वापसी (ब्रिटिश कहानी) : आर्थर सी. क्लार्क

Wapsi (British Story) : Arthur C. Clarke

कालिन शेरार्ड और उसके साथी अपने-अपने अंतरिक्ष यान में बैठे अंतरिक्ष में विचर रहे थे। अचानक शेरार्ड का यान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। वह बेहोश हो गया। जब उसे होश आया तो उसने अपने आपको एक अनजान ग्रह पर पाया। वह ग्रह बहुत गरम था।

शेरार्ड ने अपनी आँखें खोलीं और चारों तरफ देखा। वह समझ नहीं पाया कि वह कहाँ पर है। उसने देखा कि उसका यान पास में ही पड़ा है। यान का कुछ हिस्सा टूट गया था। उसने दूसरी तरफ नजर दौड़ाई तो उसे एक बड़ी पहाड़ी दिखाई दी। उस पहाड़ी की सतह काली थी। ऐसा लगता था जैसे वह सतह कभी आग से जली हो। आसपास बहुत-सी चट्टानें भी थीं।

उसने ऊपर की तरफ देखा तो उसे आसमान नजर आया, जिसमें असंख्य तारे टिमटिमा रहे थे। उन तारों में से एक तारा बहुत बड़ा और बहुत चमकीला था। वहाँ महसूस हो रही भयंकर गरमी के कारण शेरार्ड सोचने लगा कि कहीं वह तारा सूर्य तो नहीं। क्या वह पृथ्वी से चलकर सूर्य के इतना निकट आ गया है? ‘‘नहीं, यह नहीं हो सकता,’’ शेरार्ड मन-ही-मन बुदबुदाया। हो सकता है, वह पृथ्वी से काफी दूर पहुँच गया हो, पर इतनी दूर नहीं कि वह सूर्य के निकट पहुँच गया हो।

वह रात का समय था। सवेरा होने में कुछ ही घंटे बाकी थे। उसने सोचा, जब इस समय इतनी गरमी है तो सूर्य के निकलने पर तो और भी भयंकर गरमी हो जाएगी। तब तो वह मौत के मुँह में ही चला जाएगा। पृथ्वी पर से दिखनेवाले सूर्य से तीस गुना आकार के सूर्य की किरणें उसे जलाकर राख कर देंगी। उसे लगा, उसके आसपास की सारी चीजें सूर्य की प्रचंड गरमी से ही जलकर काली हुई हैं। उसने पढ़ रखा था कि दिन के समय इकारस का तापमान एक हजार डिग्री फारेनहाइट तक पहुँच जाता है। कहीं यह इकारस ही तो नहीं है?

तभी शेरार्ड को कप्तान मैकलेलान की यह बात याद आई कि इकारस सौरमंडल का सबसे गरम भाग है।

अब केवल एक ही उम्मीद बची थी कि अगर उसके साथी उसे ढूँढ़ लें तो शायद उसकी जान बच जाए। अगर उसके साथी सवेरा होने से पहले उसे नहीं ढूँढ़ पाए तो वह अपने प्राणों से हाथ धो बैठेगा।

फिर वह अपने यान के नियंत्रण-कक्ष में गया और उसमें लगे उपकरणों की मदद से अपने साथियों से संपर्क करने की कोशिश करने लगा। लेकिन वह उनसे संपर्क करने में सफल नहीं हो सका।

शेरार्ड सूर्य की गरमी से बचने का कोई उपाय सोचने लगा। उसने चारों तरफ नजर दौड़ाई। उसे एक चट्टान नजर आई, जो बहुत बड़ी थी। वह उस चट्टान के पीछे छिपकर कुछ समय तक सूर्य के ताप से बच सकता था। पर प्रश्न यह था कि दोपहर के समय जब सूर्य एकदम सिर पर चढ़ आएगा, तब क्या होगा?

तभी उसे अपने परिवार का खयाल हो आया। वह अपनी पत्नी और बच्चों के बारे में सोचने लगा, हालाँकि इस समय उनके बारे में सोचना बेकार था। यह समय तो यही सोचने का था कि वह अपनी जान कैसे बचाए।

‘‘मनुष्य तारों के पार जाने की क्यों सोचता है? क्यों वह अपनी जान जोखिम में डालकर ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों पर चढ़ने की कोशिश करता है?’’ वह मन-ही-मन बुदबुदाया। वह निराश होता जा रहा था।

