Ujla Hathi Aur Gehun Ke Khet (Hindi Story) : Ramdhari Singh Dinkar
उजला हाथी और गेहूँ के खेत (कहानी) : रामधारी सिंह 'दिनकर'
एक किसान के दो बेटे थे, एक बाल-बच्चोंवाला और दूसरा कुँवारा। मरने से पहले किसान ने अपनी जायदाद दोनों बेटों में बाँट दी और जब वह मरा, उसके मन में यह संतोष था कि भाइयों के बीच कोई झगड़ा नहीं होगा।
दोनों भाई मेहनती थे और दोनों ईमानदार तथा दोनों के मन में यह भाव गठा हुआ था कि मैं चाहे जैसे भी रहूँ, मगर भाई को आराम मिलना चाहिए।
दोनों भाइयों ने रबी की फसल खूब डटकर उपजाई, और बैसाख में दोनों के खलिहान गेहूँ के बोझों से भर गए।
तब एक रात छोटे भाई ने सोते-सोते सोचा, 'मैं भी कैसा निष्ठुर हूँ? मेरे आगे-पीछे कौन है कि इतना गेहूँ घर ले जाऊँ? हाँ, भाई के बाल-बच्चे बहुत हैं। अच्छा हो कि मैं अपने खलिहान से कुछ बोझे उनके खलिहान में रख आऊँ।'
इतना सोचना था कि कुँवारा भाई उठा और अपने खलिहान से बीस बोझे उठाकर उसने भाई के खलिहान में डाल दिए और वह फिर से आकर सो गया। और नींद में उसने सपना देखा, दोनों ओर गेहूँ के लहलहाते खेत हैं और वह उनके बीच उजले हाथी पर चढ़कर घूम रहा है।
और ठीक यही बात बड़े भाई के मन में भी उठी। उसने सोचा, 'मैं भी कितना स्वार्थी हूँ? अरे, मेरे तो बाल-बच्चे हैं। भगवान् ने चाहा तो जब वे जवान होंगे, तब मुझे बैठे-बिठाए दो रोटियाँ मिल जाया करेंगी। मगर, मेरा छोटा भाई! हाय, उसका तो कोई नहीं है। क्यों न अपने खलिहान से कुछ बोझे उठाकर में उसके खलिहान में डाल आऊँ। अन्न बेचकर दस पैसे अगर वह जमा कर लेगा, तो बुढ़ापे में उसके काम आएंगे।' और वह भी दौड़ा-दौड़ा खलिहान में पहुँचा और अपने ढेर में से बीस बोझे उठाकर उसने छोटे भाई के खलिहान में मिला दिए। और घर आकर वह खुशी-खुशी सो गया।
और सोते सोते उसने सपना देखा कि दोनों ओर गेहूँ के लहलहाते खेत हैं और वह उजले हाथी पर बैठकर खेतों की सैर कर रहा है।
और भोर में उठकर छोटा भाई अपने खलिहान पहुँचा, तो यह देखकर दंग रह गया कि उसके बोझों में से बीस कम नहीं हुए हैं।
और भोर में उठकर बड़ा भाई खलिहान पहुँचा, तब वह भी यह देखकर दंग रह गया कि उसके बोझों में से बीस कम नहीं हुए हैं।
निदान, रात में फिर दोनों भाइयों ने, चोरी-चोरी, अपने बोझे भाई के खलिहान में पहुँचा दिए और दोनों ने फिर रात में उजले हाथी पर चढ़कर गेहूँ के खेत में घूमने का सपना देखा और दोनों भोर में खलिहान को ज्यों का त्यों देखकर फिर दंग रह गए।
यह खेल कई रात चला। आखिर, एक रात दोनों चोर जब अपनेअपने खलिहान में बोझ उठाए भाई के खलिहान की ओर जा रहे थे, दोनों एक दूसरे से टकरा गए और दोनों ने बोझ फेंककर एक-दूसरे को कसकर पकड़ लिया और दोनों आनंद के मारे रोने लगे।
खलिहान में बोझों की संख्या क्यों नहीं घटती थी, यह रहस्य एक क्षण में खुल गया और इसमें कोई संदेह नहीं कि यह आनंद आँसुओं में ही बोल सकता था।
उनके आँसुओं की जो बूंदें पृथ्वी पर गिरी, उनसे नीचे पड़ा हुआ पीपल का एक बीज भीग गया और उत्तम अंकुर निकल आया।
अब उस खलिहान की जगह पर पीपल का एक बड़ा वृक्ष लहराता है। और जो भी राही उसके नीचे सुस्ताकर सो जाता है, वह सपना देखता है कि दोनों ओर गेहूँ के लहलहाते खेत हैं और वह उनके बीच उजले हाथी पर चढ़कर घूम रहा है।