तुरहीवादक (स्पेनिश कहानी) : पेडरो ए. डे एलारकोन
Turhivadak (Spanish Story in Hindi) : Pedro. A. de Alarcon
"डॉन बासिलियो, तुरही बजाओ और हम नाचेंगे। वृक्षों के नीचे इतनी गरमी नहीं है।”
“हाँ, हाँ, डॉन बासिलियो, तुरही बजाओ, ए पिस्टन !”
"डॉन बासिलियो, वह तुरही लाओ जिसपर जोक्युन सीख रही है।"
"वह बहुत अच्छी नहीं है, क्या तुम बजाओगे, डॉन बासिलियो ?"
"नहीं।"
"क्यों नहीं?"
"क्योंकि मैं नहीं बजाऊँगा । "
"परंतु क्यों नहीं?"
"क्योंकि मैं बजाना नहीं जानता । "
“बजाना नहीं जानते! क्या तुमने ऐसा छली देखा है?"
" मेरा खयाल है, वह थोड़ी चापलूसी चाहता है।"
"क्या तुम नहीं जानते कि तुम अपनी रेजीमेंट में मुख्य तुरहीवादक थे, डॉन बासिलियो ?"
"और वादकों में कोई तुम्हारी बराबरी नहीं कर सकता था । "
"और एसपारों के समय में तुम्हें महल में बजाने के लिए भेजा गया था । "
" और तुम्हें पेंशन मिलती है।"
" हमपर कृपा करो, डॉन बासिलियो, दया करो। "
"ठीक है, मेरे बच्चो, जो तुम कहते हो, सच है । मैंने तुरही बजाई है। मैं विशेषज्ञ रहा हूँ जैसा तुम कहते हो, परंतु यह भी सत्य है कि दो वर्ष पूर्व मैंने अपनी तुरही एक निर्धन वादक को उपहार में दे दी थी, जिसने तुरही वादन की परीक्षा पास की थी, परंतु उसके पास अपना वाद्य नहीं था। तब से मैंने एक राग भी नहीं बजाया । "
"क्या दया है!"
"और तुम दूसरे रोजिनी हो!"
"परंतु फिर भी तुम किसी तरह आज दोपहर हमारे लिए बजाओ!”
"तुरही बहुत अच्छी न भी हो, तो भी यहाँ मैदान में कोई फर्क नहीं पड़ता।"
"दादा, यह मत भूलो कि आज मेरा जन्मदिन है!"
“वाह! तुरही आ गई!"
" अब यह क्या बजाएगा ?"
"एक वाल्ट्ज?"
"नहीं, एक पोलका ।"
“पोलका! अनर्थक! हम नृत्य की धुन सुनेंगे! "
"ओह, हाँ, नृत्य की धुन - हमारा अपना राष्ट्रीय नृत्य ।"
"मेरे प्यारे बच्चो, मुझे खेद है, मेरे लिए तुरही बजाना असंभव है।"
“परंतु तुम सदा कृपा करते हो, और अब...।"
"हमें निर्दयता मत दिखाओ।"
"तुम्हारा छोटा पोता बजाने के लिए प्रार्थना करता है।"
" और तुम्हारी भतीजी भी । "
“परमात्मा के लिए मुझे मत चिढ़ाओ, मैं तुम्हें बता चुका हूँ कि मैं नहीं बजा सकता।”
"परंतु क्यों नहीं?"
"क्योंकि मैं बजाना भूल गया हूँ और इसके अतिरिक्त मैंने शपथ ली है कि अब कभी नहीं बजाऊँगा।"
" तुमने किसकी शपथ ली थी?"
