आदमी की उम्र अस्सी साल क्यों ? : यूरोप की लोक-कथा
Why Man Lives Eighty Years ? : European Folktale
यह लोक कथा यूरोप महाद्वीप के बाल्कन क्षेत्र की लोक कथाओं से ली गयी है। बाल्कन कोई एक देश नहीं बल्कि एक क्षेत्र है जिसमें यूरोप के कई देश शामिल हैं।
जब दुनियाँ बनाने वाले ने दुनियाँ बनायी तो वह हर एक को 30 साल की उम्र देना चाहता था।
उसने सबसे पहले आदमी बनाया और उससे कहा — “तुम मेरे बनाये हर जीव पर राज करोगे। तुम हमेशा जवान, तन्दुरुस्त, सुन्दर, ताकतवर और अक्लमन्द रहोगे। तुम तीस साल तक ज़िन्दा रहोगे – उतने ही दिन जितने दिन और जानवर ज़िन्दा रहेंगे जिनके ऊपर तुम राज करोगे।”
आदमी को यह सुन कर तो बहुत अच्छा लगा कि वह भगवान के बनाये हर जीव पर राज करेगा पर वह अपनी केवल तीस साल की ज़िन्दगी से सन्तुष्ट नहीं था।
आदमी बनाने के बाद दुनियाँ बनाने वाले ने गधा बनाया और उसने उससे कहा — “गधे, तुम बहुत खराब खाना खाओगे और कभी सन्तुष्ट नहीं होगे। तुम आदमी के लिये काम करोगे और उस का बोझा ढोओगे। आदमी और जानवर दोनों ही तुम्हारा मजाक बनायेंगे।”
यह सुन कर गधा बोला — “मैं इतना ज़्यादा दुख सहना नहीं चाहता। क्या मैं केवल दस साल तक ज़िन्दा रह सकता हूँ?”
आदमी ने गधे को सुना तो उसने भगवान से पूछा — “भगवन, क्या गधे की ज़िन्दगी के बीस साल जो वह नहीं लेना चाहता मैं ले सकता हूँ?”
भगवान ने आदमी की प्रार्थना मान ली और आदमी से कहा —
“ठीक है। गधे की उम्र के बीस साल तुम ले सकते हो। पर तुम इन
बीस सालों को उसी तरह इस्तेमाल करोगे जैसे कि गधा इनको
इस्तेमाल करता।”
यह सुन कर आदमी खुश हो गया कि अब उसको पचास साल रहने के लिये मिलेगा पर इसके बारे में तो उसने सोचा ही नहीं कि उन बीस सालों को वह गधा कैसे इस्तेमाल करता।
गधे के बाद भगवान ने कुत्ता बनाया और उससे कहा — “कुत्ते, तुम अपने चारों तरफ की चीज़ों को रखवाली करोगे। तुम हर खतरे को महसूस करोगे चाहे वह दूर ही क्यों न हो और उसको महसूस कर के भौंकोगे।
तुमको कभी काफी आराम नहीं मिलेगा। तुम जितना अपने लिये करते हो उससे कहीं ज़्यादा दूसरों के लिये करोगे। तुम हमेशा आदमी को खुश रखना पसन्द करोगे जो तुमको बीस साल तक रखेगा।”
कुत्ता बोला — “भगवन, अगर मेरी ज़िन्दगी इतनी ही मुश्किल होगी तो आप मुझे केवल दस साल की ज़िन्दगी ही दें। मैं तीस साल ज़िन्दा रहना नहीं चाहता।”
आदमी भगवान और कुत्ते की बातचीत सुन रहा था सो भगवान से बोला — “भगवन, अगर कुत्ता अपनी ज़िन्दगी के बीस साल नहीं लेना चाहता तो उनको आप मुझे दे दें।”
भगवान ने उसकी प्रार्थना सुन ली मगर बोले — “तुमको कुत्ते की ज़िन्दगी के बीस साल भी दिये। पर तुमको वे बीस साल उसी तरह जीने होंगे जैसे कुत्ता उनको जीता।”
आदमी राजी हो गया क्योंकि अब वह बजाय पचास साल के सत्तर साल तक रह सकता था। पर वह फिर से यह सोचना भूल गया कि वे बीस साल कुत्ता कैसे बिताता। वह तो बस अपनी उम्र बढ़ाने में लगा हुआ था।
अब भगवान ने बन्दर पैदा किया और उससे कहा — “तुम आदमी की तरह से दिखायी दोगे पर आदमी की तरह से रहोगे नहीं। तुम पेड़ पर चढ़ोगे और एक शाख से दूसरी शाख पर कूदते रहोगे। तीस साल तक तुम अक्सर बेवकूफी के काम करोगे और दूसरों की नकल करोगे।”
बन्दर बोला — “भगवन, अगर मुझे सारी ज़िन्दगी ऐसे ही बेवकूफी के काम करने होंगे तो मैं तीस साल तक ज़िन्दा नहीं रहना चाहता। मेरे लिये केवल बीस साल ही काफी हैं।”
आदमी ने फिर से भगवान और बन्दर की यह बातचीत सुनी और बन्दर के दस साल ले लिये। भगवान ने उसको वे दस साल दे कर कहा — “पर तुम ये दस साल उसी तरह से गुजारोगे जैसे बन्दर गुजारता।”
आदमी बन्दर के दस साल पा कर बहुत खुश था। अब उसकी उम्र अस्सी साल हो गयी थी और अब वह ये अस्सी साल वैसे ही गुजार रहा है जैसे कि भगवान ने उससे कहा था।
पहले तीस साल में आदमी आदमी की तरह से जवान और सुन्दर रहता है। वह ताकतवर रहता है और भगवान की बनायी दुनियाँ पर राज करता है। यही समय होता है जब सारे लोग शादियाँ करते हैं और उनके बच्चे होते हैं।
फिर तीस साल से ले कर पचास साल तक़ यानी अगले बीस सालों में वह अपने चारों तरफ सामान इकठ्ठा करता है। वह गधे की तरह काम करता है और हमेशा उसको लगता है कि उसके पास काफी नहीं है।
फिर पचास साल से ले कर सत्तर साल तक़ यानी अगले बीस सालों में आदमी कुत्ते की तरह से रहता है। उसने जो कुछ इकठ्ठा किया होता है उसकी पहरेदारी करता है। वह ठीक से सोता भी नहीं है और वह अपने चारों तरफ खतरा ही खतरा देखता रहता है।
कभी कभी वह बिना किसी वजह के भौंकता भी रहता है। वह हमेशा अपने आपको असुरक्षित महसूस करता है। सत्तर साल से अस्सी साल की उम्र तक के दस साल में उसके हाथ काँपते हैं, टाँगें मुड़ जाती हैं। उसका दिमाग काम नहीं करता और वह बन्दर की तरह से बेवकूफी के काम करता रहता है। वह बिना कोई वजह जाने कभी कभी दूसरों की नकल भी करता है।
A folktale from Balkan. Balkan is not a specific country but a region containing several countries of Europe – Hungary, Slovania, Romania, Serbia, Albania, Mecedonia, Bulgaria, Croatia…
(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)