बारह जंगली हंस : आयरिश लोक-कथा

Twelve Wild Swans : Irish Folktale

एक बार आयरलैंड में एक राजा और रानी थे। उनके बारह बेटे थे परन्तु फिर भी वे दुखी थे क्योंकि उनके कोई बेटी नहीं थी।

ऐसा अक्सर होता है कि जो कुछ हमारे पास होता है हम उसकी तो परवाह करते नहीं हैं और जो नहीं होता उसी की इच्छा करते हैं। ऐसा ही कुछ इस रानी के साथ भी था। वह एक लड़की के लिये बहुत बेचैन थी।

एक दिन जाड़ों के मौसम में जब सब जगह बर्फ ही बर्फ फैली हुई थी रानी ने एक ताजा मरा हुआ बछड़ा और उसके बराबर में बैठा एक रैवन पक्षी देखा तो उसके मन में एक इच्छा जागी और वह कह उठी — “काश मेरे एक बेटी होती जिसका रंग बर्फ जैसा सफेद होता, उसके गाल इस बछड़े के खून की तरह लाल होते और उसके बाल इस रैवन की तरह काले होते।”

पर जैसे ही ये शब्द उसके मुँह से निकले कि वह डर के मारे काँप गयी। उसने अपने सामने एक बहुत ही बूढ़ी औरत को खड़े देखा।

वह औरत बोली — “बेटी, ऐसी इच्छा को अपने मुँह से निकाल कर तुमने अच्छा नहीं किया और अब तुम इसकी सजा भुगतने के लिये तैयार हो जाओ क्योंकि तुम्हारी यह इच्छा पूरी की जा चुकी है।

जैसी बेटी की तुमने इच्छा की है वैसी ही बेटी अब तुम्हारे घर में जन्म लेगी। परन्तु जिस समय वह जन्म लेगी उसी समय तुम अपने दूसरे बच्चों को खो दोगी।” यह कह कर वह औरत तो गायब हो गयी और रानी वहीं की वहीं बुत सी बनी खड़ी रह गयी। उस बुढ़िया ने जैसा कहा था वैसा ही हुआ।समय आने पर उसने वैसी ही एक बेटी को जन्म दिया जैसी बेटी की उसने इच्छा की थी।

हालाँकि बेटी के आने के समय उसने अपने बारहों बेटों को एक कमरे में बिठा कर उन पर कड़ा पहरा लगा दिया पर जब उसके घर बेटी आयी तो पहरेदारों ने बाहर पंखों के फड़फड़ाने की आवाज सुनी।

उन्होंने बाहर देखा तो वहाँ उनको बारह हंस एक के बाद एक खुली खिड़की से बाहर जाते और उड़ते दिखायी दिये। वे सब तुरन्त ही जंगल की ओर उड़ गये और गायब हो गये।

राजा को अपने बेटों के इस तरीके से गायब हो जाने का बहुत ही ज़्यादा अफसोस हुआ। उसको अपनी पत्नी पर शायद और भी ज़्यादा गुस्सा आता अगर उसे यह पता चल जाता कि यह सब रानी की इच्छा का फल था।

राजकुमारी बहुत सुन्दर थी और सबकी बहुत प्यारी थी। जब वह बारह साल की हुई तो बहुत उदास और अकेली रहने लगी। उसने अपने उन भाइयों के बारे में पूछना शुरू कर दिया था जिनके लिये वह सोचती थी कि वे मर चुके थे।

रानी को यह भेद छिपाना बहुत मुश्किल हो गया था क्योंकि राजकुमारी एक के बाद एक सवाल पूछती ही जाती थी। अन्त में उसे अपनी बेटी को सब कुछ सच सच बताना ही पड़ा।

राजकुमारी बोली — “माँ, मेरी ही वजह से मेरे भाई जंगली हंस बन कर तकलीफें उठा रहे हैं। मैं आज ही उनको ढूँढने जाती हूँ और फिर से उनको राजकुमारों के रूप में लाने की कोशिश करती हूँ।” राजा और रानी दोनों ने उसको रोकने की बहुत कोशिश की पर वह नहीं रुकी।

अगली रात वह महल से निकल पड़ी और जंगल की ओर चल दी। उसने साथ में रास्ते मे खाने के लिये कुछ केक़ मेवा, फल और मीठे वाले केंकड़े ले लिये।

चलते चलते अगले दिन शाम को उसको लकड़ी का एक घर दिखायी दिया। उस घर के चारों तरफ बागीचा था जिसमें सुन्दर सुन्दर फूल लगे थे। वह उस घर के अन्दर चली गयी।

