विद्या का फल : क़ुरआन-कथा

Vidya Ka Phal : Quran-Katha

परीक्षा समाप्त हो चुकी और अज़ाज़ील शैतान बनाकर निकाला जा चुका तो अल्लाह ने आदम को आज्ञा दी कि तुम ज़न्नत में निवास करो और उसमें से जो कुछ तुम्हें पसन्द आए खाओ, लेकिन इस एक वृक्ष के समीप कभी न जाना, नहीं तो तुम अन्यायी हो जाओगे। यह वृक्ष विद्या का था, जिसके फल खाने से बुरे-भले की पहचान होती है।

आदम ज़न्नत में प्रविष्ट हो गया तो खुदा ने कहा-"यह अच्छा नहीं कि आदम अकेला रहे, मैं उसके लिए एक साथी उसके योग्य बनाऊँगा।" और खुदा ने आदम को बहुत गहरी नींद में सुला दिया। आदम सो रहा था तो खुदा ने उसकी पसलियों में से एक पसली निकाली और उसके बदले गोश्त भर दिया। इस पसली से खुदा ने एक औरत बनाई और उस औरत को आदम के पास लाया। कहते हैं कि पुरुषों के शरीर में स्त्रियों के शरीर से एक पसली इसीलिए कम होती है कि आदम की वह पसली निकाल ली गई थी। पसली से बनी औरत को देखकर आदम ने कहा कि यह मेरी हड्डियों में से हड्डी और मेरे गोश्त में से गोश्त है इसलिए यह नारी कहलाएगी क्योंकि यह नर में से निकाली गई है। आदम की स्त्री को हौवा' इसलिए ही कहा जाता है कि वह 'हय्यन' अर्थात् जिन्दे पुरुष से पैदा की गई है!

शैतान खुदा के दरबार से निकाल दिया गया तो उसकी आँखें उसकी छाती पर आ गईं और वह मन-ही-मन कोई उपाय सोचने लगा, जिससे कि हज़रत आदम को जन्नत ने निकाला जा सके। सोचते-सोचते जब उसे यह मालूम हुआ कि आदम को एक वृक्ष के फल खाने से रोक दिया गया है, तो वह बड़ा प्रसन्न हुआ और सोचने लगा-अब मुझे वहाँ पहुँचकर शीघ्र ही छापा मारना चाहिए। वह मंत्र के द्वारा तुरन्त जन्नत के फाटक पर पहुंचा और दहाड़ मार-मार रोने लगा। उसका रोना मोर ने सुन लिया। वह यह समझकर कि किसी फरिश्ते पर मुसीबत आ गई, सहायता करने के लिए उसके पास दौड़ा आया और उसके रोने का कारण पूछने लगा। शैतान ने कहा"भाई, मैंने सुना है कि ज़न्नत बहुत खूबसूरत और देखने लायक जगह है, इसलिए मेरा मन उसे देखने को चाहता है। अगर किसी तरह आप मुझे वहाँ की सैर करा दें तो मैं आपका बड़ा एहसानमंद हूँगा और आपको जादू-टोने की विद्या भी सिखला दूंगा।"

मोर ने उत्तर दिया-“आप घबराइये नहीं। आजकल ज़न्नत के फाटक का दरबान साँप है; और वह मेरा बड़ा निकट का मित्र है। मैं जरूर आपके ज़न्नत देखने का इन्तज़ाम कर दूंगा।" यह कहकर और उसे साथ लेकर वह सीधा ज़न्नत के फाटक पर आया और साँप से कहा-"यह मेरे मित्र हैं। आप कृपा करके इन्हें ज़न्नत दिखला दीजिए।"

साँप ने कहा-"ज़न्नत के फाटक में तो किसी को पाँव रखने की आज्ञा भी नहीं है, इसलिए मैं आपकी आज्ञा का पालन करने में असमर्थ हूँ।"