"अपनी शपथ, मरे आदमी की शपथ, तुम्हारी विनीत माँ और अपनी बेटी की शपथ । "
यह सुनकर सारी पार्टी गंभीर होकर चुप हो गई।
"आह, यदि तुम जानते कि तुरही बजाना सीखने के लिए क्या कीमत चुकानी पड़ी..." बूढ़े आदमी ने आगे कहा ।
"ओह, बताओ हमें। यह तो फिर कहानी है।"
तमाम युवा लोग उसके इर्दगिर्द जमा हो गए।
“यह वास्तव में कहानी है, " बासिलियो ने कहा, "और अजीब कहानी ! सुनो और फिर तुम निर्णय करो कि मैं तुरही बजा सकता हूँ या नहीं। "
वह एक वृक्ष के नीचे बैठ गया और जिज्ञासु लोग उसके चारों तरफ बैठे; जब उसने कहानी सुनाई कि किस तरह उसने यह वाद्य बजाना सीखा जिसमें वह इतना प्रवीण था ।
बिलकुल इसी तरह बायरन के कथा पुरुष माजेवा ने एक शाम वृक्ष के नीचे चार्ल्स XII को कहानी सुनाई थी कि उसने घुड़सवारी कैसे सीखी थी।
अब डॉन बासिलियो को सुनो।
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" ठीक सत्रह वर्ष पूर्व स्पेन में गृहयुद्ध हुआ था।
"कार्लो और इजबेल - दोनों राज्य के दावेदार थे और स्पेन के लोगों ने अपने आपको दो भागों में बाँटकर भाई-बहन के संघर्ष में अपना खून बहाया।
" मेरा एक मित्र था - रोमन गोम्ज ; चेश्यूर का लफतान; वह मेरी बटालियन में ही था और मेरी जान- पहचान का हँसमुख व्यक्ति था । हमारा पालन-पोषण एक साथ हुआ था और हमने एक ही समय स्कूल छोड़ा था, हम लड़ाई के शुरू से ही साथ-साथ लड़ते रहे और हम दोनों स्वतंत्रता के लिए मर मिटने को तैयार थे। मुझे और बाकी सेना को मिलाकर, वह हम सबसे अधिक स्वतंत्रता का इच्छुक था । "
" एक दिन हमारे कर्नल ने अपनी स्वेच्छाचारी आज्ञा से हमें क्रोधित कर दिया। वह अधिकार के मूर्खो में से एक था जो कभी-कभी होनहार जीवनवृत्ति में हस्तक्षेप करता है । मैं ठीक तरह से नहीं जानता कि यह सब कैसे हुआ, परंतु इसका परिणाम यह हुआ कि अभिमानी स्वतंत्रता प्रेमी चेश्यूर के लफतान ने अपने साथियों की पंक्तियों को, यहाँ तक कि अपने जिगरी दोस्त को भी छोड़ दिया और शत्रु से जा मिला, ताकि लड़ाई में कर्नल को मार डालने का अधिकार पा सके । सूर्य के तले रोमन किसी भी निरादर या अन्याय को सहन करनेवाला आदमी नहीं था ।
"न मेरी धमकी और न ही मेरी प्रार्थना उसका इरादा बदल सकी। उसने दृढ़ निश्चय कर लिया था । वह रानी की वरदी से कार्लो की वरदी बदल सकता था और अपनी टोपी को राजद्रोही की टोपी से; इसके बावजूद कि उसे उन लोगों से गहरी घृणा थी जो देश में गड़बड़ी फैला रहे थे - बलवा लड़ाकू, जैसा हम उन्हें कहते थे ।
"उस समय हम राजकुमार के जनपद में थे - शत्रु से तीन मील दूर । रोमन ने उस रात चले जाने का इरादा कर लिया था। बड़ा कष्टदायक मौसम था - ठंडा, गीला एवं उदास और अगले दिन लड़ाई होनी थी ।
“आधी रात के करीब रोमन मेरे क्वार्ट में आया । मैं सो रहा था। तभी उसने धीरे से मुझे आवाज दी।
" 'बासिलियो !'
" 'कौन है?'
'' 'मैं हूँ, विदा । '
उसने मेरा हाथ थाम लिया ।
" 'सुनो, उसने कहा – यदि कल लड़ाई होती है, जैसी हम आशा करते हैं, और यदि हम उसमें मिलते हैं...।
" 'ठीक है, वास्तव में हम मित्रों की तरह मिलेंगे । '
" 'नहीं, पहले हम आलिंगन करेंगे और फिर हम लड़ेंगे। मैं विश्वास से कल मर जाऊँगा, क्योंकि कर्नल को मारे बिना मैं रुकूँगा नहीं । और बासिलियो, तुम खतरा मत लेना । शोभा केवल धुआँ है।'
" ' और जीवन के बारे में क्या है ? '
" 'वह ठीक है', रोमन ने पुकारा - 'तुम्हें स्वयं कर्नल होना चाहिए, हमारा वेतन धुआँ नहीं है, जब तक हम उसे खर्च नहीं करते। ठीक है, मेरे लिए सबकुछ समाप्त हो गया है। '
" 'क्या मलिन विचार हैं, मैंने कहा, परंतु मैं भी व्याकुल था । 'हम दोनों कल की लड़ाई में जीवित रहेंगे।'
" 'ठीक है, उसकी समाप्ति के बाद मिलने का समय तय करें ।'
" 'कहाँ?'