अन्दर उसने एक खाने की मेज लगी देखी जिस पर बारह प्लेटें रखी थीं, बारह चम्मच रखे थे, बारह छुरी और काँटे रखे थे। वहाँ केक थी, मुर्गा था और फल भी थे। उसी कमरे में एक तरफ आग जल रही थी। बराबर में एक दूसरा कमरा था जिसमें बारह पलंग पड़े थे।

अभी वह यह सब देख ही रही थी कि इतने में उसको पैरों की आवाज सुनायी दी और उसने देखा कि वहाँ बारह नौजवान चले आ रहे हैं। जैसे ही उन्होंने इस लड़की को देखा तो उनके चेहरों पर उदासी छा गयी।

उनमें से सबसे बड़ा नौजवान बोला — “ओह किसकी बदकिस्मती से तुम यहाँ आयी हो? क्योंकि केवल एक लड़की की वजह से ही हम अपने पिता के घर से निकाले गये हैं और अब हम सारा दिन हंसों के रूप में यहाँ रहते हैं।

इस बात को बारह साल बीत गये और हमने तभी यह कसम खायी थी कि हमारी आँखों के सामने जो भी पहली लड़की आयेगी हम उसे जान से मार डालेंगे।

और अब यह बड़े अफसोस की बात है कि आज तुम जैसी भोली भाली और सुन्दर लड़की हमारे सामने आ गयी है। पर क्या करें हमें अपनी कसम तो पूरी करनी ही पड़ेगी।”

राजकुमारी बोली — “मुझे मारिये मत। मैं ही आप लोगों की वह एकलौती बहिन हूँ जिसकी वजह से आपको महल से निकलना पड़ा। कल से पहले मुझे इस बात का बिल्कुल भी पता नहीं था। मैं अपने माता पिता के मना करने पर भी आप लोगों को ढूँढने और आप लोगों के लिये कुछ करने निकली हूँ, अगर मैं कुछ कर पाऊँ तो।”

यह सुन कर बारहों नौजवानों की मुठ्ठियाँ भिंच गयी और उनके मुँह से निकल पड़ा — “हमारी कसम को आग लगे पर अब हम क्या करें?”

तभी एक बुढ़िया उस मकान के अन्दर घुसी और बोली — “मैं बताती हूँ कि तुम लोग क्या करो। सबसे पहले तो अपनी कसम तोड़ो जिसको तुम्हें लेना ही नहीं चाहिये था।

अगर तुम लोगों ने इस लड़की को और ज़्यादा कुछ कहा तो मैं तुम लोगों को पेड़ के तनों में बदल दूँगी। पर मैं तुम लोगों का भला चाहने वाली हूँ। यह लड़की भी तो तुम लोगों को इस शाप से आजाद कराने ही आयी है।”

फिर उसने उस लड़की से कहा — “बेटी, अब तुम अपने भाइयों के आजाद होने का तरीका सुनो। इस जंगल में बाहर की तरफ जो कपास लगी है वह तुम अपने हाथ से इकठ्ठा कर के उसको धुनो, कातो और उसके धागे से बारह कमीजें बनाओ।

पर इस सबके बीच अगर तुम एक बार भी बोलीं, हँसी या रोयी तो तुम्हारे ये भाई हमेशा के लिये हंस बने रह जायेंगे। यह काम पाँच साल में खत्म हो जाना चाहिये। और राजकुमारों तब तक तुम लोग अपनी बहिन की देखभाल करो।”

इतना कह कर वह बुढ़िया गायब हो गयी और भाई लोग यह सोचने लगे कि उनमें से सबसे पहले कौन अपनी बहिन का धन्यवाद करे।

तीन साल तक राजकुमारी कपास चुनने, उसे धुनने कातने और उसकी कमीजें बनाने में लगी रही। उसने तीन साल में आठ कमीजें बना लीं थीं। इस बीच वह बेचारी न हँसी, न बोली और न रोयी।

एक दिन वह सुबह के समय बगीचे में बैठी सूत कात रही थी कि एक कुत्ता आया और उसके कन्धों पर अपने पंजे रख कर खड़ा हो गया। फिर उसने राजकुमारी का माथा चाटा और बाल भी चाटे।

इतने में उसे एक राजकुमार आता दिखायी दिया। उसने इस तरह अचानक वहाँ आने के लये राजकुमारी से कई बार माफ़ी माँगी। फिर उसने उससे बातें करने की कई बार कोशिश की परन्तु राजकुमारी कुछ नहीं बोली।

