तुम नहीं तो फिर तुम्हारा मामा आया था : कर्नाटक की लोक-कथा

Tum Nahin To Tumhara Mama Aya Tha : Lok-Katha (Karnataka)

एक बार ऐसा हुआ कि छोटी सी भेड़ को प्यास लगी। वह एक छोटे से जल कुंड (झरने) के पास गई और पानी पीने लगी। तभी एक बाघ को इसकी गंध लगी। वह भी इस झील के पास आ गया और एक विवाद शुरू कर दिया। उसने भेड़ से पहले तो यह कहा, “तू यहाँ आकर पानी को गंदा कर रही है। इससे मुझे पीने को गंदा पानी मिल रहा है?”

भेड़ पहले ही एक अबोध जीव है। इस पर यह छोटी भी थी। उसे बाघ का मर्म मालूम न हुआ। उसने जवाब दिया, “तुम ऊपर खड़े हो। पानी ऊपर से नीचे की तरफ आता है। इसलिए तुम्हें पहले साफ पानी मिल रहा है।”

बाघ का उद्देश्य दूसरा ही था। उसने कहा, “आज नहीं, तुमने कल यह पानी गंदा कर दिया था।” जवाब में भेड़ ने कहा, “मैं कल यहाँ नहीं आई थी।”

अब बाघ का पारा चढ़ गया, उसने कहा, “तुम नहीं, फिर तुम्हारी माँ आई होगी?”

भेड़—“मेरी माँ नहीं, वह तो कभी की मर गई।”

बाघ—“तब तो तुम्हारा मामा आया होगा।”

भेड़ ने कहा, “मेरा कोई मामा नहीं है।”

बाघ ने तब यह कहकर, “तुम्हारा मामा नहीं तो तुम्हारा बाप आया होगा। मुझसे विवाद मत करो।” इतना कहते-कहते बाघ आगे बढ़ा और हठात् भेड़ को पकड़कर मुँह में डाल लिया।

(साभार : प्रो. बी.वै. ललितांबा)

  • कन्नड़ कहानियां और लोक कथाएं
  • मुख्य पृष्ठ : भारत के विभिन्न प्रदेशों, भाषाओं और विदेशी लोक कथाएं
  • मुख्य पृष्ठ : संपूर्ण हिंदी कहानियां, नाटक, उपन्यास और अन्य गद्य कृतियां