" 'सेंट निकोलस के पुराने आश्रम - एक बजे रात को । यदि हम में से एक नहीं पहुँचा तो समझा जाएगा कि वह मर गया! सहमत हो क्या ?'
" ‘हाँ, वास्तव में मैं सहमत हूँ।'
" 'अच्छा, फिर अलविदा ।'
" 'अलविदा।'
" 'हार्दिक आलिंगन के बाद हम जुदा हो गए। रोमन घुप अँधेरे में गायब हो गया।
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"जैसी हमें आशा थी, कार्लो की सेना ने अगले दिन हमपर आक्रमण कर दिया। दोपहर तीन बजे से रात होने तक लड़ाई चली और दोनों ओर के काफी लोग मारे गए । पाँच बजे के लगभग रोमन की कमान में अलावा की सेना से मेरी बटालियन की जमकर लड़ाई हुई।
" मेरे मित्र ने राजद्रोही की वरदी पहन रखी थी और कार्लो सेना की सफेद टोपी लगाए हुए था ।
“मैंने अपनी सेना को उनपर गोली चलाने का हुक्म दिया और उसने भी वैसा ही हुक्म अपने अधीन सेना को दिया। हम दोनों ही जी-जान से लड़े, परंतु अंत में मेरी सेना की विजय हुई। अपनी सेना की निशानियाँ पीछे छोड़ते हुए रोमन को पीछे हटना पड़ा, परंतु बिना किसी पछतावे, कर्नल को अपने हाथों से गोली मारने के बाद ही ।
"छह बजे लड़ाई का पासा हमारे विरुद्ध पलट गया। मेरी कंपनी का एक भाग कटकर घेरे में आ गया तथा मैं और मेरे साथी कैदी बना लिये गए। हमें पड़ोस के एक छोटे नगर में ले जाया गया जिसको कार्लो की सेना ने शुरू में ही अपने कब्जे में ले लिया था । हमें विश्वास था कि हम सबको एक साथ गोली से तुरंत उड़ा दिया जाएगा, क्योंकि दोनों ओर कैदियों के लिए पर्याप्त स्थान नहीं था।
“जब मैं अपनी कैदी-कोठरी में बैठा हुआ था, मैंने एक बजे का घंटा सुना - यह रोमन से मेरी भेंट का समय था और मैं नगर की जेल में अपने साथियों के साथ कैद था ।
"मैंने अपने एक पहरेदार से रोमन के बारे में पूछा-
" 'ओह, वह शूरवीर व्यक्ति है। उसने अपने हाथों से एक कर्नल को मार डाला, परंतु हम सोचते हैं, वह भी लड़ाई के अंत में मारा गया होगा।'
" 'तुम ऐसा क्यों सोचते हो?'
" "क्योंकि वह युद्ध क्षेत्र से लौटा नहीं था और उसके साथी नहीं जानते थे कि उसके साथ क्या गुजरी।'
" 'आह, मेरी वह रात कैसे कटी ! '
" 'मेरी आशा बनी रही। संभव है रोमन सेंट निकोलस के आश्रम को चला गया हो और इसलिए युद्धक्षेत्र से न लौटा हो ।'
“ ‘उसको कितना दुःख होगा, 'मैंने सोचा, 'यदि मैं उसको नहीं मिलता तो वह सोचेगा कि मैं मर गया हूँ और वैसे भी मैं अपने अंत से दूर नहीं हूँ । कार्लो के आदमी भी कैदियों को गोली से मार देते हैं, जैसाकि हम करते हैं । '
" प्रभात होते ही पादरी ने जेल में प्रवेश किया।
" 'मेरे तमाम साथी रो रहे थे ।
" 'क्या हमें मरना है?' मैंने पादरी को देखते हुए पूछा ।
" 'हाँ ।' उसने दुःखी और नम्र स्वर में उत्तर दिया।
" 'अभी?'
