनों की कहानियाँ सुना रहा है।
यह देख कर उड़ती चिड़िया बहुत नाराज हुआ और चीखा —
“मैंने तुमको पहले ही मना किया था कि अगर तुम मुझसे पहले गाँव
आये और तुमने यह सब यहाँ के लोगों को बताया तो मैं तुम्हारी
जीभ खींच लूँगा।” और उसने तड़ातड़ उस कुत्ते को मारना शुरू
कर दिया।
गुस्से में आ कर उसने उसकी जीभ को जहाँ तक वह खींची जा सकती थी खींचा और फिर उसके मुँह में उसने एक डंडी घुसा दी। तभी से कुत्तों की जीभें लम्बी और मुँह बड़े होते हैं।
(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है)