इधर राजकुमार उसकी इन सब बातों से इतना मोहित हुआ कि वह उससे प्यार करने लगा। उसने उसको बताया कि वह एक देश का राजकुमार था और उसको अपनी पत्नी बनाना चाहता था। इधर राजकुमारी भी उसको प्यार करने लगी थी। हालाँकि कई बातों में उसको ना में सिर हिलाना पड़ा परन्तु अन्त में उसने हाँ में सिर हिला दिया और अपना हाथ राजकुमार के हाथ में दे दिया। राजकुमारी को मालूम था कि उसके भाई और परी उसका पता लगा ही लेंगे सो जाने से पहले उसने अपनी रुई ली, आठों कमीजें लीं, और राजकुमार के साथ उसके घोड़े पर बैठ कर उसके साथ चल दी।

राजकुमार राजकुमारी को अपने घर ले तो जा रहा था परन्तु उसको अपनी सौतेली माँ से डर लग रहा था कि कहीं उसने उसको स्वीकार नहीं किया तो। खैर, घर जा कर बड़ी धूमधाम से उन दोनों की शादी हो गयी।

सौतेली माँ इस सबसे बिल्कुल भी खुश नहीं थी। उसको लग रहा था कि वह लड़की यकीनन ही जंगल के किसी लकड़हारे की बेटी थी इसलिये वह उसको बहुत परेशान करती थी परन्तु राजकुमार अपनी रानी को बहुत प्यार करता था।

समय आने पर छोटी रानी ने एक बेटे को जन्म दिया तो राजा को बहुत ही खुशी हुई परन्तु सौतेली माँ इस बात से बहुत ही ज़्यादा नाखुश थी।

वह यह सोच ही रही थी कि वह उस बच्चे का क्या करे कि इतने में उसे बगीचे में एक भेड़िया दिखायी दिया। बस उसको समझ में आ गया कि उसको क्या करना है। उसने तुरन्त ही सोती हुई छोटी रानी के पास से बच्चे को उठाया और उसे भेड़िये की तरफ फेंक दिया।

भेड़िये ने भी तुरन्त ही बच्चे को अपने मुँह में लपक लिया और बगीचे को पार करता हुआ जंगल की तरफ भाग गया। इधर रानी ने अपनी उँगली चीर कर कुछ खून निकाला और छोटी रानी के मुँह पर लगा दिया।

कुछ देर बाद राजकुमार शिकार से वापस लौटा तो बड़ी रानी ने उसके सामने झूठे आँसू बहा कर उसे बताया कि छोटी रानी ने अपने बच्चे को खा लिया है और बच्चे का खून अभी भी उसके मुँह पर लगा है। और यह कह कर उसने छोटी रानी का मुँह भी राजकुमार को दिखा दिया।

राजकुमार यह सब देख सुन कर बहुत दुखी हुआ। इधर छोटी रानी बेचारी न कुछ बोल सकती थी और न रो सकती थी। राजकुमार ने सब लोगों को यही बताया कि छोटी रानी बच्चे को लेकर खिड़की के पास खड़ी थी, बच्चा उसके हाथों से छूट गया और एक भेड़िया उसको ले भागा।

परन्तु बड़ी रानी यह सब कहने के बाद सभी लोगों से छिपे रूप से यह भी कह देती थी कि यह सब गलत था और सही वही था कि वह अपने बच्चे को खा गयी थी।

काफी समय तक छोटी रानी दुख में डूबी रही क्योंकि एक तो उसका बच्चा मर गया था और दूसरे राजकुमार भी अब उससे कुछ खिंचा खिंचा रहता था। पर न वह कुछ बोली और न रोयी। वह केवल कमीजें बनाने में ही लगी रही।

अक्सर ही वह बारह हंसों को अपनी खिड़की के आस पास उड़ते देखती। धीरे धीरे पाँचवाँ साल भी खत्म होने को आया। उसकी ग्यारह कमीजें खत्म हो चुकी थीं और बारहवीं कमीज की केवल एक आस्तीन रह गयी थी। उसी समय उसने एक सुन्दर सी बेटी को जन्म दिया।

अबकी बार राजकुमार ने खुद उसके कमरे की पहरेदारी करने का निश्चय किया पर बड़ी रानी ने फिर भी किसी तरह उस बच्ची को भी छोटी रानी के पास से उठवा लिया।

वह उसको मारने ही वाली थी कि उसको फिर से एक भेड़िया बगीचे में दिखायी दे गया। बस उसने वह बच्ची भी उस भेड़िये की तरफ फेंक दी।