" 'तीन घंटे तक ।'
“एक मिनट के बाद उसने मेरे साथियों को जगा दिया और जेल चीखों, प्रार्थनाओं, सिसकियों और शापों से गूँज उठा।
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“जब मनुष्य मृत्यु के निकट होता है तो उसको प्राय: एक ही विचार जकड़ लेता है जो सब विचारों से ऊपर होता है और जिससे वह छुटकारा नहीं पा सकता। वही मेरे साथ हुआ - एक दुःस्वप्न एक तीक्ष्ण स्वप्न या पागलपन । मैं अपना ध्यान रोमन की ओर से हटा नहीं सका। दूसरी दुनिया में जैसे कोई मृत या जीवित आश्रम में मेरी प्रतीक्षा कर रहा हो; उसकी सूरत ने मेरा पीछा नहीं छोड़ा और मेरे मित्र के साथ क्या बीती, यह जानने के लिए मेरा मन क्रुद्ध और पीडित हो रहा था।
"कार्लो के आदमी मेरी कप्तान की वरदी ले गए और अपने आदमियों के कपड़े और टोपी पहना गए - फटा-पुराना सूट!
"मुझे मेरे उन्नीस भाग्यहीन साथियों के साथ मृत्यु के लिए बुलाया गया। हम पहले इक्कीस आदमी थे, परंतु एक को क्षमा कर दिया गया था, क्योंकि वह संगीतकार था । कार्लो के लोगों के पास उनके रेजिमेंट बैंड के लिए संगीतकारों की कमी थी, इसलिए उन्होंने पकड़े गए संगीतकारों को जीवनदान दे दिया । "
"इस प्रकार तुम बच गए, डॉन बासिलियो ! " तमाम युवा लोग खुशी से चिल्लाए - " तुम कहते हो कि तुम बजा नहीं सकते और फिर भी तुम बच गए क्योंकि तुम संगीतकार थे।"
"नहीं, मेरे बच्चो, " बूढ़े आदमी ने उत्तर दिया- " मैं संगीतकार नहीं था । "
"कहानी को जारी रखते हुए गोली चलानेवाली पार्टी आ गई और बाकी रेजिमेंट को खोखले चौक में भेज दिया गया। मृत्यु की प्रतीक्षा करने के लिए पंक्ति में हमको निशाना बनाया गया। इस प्रकार मरनेवालों में मैं ग्यारहवाँ था। मुझे अपनी पत्नी और बेटी का ध्यान आया- तुम्हारा और तुम्हारी माँ का, मेरी बेटी का! फिर गोली चलनी शुरू हो गई। मेरी आँखों पर पट्टी बाँध दी गई थी, इसलिए मैं देख नहीं सकता था कि कौन मरा ।
“मैंने यह देखने के लिए कि मेरी बारी कब आती है, गोलियों को गिनना शुरू कर दिया। मैं यह जानने का इच्छुक था कि इस पृथ्वी पर मेरा अंतिम क्षण कब आएगा, परंतु मेरा सिर जैसे तैर रहा था, मैं गड़बड़ा गया और गिनती भूल गया ।
“गोलियों की वह आवाज मेरे कानों में हमेशा गूँजती रहेगी। मैं अब भी उन्हें सुन सकता हूँ। मैं उस यातना को पुनः महसूस कर सकता हूँ जिसने अनिश्चय के कारण मेरे मस्तिष्क को कष्ट दिया। हर समय मैंने सोचा, अगली बारी जरूर मेरी है, परंतु अगली गोली चली और मैं अभी जीवित था।
" अंत में मुझे कोई शंका नहीं रही। मुझे कोई चीज लगी या मुझे दबोच लिया। मुझे कोई पीड़ा नहीं हुई, परंतु व्याकुलता और गड़बड़ी ने मेरे कान भर दिए। मैं डगमगाया और गिर गया, फिर आगे कुछ याद नहीं रहा। ऐसा प्रतीत होता था कि मैं गहरी निद्रा में चला गया था और केवल स्वप्न देखने के लिए ही उठा था और मेरा पहला स्वप्न था कि मुझे गोली लगी थी और मुझे मार दिया गया था !
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" अभी तक स्वप्न में मैंने अपने आपको जेल के काउच पर पाया। मैं देख नहीं सका ।
"मैंने यह देखने के लिए कि आँखों पर अभी तक पट्टी बँधी थी, अपने हाथ को आँखों तक उठाया, परंतु वहाँ कुछ भी नहीं था। क्या मैं मर गया था या अंधा हो गया था?