वह उस बड़ी चट्टान के पीछे जा छिपा। रात का समय थोड़ा ही बचा था।

एकाएक शेरार्ड के मन में तरह-तरह के विचार घूमने लगे। वह सोचने लगा, सवेरा होने पर सूर्य की किरणें उसकी जान ले लेंगी। बाद में विज्ञान के क्षेत्र में और प्रगति होने पर जब मनुष्य इकारस पर सकुशल विचरने में सफल हो जाएगा तो वह यहाँ उसका स्मारक बनवाएगा, जिसपर लिखा होगा, ‘यहाँ कालिन शेरार्ड नाम के अंतरिक्ष यात्री ने विज्ञान को आगे बढ़ाने की खातिर अपनी जान दी थी।’

फिर शेरार्ड को याद आया कि पृथ्वी के भूवैज्ञानिकों ने इकारस के विषय में लिखा है कि यह हमेशा अंतरिक्ष में लटकनेवाला छोटा-सा ग्रह नहीं रहा है। पहले पृथ्वी की तरह ही एक बड़ा ग्रह था, जो एक विस्फोट में टुकड़े-टुकड़े हो गया। इकारस उसी बड़े ग्रह का एक हिस्सा है। शायद पहले उस बड़े ग्रह पर आबादी भी थी।

धीरे-धीरे तारे हलके पड़ने लगे और साथ ही शेरार्ड की चिंता भी बढ़ने लगी। उसने समझ लिया कि उसकी मौत निश्चित है। उसने पृथ्वी और चाँद को नमस्कार किया। अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को नमस्कार किया। अपने परिवार के लोगों के लिए शुभकामना प्रकट की और अपनी मौत का इंतजार करने लगा। सूर्य निकल चुका था और वह धीरे-धीरे क्षितिज की तरफ बढ़ रहा था। मौत और शेरार्ड के बीच में थोड़ी ही दूरी रह गई थी।

अचानक उसे आकाश में एक चमकीली चीज दिखाई दी, जो तारों की चमक से भी ज्यादा चमकीली थी। वह चमकीली चीज उसके सिर से कई मील ऊपर आसमान में चल रही थी। जब वह चीज मुड़ती थी तो उसमें से सूर्य की किरणें परावर्तित होती थीं। शेरार्ड यह देखकर चौंक पड़ा। ‘यह कोई तारा नहीं हो सकता और न ही कोई अन्य ग्रह हो सकता है,’ शेरार्ड सोचने लगा।

शेरार्ड को समझते देर न लगी कि यह उसके साथियों का यान होगा, जिसपर लगा कोई शीशा चमक रहा है। शेरार्ड को आशा की एक किरण नजर आई। अब उसे उम्मीद हो गई कि वह बच जाएगा। हालाँकि अब भी उसके चेहरे पर घबराहट की वजह से पसीना आ रहा था।

लेकिन अब वह एक बार फिर नियंत्रण-कक्ष में जाकर पूरे उत्साह से नियंत्रण-कक्ष में लगे बटनों को जल्दी-जल्दी दबाकर अपने साथियों से संपर्क करने की कोशिश करने लगा।

तभी उसे कप्तान मैकलेलान की आवाज सुनाई दी। कप्तान मैकलेलान ने कहा, ‘‘शेरार्ड, घबराओ मत। हम आ रहे हैं। लेकिन तुम जोर-जोर से चिल्लाते रहो, ताकि हमें यह पता रहे कि तुम ठीक हो।’’

‘‘मैं यहाँ हूँ,’’ शेरार्ड जोर से चिल्लाया, ‘‘आप लोग जल्दी कीजिए। मेरा सारा शरीर झुलसने वाला है।’’

‘इसका मतलब है कि मेरे साथी यहाँ से थोड़ी ही दूर पर होंगे,’ शेरार्ड सोचने लगा। अब उसमें एक नई ताकत आ गई थी।

शेरार्ड ने दोबारा आसमान की तरफ देखा। वह चमकनेवाली चीज धीरे-धीरे उसकी तरफ बढ़ रही थी। शेरार्ड समझ गया कि उसके साथियों का यान उसके पास आ रहा है। फिर उसे वह यान साफ दिखाई देने लगा।

शेरार्ड लगातार चिल्ला रहा था। तभी उसके साथियों का यान उसके सिर के एकदम ऊपर आ गया। शेरार्ड ने देखा, उस यान में कप्तान मैकलेलान और उसका एक अन्य साथी बैठे हैं। उन दोनों ने शेरार्ड को सीढ़ी की सहायता से अपने यान में खींच लिया और इससे पहले कि शेरार्ड मौत के मुँह में जाता, उसके साथी उसे लेकर उड़ गए।

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