यह सुनकर शैतान बोल उठा-"यदि आप मुझ पर कृपा करना चाहें तो मैं आपको ऐसी तरकीब बतला सकता हूँ जिससे आप पर किसी प्रकार का आरोप भी न लगाया जा सके और काम भी हो जाए। वह तरकीब यह कि मैं आपके मुँह में बैठकर फाटक को लाँघ जाऊँगा। आपको कसम खाने के लिए जगह रह जाएगी कि मैंने सिवाय अपने, किसी को फाटक में कदम भी नहीं रखने दिया।" साँप की समझ में यह बात आ गयी और शैतान उसके मुँह में बैठकर दरवाजे के पार हो गया। साँप तो फिर अपनी जगह आ डटा और शैतान घूमता-फिरता आदम और हौवा के पास जा पहुँचा। उनसे कुछ देर इधर-उधर की बातें करने के बाद उसने पूछा-"तुम उस वृक्ष का फल क्यों नहीं खाते?"

उन्होंने उत्तर दिया-"हमारे प्रभु ने मना कर रखा है।"

तब शैतान ने बड़े विस्मय के साथ पूछा-"अल्लाह ने मना कर रखा है?"

उन्होंने उत्तर दिया-"हाँ।"

फिर शैतान बोला-"अगर तुम इस वृक्ष के फल को खा लो तो निःसन्देह फरिश्तों की भाँति सदा-सदा के लिए अमर हो जाओ।"

उन्हें इस बात पर विश्वास न आया, इसलिए उन्होंने कहा-"हम अपने प्रभु की आज्ञा का उल्लंघन नहीं कर सकते।"

तब शैतान ने खुदा की कसम खाकर कहा-"मैं सच कहता हूँ कि तुम फल खाने से जरूर ही मृत्यु के भय से बच जाओगे और खुदा को तुम्हारी यह बात भी मालूम न होगी।"

कसम खाने पर उन्हें विश्वास आ गया, क्योंकि उस समय कोई भी झूठी कसम न खाता था। शैतान के चकमे में आकर उन्होंने फल को तोड़कर खा लिया। बस, फिर क्या था-शैतान हँसी के मारे लौट-पोट हो गया और यह कहता हुआ फाटक से बाहर हो गया कि मैंने आदम को गुमराह करने की जो प्रतिज्ञा की थी, उसे पूरा कर दिया। अब इसी तरह औरों को भी गुमराह किया करूँगा, क्योंकि जब मेरा छापा अल्ला मियाँ की ज़न्नत में ही लग गया तो फिर दुनिया का तो कहना हो क्या?

उधर फल खाते ही आदम और हौवा की ज्ञान की आँखें खुल गईं और उन्हें मालूम होने लगा कि हम बिलकुल नंगे हैं और इस तरह नंगे रहना उचित नहीं है। अपने अंगों को ढकने के लिए वे वृक्षों के पत्ते तोड़ने दौड़े, लेकिन उनके बाल खजूर के वृक्षों जितने लम्बे थे इसलिए वे दूसरे वृक्षों में उलझ गये।

अल्लाह को यह समाचार मालूम हुआ तो उसने कहा-"तुमने शैतान के बहकाने से मेरी आज्ञा का उल्लंघन किया है, इसलिए तुम गुनहगार हो। अब तुम्हारे लिए ज़न्नत में कोई स्थान नहीं। जाओ, ज़मीन पर तुम सब एक दूसरे के शत्रु बन कर रहो अर्थात् –मोर साँप का, साँप स्त्री-पुरुषों का, स्त्री-पुरुष साँप के और शैतान सबका!" यह कहकर अल्लाह मियाँ ने सबको नीचे ज़मीन पर पटक दिया। कहते हैं कि साँप पहले बहुत खूबसूरत था। उसके ऊँट-जैसे चार पाँव थे, लेकिन उसे दण्ड देने के लिए वे छीन लिए गए ताकि पेट के बल चल-चलकर वह महादुख उठाए! मोर के पाँव भी पहले बहुत खूबसूरत थे लेकिन वे भद्दे कर दिए गए, ताकि उन्हें देख-देखकर वह रोया करे।

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