“नहीं, तथ्य यह था कि जेल में पूरी तरह अँधेरा था। "मैंने एक घंटे को बजते सुना, वह गिरजे का घंटा था ।
" नौ बजे हैं, मैंने विचार किया, परंतु दिन कौन सा था ?
"कुछ चीज मेरे ऊपर झुकी; एक साया जो जेल की भारी हवा से भी अधिक काला था, उसने आदमी की आकृति ले ली।
"मैंने पूछा, 'बाकी उन्नीस का क्या हुआ ?'
" 'उन सबको गोली मार दी गई। "
" ' और मैं? क्या मैं जीवित हूँ या यह भी मृत्यु है?'
" मैंने साये को टटोला और जो शब्द मेरे विचार में पहले आया, मैं बड़बड़ाया।
" ‘रोमन?’
" 'यह क्या है?' साये की आवाज ने पूछा, मेरे मित्र की आवाज !
" 'रोमन!' मैं काँपकर बोला, 'क्या मैं दूसरी दुनिया में हूँ?'
" 'नहीं!' आवाज ने उत्तर दिया ।
" 'रोमन, तुम अभी जीवित हो ?'
" 'हाँ, अभी तक !'
" 'और मैं?'
" 'उसी तरह । '
" 'परंतु मैं हूँ कहाँ? क्या यह सेंट निकोलस का आश्रम है जहाँ हमें मिलना था ? क्या मैं कैदी नहीं हूँ? या हर चीज का स्वप्न देखा है ? '
'' 'नहीं, बासिलियो, तुमने किसी तरह का स्वप्न नहीं देखा । सुनो। '
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" 'जैसा तुम जानते हो, मैंने कर्नल को खुली लड़ाई में मार दिया। मैंने बदला ले लिया । मैं क्रोध से पागल हो गया था और मैं अपने पुराने साथियों को मारता चला गया जब तक रात नहीं हो गई और युद्ध - क्षेत्र में किसी और को देख नहीं सका।'
'जब चाँद उदय हुआ, मुझे तुम्हारा खयाल आया । मैंने अपने कदमों को सेंट निकोलस के आश्रम की तरफ मोड़ दिया तुम्हारी प्रतीक्षा करने के लिए। उस समय दस बजे थे। हमें यहाँ एक बजे मिलना था और पिछली रात मैंने आँखें बंद तक नहीं की थी, इसलिए गहरी नींद तब तक सोया, जब तक घड़ी की आवाज ने मुझे जगा नहीं दिया।
" 'उस समय एक बजा था ।
" 'मैंने इधर-उधर देखा और पाया कि मैं अकेला था। मैंने सोचा कि तुम मर गए होगे, परंतु फिर भी मैंने चिंता और दुःख के साथ प्रतीक्षा की ।
" 'दो, तीन फिर चार बज गए। प्रतीक्षा की क्या भयंकर रात थी ! '
" 'तुम प्रभात से पहले नहीं आए। इसमें शंका नहीं रही कि तुम कभी नहीं आओगे - तुम मर चुके थे। मैं आश्रम छोड़कर नगर को चला गया जहाँ कार्लो के आदमी थे। जब मैं उनकी बैरकों में पहुँचा तो सूर्य उदय हो रहा था। सबने सोचा कि मैं एक दिन पहले मारा गया था । अतः उन्होंने प्रसन्नता से मेरी अगवानी की और जनरल ने बड़ी भद्रता दिखाई । अन्य समाचारों के साथ मुझे बताया गया कि बीस कैदियों को गोली मारी जाने वाली थी। जूरी के पूर्वज्ञान-कथन ने मेरे मन को अंधकारमय बना दिया।'
" 'क्या बासिलियो उनमें था?' मैं विस्मित हो गया।
" 'मैं गोली चलनेवाले स्थान पर पहुँचा । गोली चलानेवाली पार्टी पंक्तिबद्ध हो चुकी थी और मैंने कुछ गोलियों की आवाज सुनी। मैंने कैदियों के चेहरों को पहचानने की कोशिश की और अंत में घबराहट और चिंता की धुंध, जिसने मुझे लगभग अंधा बना दिया था, में तुम्हें देखा । तुम्हें गोली मारने से पहले दो बाकी थे । क्या किया जाना चाहिए था?