भेड़िये ने उसको भी तुरन्त ही अपने मुँह में दबोच लिया और बगीचा पार कर के जंगल की तरफ भाग गया। रानी ने सोती हुई रानी के मुँह पर फिर खून लगा दिया और शोर मचा दिया कि छोटी रानी ने अपनी बच्ची को खा लिया।

घर के सभी लोग दौड़े चले आये और उन्होंने देखा कि बच्ची अपने बिस्तर पर नहीं है और छोटी रानी के मुँह पर खून लगा है। बड़ी रानी सोचती थी कि इन दो घटनाओं के बाद छोटी रानी शायद इस दुख को नहीं सँभाल पायेगी और वह मर जायेगी।

परन्तु छोटी रानी तो इस समय ऐसी हालत में थी कि न तो उसके पास सोचने का समय था, न प्रार्थना करने का, न रोने का, न हँसने का और न ही अपनी सफाई देने का। वह तो बस अपनी बारहवीं कमीज की आस्तीन पूरी करने में लगी हुई थी।

राजकुमार ने अपने घर वालों से कई बार कहा कि वह छोटी रानी को जंगल में वहीं छोड़ आता है जहाँ से वह उसको लाया था पर बड़ी रानी ने उसकी एक न सुनी और दरबारियों की सहायता से उसको उसी दिन तीन बजे जला कर मार देने का फैसला सुना दिया।

छोटी रानी के जलाने का समय जब पास आ गया तो राजकुमार महल के किसी दूसरे हिस्से में चला गया क्योंकि इस सबसे वह बहुत ही दुखी था और अपनी प्रिय रानी को इस तरह मरते नहीं देख सकता था। पर वह कुछ कर भी नहीं सकता था।

कुछ ही देर में छोटी रानी को जलाने वाले आ पहुँचे। वे उसको उस जगह पर ले गये जहाँ उसको जलाया जाना था। छोटी रानी ने

सारी कमीजें अपने साथ ले लीं। जाते समय भी वह आखिरी कमीज में कुछ काम करती जा रही थी।

जब वे लोग उसको खम्भे से बाँध रहे थे तभी उसने आखिरी कमीज में आखिरी टाँका लगाया और एक आँसू उसकी आँख से कमीज पर गिर गया।

वह चिल्ला पड़ी — “मैं बेकुसूर हूँ। मेरे पति को बुलाओ।” केवल एक आदमी को छोड़ कर सभी ने अपने हाथ रोक लिये पर उस एक आदमी ने उन लकड़ियों के ढेर में आग लगा दी। सभी आश्चर्यचकित रह गये जब सबने देखा कि कहीं से बारह हंस उड़ते हुए आये और उन्होंने अपने पंखों की फड़फड़ाहट से आग बुझा दी और छोटी रानी के चारों तरफ खड़े हो गये।

तुरन्त ही छोटी रानी ने सबके ऊपर एक एक कमीज डाल दी और पलक झपकते ही वे बारहों हंस सुन्दर राजकुमार बन गये। उन्होंने तुरन्त ही अपनी बहिन को खोल दिया। सबसे बड़े भाई ने आग लगाने वाले को एक झटके में ही मार दिया।

इतने में छोटी रानी का पति राजकुमार भी आ गया। उन सबके बीच एक बहुत ही सुन्दर स्त्री प्रगट हुई। उसकी गोद में एक चाँद सी बेटी थी और उसकी एक हाथ की उँगली पकड़े एक छोटा सा सुन्दर राजकुमार खड़ा था।

उसने उन सबको पूरी कहानी सुनायी और बताया कि भेड़िये के रूप में वही उन दोनों बच्चों को ले गयी थी। उसने बच्चों को उनके माता पिता को सौंप दिया और गायब हो गयी।

राजकुमार अपनी छोटी रानी और अपने बच्चों के साथ खुशी खुशी रहने लगा और वे बारह राजकुमार भी अपने माता पिता के पास वापस चले गये।

इस तरह वह छोटी बहिन जिसकी वजह से उसके भाई हंस बन कर घर छोड ,कर गये थे उनको फिर से राजकुमार के रूप में वापस ले आयी।

1. Twelve Wild Swans – a folktale of Ireland, Europe This is very popular story of Europe, but is not limited to there. It is heard and told in several countries in various flavors.
2. Raven is a crow-like bird.

(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)

  • आयरिश/आयरलैंड की कहानियां और लोक कथाएं
  • भारतीय भाषाओं तथा विदेशी भाषाओं की लोक कथाएं
  • मुख्य पृष्ठ : संपूर्ण हिंदी कहानियां, नाटक, उपन्यास और अन्य गद्य कृतियां