टिक्की टिक्की टैम्बो : चीनी लोक-कथा
Tikki Tikki Tembo : Chinese Folktale
एशिया महाद्वीप के चीन देश के लोग पहले बहुत लम्बे लम्बे नाम रखते थे पर वहाँ की यह लोक कथा यह बताती है कि वहाँ के लोगों ने अपने नाम लम्बे लम्बे रखना क्यों छोड़ा। यह एक हँसी की लोक कथा है। लो इसे पढ़ो और हँसो।
एक बार बहुत पुराने समय में चीन देश में एक परिवार में दो बेटे रहते थे। उनमें से बड़े बेटे का नाम जिसको परिवार का सारा पैसा मिलने वाला था बहुत लम्बा रखा गया जैसा कि किसी बड़े बेटे का नाम होना चाहिये था।
उसका नाम था – टिक्की टिक्की टैम्बो नो सरैम्बो हरी करी पाई ची पिप पैरी पैम्बो। और दूसरे बेटे को जिसको दुनियाँ में अपनी रोजी रोटी खुद कमानी थी और जो इतना खास नहीं था उसको पिंग नाम दे दिया गया। पर यह इसलिये ऐसा नहीं था कि वह उनके बड़े बेटे जितना प्यारा नहीं था पर बस वहाँ की कुछ रीति ही ऐसी थी।
ये दोनों भाई आपस में बहुत अच्छे दोस्त भी थे और आपस में एक दूसरे के साथ खेलना भी बहुत पसन्द करते थे।
एक दिन वे दोनों भाई टेग का खेल खेल रहे थे कि छोटा पिंग नदी के पास भीगी जमीन पर फिसल गया और नदी में गिर पड़ा। यह देख कर टिक्की टिक्की टैम्बो नो सरैम्बो हरी करी पाई ची पिप पैरी पैम्बो डर गया। दोनों में से किसी भी भाई को तैरना नहीं आता था।
टिक्की टिक्की टैम्बो नो सरैम्बो हरी करी पाई ची पिप पैरी पैम्बो तुरन्त ही चिल्लाता हुआ घर दौड़ा गया — “माँ माँ, पिंग नदी में गिर पड़ा है।”
माँ यह सुन कर परेशान हो गयी और बोली — “चलो जा कर तुम्हारे पिता को बताते हैं।”
सो माँ और टिक्की टिक्की टैम्बो नो सरैम्बो हरी करी पाई ची पिप पैरी पैम्बो दोनों पिता को ढूँढने खेत पर पहुँचे।
वहाँ पहुँच कर टिक्की टिक्की टैम्बो नो सरैम्बो हरी करी पाई ची पिप पैरी पैम्बो चिल्लाया — “पिता जी पिता जी, पिंग नदी में गिर गया है।”
पिता भी परेशान सा चिल्लाया — “क्या? पिंग नदी में गिर गया है? चलो हमको अपने पड़ोसी की नाव ले कर उसको नदी में से निकालने के लिये जाना चाहिये।”
सो टिक्की टिक्की टैम्बो नो सरैम्बो हरी करी पाई ची पिप पैरी पैम्बो, उसकी माँ और उसके पिता तीनों पड़ोसी की नाव लेने पड़ोसी के घर पहुँचे।
पिता बोला — “ओ पड़ोसी, हमारा पिंग नदी में गिर पड़ा है। क्या हम उसको निकालने के लिये तुम्हारी नाव उधार ले सकते हैं?”
पड़ोसी भी चिल्लाया — “क्या? पिंग नदी में गिर पड़ा है? यह तो बहुत बुरा हुआ। तुम मेरी नाव ले जाओ और तुरन्त जा कर पिंग को बचाओ।”
सो तीनों पड़ोसी की नाव ले कर नदी की तरफ गये और पिंग को जो करीब करीब डूब सा ही गया था बचा लिया।
कुछ हफ्ते बाद टिक्की टिक्की टैम्बो नो सरैम्बो हरी करी पाई ची पिप पैरी पैम्बो और पिंग दोनों कुँए से पानी भर रहे थे कि टिक्की टिक्की टैम्बो नो सरैम्बो हरी करी पाई ची पिप पैरी पैम्बो उस कुँए में बहुत नीचे तक झुक गया और कुँए में गिर गया।
यह देख कर पिंग को चिन्ता हो गयी क्योंकि दोनों भाइयों में से कोई भी तैरना नहीं जानता था। पिंग चिल्लाता चिल्लाता माँ के पास भागा गया — “माँ माँ, टिक्की टिक्की टैम्बो नो सरैम्बो हरी करी पाई ची पिप पैरी पैम्बो कुँए में गिर गया है।”
माँ चिल्लायी — “अरे, क्या टिक्की टिक्की टैम्बो नो सरैम्बो हरी करी पाई ची पिप पैरी पैम्बो कुँए में गिर पड़ा है? चलो चल कर तुम्हारे पिता को बतायें।”
सो दोनों टिक्की टिक्की टैम्बो नो सरैम्बो हरी करी पाई ची पिप पैरी पैम्बो के पिता को ढूँढने गये। उनके पिता अपने वर्कशाप में रसोईघर के लिये एक मेज बना रहे थे।
वहाँ जा कर उन्होंने पिता को बताया कि टिक्की टिक्की टैम्बो नो सरैम्बो हरी करी पाई ची पिप पैरी पैम्बो कुँए में गिर पड़ा है। यह सुन कर पिता भी चिन्तित हो कर बोला — “क्या? टिक्की टिक्की टैम्बो नो सरैम्बो हरी करी पाई ची पिप पैरी पैम्बो कुँए में गिर पड़ा है? चलो हम अपने माली से सीढ़ी माँगते हैं और टिक्की टिक्की टैम्बो नो सरैम्बो हरी करी पाई ची पिप पैरी पैम्बो को बचाते हैं।”
तीनों माली से सीढ़ी माँगने गये। वे माली से बोले — “टिक्की टिक्की टैम्बो नो सरैम्बो हरी करी पाई ची पिप पैरी पैम्बो कुँए में गिर पड़ा है हमें अपनी सीढ़ी दे दो हमको उसे कुँए में से निकालना है।”
माली भी चिल्लाया — “अरे, क्या टिक्की टिक्की टैम्बो नो सरैम्बो हरी करी पाई ची पिप पैरी पैम्बो कुँए में गिर पड़ा है। बड़ी खराब बात है। हाँ हाँ तुम मेरी सीढ़ी ले जाओ और उसको जल्दी से जा कर बचाओ।”
सो पिता ने माली की सीढ़ी उठायी और उसको टिक्की टिक्की टैम्बो नो सरैम्बो हरी करी पाई ची पिप पैरी पैम्बो को बचाने के लिये कुँए में लगायी।
पर टैम्बो का नाम लेने में सबको इतनी देर लगी कि पिता को वहाँ तक आने में ही देर हो गयी और तब तक तो टिक्की टिक्की टैम्बो नो सरैम्बो हरी करी पाई ची पिप पैरी पैम्बो तो कुँए में डूब चुका था।
तबसे चीन के लोग छोटे नाम ही रखते हैं।
(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)