“ ‘मैं पागल आदमी की तरह आगे को झपटा। तुम्हें बाँहों में लिया और उन्मत्त होकर चिल्लाया, " इसको नहीं जनरल, तुम्हें इसको नहीं मारना होगा।"
"जनरल, जो गोली चलानेवाली पार्टी का निर्देशन कर रहा था और जिसने पिछली शाम से मुझे पहचान लिया था, ने हैरानी से पूछा, "और क्यों नहीं? क्या यह संगीतकार है?"
" 'एकाएक मुझे दैवी - ज्ञान हुआ। एक आशा, जो अंधे के सामने सूर्य की तरह मुझपर चमक गई। इस अवसर को हाथ से नहीं जाने देना चाहिए। मैं इस विचार से चकाचौंध हो गया और मैं तुरंत चिल्लाया,
“ ‘संगीतकार, जनरल। क्यों यह शाही फौज में श्रेष्ठ संगीतकारों में से एक है। यह महान् संगीतकार है।
" 'तुम बेहोशी में मेरे पैरों पर गिर पड़े और तब तक बेहोश लेटे रहे। '
" 'यह कौन सा वाद्य बजाता है?' जनरल से पूछा ।
" 'एक दूसरा दैवी-ज्ञान! मैंने रेजिमेंट के बैंड पर नजर दौड़ाई और विचार किया कि वहाँ किस वाद्य की कमी थी।
" 'वह...वह...', मैंने बैंड पर पुनः नजर डाली - ' तुरही ए पिस्टन, जनरल ! '।
'' 'हमें तुरही ए पिस्टन चाहिए, नहीं क्या?' जनरल ने बड़े मास्टर से पूछा ।
" 'मैंने कितनी अधीरता से उत्तर की प्रतीक्षा की।
" 'हाँ, जनरल, हमें सख्त जरूरत है।' बड़े मास्टर ने उत्तर दिया।
" 'इस आदमी को ले जाओ और बाकी आदमियों को गोली मार दो।' कार्लो के जनरल ने सिगरेट जलाते हुए शांतिपूर्वक कहा।
" 'इस प्रकार मैं तुम्हें जेल से वापस ले आया।'
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“जैसे ही रोमन ने बोलना बंद किया, मैं उठा और रुँध आई आवाज में उसका अभिवादन किया, 'तुमने मुझे बचा लिया है। '
" 'मैं उसके बारे में नहीं जानता।' रोमन ने कहा ।
" 'क्यों, अब क्या करना है?'
" 'क्या तुम तुरही बजा सकते हो?'
" 'नहीं।'
" 'तो ठीक हैं, मैंने तुम्हारी जान ही नहीं बचाई, बल्कि समझो, मैंने अपनी जान भी गँवा दी है। ' "यह जानकर कि उसका क्या मतलब था, मैं काँप गया।
'' 'क्या तुम संगीत के बारे में कुछ नहीं जानते ?' उसने रुककर पूछा ।
'' 'बहुत ही कम तुम जानते हो, स्कूल में ही कुछ सीखा था । '
" 'वह वास्तव में बहुत कम था, न के बराबर । वे तुम्हें अवश्य गोली मार देंगे और विश्वासघाती के रूप में उनको धोखा देने के लिए मुझे भी गोली मार देंगे। जरा सोचो। दो सप्ताह में वे अपनी रेजिमेंट का बैंड पूरा बनाना चाहते हैं और तुम्हें बैंड का सदस्य बनना है। सब निपट गया है!'
" 'दो सप्ताह में ? '
" 'हाँ। और क्योंकि तुम तुरही नहीं बजा सकोगे । अतः हम दोनों को गोली से उड़ा दिया जाएगा। चमत्कारों का समय बीत गया है।'
"मैं फिर उछल पड़ा।
" 'गोली,' मैंने पुकारा – 'जरा प्रतीक्षा करो। मैं गोली खाना नहीं चाहता और न ही तुम्हे खाने दूँगा क्योंकि तुमने मेरी जान बचाई है। दो सप्ताह में संगीत को समझ लूँगा और तुरही बजा लूँगा ।'
"मेरी बात पर रोमन हँस दिया।
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" बताने के लिए और अधिक नहीं है, मेरे बच्चो !
“हमने नगर में थोड़ी दूर एक संगीत अध्यापक ढूँढ़ लिया । यह बहाना बनाया कि लड़ाई में वाद्य गुम हो गया था और मैं उसकी तुरही पर अभ्यास करना चाहता हूँ । मुझे रोमन की देखरेख में उसके पास जाने की आज्ञा मिल गई; रोमन ने वचन दिया था कि मैं भागने की कोशिश नहीं करूँगा । ओह, वह दो सप्ताह! दिन और रात मैंने सीखा और दिन का प्रत्येक घंटा उस संगीतज्ञ के साथ तुरही बजाना सीखते गुजारा। दो सप्ताह में मैंने अच्छी तरह से सीख लिया और बैंड का सदस्य बनने और दूसरों के साथ अभ्यास करने योग्य हो गया।
"मैं जानता हूँ, तुम मुझसे पूछोगे कि मैं भाग क्यों नहीं गया। मैं भाग नहीं सका। मैं युद्ध का कैदी था और मेरे लिए रोमन उत्तरदायी था । वह मेरे बिना भाग सकता था, परंतु मैं अकेला नहीं जा सकता था और यह हम दोनों के लिए जोखिम भरा था।
"मैं बोल नहीं सका, यहाँ तक कि मैं सोच और खा-पी भी नहीं सका। मैंने बजाया और इस तरह बजाया, जैसे पागल हो गया हूँ। मैंने यह इसलिए किया होगा कि दुनिया में संगीत के अतिरिक्त मुझे और कुछ सूझता ही नहीं था ।
"मैंने सीखने का निश्चय कर लिया था और मैंने सीखा। जहाँ चाह है वहाँ राह है।
"यदि मैं गूँगा होता और बोलना चाहता तो बोलता; यदि मुझे लकवा मार जाता और मैं चलना चाहता तो चलता; यदि अंधा हो जाता और देखना चाहता तो देखता ! मुझे अपने मित्र और अपने आपको बचाने की इतनी तीव्र इच्छा थी ।
“मैंने इसको कहना चाहा और कहा, करना चाहा और किया। किसी की चाह पूरी करने का अर्थ है उसके लिए शक्ति बटोरना। बच्चो यह मत भूलो, जहाँ चाह है वहाँ राह भी है। मैंने जो भी चाहा, मन से चाहा और सफल हुआ ।
" परंतु वास्तव में मैं पागल हो गया।
"मैंने संगीत के अतिरिक्त और कुछ नहीं सोचा। मेरी नई तुरही, जो बैंड का सदस्य बनते समय उन्होंने मुझे दी, मेरे लिए बच्चे की तरह थी - जीवित जीव की तरह । उसने तीन वर्षों तक मेरा हाथ नहीं छोड़ा। मेरा सारा संगीत उसके स्वरों और स्वरों के मिलान से बना था ।
“डो...रे...मी...फा...सोल...ला...सी । यही मेरा अस्तित्व था । मैंने तुरही बजाने के सिवा और कुछ नहीं किया।
"अंत में रोमन और मैं भागकर फ्रांस चले गए। वहाँ हमने तुरही बजाकर गुजारा किया । तुरही ही मेरी आत्मा थी। जब मैं बजाता था तो गाता हुआ और वाद्य से अपने भावों को प्रदर्शित करता हुआ प्रतीत होता था। मैं इसका इतना अभ्यस्त हो गया था कि कुछ भी कर सकता था - हँसना, रोना, सिसकियाँ भरना, गाना और गुर्राना! मैं किसी भी पक्षी की नकल कर सकता था और किसी भी जानवर की । लोग हमें सुनने आते थे। हमने सार्वजनिक प्रदर्शन किए, यहाँ तक कि महानतम संगीतज्ञ मुझे और मेरी तुरही सुनने आते थे।
"दो वर्ष इस प्रकार बीत गए और फिर मैंने अपने मित्र को खो दिया। रोमन की मृत्यु हो गई। रोमन, जिसने हमारे परिभ्रमण में मेरा ध्यान रखा ताकि मैं स्वतंत्र रूप से अपने आपको संगीत को समर्पित कर सकूँ ।
“जैसे ही मैंने उसके शव को देखा, मेरा पागलपन मुझसे दूर हो गया। मैं दूसरे लोगों की तरह एक बार फिर सामान्य हो गया, परंतु जब मैंने अपनी तुरही फिर पकड़ी तो बजाना भूल गया; एक भी धुन नहीं निकाल सका।
“अब क्या तुम तुरही बजाने के लिए मुझे कहोगे, ताकि तुम उसकी धुन पर नाच सको?"
(अनुवाद: भद्रसेन पुरी)